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हिंदी परियोजना चरित्रचित्रण बात अठन्नी की कृत - प्रियांशु कक्षा 10 बी

स्वीकृति मुझे उस परियोजना में प्रस्तुत करने में बहुत खुशी हो रही है जिसे बहुत ईमानदारी और समर्पण के साथ बनाया गया है। मैं इस अवसर पर अपने प्रिंसिपल श्री नारायण जोइसा और मेरी वाइस प्रिंसिपल श्रीमती मनीषा परेरा को हमेशा मेरा मार्गदर्शन और समर्थन करने के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं अपनी भूगोल की शिक्षिका श्रीमती रश्मि सक्सेना का आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का अवसर दिया। मैं अपने माता-पिता के प्रति भी हृदय से आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया है।

सूची क्रमिक संख्या 1 परिचय 2 रसीला का चरित्र चित्रण 3 रमजान का चरित्रचित्रण् 4 बाबू जगतसिंह का चरित्रचित्रण् 5 शेख सलीमुद्दीन का चरित्रचित्रण् 6 मेरी राय 7 क्रमिक संख्या

परिचय बात अठन्नी की, कहानी श्री सुदर्शन द्वारा लिखी गई है | कहानी के माध्यम से समाज के कड़वे सच का परिचय करवाया है , बात अठन्नी का उद्देश्य हमारे समाज में कपटी लोगों के आचरण को जनता के सामने लाना है जिससे कि वह समझ सकें कि वह दोहरा जीवन जीते हैं। साथ ही साथ लेखक इस विषय में जनता को संवेदनशील बना कर सही मार्ग को निर्धारित करना चाहता है । इंजीनियर और मजिस्ट्रेट जो दोनों ही रिश्वतखोर हैं अपने नौकरों के साथ गंदा बर्ताव करते हैं और बीचारों रसीला अठन्नी चुराने के गुनाह पर छह महीने कि सजा दे देते हैं । यह बहुत ही गलत है कि जो स्वयं पांच सौ और हजार रुपये तक की रिश्वत लेते हैं वह रसीला को के पीछे इतनी कठोर सजा सहने के लिए बाध्य कर देते हैं ।

रसीला का चरित्र चित्रण रसीला इंजीनियर बाबू जगत सिंह का एक विश्वसनीय एवं ईमानदार नौकर था।’बात अठन्नी की’ कहानी में वह शोषित एवं सर्वहारा वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। वह बहुत ही मेहनती एवं कर्मठ इन्सान था। बाबू जगत सिंह के यहाँ 10रूपए मासिक पर वफादारी से नौकरी करते हुए उसे कई साल हो गए थे, उसके हाथ से सैकड़ों रूपए निकल गए पर आज तक उसने न अपना धर्म बिगाड़ा और न ही अपने मालिक का भरोसा तोड़ा। वह रमजान का सच्चा शुभचिंतक था। वह रमजान का आभार मानता था । अपने मालिक की तरह वह एहसान फरामोश नहीं था। अपने मित्र की आत्मीयता देखकर उसके लिए सच्चे मन से ईश्‍वर से दुआ माँगता है। इससे उसकी ईश्‍वर के प्रति आस्था भी दिखाई देती है।वह एक भावुक इन्सान तथा स्वाभिमानी भी था। अपने मित्र की सहृदयता देखकर उसकी आँखें भर आईं तथा अपना ऋण नहीं चुका पाने के कारण वह रमजान से आँखें नहीं मिला पाता था। रसीला बहुत ही सरल हृदय का था, छल कपट नहीं जानता था इसलिए एक बार में ही उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया था। आठ आने चुराना उसकी परिस्थितिजन्य मजबूरी थी।

रमजान का चरित्रचित्रण् रमजान जिला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन का नौकर था। वह बहुत ही ईमानदार, दूसरों के दुख- दर्द समझने वाला तथा उदार हृदय का व्यक्ति था । वह रसीला का अच्छा मित्र तथा अत्यंत संवेदनशील था इसलिए उसे उदास देखकर वह उसके दर्द को समझकर उसकी मदद करता है और कभी उसके लिए तकाज़ा नहीं करता है। यह उसकी मानवता तथा देवत्व के गुण को दर्शाता है। उसे बेईमान तथा रिश्वतखोरों से सख्त नफरत है। रसीला को जब छह महीने की सजा सुनाई गई तब वह इस न्याय व्यवस्था को कोसता है। उसे बहुत क्रोध आता है और वह इसे अंधेर नगरी कहता है। रमजान को सही गलत की पहचान थी। वह शेख सलीमुद्दीन तथा इंजीनियर जगतबाबू की करतूतों से भली-भांति परिचित था, इसलिए उनकी रिश्वतखोरी पर उन्हें सजा न मिलने और रसीला की अठन्नी की चोरी करने पर छह महीने जेल की सजा दिए जाने पर आक्रोश से भर जाता है।रमजान भी सर्वहारा वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है।

बाबू जगतसिंह का चरित्रचित्रण् बाबू जगतसिंह बात अठन्नी की कहानी में पूंजीपति वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे रिश्वतखोर एवं भ्रष्ट थे। रिश्वत लेने और देने में उन्हें कोई परहेज नहीं था। खुद घर पर पाँच सौ की रिश्वत लेते हैं और थाने में हवलदार को पाँच रूपए रिश्वत देकर उसे रसीला से जुर्म कबूल करवाने को कह कर अपनी हृदयहीनता का परिचय देते हैं। वे इतने कठोर दिल एवं कंजूस इन्सान हैं कि न तो अपने नौकर की तनख्वाह बढ़ाते हैं और न ही जरूरत के वक्त उसे पेशगी देते हैं। आठ आने की चोरी पर जिस तरह वे अपने नौकर रसीला को तमाचा मारते और सजा दिलवाने से भी पीछे नहीं हटते, इससे उनकी निर्दयता का पता चलता है। वे बहुत ही एहसान फरामोश हैं। अपने नौकर की वफादारी की कीमत वे यह कहकर चुकाते हैं कि यदि कोई इससे ज्यादा पैसे दे, तो वह नौकरी छोड़कर वहाँ चला जाए पर वे उसकी तनख्वाह नहीं बढ़ाएंँगे।

शेख सलीमुद्दीन का चरित्रचित्रण् शेख सलीमुद्दीन भी पूंजीपति वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे जिला मजिस्ट्रेट के नाम पर एक कलंक हैं। उन्हें अपने पद की गरिमा का जरा भी ख्याल नहीं है। वे एक भ्रष्ट, रिश्वतखोर तथा लालची इन्सान हैं। न्याय की कुर्सी पर बैठकर रसीला को सजा सुनाकर वे न्याय की धज्जियाँ उड़ाते हैं। उनमें भी अमीरों वाली हृदयहीनता के दर्शन होते हैं। खुद हजार रुपये की रिश्वत लेते हैं और रसीला के आठ आने की चोरी पर उसे छह महीने की सजा देते हैं। इन जैसे लोगों की वजह से ही न्याय व्यवस्था पर से लोगों का विश्वास उठ जाता है। वे बहुत ही स्वार्थी हैं। अपने सुख के आगे उन्हें किसी का दुख दिखाई नहीं देता।

मेरी राय रमज़ान कहानी का एक महत्वपूर्ण पात्र है क्योंकि वह एक ईमानदार व्यक्ति है, और उसने अपनी दोस्त रासीला को कुछ पैसे उधार देकर उसकी मदद की। रमजान ने कभी अपमानित करने की कोशिश नहीं की कि रसीला ने अपना कर्ज वापस नहीं किया, और उसने अपना कर्ज वापस करने के लिए भी नहीं कहा। रमजान एक सच्चा दोस्त था जिसने बुरे वक्त में मुंह मोड़ने के बजाय बुरे वक्त में मदद की। वह क्रोधित हो जाता जब वह देखता कि कुछ अन्याय हो रहा है। वह वास्तव में गुस्से में था जब उसने सुना कि उसके दोस्त को अट्टान्नी लूटने के लिए 6 महीने जेल की सजा सुनाई गई थी।

ग्रन्थसूची क्रमिक संख्या 1 Wikipedia 2 Hindkunj
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