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बहुत समय पहले की बात हैं। एक तालाब में एक चिड़िया का परिवार डूब गया। उस परिवार में घर का मुखिया (चिड़ा) ही बच था। अब वह बहुत दुखी रहने लगा। उसका सबकुछ उजाड़ चुका था। एक दिन गुस्से में आकर उसने तालाब को सुखाने की कसम खा ली। उस दिन से उसने उस तालाब के पानी को अपनी चोंच में भर-भर कर आसपास के खेतों और नदियों में ले जाकर डालने लगा।
‘चिड़ा’ को ऐसा करता देख एक चिड़िया ने पूछा, तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? “उसने अपने साथ हुए घटना को बताया” चिड़िया बोली तुम कितने बडे मूर्ख व्यक्ति हो, ऐसा करने से तुम कई जन्मों में तालाब के पानी को नहीं सूखा सकते। ‘चिड़ा’ बोला, “मदद करनी हैं तो करो, वरना सलाह मत दो!” उस चिड़िया ने ‘चिड़ा’ की मदद करनी शुरू कर दी। देखते-देखते लाखों की संख्या में चिड़िया उस ‘चिड़ा’ के साथ आ गए।
सभी चिड़िया को तलाब के पानी को दूर ले जाते देख, एक औरत ने चिड़िया से पूछा तुम लोग ऐसा क्यों कर रहे हो। चिड़िया, ने उस औरत को सारी बात बता दी। औरत ने कहा तुम लोग ऐसा कब तक कारोगे? चिड़िया बोली, “मदद करनी हैं तो करो, वरना सलाह मत दो!”
औरत घर जाकर अपने पति से सारी बात बता देती हैं। उसका पति कहता हैं, चिड़िया ऐसा कब तक करेंगी। औरत अपने पति से कहती हैं, “मदद करनी हैं तो करो, वरना सलाह मत दो! उस व्यक्ति ने यह बात सभी गाँव वालों से बताता हैं। गाँव वाले पानी निकलने वाले इंजन को अपने साथ लेकर उस तलाब के पानी को खाली कर देते हैं। चिड़िया को सूखे तालाब में अपने परिवार के लोगों का अथिर-पंजर दिखाई दिया।
कहानी से सीख:
सलाह देना से अच्छा मदद करना।
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Language: none
Added: May 04, 2025
Slides: 1 pages
Slide Content
हिन्दी किानी: सलाि निीं, मदद करो
बहुत समय पिले की बात िैं। एक तालाब में एक चिचिया का पररवार डूब
गया। उस पररवार में घर का मुखिया (चििा) िी बि था। अब वि बहुत �िी
रिने लगा। उसका सबकु छ उजाि िुका था। एक ददन गुस्से में आकर उसने
तालाब को सुिाने की कसम िा ली। उस ददन से उसने उस तालाब के पानी
को अपनी िोंि में भर-भर कर आसपास के िेतों और नददयों में ले जाकर
डालने लगा।
‘चििा’ को ऐसा करता देि एक चिचिया ने पूछा, तुम ऐसा क्यों कर रिे िो?
“उसने अपने साथ हुए घटना को बताया” चिचिया बोली तुम हकतने बडे मूिख
व्यक्ति िो, ऐसा करने से तुम कई जन्मों में तालाब के पानी को निीं सूिा
सकते। ‘चििा’ बोला, “मदद करनी िैं तो करो, वरना सलाि मत दो!” उस
चिचिया ने ‘चििा’ की मदद करनी शुरू कर दी। देिते-देिते लािों की संख्या
में चिचिया उस ‘चििा’ के साथ आ गए।
सभी चिचिया को तलाब के पानी को �र ले जाते देि, एक औरत ने चिचिया
से पूछा तुम लोग ऐसा क्यों कर रिे िो। चिचिया, ने उस औरत को सारी बात
बता दी। औरत ने किा तुम लोग ऐसा कब तक कारोगे? चिचिया बोली, “मदद
करनी िैं तो करो, वरना सलाि मत दो!”
औरत घर जाकर अपने पहत से सारी बात बता देती िैं। उसका पहत किता िैं,
चिचिया ऐसा कब तक करेंगी। औरत अपने पहत से किती िैं, “मदद करनी िैं
तो करो, वरना सलाि मत दो! उस व्यक्ति ने यि बात सभी गााँव वालों से बताता
िैं। गााँव वाले पानी हनकलने वाले इंजन को अपने साथ लेकर उस तलाब के
पानी को िाली कर देते िैं। चिचिया को सूिे तालाब में अपने पररवार के लोगों
का अक्तथर-पंजर ददिाई ददया।