भारतीय पवव और तयोहार
भारत वषव मे हरेक ितिि पर तयौहार है |
तयौहार के चलते हमारे जीवन मे नया
उमंग , उतसाह , जीवन जीने की तमनना
िनिमवत होती है।भारत मे हर धमव के लोग
रहते है | इस कारण भारत मे अनेक तयोहार
मनाये जाते है | दीवाली और होली के अलावा
भारत मे ईद और रमज़ान जैसे तयोहार भी
मनाये जाते है | भारत मे ििसमस भी
मनाया जाता है|
इन सभी तयोहारो से लोगो के बीच के संबंध
और मज़बूत होते जाते है | इसके अलावा इन
सब तयोहारो से अलग धमो के बारे मे जान
बडता जाता है और लोग एक द
ूसरे के करीब
आते है |
राजय - पंजाब
तयोहार-
बैसाखी
िसखो के दसवे गुर गोिबनद
िसंह ने बैसाखी के िदन खालसा पंि
की नींव रखी और इस तरह फसल
कटने के उललास मे मनाए जाने
वाले इस पावन िदन पर खुश होने
की दो वजह हो गई। बैसाखी पव व
दरअसल एक लोक तयोहार है
िजसमे फसल पकने के बाद उसके
कटने की तैयारी का उललास साफ
झलकता है। बैसाखी को जाडा खतम
होने और गमी की शुरआत के रप
मे मनाया जाता है, जब खेतो मे
फसल पककर सुनहरी हो जाती है
और नए पतो से सजे पेड-पौधे हरी
चादर ओढ लेते है।
वसनत पञचमीवसनत पञचमी
•वसंत ऋतु का सवागत करने के
िलए माघ महीने के पाँचवे िदन एक
बडा जश मनाया जाता िा िजसमे
िवषणु और कामदेव की पूजा होती,
यह वसंत पंचमी का तयौहार
कहलाता िा। यो तो माघ का यह
पूरा मास ही उतसाह देने वाला है,
पर वसंत पंचमी (माघ शकु ल 5) का
पव व भारतीय जनजीवन को अनेक
तरह से पभािवत करता है।
पाचीनकाल से इसे जान और कला
की देवी मां सरसवती का
जनमिदवस माना जाता है।
यहििवालीकापतीकहै
िदवाली
काितकव मास की अमावसया के िदन िदवाली का
तयोहार मनाया जाता है। इस पव व के साि पांच पवो
जुडे हुए है। सभी पवो के साि दंत-किाएं जुडी हुई
है। िदवाली का तयोहार िदवाली से दो िदन पूव व
आरमभ होकर दो िदन पशात समाप होता है। इसे
धनतेरस कहा जाता है।
दसूरे िदन चतुदवशी को नरक-चौदस मनाया जाता है।
इसे छोटी िदवाली भी कहा जाता है। तीसरे िदन
अमावसया को िदवाली का तयोहार पूरे भारतवष व के
अितिरक िवशभर मे बसे भारतीय हषोललास के
साि मनाते है। इस िदन देवी लकमी व गणेश की
पूजा की जाती है। िदवाली के पशात अननकूट
मनाया जाता है। यह िदवाली की शखंृ ला मे चौिा
उतसव होता है। लोग इस िदन िविभनन पकार के
वयंजन बनाकर गोवधनव की पूजा करते है।
शकु ल िितीया को भाई-दजू या भैयादजू का तयोहार
मनाया जाता है।
गणेश चतिुी
गणेश चतुिी िहनदओुं का एक गणेश चतुिी िहनदओुं का एक
पमुख तयोहार हैपमुख तयोहार है. . यह तयौहार यह तयौहार
महराषमहराष, , गोआगोआ, , गुजरात और आंध गुजरात और आंध
पदेश मे मनाया जाता है।गणेश पदेश मे मनाया जाता है।गणेश
चतुिी से अननत चतुदवशी चतुिी से अननत चतुदवशी ((अनंत अनंत
चौदसचौदस) ) तक दस िदन तक दस िदन गणेशोतसवगणेशोतसव
मनाया जाता है। आज बालक मनाया जाता है। आज बालक
छोटेछोटे--छोटे डणडो को बजाकर खेलते छोटे डणडो को बजाकर खेलते
है। यही कारण है िक लोकभाषा मे है। यही कारण है िक लोकभाषा मे
इसे डणडा चौि भी कहा जाता है। इसे डणडा चौि भी कहा जाता है।
गणेशजी का यह पूजन करने से गणेशजी का यह पूजन करने से
िवदािवदा, , बुिि की तिा ऋििबुिि की तिा ऋिि--िसिि िसिि
की पािप तो होती ही हैकी पािप तो होती ही है, , साि ही साि ही
िवघनिवघन--बाधाओं का भी समूल नाश बाधाओं का भी समूल नाश
हो जाता है। हो जाता है।
भगवान ्गणेश की मतू ी खरीदते भगवान ्गणेश की मतू ी खरीदते
है और घर लेजाकर पूजा करते है और घर लेजाकर पूजा करते
है। मंबु ई और दसूरे बडे शहरो है। मंबु ई और दसूरे बडे शहरो
मेमे, , गणेश जी के बडेगणेश जी के बडे--बडे मिूतयव ाँ बडे मिूतयव ाँ
भी बनाये जाते है और मंिदरो भी बनाये जाते है और मंिदरो
मे पूजा की जाती है। दस िदनो मे पूजा की जाती है। दस िदनो
के बाद गणेश की मतू ी का के बाद गणेश की मतू ी का
िवसजनव की जाती है। यह िदन िवसजनव की जाती है। यह िदन
बडे धमू धमके से मनाया जाता बडे धमू धमके से मनाया जाता
है। बडे मिूतयव ो को टको पर रख है। बडे मिूतयव ो को टको पर रख
करकर, , बैड बाजे के सािबैड बाजे के साि, , रोड पर रोड पर
चलते है। लोग खूब जोश मे चलते है। लोग खूब जोश मे
नाचते है।नाचते है।
होली वसंत ऋतु मे मनाया
जाने वाला एक महतवपूण व
भारतीय तयोहार है। यह पवव
िहंदू पंचांग के अनुसार
फालगुन मास की पूिणमव ा को
मनाया जाता है। रंगो का
तयोहार कहा जाने वाला यह
पव वपारंपिरक रप से दो िदन
मनाया जाता है। पहले िदन
को होिलका जलायी जाती है,
िजसे होिलका दहन भी कहते
है
होली
। द
ूसरे िदन
, िजसे धुरडडी, धुलेडी,
धुरखेल या धूिलवंदन कहा जाता
है, लोग एक द
ूसरे पर
रंग,
अबीर-गुलाल इतयािद फेकते है
राग-रंग का यह लोकिपय पवव
वसंत का संदेशवाहक भी है।
भारत मे होली का उतसव
अलग-अलग पदेशो मे िभननता
के साि मनाया जाता है। होली
रंगो का तयोहार है, हँसी-खुशी
का तयोहार है, लेिकन होली के
भी अनेक रप देखने को िमलते
है। पाकृितक रंगो के सिान पर
रासायिनक रंगो का पचलन ,
भांग-ठंडाई की जगह नशेबाजी
और लोक संगीत की जगह
ििलमी गानो का पचलन इसके
कुछ आधुिनक रप है।
जनमाषटमी
जनमाषटमी के तयौहार मे भगवान िवषणु की, शी
कृषण के रप मे, उनकी जयनती के अवसर पर
पािनव ा की जाती है। िहनदओुं का यह तयौहार
शावण (जुलाई-अगसत) के कृषण पक की अषटमी के
िदन भारत मे मनाया जाता है। िहनद ुपौरािणक
किा के अनुसार कृषण का जनम, मिुरा के असुर
राजा कंस, जो उसकी सदाचारी माता का भाई िा,
का अंत करने के िलए हुआ िा।
जनमाषटमी के अवसर पर पुरष व औरते उपवास व
पािनव ा करते है। मिनदरो व घरो को सुनदर ढंग से
सजाया जाता है व पकािशत िकया जाता है। उततर
पदेश के वनृ दावन के मिनदरो मे इस अवसर पर
खचीले व रंगारंग समारोह आयोिजत िकए जाते है।
कृषण की जीवन की घटनाओं की याद को ताजा
करने व राधा जी के साि उनके पेम का समरण
करने के िलए रास लीला की जाती है। इस तयौहार
को कृषणाषटमी अिवा गोकुलाषटमी के नाम से भी
जाना जाता है।
•बाल कृषण की मूित व को
आधी रात के समय
सनान कराया जाता है
तिा इसे िहनडौले मे
रखा जाता है। पूरे
उततर भारत मे इस
तयौहार के उतसव के
दौरान भजन गाए जाते
है व नतृ य िकया जाता
है। महाराषट मे
जनमाषटमी के दौरान,
कृषण के िारा बचपन
मे लटके हुए छींको
(िमटटी की मटिकयो),
•जो िक उसकी पहुंच
से दरू होती िीं, से
दही व मकखन चुराने
की कोिशशो करने का
उललासपूण वअिभनय
िकया जाता है। इन
वसतुओं से भरा एक
मटका अिवा पात
जमीन से ऊपर लटका
िदया जाता है, तिा
युवक व बालक इस
तक पहुंचने के िलए
मानव िपरािमड बनाते
है और अनतत: इसे
फोड डालते है।
रकाबंधन
रकाबंधन एक भारतीय तयौहार है जो शावण मास की
पूिणमव ा के िदन मनाया जाता है। सावन मे मनाए जाने
के कारण इसे सावनी या सलूनो भी कहते है। रकाबंधन
मे राखी या रकासूत का सबसे अिधक महतव है। इस
िदन बहने अपने भाई के दाये हाि पर राखी बांधकर
उसके मािे पर ितलक करती है और उसकी दीघ व आयु
की कामना करती है। बदले मे भाई उनकी रका का
वचन देता है। ऐसा माना जाता है िक राखी के
रंगिबरंगे धागे भाई-बहन के पयार के बंधन को मज़बूत
करते है। भाई बहन एक दस
ूरे को िमठाई िखलाते है।
और सुख दख
ु मे साि रहने का यकीन िदलाते है। यह
एक ऐसा पावन पव व है जो भाई-बहन के पिवत िरशते
को पूरा आदर और सममान देता है। उतरांचल मे इसे
शावणी कहते है।
रामनवमी
रामनवमी राजा दशरि के पुत भगवान
राम की समिृत को समिपतव है। उसे
"मयादव ा पुरषोतम" कहा जाता है तिा वह
सदाचार का पतीक है। यह आती है, को
राम के जनम िदन की समिृत मे मनाया
जाता है। रामनवमी के िदन, शिालु बडी
संखया मे मिनदरो मे जाते है और राम
की तयौहार शुकल पक की 9वीं ितिि जो
अपैल मे िकसी समय पशंसा मे भिकपूण व
भजन गाते है तिा उसके जनमोतसव को
मनाने के िलए उसकी मूितयव ो को पालने
मे झुलाते है। राम, उनकी पतनी सीता,
भाई लकमण व भकत हनुमान की रि
याताएं बह
ुत से मंिदरो से िनकाली जाती
है। िहंद
ूघरो मे रामनवमी पूजा करके
मनाई जाती है।
शावण मास के शुकल पक की
ततृ ीया को शावणी तीज कहते है.
उतरभारत मे यह हिरयाली तीज के
नाम से भी जानी जाती है. तीज का
तयोहार मुखयत: िियो का तयोहार
है. इस समय जब पकृित चारो तरफ
हिरयाली की चादर सी िबछा देती है
तो पकृित की इस छटा को देखकर
मन पुलिकत होकर नाच उठता है
और जगह-जगह झूले पडते है. इस
तयोहार मे िियाँ गीत गाती है,
झूला झूलती है और नाचती है. इस
िदन मां पावतव ी की पूजा की जाती
है. िविध -इस िदन मिहलाएं िनजलव
रहकर वत करती है।