भारतीय पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान शिक्षकों का संगठन (IATLIS) अमਨदीप सिंह हरमनप्रीत कौर
परिचय भारतीय पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान शिक्षकों का संगठन (IATLIS) भारत में पुस्तकालय शिक्षा के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय पेशेवर संगठन है। इसकी स्थापना 19 दिसम्बर 1969 को की गई।
IATLIS का इतिहास पुस्तकालय विज्ञान शिक्षकों का संगठन बनाने का विचार यूनेस्को क्षेत्रीय सेमिनार (अक्टूबर 1960, दिल्ली विश्वविद्यालय) में सामने आया। बाद में यह विचार तीन राष्ट्रीय सेमिनारों में चर्चा का विषय रहा: संपूर्ण भारत पुस्तकालय विज्ञान शिक्षा संगोष्ठी, बनारस विश्वविद्यालय (1963) संपूर्ण भारत पुस्तकालय विज्ञान शिक्षा संगोष्ठी, एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय (1965) संपूर्ण भारत पुस्तकालय विज्ञान अध्यापन संगोष्ठी, दिल्ली विश्वविद्यालय (1966) तत्पश्चात् डीआरटीसी, बैंगलोर में 15-19 दिसम्बर 1969 के दौरान एस.आर. रंगनाथन एंडोमेंट लेक्चर्स “पुस्तकालय वर्गीकरण का अध्यापन” ने IATLIS संगठन बनाने का अवसर प्रदान किया।
उद्देश्य एवं लक्ष्य - भारत में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान शिक्षा पर विचारों का आदान-प्रदान बढ़ावा देना। - भारत में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में शोध को प्रोत्साहित करना। - शिक्षा पर पुस्तकों और पत्रिकाओं के प्रकाशन को बढ़ावा देना। - आने वाली पीढ़ियों के शिक्षकों को बेहतर रूप से तैयार करना। - वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति के प्रति जागरूक करना। - भारत में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान शिक्षकों के कल्याण को बढ़ावा देना।
IATLIS की गतिविधियाँ - सम्मेलनों का आयोजन। - संगोष्ठियों का आयोजन। - विचार-विनिमय और व्यावसायिक विकास हेतु कार्यशालाएँ। - प्रकाशन।
IATLIS पुरस्कार - मोतीवाले सर्वश्रेष्ठ LIS शिक्षक पुरस्कार। - प्रो. एस.पी. नारंग शोध प्रोत्साहन पुरस्कार (शोधकर्ताओं हेतु)। - प्रो. जगिंदर सिंह रामदेव आजीवन उपलब्धि पुरस्कार। - श्रीमती रत्ना लक्ष्मण राव सर्वश्रेष्ठ महिला LIS शिक्षक/पेशेवर पुरस्कार।
प्रकाशन सेमिनार एवं सम्मेलन कार्यवाही के अलावा IATLIS, IATLIS कम्युनिकेशन्स प्रकाशित करता है, जो इस संगठन की आधिकारिक पत्रिका है। IATLIS जर्नल ऑफ लाइब्रेरी एजुकेशन एंड रिसर्च (IJLER), अर्धवार्षिक पत्रिका है, जिसे 2013 से प्रकाशित किया जा रहा है।
प्रकाशन (जर्नल) IJLER एक त्रैमासिक पत्रिका है जो पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान शिक्षा एवं शोध में हाल के विकास को शिक्षकों, शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों, पुस्तकालय एवं सूचना पेशेवरों तथा अन्य इच्छुक लोगों तक पहुँचाने का प्रयास करती है।
कार्यशालाएँ - पहली राष्ट्रीय कार्यशाला “LIS शिक्षक और डिजिटल भविष्य” IIT मद्रास, चेन्नई के केंद्रीय पुस्तकालय में 17-19 जनवरी 2007 को आयोजित की गई। इसमें 17 राज्यों से 46 प्रतिभागी शामिल हुए। - IIT बॉम्बे के केंद्रीय पुस्तकालय ने IATLIS के सहयोग से “डिजिटल युग में LIS शिक्षा” विषय पर 13-15 जून 2007 को 3-दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की। इसमें देशभर से शिक्षक, पुस्तकालयाध्यक्ष एवं शोधार्थी शामिल हुए।
व्याख्यान शृंखला - IATLIS ने SATKAL ट्रस्ट के सहयोग से वार्षिक व्याख्यान शृंखला शुरू की। - पहला व्याख्यान (2009) – के.के. बनर्जी, “RRRLF की भूमिका भारत में सार्वजनिक पुस्तकालय सेवाओं के संवर्धन में।” - दूसरा व्याख्यान (2010) – जॉन पॉल अनबु के., “लाइब्रेरीज़ ऑन द मूव: मोबाइल एप्लिकेशंस।” - तीसरा व्याख्यान (2010) – डॉ. सी.आर. करिसिद्दप्पा द्वारा पुणे विश्वविद्यालय में।
अन्य पहल IATLIS के 575 से अधिक सदस्य हैं। दिसम्बर 2008 से अब तक भारत एवं विदेशों (नाइजीरिया, चीन, अमेरिका) से 150 से अधिक शिक्षक एवं पेशेवर सदस्य बने हैं।
मुख्यालय पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला। (स्थायी मुख्यालय नहीं है)
संचालन परिषद - प्रो. रमेशा (अध्यक्ष) - डॉ. खुशप्रीत सिंह ब्रार (उपाध्यक्ष) - प्रो. श्रीनिवास राघवन (उपाध्यक्ष) - प्रो. केशवा (महासचिव) - प्रो. के.जी. जयरामा नाइक (संयुक्त सचिव) - डॉ. हेमावती बी.एन. (कोषाध्यक्ष)
सहयोग एवं साझेदारी निदेशक डॉ. जगतार सिंह (निदेशक - सहयोग एवं साझेदारी)
क्षेत्रीय सचिव - डॉ. हरीश चंदर (उत्तर क्षेत्र) - प्रो. पी.जी. तदसाद (दक्षिण क्षेत्र) - डॉ. सुबरना कुमार (उत्तर-पश्चिम क्षेत्र) - प्रो. मनोज कुमार वर्मा (उत्तर-पूर्व क्षेत्र)
कार्यकारी परिषद सदस्य - डॉ. एच.पी.एस. कालरा - प्रो. आर. सेवुकन - प्रो. बुलु महाराना - प्रो. मोहम्मद हनीफा - प्रो. बी.टी. सम्पथ कुमार - डॉ. इंदरजीत सिंह