विषय : बुद्धि और बुद्धि के सिद्धांत प्रस्तुतकर्ता आशुतोष कुमार विश्वकर्मा एम. एड. (शिक्षाशास्त्र) (तृतीय छमाही ) शिक्षा विद्यापीठ महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा - 442001
बुद्धि व बुद्धि के सिद्धांत
बुद्धि (Intelligence) मानसिक शक्ति है जो वस्तुओं एवं तथ्यों को समझने, उनमें आपसी संबंध खोजने तथा तर्कपूर्ण ज्ञान प्राप्त करने में सहायक होती हैं, बुद्धि कहलाती है। बुद्धि ही मनुष्य को नवीन परिस्थितियों को ठीक से समझने और उसके साथ अनुकूलित होने में सहायता करती हैं । बुद्धि को ‘सूचना प्रसंस्करण की योग्यता’ की तरह भी समझा जा सकता है ।
बुद्धि की परिभाषाएँ 1.स्टर्न : बुद्धि जीवन की नवीन परिस्थितियों तथा समस्याओं के अनुरूप सामान्य समायोजन करने की योग्यता हैं । 2. बकिंघम : बुद्धि सीखने की योग्यता हैं। 3. टर्मन : बुद्धि अमूर्त चिंतन की योग्यता हैं। 4. वेशलर : बुद्धि किसी व्यक्ति के द्वारा उद्देश्यपूर्ण ढंग से कार्य करने, तार्किक चिंतन करने तथा वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण ढंग से क्रिया करने की समूहिक योग्यता हैं ।
बुद्धि के प्रकार 1. सामाजिक बुद्धि (Social Intelligence) 2. यांत्रिक/ गामक बुद्धि (Motor / mechanical Intelligence) 3. अमूर्त बुद्धि ( Abstract Intelligence)
सामाजिक बुद्धि इस बुद्धि का संबंध सामाजिक अनुकूलन की योग्यता से हैं। जिसकी सहायता से व्यक्ति अपने को समाज के अनुकूल व्यवस्थिति कर लेता हैं । सामाजिक बुद्धि के कारण व्यक्ति दूसरों को अपने व्यवहारों से प्रभावित कर लेता हैं। इस प्रकार का व्यक्ति प्रसन्न मिलनसार व सामाजिक कार्यों में रुचि लेता हैं। सामाजिक बुद्धि के कारण ही व्यक्ति समाज में सफलतापूर्वक जीवन व्यतीत करता है। इस प्रकार की बुद्दि वाले व्यक्ति व्यवसायी , सामाजिक कार्यकर्ता व कूटनीतिज्ञ होते हैं।
यांत्रिक/ गामक बुद्धि (Motor / Mechanical Intelligence) यांत्रिक बुद्धि का तात्पर्य उस शक्ति या योग्यता से है जिसकी सहायता से व्यक्ति अपने को यंत्रों या भौतिक पदार्थों से संबंधित परिस्थितियों के साथ सुव्यवस्थित कर लेता हैं। जिन बालकों में यह शक्ति होती हैं , वह उनमें प्रारंभिक काल से ही दिखाई पड़ने लगती हैं। वे अपने खिलौने , घड़ी , साइकिल आदि को खोलकर ठीक करने का प्रयास करते हैं। ऐसे बालक आगे चलकर कुशल , कारीगर , मिस्त्री इंजीनियर आदि बनाते हैं। यांत्रिक बुद्धि वाले बालक खेलकुद तथा अन्य शारीरिक कार्यों में कुशल होते हैं।
अमूर्त बुद्धि ( Abstract Intelligence) अमूर्त बुद्धि से अभिप्राय शाब्दिक तथा गणितीय संकेतों को समझने व प्रयोग करने की योग्यता से हैं। लिखने , पढ़ने तथा तार्किक चिंतन में अमूर्त बुद्धि की आवश्यकता होती हैं। अमूर्त बुद्धि का सर्वोच्च रूप गणित या विज्ञान के सूत्रों व समीकरणों में तथा दार्शनिक विचारों में परिलक्षित होता हैं। ऐसी बुद्धि के लोग कलाकार , चिंतक , दार्शनिक और वैज्ञानिक होते हैं।
बुद्धि के सिद्धांत ( Theories of Intelligence) 1. एक - कारक सिद्धांत (Un i – Factor Theory) 2. द्वि-कारक सिद्धांत (Un i – Factor Theory) 4 . समूह-कारक सिद्धांत (Group – Factor Theory) 3. बहु-कारक सिद्धांत (Multi – Factor Theory) 5. पदानुक्रमिक-सिद्धांत ( Hierarchical Theory) 6. बुद्धि की संरचना (Structure of Intelligence ) 7 . तरल-ठोस-बुद्धि सिद्धांत ( Fluid- Crystallizid - Intelligence Theory) 8. बहु- बुद्धि संरचना (Multiple Intelligence Theory)
एक-कारक सिद्धांत (Uni-Factor Theory) इस सिद्धान्त का प्रतिपादन फ्रांस के मनोवैज्ञानिक अल्फ्रेड बिने ( Alfred Binet ) ने किया तथा अमेरिका के मनोवैज्ञानिक टर्मन तथा जर्मनी के मनोवैज्ञानिक एंबिगास ने इसका समर्थन किया। इस सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि एक ऐसी अविभाज्य इकाई के रूप में कार्य करती हैं जिसके द्वारा समस्त मानसिक क्रियाएँ प्रारम्भ , संपन्न तथा नियंत्रित होती हैं। बुद्धि का एक कारक सिद्धांत
द्वि - कारक सिद्धांत ( Two - Factor Theory) s s s s s s s s G स्पियरमैन ने 1904 में इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। 1. सामान्य कारक ( General factor) । 2. विशिष्ट कारक ( Specific factor) । सामान्य कारक : सामान्य कारक व्यक्ति की समस्त मानसिक क्रियाओं में पाया जाता हैं। व्यक्तिक विभिन्नताओं के कारण सामान्य कारक भिन्न-भिन्न मात्राओं में पाया जाता हैं । यह जन्मजात होता हैं और व्यक्ति को सदैव सफलता की ओर उन्मुख करता हैं। विशिष्ट कारक : यह व्यक्ति की विशेष क्रियाओं में पाई जाती हैं । यह भी व्यक्तिक विभिन्नता के कारण भिन्न-भिन्न पाई जाती हैं। अलग-अलग प्रकार की क्रियाओं के लिए अलग-अलग प्रकार के विशिष्ट कारकों की आवश्यकता होती हैं। ये कारक अर्जित होते हैं।
बहु-कारक सिद्धांत (Multi-Factor Theory) * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * ** * * * * * * * * * * * * बहु-कारक सिद्धांत इस सिद्धान्त का प्रतिपादन Thorndike ने किया था। इनके अनुसार बुद्धि अनेक स्वतंत्र कारकों से मिलकर बनी हैं। इन स्वतंत्र कारकों में से प्रत्येक कारक किसी विशिष्ट मानसिक योग्यताओं का आंशिक ढंग से प्रतिनिधित्व करता हैं। व्यक्ति द्वारा किसी भी मानसिक कार्य को सम्पन्न करने में अनेक छोटे छोटे कारक एक साथ मिलकर काम करते हैं। इन क्रियाओं में कई सारे तत्व उभयनिष्ठ होते हैं। इस कारण इन तत्वों को किसी एक वर्ग विशेष में रखकर विशिष्ट नाम दिया जा सकता हैं। ये तत्व शब्दार्थ , शब्द-प्रवाह , गणना , स्मृति आदि मानसिक क्रियाओं के वर्ग हो सकते हैं।
मानसिक कार्य मानसिक कार्य मानसिक कार्य मानसिक कार्य W V S N R M बुद्धि का समूह-कारक सिद्धांत थर्स्टन ने कहा कि बुद्धि न तो सामान्य कारकों का प्रदर्शन और न ही विशिष्ट कारकों का प्रदर्शन हैं , अपितु इसमें कुछ मानसिक क्रियाएँ होती हैं। जो सामान्य रूप से मूल कारकों में सम्मिलित होती हैं। ये मानसिक क्रियाएँ समूह का निर्माण करती हैं। मनोवैज्ञानिक रूप से क्रियात्मक एकता प्रदान करती हैं। थर्स्टन ने बताया कि बुद्धि की संरचना कुछ मौलिक कारकों के समूह में होती हैं। दो या दो से अधिक मूल कारक मिलकर एक समूह का निर्माण कर लेते हैं जो व्यक्ति के किसी क्षेत्र में उसकी बुद्धि का प्रदर्शन करते हैं।
पदानुक्रमित सिद्धांत ( Hierarchical Theory) बर्ट और वर्नन ने 1960 में मानवीय प्राकृतिक योग्यताओं की पदानुक्रमिक संरचना प्रस्तुत की। इन्होने मानसिक योग्यताओं को क्रमिक महत्व प्रदान किया। जो क्रमशः सामान्य कारक ( General factor ) , मुख्य समूह कारक ( Major group factor), लघु समूह कारक ( Minor group factor) तथा विशिष्ट कारक ( Specific factor) । सामान्य कारक मुख्य समूह कारक : v (शाब्दिक) . E d (शैक्षिक) K (गतिक). M (यांत्रिक) लघु समूह कारक : इस लघु कारकों को विशिष्ट मानसिक कार्यों से संबन्धित अनेक विशिष्ट समूह कारकों में विभक्त किया जा सकता हैं। विशिष्ट समूह कारक .
बुद्धि की संरचना ( Structure of Intelligence) गिलफोर्ड ने इस सिद्धान्त प्रतिपादन किया था। * छह संक्रियाए- संज्ञान ( Cognition) स्मृति आभिलेखन ( Memory Recording) स्मृति धारण ( memory Retention) परंपरागत चिंतन ( Convergent Thinking) गैर-परंपरागत चिंतन ( Divergent Thinking) मूल्यांकन Evaluation) छह उत्पाद इकाईयां ( Units) वर्ग ( Classes) संबंध ( Relations) प्रणाली ( System) प्रत्यावर्तन ( transformation) निहितार्थ ( Implication) पाँच सामग्री : दृश्विक (Visual), श्रवणिक (Auditory), सांकेतिक (Symbolic), शाब्दिक (Verbal), व्यावहारिक (Behavioral)
बहु- बुद्धि सिद्धांत (Multiple Intelligence Theory) हॉवर्ड गार्डनर ने 1983 में इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इन्होने बताया कि बुद्धि एकांकी (singular) न होकर बहु-प्रकरीय (Plural) हैं। इन्होने कुल सात तरह की बुद्धि बताया हैं- बुद्धि (Intelligence) 1. व्येक्तिक – पर बुद्धि ( Personal– Other Intelligence) 2. व्येक्तिक- स्व बुद्धि ( Personal – self Intelligence) 3. संगीत बुद्धि ( Musical Intelligence) 4. शरीर गतिक बुद्धि ( Body- Kinethetic Intelligence ) 5. स्थानिक बुद्धि ( Spatial Intelligence) 6. तार्किक गणितीय बुद्धि ( Logical Mathematics Intelligence) 7. भाषायी बुद्धि ( Linguistic Intelligence )
तरल-ठोस बुद्धि सिद्धांत (Fluid-Crystallized Intelligence Theory तरल बुद्धि Fluid Intelligence इस सिद्धांत का प्रतिपादन आर. बी. कैटल ने 1941 में किया था। इसे द्विघटक बुद्धि सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता हैं। तरल सामान्य मानसिक योग्यता (Fluid general mental ability or Gf ) क्रिस्टल सामान्य मानसिक योग्यता (Crystallized general mental ability or G c) + पर्यावरणीय उद्बोधन Evironmental Exposition = ठोस बुद्धि Crystallized Intelligence वंशानुगत कारक शिक्षा, प्रशिक्षण तथा अनुभव
संदर्भ-सूची Gupta, S.P. & Gupta, Alka . (2017). Advance Educational Psychology Theory and Practice. Allahabad : Sharda Pustak Bhavan Rai , Amarnath & Asthana , Madhu . (2017). Guidennce & Counselling (Concepts, areas and approaches). Delhi : Motilal Banarasidas Singh, A.K & S ingh, A.K. (2017). Modern General Psychology. Delhi : Motilal Banarasidas Singh, A.K. (2017). Cognitive Psychology. Delhi : Motilal Banarasidas Singh, A.K. (2016). Advance clinical psychology. Delhi: Motilal Banarasidas