Karak sanskrit (Rahul kushwaha)

gamemaker762 46,109 views 21 slides Apr 06, 2015
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SOME DATA ARE TAKEN FROM INTERNET E.G. DEFINITION,EXAMPLES ETC.
This is for education purpose only...


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 कारक संस्कृत

SOME DATA ARE TAKEN FROM INTERNET E.G. DEFINITION,EXAMPLES ETC. This is for education purpose only..

वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ क्रिया का सम्बन्ध कारक कहलाता है। जैसे :-  कारक बालः गच्छति |   गणपतेः चत्वारः हस्ताः | कर्ता कारक सम्बन्ध कारक

1. कर्ता  कारक जिस रुप से क्रिया (कार्य) के करने वाले का बोध होता है, वह 'कर्ता' कारक कहलाता है। 'ने '   बालः गच्छति |

कर्ता   कारक कविः लिखति | गुरवः वदन्ति |   बाला पठति | संस्कृत उदाहरण: 'ने '  

2. कर्म कारक संज्ञा या सर्वनाम अथवा जिस वस्तु या व्यक्ति पर क्रिया का प्रभाव पड़े उसे कर्म कारक कहते है। 'को'   बाला पुस्तकम् पठति |

कर्म कारक चित्रकारः चित्रं लिखति |   तक्षकः काष्ठं तक्षति गुरवः वदन्ति |   समिति अनुमतिम् अयच्छत्  | संस्कृत उदाहरण: 'को'  

3. करण कारक   जिसकी सहायता से कार्य संपन्न हो, वह करण कारक कहलाता है।  'से' तथा 'द्वारा' माला पुष्पैः भवति |  

करण कारक कृषिवलः हलेन कर्षति  |   गुरवः लेखन्या अलिखन्  |   त्वं विद्यया जिवसि | संस्कृत उदाहरण: 'से' तथा 'द्वारा'

4. सम्प्रदान कारक सम्प्रदान का अर्थ है 'देना' अर्थात् कर्ता जिसके लिए कुछ कार्य करता है अथवा जिसे कुछ देता है, उसे व्यक्त करने वाले रुप को सम्प्रदान कारक कहते हैं।   'के लिए','को' धनिकः निर्धनाय धनं यछतु |

सम्प्रदान कारक अहं तस्मै पुरस्कारं ददामि |     भिक्षुकायः तण्डूलं देहि  | धनिकः निर्धनाय धनं यछतु | संस्कृत उदाहरण:   'के लिए','को'

5. अपादान कारक संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसीवस्तु के अलग होने का बोध हो,वहां अपादान कारक होता है। 'से' फलानि तरुभ्यः पतन्ति |

अपादान कारक देवताः स्वर्गात् आगछन्ति |   अहं विद्यालयात् आगच्छामि |    सः धावतः अश्वात् पतितः  | संस्कृत उदाहरण: 'से'

6. सम्बन्ध कारक संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी वस्तु से सम्बन्ध ज्ञात हो,उसे सम्बन्ध कारक कहते है। का, के, की, रा, रे, री, सूर्यस्य उदयः |   

सम्बन्ध कारक शुक्राचार्यस्य शिष्याः असुराः |    देवानां गुरुः बृहस्पतिः |   गणपतेः चत्वारः हस्ताः | संस्कृत उदाहरण: का, के, की, रा, रे, री,

7. अधिकरण कारक  शब्द के जिस रुप से क्रिया के स्थान, समय तथा आधार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। 'में','पर' पुष्पाणि लतायां विकसन्ति |

अधिकरण कारक पुष्पाणि लतायां विकसन्ति |      पर्णानि भूम्यां पतन्ति | महाभारते अनेककथाः विद्यन्ते | संस्कृत उदाहरण: 'में','पर'

8. संबोधन कारक  जिससे किसी को बुलाने अथवा सचेत करने का भाव प्रकट हो, उसे संबोधन कारक कहते हैं।  अरे भैया! हे बाल !

संबोधन कारक हे बाल !    हे लते !   हे देव ! हे भैया !   संस्कृत उदाहरण:

देखने के लिये धन्यवाद !