Kashyap ( kul ) from google.com

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Kashyap ( kul ) from google.com


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कश्यप का कुल
भारतीय कुल इततहास भाग-3

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जब हम सृष्टि विकास की बात करते हैं तो इसका मतलब है जीि, जंतु या मानि की उत्पवि से
होता है। ऋवि कश्यप एक ऐसे ऋवि थे ष्जन्होंने बहुत-सी स्त्रीयों से वििाह कर अपने कुल का
विस्त्तार ककया था। आदिम काल में जाततयों की विविधता आज की अपेक्षा कई गुना अधधक थी।

ऋवि कश्यप ब्रह्माजी के मानस-पुर मरीची के विद्िान पुर थे। मान्यता अनुसार इन्हें अतनटिनेमी के
नाम से भी जाना जाता है। इनकी माता 'कला' किदम ऋवि की पुरी और कवपल िेि की बहन थी।

कश्यप को ऋवि-मुतनयों में श्रेटठ माना गया हैं। पुराणों अनुसार हम सभी उन्हीं की संतानें हैं। सुर-
असुरों के मूल पु�ि ऋवि कश्यप का आश्रम मे� पिदत के शिखर पर था, जहााँ िे परब्रह्म परमात्मा
के ध्यान में लीन रहते थे। समस्त्त िेि, िानि एिं मानि ऋवि कश्यप की आज्ञा का पालन करते थे।
कश्यप ने बहुत से स्त्मृतत-ग्रंथों की रचना की थी।

कश्यप कथा :
पुराण अनुसार सृष्टि की रचना और विकास के काल में धरती पर सिदप्रथम भगिान ब्रह्माजी प्रकि
हुए। ब्रह्माजी से िक्ष प्रजापतत का जन्म हुआ। ब्रह्माजी के तनिेिन पर िक्ष प्रजापतत ने अपनी पत्नी
अशसक्नी के गभद से 66 कन्याएाँ पैिा की।

इन कन्याओं में से 13 कन्याएाँ ऋवि कश्यप की पष्त्नयााँ बनीं। मुख्यत इन्हीं कन्याओं से सृष्टि का
विकास हुआ और कश्यप सृष्टिकताद कहलाए। ऋवि कश्यप सप्तऋवियों में प्रमुख माने जाते हैं। विटणु
पुराणों अनुसार सातिें मन्िन्तर में सप्तऋवि इस प्रकार रहे हैं- िशसटठ, कश्यप, अत्रर, जमिष्नन,
गौतम, विश्िाशमर और भारद्िाज।

श्रीमद्भागित के अनुसार िक्ष प्रजापतत ने अपनी साठ कन्याओं में से 10 कन्याओं का वििाह धमद के
साथ, 13 कन्याओं का वििाह ऋवि कश्यप के साथ, 27 कन्याओं का वििाह चंद्रमा के साथ, 2
कन्याओं का वििाह भूत के साथ, 2 कन्याओं का वििाह अंगीरा के साथ, 2 कन्याओं का वििाह

कृिाश्ि के साथ ककया था। िेि 4 कन्याओं का वििाह भी कश्यप के साथ ही कर दिया गया।

*कश्यप की पत्नीयााँ : इस प्रकार ऋवि कश्यप की अदितत, दितत, िनु, काटठा, अररटिा, सुरसा, इला,
मुतन, क्रोधििा, ताम्रा, सुरशभ, सुरसा, ततशम, विनता, कद्रू, पतांगी और याशमनी आदि पष्त्नयााँ बनीं।

1.अदिति : पुराणों अनुसार कश्यप ने अपनी पत्नी अदितत के गभद से बारह आदित्यों को जन्म दिया,
ष्जनमें भगिान नारायण का िामन अितार भी िाशमल था।



माना जाता है कक चाक्षुि मन्िन्तर काल में तुवित नामक बारह श्रेटठगणों ने बारह आदित्यों के �प
में जन्म शलया, जो कक इस प्रकार थे- वििस्त्िान्, अयदमा, पूिा, त्िटिा, सविता, भग, धाता, विधाता,
ि�ण, शमर, इंद्र और त्ररविक्रम (भगिान िामन)।

ऋवि कश्यप के पुर विस्त्िान से मनु का जन्म हुआ। महाराज मनु को इक्ष्िाकु, नृग, धृटि, ियादतत,
नररटयन्त, प्रान्िु, नाभाग, दिटि, क�ि और पृिध्र नामक िस श्रेटठ पुरों की प्राष्प्त हुई।

2.दिति : कश्यप ऋवि ने दितत के गभद से दहरण्यकश्यप और दहरण्याक्ष नामक िो पुर एिं शसंदहका
नामक एक पुरी को जन्म दिया। श्रीमद्भागित् के अनुसार इन तीन संतानों के अलािा दितत के गभद
से कश्यप के 49 अन्य पुरों का जन्म भी हुआ, जो कक म�न्िण कहलाए। कश्यप के ये पुर तनसंतान
रहे। जबकक दहरण्यकश्यप के चार पुर थे- अनुहल्लाि, हल्लाि, भक्त प्रह्लाि और संहल्लाि।

3.िनु : ऋवि कश्यप को उनकी पत्नी िनु के गभद से द्विमुधाद, िम्बर, अररटि, हयग्रीि, विभािसु,
अ�ण, अनुतापन, धूम्रकेि, वि�पाक्ष, िुजदय, अयोमुख, िंकुशिरा, कवपल, िंकर, एकचक्र, महाबाहु,
तारक, महाबल, स्त्िभादनु, िृिपिाद, महाबली पुलोम और विप्रधचतत आदि 61 महान पुरों की प्राष्प्त हुई।

4.अन्य पत्नीयााँ : रानी काटठा से घोडे आदि एक खुर िाले पिु उत्पन्न हुए। पत्नी अररटिा से गंधिद
पैिा हुए। सुरसा नामक रानी से यातुधान (राक्षस) उत्पन्न हुए। इला से िृक्ष, लता आदि पृथ्िी पर
उत्पन्न होने िाली िनस्त्पततयों का जन्म हुआ। मुतन के गभद से अप्सराएाँ जन्मीं। कश्यप की क्रोधििा
नामक रानी ने सााँप, त्रबच्छु आदि वििैले जन्तु पैिा ककए।

ताम्रा ने बाज, धगद्ध आदि शिकारी पक्षक्षयों को अपनी संतान के �प में जन्म दिया। सुरशभ ने भैंस,
गाय तथा िो खुर िाले पिुओं की उत्पवि की। रानी सरसा ने बाघ आदि दहंसक जीिों को पैिा ककया।
ततशम ने जलचर जन्तुओं को अपनी संतान के �प में उत्पन्न ककया।

रानी विनता के गभद से ग�ड (विटणु का िाहन) और ि�ण (सूयद का सारधथ) पैिा हुए। कद्रू की कोख
से बहुत से नागों की उत्पवि हुई, ष्जनमें प्रमुख आठ नाग थे-अनंत (िेि), िासुकी, तक्षक, ककोिक,
पद्म, महापद्म, िंख और कुशलक।

रानी पतंगी से पक्षक्षयों का जन्म हुआ। याशमनी के गभद से िलभों (पतंगों) का जन्म हुआ। ब्रह्माजी
की आज्ञा से प्रजापतत कश्यप ने िैश्िानर की िो पुत्ररयों पुलोमा और कालका के साथ भी वििाह
ककया। उनसे पौलोम और कालकेय नाम के साठ हजार रणिीर िानिों का जन्म हुआ जो कक
कालान्तर में तनिातकिच के नाम से विख्यात हुए।

माना जाता है कक कश्यप ऋवि के नाम पर ही कश्मीर का प्राचीन नाम था। समूचे कश्मीर पर ऋवि
कश्यप और उनके पुरों का ही िासन था। कश्यप ऋवि का इततहास प्राचीन माना जाता है। कैलाि
पिदत के आसपास भगिान शिि के गणों की सिा थी। उक्त इलाके में ही िक्ष राजाओं का साम्राज्य
भी था। कश्यप ऋवि के जीिन पर िोध ककए जाने की आिश्यकता है। इतत।

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