श्री कृष्ण जन्माष्टमी (krishna Janmashtami) 2021

gunjankumarverma 1,206 views 47 slides Aug 28, 2021
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About This Presentation

श्री कृष्ण जन्माष्टमी (krishna Janmashtami) 2021


Slide Content

कृ
?ण ज?मा?टमी

कृ
?ण ज?मा?टमी
कृ
?ण ज?मा?टमी, िजसे केवल ज?मा?टमी या
गोकुला
?टमी के ?प मE भी जाना जाता है,
एक वाjष[क ?
हंदू
?योहार है जो jव?
णुजी
के आठवE अवतार .
ीकृ
?ण के ज?म का ज?न
मनाता है। यह ?
हंदू चं
! कैलE
डर के अनुसार
,
कृ
?ण प?
(अंधेरे पखवाड़े
) के आठवE ?दन
(अ?टमी) को .ावण या भा!पद मE मनाया जाता है (इस पर ?नभ[र करता है iक कैलEडर
अमाव?
या या पू
hण[मा के ?दन को मह#
ने के अं
?तम ?दन के ?प मE
चुनता है या
नह#ं। जो ेगो?रयन कैलEडर के अग?त या g
सतंबर के साथ ओवरलैप होता है।

यह एक मह?
वपूण
[ ?योहार है, खासकर ?
हंदू धम
[ क' वै?णव परंपरा मE
। भागवत पुराण
(जैसे रास ल#
ला या कृ
?ण ल#ला)
के अनुसार कृ
?ण
के जीवन के नृ
?य-नाटक क'
पर?परा,
कृ
?ण के ज?म के समय म?यरा? मE भि?त गायन, उपवास (उपवास), रा?
जागरण (रा? जागरण), और एक ?योहार (महो?सव)
अगले
?दन ज?मा?टमी समारोह
का एक ?ह?सा हG। यह मh
णपुर
, असम, ?बहार, पि?
चम बंगाल
, ओkडशा, म?य $देश,
राज?थान,
गुजरात
, महारा?, कना[टक, केरल, तgमलना
डु
, आं" $देश तथा भारत के
अ?य सभी रा?यI मE पाए जाने वाले $
मुख वै
?णव और गैर-सां$दा?
यक समुदाय
I के
साथ jवशेष ?
प से मथुरा और वृंदावन म
E मनाया जाता है।
कृ
?ण ज?मा?टमी के बाद ?योहार नंदो?सव होता है, जो उस अवसर को मनाता है जब
नंद बाबा ने ज?म के स?मान मE
समुदाय को उपहार
jवत?रत iकए।
कृ
?ण देवक' और
वासुदेव अनाकदुंदुभी

के पु
हG और उनके ज?म?दन को ?
हंदुओं
nवारा
ज?मा?टमी के ?प मE मनाया जाता है, jवशेष ?प से गौड़ीय वै?णववाद परंपरा के ?प
मE उ?हE भगवान का सव>?च ?यि?त?व माना जाता है। ज?मा?टमी ?
हंदू परंपरा के

अनुसार तब मनाई जाती है जब माना जाता है
i
क कृ
?ण का ज?
म मथुरा म
E भा!पद
मह#ने के आठवE ?दन (ेगो?रयन कैलEडर मE अग?त और 3 gसतंबर के
साथ ओवरलैप)
क'
आधी रात को हुआ था।

कृ
?ण का ज?म अराजकता के ?े मE
हुआ था।
यह एक ऐसा समय था जब उ?पीड़न
बड़े पैमाने पर था
, ?वतंता से वंlचत iकया गया था,
बुराई हर
जगह थी, और जब
उनके मामा राजा कंस nवारा उनके जीवन के g
लए खतरा था। मथुरा
मE जेल मE ज?म
के तुरंत बाद
, उनके j
पता वासुदेव अनाकादुंदुभी कृ
?ण को
यमुना पार ले जाते ह
G, ताiक

माता-j
पता का गोकुल म
E नंद और यशोदा नाम ?दया जा सके। यह कथा ज?मा?टमी
पर लोगI nवारा उपवास रखने,
कृ
?ण $ेम के भि?त गीत गाकर और रात मE जागरण
करके मनाई जाती है।
कृ
?ण के म?यरा? के ज?म के बाद, g
शशु कृ
?ण क'
मू
?त[यI
को धोया और पहनाया जाता है, iफर
एक पालने म
E रखा जाता है। इसके बाद भ?त
भोजन और gमठाई बांटकर अपना उपवास तोड़ते हG। म?हलाएं अपने घर के दरवाजे
और रसोई के बाहर छोटे-
छोटे पैर
I के ?नशान बनाती हG जो अपने घर क' ओर चलते
हुए
, अपने घरI मE
कृ
?ण के आने का $तीक है।
कुछ समुदाय कृ
?ण क' i
कं
वदं?तयI को म?कन चोर (म?खन चोर) के ?प मE
मनाते
हG।
?
हंदू ज
?मा?टमी को उपवास, गायन, एक साथ $ाथ[ना करने, jवशेष भोजन तैयार करने
और साझा करने, रा?
जागरण और कृ
?ण या jव?
णु मं
?दरI मE जाकर मनाते हG।
$
मुख कृ
?ण मं?दर '
भागवत पुराण
' और 'भगवद गीता' के पाठ का आयोजन करते हG।
कई समुदाय नृ
?य-नाटक काय
[c
म आयोिजत करते हG िज?हE रास ल#
ला या कृ
?ण
ल#ला कहा जाता है। रास ल#ला क' परंपरा jवशेष ?
प से मथुरा
?े मE, भारत के
पूव
>?र रा?यI
जैसे म
h
णपुर और असम
मE और राज?
थान और गुजरात के कुछ
?ह?सI मE लोकj$य है। यह शौiकया कलाकारI क' कई ट#मI nवारा अgभनय iकया
जाता है, उनके ?
थानीय समुदाय
I nवारा उ?सा?हत iकया जाता है, और ये नाटक-
नृ
?य
नाटक $?येक ज?मा?टमी
से कुछ
?
दन पहले शु
? होते हG
ज?मा?टमी (महारा? मE "
गोकुला
?टमी" के ?प मE लोकj$य)
मुंबई
,
लातूर
,
नागपुर और
पुणे जैसे शहर
I मE मनाई जाती है। दह#
हांडी कृ
?ण ज?मा?
टमी के अगले
?दन हर
अग?त/gसतंबर मE मनाई जाती है। यहां लोग दह# हांडी को तोड़ते हG जो इस ?योहार
का एक ?ह?सा है। दह#
हांडी श
?द का शाि?दक अथ[ है "दह# का gमjट# का बत[न"।
?योहार को यह लोकj$य ?ेीय नाम g
शशु कृ
?ण क' कथा से gमलता है। इसके
अनुसार
, वह दह# और म?
खन जैसे दु
?ध उ?पादI क' तलाश और चोर#
करते थे और
लोग अपनी आपू
?त[ को ब?
चे क
'
पहुंच से बाहर
?
छपा देते थे।

कृ
?ण अपनी खोज मE
हर तरह के रचना?मक jवचारI को आजमाते थे, जैसे iक अपने दो?तI के साथ इन
ऊँचे लटकते
बत[नI
को तोड़ने के
gलए मानव jपराgमड बनाना। यह कहानी भारत भर
मE ?
हंदू
मं?दरI के साथ-साथ सा?ह?
य और नृ
?य-नाटक $दश[नI क' कई राहतI का

jवषय है, जो ब?चI क'
आनंदमय मासू
gमयत का $तीक है, iक $ेम और जीवन का
खेल ई?वर क' अgभ?यि?त है।
महारा? और भारत के अ?य पि?चमी रा?यI मE,
इस कृ
?ण कथा को ज?मा?टमी पर
एक सामुदा
?यक परंपरा के ?प मE ?नभाया जाता है,
जहां दह
# के बत[नI को
ऊंचे डंडे से
या i
कसी इमारत के दूसरे या तीसरे
?तर से लटक'
हुई र
ि?सयI से ऊपर लटका ?दया
जाता है। वाjष[
क परंपरा के अनुसार
, "गोj
वंदा
"
कहे जाने वाले युवाओं और लड़क
I क'
ट#मE
इन लटकते हुए बत
[नI के चारI
ओर नृ
?
य और गायन करते हुए जाती ह
G, एक
दूसरे के ऊपर चढ़ती ह
G और एक मानव jपराgमड बनाती हG, iफर बत[न को तोड़ती हG।
lगराई गई सामी को $साद (उ?सव $साद) के ?प मE माना जाता है। यह एक
साव[ज?नक तमाशा है,
एक सामुदा
?यक काय
[c
म के ?प मE उ?सा?हत और ?वागत
iकया जाता है।
समकाल#न समय मE, कई भारतीय शहर इस वाjष[क ?
हंदू अनु
?ठान को मनाते हG।
युवा
समूह गो
j
वंदा पाठक बनाते ह
G, जो jवशेष ?प से ज?मा?टमी पर
पुर
?कार राgश के
gलए एक-
दूसरे के साथ
$?त?पधा[ करते हG।
इन समूह
I को मंडल या हांडी कहा जाता
है और वे ?थानीय ?ेI मE
घूमते ह
G, हर अग?त मE अlधक से अlधक बत[
न तोड़ने का
$यास करते हG। सामािजक हि?तयां और मीkडया उ?सव मE भाग लेते हG, जबiक ?नगम
काय
[cम के कुछ
?ह?सI को $
ायोिजत करते ह
G। गोj
वंदा ट
#मI के gलए नकद और
उपहार क' पेशकश क' जाती है, और टाइ?स ऑफ इंk
डया के अनुसार
, 2014 मE
अकेले
मुंबई
मE 4,000 से अl
धक हांडी पुर
?कारI से लबरेज थे, और गोj
वंदा क
' कई ट#मI ने
भाग gलया था।
गुजरात के
nवारका मE लोग - जहां माना जाता है i
क कृ
?ण ने अपना रा?य ?थाjपत
iकया था - दह# हांडी के समान एक परंपरा के साथ ?योहार मनाते हG, िजसे माखन
हांडी (ताजा मथने वाले म?खन के साथ बत[न) कहा जाता है। अ?य लोग मं?दरI मE
लोक नृ
?
य करते ह
G, भजन गाते हG,
कृ
?ण मं?दरI जैसे nवारकाधीश मं?दर या नाथnवारा
जाते हG। क?छ िजले के ?े मE, iकसान
अपनी बैलगा
kड़यI को सजाते हG
और सामू
?हक
गायन और नृ
?
य के साथ कृ
?ण
जुलूस
?नकालते हG।

वै?
णववाद के पुि
?टमाग[ के jवnवान दयाराम क' का?न[वल-
शैल
# और चंचल कjवता
और रचनाएँ,
गुजरात और राज
?थान मE ज?मा?टमी के दौरान jवशेष ?प से लोकj$य
हG।
ज?मा?टमी उ?र भारत के &ज ?े मE सबसे बड़ा ?योहार है,
मथुरा
जैसे शहरI मE
जहां
?
हंदू परंपरा कहती है
i
क कृ
?ण का ज?
म हुआ था
, और
वृंदावन म
E
जहां वे बड़े हुए
थे। उ?र $देश के इन शहरI मE वै?णव
समुदाय
, साथ ह# अ?य रा?य राज?थान,
?द?ल#, ह?रयाणा, उ?राखंड और ?हमालयी उ?र के ?थानI मE ज?मा?टमी मनाते हG।
कृ
?ण मं?दरI को सजाया जाता है और रोशनी क' जाती है, वे ?दन मE
कई आगंतुक
I
को आकjष[त करते हG, जबi
क कृ
?ण भ?त भि?त काय
[cम आयोिजत करते ह
G और
रा?
जागरण करते ह
G।भ?तजन gमठाई बांटते हG।
?योहार आम तौर पर वषा[
ऋतु म
E पड़ता है। फसलI
से लदे खेत
I और ामीण
समुदाय
I के पास खेलने का समय है। उ?र# रा?यI मE, ज?मा?टमी को रासल#ला
परंपरा के साथ मनाया जाता है, िजसका शाि?दक अथ[ है "
खुशी का
खेल (ल#ला), सार
(रस)"। इसे ज?मा?
टमी पर एकल या समूह नृ
?य और नाटक काय
[c
मI के ?प मE
?य?त iकया जाता है, िजसमE
कृ
?
ण से संबं
lधत रचनाएं गाई जाती हG
। कृ
?ण के
बचपन क' शरारतE और राधा-
कृ
?ण के $ेम $संग jवशेष ?प से लोकj$य हG।
iि?चयन रॉय और अ?य jवnवानI के
अनुसार
, ये राधा-
कृ
?ण $ेम कहा?
नयां दैवीय
gसnधांत और वा?तjवकता के gलए मानव आ?मा क' लालसा और $ेम के gलए ?
हंदू
$तीक हG।
ज?
मू म
E, छतI
से पतंग उड़ाना कृ
?ण ज?मा?टमी पर उ?सव का एक ?ह?सा है।
ज?मा?टमी ?यापक ?
प से पूव
8
और पूव
>?र भारत के ?
हंदू वै
?णव
समुदाय
I nवारा
मनाई जाती है। इन ?ेI मE
कृ
?ण ज?मा?टमी को मनाने क' ?यापक परंपरा का .ेय
१५वीं और १६
वीं शता
?द# के शंकरदेव और
चैत
?य महा$
भु के
$यासI और gश?ाओं
को जाता है। उ?हIने दाश
[?
नक jवचारI के साथ-साथ ?
हंदू भगवान कृ
?ण को मनाने के
gलए $दश[न कला के नए ?प jवकgसत iकए जैसे iक बोग6ट, अंiकया नाट, सि?या
और भि?त योग अब पि?
चम बंगाल और असम म
E लोकj$य हG।
आगे पूव
[ मE, मh
णपुर
के लोगI ने मh
णपुर
#
नृ
?य ?प jवकgसत iकया, एक शा?
ीय नृ
?य ?
प जो अपने
?
हंदू

वै?णववाद jवषयI के gलए जाना जाता है, और िजसमE सि?या क' तरह रासल#ला

नामक राधा-
कृ
?ण क' $ेम-$े?
रत नृ
?य नाटक कला शाgमल है।
ये नृ
?य नाjय कलाएं
इन ?ेI मE ज?मा?टमी परंपरा का एक ?ह?सा हG, और सभी शा?
ीय भारतीय नृ
?यI
के साथ, $ाचीन ?
हंदू सं
?
कृत पाठ ना
jय शा? मE $ासंlगक जड़E हG, लेiकन भारत और
दo?
ण पूव
[ एgशया के बीच सं?
कृ
?त संलयन से $भाjवत हG।
ज?मा?टमी पर, माता-jप
ता अपने ब
?चI
को कृ
?ण क' i
कंवदं
?तयI, जैसे iक गोjपयI
और कृ
?ण के पाI के ?प मE तैयार करते हG। मं?दरI
और सामुदा
?यक क
E!I
को ?ेीय
फूल
I और पj?यI से सजाया जाता है, जबi
क समूह भागवत पुराण और भगवत गीता
के दसवE अ?
याय का पाठ करते या सुनते
हG।
ज?मा?टमी मh
णपुर म
E उपवास, सतक[ता, शा?I
के पाठ और कृ
?ण $ाथ[ना के साथ
मनाया जाने वाला एक $
मुख
?
योहार है। मथुरा और वृंदावन
मE ज?मा?टमी के दौरान
रासल#ला करने वाले नत[क एक उ?
लेखनीय वा
jष[क परंपरा है। मीतेई वै?
णव समुदाय
मE ब?
चे
gलकोल स?
नाबागेम खेलते ह
G।
पूव
8 रा?य ओkडशा मE, jवशेष ?
प से पुर
# के आसपास के ?े और पि?चम बंगाल के
नबnवीप मE, ?योहार को .
ी कृ
?ण जयंती या बस .ी जयंती के ?प मE भी जाना जाता
है। लोग आधी रात तक उपवास और पूजा कर ज
?मा?टमी
मनाते ह
G।
भागवत पुराण

कृ
?ण के जीवन को समjप[त एक खंड, १०वE अ?याय से पढ़ा जाता है। अगले ?दन को
"नंदा उ?सव"
या कृ
?ण के पालक माता-jपता नंदा
और यशोदा का खुशी का उ
?सव
कहा जाता है। ज?मा?
टमी के पूरे
?दन भ?त उपवास रखते हG। वे अपने अg
भषेक
समारोह के दौरान गंगा ?नान राधा माधव से
पानी लाते ह
G। आधी रात को छोटे राधा
माधव देवताओं के gलए एक भ?य अg
भषेक
iकया जाता है, जबiक 400 से अlधक
व?
तुओं का भोजन
(भोग) भि?त के साथ उनके $
भु को अ
jप[त iकया जाता है।
गोकुला अ
?टमी (ज?मा?टमी या .
ी कृ
?ण जयंती)
कृ
?ण का ज?म?दन मनाती है।
गो
कुला
?टमी दo?ण भारत मE
बहुत उ
?साह के साथ मनाई जाती है। केरल मE, लोग
मलयालम कैलE
डर के अनुसार
gसतंबर को मनाते हG। तg
मलनाडु
मE, लोग फश[ को
कोलम (चावल के घोल से तैयार सजावट#
पैटन
[) से सजाते हG। गीता गोj
वंदम और
ऐसे ह
# अ?य भि?
त गीत कृ
?ण क' ?
तु
?त मE गाए जाते हG। iफर वे घर क' दहल#ज
से पूजा क
?
तक कृ
?
ण के पैर
I के ?नशान खींचते हG, जो घर मE
कृ
?ण के आगमन को
दशा[ता है। भगवnगीता का पाठ भी एक लोकj$य $था है।
कृ
?
ण को चढ़ाए जाने वाले

$साद मE फल, पान और म?खन शाgमल हG।
कृ
?ण क' पसंद#दा
मानी जाने वाल
#
सेवइयां बड़ी सावधानी से तैयार क' जाती हG। उनमE से सबसे मह?
वपूण
[ हG सीदाई,
मीठ$ सीदाई, वेरकादलाई उ?ंडई। यह ?योहार शाम को मनाया जाता है ?यIi
क कृ
?ण
का ज?म म?यरा? मE
हुआ था।
?यादातर लोग इस ?दन स?त उपवास रखते हG और
आधी रात क'
पूजा के बाद ह
#
भोजन करते ह
G।
आं" $देश मE, ?लोकI और भि?त गीतI का पाठ इस ?योहार क' jवशेषता है। इस
?यौहार क'
एक और अनूठ
$ jवशेषता यह है i
क युवा लड़के कृ
?ण के ?प मE तैयार
होते हG और वे पड़ोgसयI और दो?तI
से
gमलते हG। jवgभ?न $कार के फल और
g
मठाइयाँ सबसे पहले कृ
?ण को अjप[त क' जाती हG
और पूजा के बाद इन
gमठाइयI
को आगंतुक
I के बीच jवत?रत iकया जाता है। आं" $
देश के लोग भी उपवास रखते
हG। इस ?
दन गोकुलनंदन चढ़ाने के
gलए तरह-तरह क' g
मठाइयां बनाई जाती ह
G।
कृ
?ण
को $साद बनाने के g
लए दू
ध और दह# के साथ खाने क' चीजE तैयार क' जाती हG।
रा?
य के कुछ मं
?दरI मE
कृ
?
ण के नाम का आनंदपूव
[क जप होता है।
कृ
?ण को
समjप[त मं?दरI क' सं?या कम है। इसका कारण यह है iक लोगI
ने मू
?त[यI के
बजाय lचI के मा?यम से उनक'
पूजा क
' जाती है।
कृ
?ण को समjप[त लोकj$य दo?ण भारतीय मं?दर हG, ?त?व?र िजले के म?
नारगुडी म
E
राजगोपाल?वामी मं?दर,
कांचीपुरम म
E
पांडवधूथर मं
?दर,
उडुपी म
E .
ी कृ
?ण मं?दर और
गु
?
वायुर म
E
कृ
?ण मं?दर jव?
णु के कृ
?ण अवतार क' ?
मृ
?त को समjप[त हG। i
कंवदंती
कहती है i
क गु
?
वायुर म
E ?थाjपत .
ी कृ
?ण क'
मू
?त[ nवारका क' है, िजसके बारे मE
माना जाता है i
क यह समु
! मE
डूबी हुई थी।

नेपाल
नेपाल क' लगभग अ?सी $?तशत आबाद#
खुद को
?
हंदू के
?प मE पहचानती है और
कृ
?ण ज?मा?टमी मनाती है। वे आधी रात तक उपवास करके ज?मा?टमी मनाते हG।
भ?त भगवद गीता का पाठ करते हG और भजन और क 'त[न नामक धाgम[क गीत
गाते हG।
कृ
?ण के मं?दरI को सजाया जाता है।
दुकान
I, पो?टरI और घरI मE
कृ
?ण के
?पांकन हG।
बां?लादेश

ज?मा?टमी बां?लादेश मE एक रा?#य अवकाश है। ज?मा?टमी पर, बां?लादेश के
रा?#य मं?दर, ढाके?वर# मं?
दर ढाका से एक जुलूस शु
? होता है, और iफर
पुराने ढाका
क' सड़कI से आगे बढ़ता है।
जुलूस
1902 का है, लेiकन 1948 मE रोक ?दया गया था।
जुलूस
1989 मE i
फर से शु
? iकया गया था।
iफ़जी
iफजी मE कम से कम एक चौथाई आबाद # ?
हंदू धम
[ का पालन करती है, और यह
अवकाश iफजी मE
तब से मनाया जाता है जब से पहले भारतीय
lगरgम?
टया मजदूर
वहां
पहुंचे थे।
iफजी मE ज?मा?टमी को "
कृ
?णा अ?टमी" के ?प मE जाना जाता है।
iफ़जी मE अlधकांश ?
हंदुओं के पूव
[ज उ?र $देश, ?बहार और तg
मलनाडु
से उ?प?
न हुए
हG, िजससे यह उनके gलए jवशेष ?प से मह?
वपूण
[ ?योहार है। iफजी का ज?मा?टमी
उ?सव इस मायने मE अनोखा है i
क वे आठ
?दनI तक चलते हG, जो आठवE ?दन तक
चलता है, िजस ?
दन कृ
?ण का ज?
म हुआ था।
इन आठ ?दनI के दौरान, ?
हंदू घर
I और
मं?दरI मE अपनी 'मंडgलयI' या भि?त
समूह
I के साथ शाम और रात मE इकj
ठा होते
हG,
और भागवत पुराण का पाठ करते
हG,
कृ
?ण के gलए भि?
त गीत गाते ह
G, और $साद
jवत?
रत करते ह
G।
र#
यू
?नयन
%ांसीसी nवीप र#
यू
?नयन के मालबारI मE, कैथोgलक और ?
हंदू धम
[ का एक सम?वय
jवकgसत हो सकता है। ज?मा?टमी को ईसा मसीह क' ज?म ?तlथ माना जाता है।
अ?य
ए?रज़ोना,
संयु
?त रा?य अमे?रका मE, गवन[र जेनेट नेपोgलटानो इ?कॉन को ?वीकार
करते हुए ज
?मा?टमी पर संदेश देने वाले पहले अमे?रक'
नेता थे।
यह ?योहार
कै?र?बयन मE
गुयाना
, ??
नदाद और टोबैगो
,
जमैका और पूव
[ ?&?टश उप?नवेश iफजी के
साथ-
साथ सूर
#
नाम के पूव
[ डच उप?
नवेश म
E ?
हंदुओं
nवारा ?यापक ?प से मनाया
जाता है। इन देशI मE
बहुत से
?
हंदू त
g
मलनाडु
, उ?र $देश और ?बहार से आते हG;
तg
मलनाडु
, उ?र $देश, ?बहार, बंगाल और उड़ीसा के lगरgम?टया $वाgसयI के वंशज।

मथुरा
&
जभू
gम के वो 8 ?थान जहां कण-कण मE समाए हG .
ीकृ
?ण
&
जभू
gम मE यहां आज भी का?
हा को कर सकते ह
G
महसूस


कृ
?ण ज?मा?टमी 30 अग?त ?दन सोमवार को है। यह ?योहार हर साल भा!पद मास
क'
कृ
?ण प? क' अ?टमी ?तlथ को मनाया जाता है। ऐसे मE हम आपको भगवान
कृ
?ण के उन आठ ?थानI के बारे मE बताने जा रहे हG,
जहां पहुंचने पर आप भगवान

को अपने बेहद कर#
ब महसूस कर
Eगे। यह ?
थान आज भी कृ
?ण क' ल#लाओं का
गुणगान
करते हG
। अगर आप भी कृ
?ण क' ल#
लाओं का अनुभव करना चाहते ह
G तो
&
जभू
gम
चले आइए। यहां आकर आपको महसूस होगा
i
क भगवान कृ
?ण आपके
आसपास ह# हG। यहां एक जगह ऐसी भी है iक आप का?हा क' बंसी क'
तान महसूस
कर सकते हG।

कृ
?ण ज?
मभू
gम

भगवान
कृ
?ण को अपने कर#
ब महसूस करना है तो ज
?
मभू
gम चले आइए। मा?यता
है iक n
वापर युग म
E
यहां कंस का कारावास हुआ करता था
, यह#ं पर बाल गोपाल का
ज?
म हुआ था। कृ
?ण ज?
मभू
gम मं?दर मE
एक ऊंचा चबूतरा बना हुआ है
, बताया जाता
है iक ज?म के बाद वह#
ं पर कृ
?णजी के $
थम चरण पड़े थे। उस समय

मथुरा
शूरसेन देश क
'
राजधानी हुआ करती थी। कंस ने कृ
?ण के j
पता वासुदेव और
माता
देवक' को कारागार मE डाल ?दया था,
जहां उनक
' आठ
वीं संतान के
?प मE
कृ
?ण ने
ज?म gलया।

यमुना


बताया जाता है iक तीथ[राज $
याग यमुना के घाट
I पर .
ीयमुना महारानी क
' छछाया
मE .
ीकृ
?ण क'
आराधना करते ह
G
। भगवान कृ
?ण के ज?म के बाद उनके jपता
वासुदेव यमुना से होकर मथुरा से गोकुल ले गए थे
,
तब यमुना
जी ने
कृ
?णजी के
चरण ?पश[ iकए थे। साथ ह#
यमुना के आसपास कृ
?
णजी ने कई ल
#लाएं क' हG। इन
ल#लाओं के ??
य आज भी यमुना के आसपास देखने को
gमल जाएंगे।
यहां
?नान
करने से मनु
?
य के सभी पाप दूर हो जाते ह
G
और कृ
?ण के होने के आभास भी होता
है।

गोवध[न

अगर आपको
कृ
?ण ल#लाओं के दश[न करने हG और उनक' मह?ा को जानना है तो
गोवध[न क' प?रcमा करने एकबार ज?र आएं। गोवध[न मE
आपको कृ
?ण के बारे मE
ऐसी-ऐसी छोट#-छोट# जानकार# gमलेगी, जो आप कह#
ं नह
#
ं जान सकते। यहां हर
पल
भि?
तमय माहौल रहता है और हर पल कृ
?
ण को अपने आसपास महसूस कर सकते
हG। गोवध[न मE
कृ
?
ण कुंड और राधा कुंड क
' प?रcमा क' जाती है। गोवध[न वह# पव[त
है,
िजसको कृ
?णजी ने अपनी एक उंगल#
से उठा
gलया था और &जवाgसयI क' र?ा
क' थी।

नंदरायजी का मं?दर

कं स से र?
ा करने के
gलए
वसुदेवजी नंदगांव म
E
अपने
gम नंदरायजी के यहां
पहुंचे
थे। पहले जहां नंदरायजी का घर हुआ करता था
, आज वहां मं?
दर बना हुआ

है। यहां
आकर आपको बाल गोपाल क ' ल#लाओं के बारे मE जानकार# g
मलेगी। आपको

यहां
आकर ऐसा महसूस होगा
iक जैसे बाल गोपाल आपके आसपास ह# iकलकार# मार रहे
हI। साथ ह# उ?हI
ने यहां पर अपना पूरा बचपन
?बताया था तो आपको वह भी ??य
देखने को gमल जाएंगे।

?नlधवन

वृंदावन
राधा-
कृ
?ण क' ल#लाओं क' नगर# रह#
है और यहां पर ि
?थत ?नlधवन तो
रह?यI का सागर है। बताया जाता है i
क इसी वन से बांके
?बहार#जी का jवह $कट
हुआ था। यहां भगवान कृ
?
ण ने रासल
#
ला रचाई थीं। इस वन म
E एक मं?दर भी है,
िजसमE हर रोज भगवान के g
लए सेज सजाई जाती है। मा
?यता है iक यहां हर रोज
बांके ?बहार# राधा रानी के साथ jव.ाम करते हG
और सुबह दातुन करके चले

जाते ह
G।
मं?
दर का जब दरवाजा खुलता है तो दातुन
lगल# g
मलती है और सजा हुआ
?ब?तर
फैला हुआ रहता है
,
जैसे क
' कोई उस पर सोया हो। ?नlधवन मE आज भी न gसफ[
?यि?त बि?क कोई जानवर भी एक रात नह#ं ?कता।

भांडीरवन

मथुरा
से कर#ब 20 iकमी क'
दूर
# पर भांडार# वन जगह है। &?
मवैवत
[
पुराण के

अनुसार
, &?माजी ने यह#
ं पर भगवान कृ
?ण का राधा के साथ jववाह करवाया था।
आज भी इस वन म E राधा-
कृ
?ण के j
ववाह को जीवंत कर रखा है। यहां आज भी

कृ
?ण के जमाने के पेड़ देखने को gमल जाएंगे। यह#ं पास मE एक बंसीवट वन नाम
क' जगह भी है,
जहां
.
ीकृ
?ण गायI
को चराते हुए राधा को
बंसी क' तान
सुनाया
करते थे। बताया जाता है i
क जब भगवान कृ
?ण बंसी बजाते थे तब सभी वट
वृ
?
कान लगाकर ?
यान से सुनते थे। अगर आप
?
यान से सुन
Eगे तो आज भी बंसी क'
तान सुनाई पड़ेगी।

का?यवन

मथुरा
से 50 iकमी क'
दूर
# पर का?यवन ि?थत है,
िजसे कामां भी कहा जाता है। यहां

पर एक पहाड़ी है,
जहां पर आज भी एक थाल और कटोर
# का lच?
ह बना हुआ है।

मा?यता है i
क भगवान कृ
?ण ने यह#
ं पर
?
योमासुर नामक एक असुर का वध
iकया
था, जो पास क' ह#
एक गुफा म
E रहता है। साथ ह# बताया जाता है i
क परशुराम

भगवान ने यह
#
ं पर तप
?या भी क' थी। महाभारत काल मE पांडवI
ने अपना कुछ

समय इसी वन मE ?
बताया था। अगर आप यहां आते ह
G
तो आज भी आप कृ
?ण क'
ल#लाओं के दश[न कर सकते हG।

मोर कुट
#

मथुरा
के बरसाने मE &?मांचल पव[त पर $
ाचीन मोरकुट
# ?थल है। बताया जाता है iक
आज भी ?
यामसुंदर मोर
?प मE यहां j
वचरण करते ह
G। मा?यता है iक एक बार
राधारानी मोर कुट
# मE मोर देखने के g
लए पहुंची थीं ले
iकन उनको एक भी मोर नह#

g
मला। िजससे राधाराधी मायूस हो ग
C
। जब भगवान कृ
?ण ने देखा iक राधारानी
मायूस हो गई ह
G तो उ?हI
ने मोर
?
प धारण नृ
?य करने लगे, इसे देखकर राधारानी
$स?न हो गC और लl
डू
hखलाने लगीं। तभी उनक' सhखयां पहचान गई थीं iक
कृ
?
ण खुद मोर बनकर आ गए ह
G। सhखया कहती हG iक राधा ने
बुलायो का
?हा मोर
बन आयो।

Shree Krishna Janmashtami 2021:
हर साल भा!
पद मास के कृ
?ण प? क' अ?टमी ?तlथ को .
ीकृ
?ण ज?मा?टमी मनाई
जाती है। मा?यता है iक इस ?दन भगवान jव?
णु के आठव
E अवतार भगवान .
ीकृ
?ण
का ज?
म हुआ था।
.
ीकृ
?ण ज?मा?टमी का पव[ ?
हंदू धम
[ के $
मुख
?योहारI मE से
एक है।
इस साल ज?मा?टमी का पव[ 30 अग?त, सोमवार को मनाया जाएगा। मा?यता है iक
भगवान .ी
कृ
?ण का ज?म आधी रात को
हुआ था। इस
gलए भगवान के भ?त रात 12
बजे ह# उनका ज?मो?
सव मनाते ह
G। ?यो?तषाचाय_
के अनुसार
, इस साल ज?मा?टमी
पर ह-न?I का jवशेष संयोग बन रहा है। हI के jवशेष संयोग के कारण इस
साल क' ज?मा?
टमी बहुत
खास मानी जा रह# है।
बन रहा jवशेष संयोग-
शा?I
के अनुसार भगवान
.
ीकृ
?ण का ज?म रो?हणी न? मE
हुआ था।
?यो?तषाचाय_
के अनुसार
, इस साल ज?मा?टमी पर रो?हणी न? और अ?टमी ?तlथ
jवnयमान रहेगी। इसके अलावा
वृषभ रा
gश मE चं!
मा संचार करेगा। इस दुल
[भ संयोग
के कारण ज?मा?टमी का मह?व और बढ़ रहा है। मा?यता है iक इस दौरान स?
चे
मन से भगवान
.
ीकृ
?ण क'
पूजा
-अच[
ना करने वाले भ
?तI क'
मनोकामनाएं पूर
# होती
हG।
ज?मा?
टमी शुभ मुहूत
[-
29 अग?त क' रात 11 बजकर 25 gमनट से अ?टमी ?तlथ $ारंभ हो जाएगी, जो iक 31
अग?त क' रात 1 बजकर 59 gमनट पर समा?त होगी। रो?हणी न? 30 अग?त को
सुबह
06 बजकर 39 g
मनट से लगेगा
, जो iक 31 अग?त क'
सुबह
09 बजकर 44
gमनट पर समा?त होगा।
पूजा का अ
g
भजीत मुहूत
[-
ज?मा?टमी के ?दन अg
भजीत मुहूत
[ 30 अग?त क'
सुबह
11 बजकर 56 gमनट से देर
रात 12 बजकर 47 gमनट तक रहेगा।

पूजा
- jवlध

सुबह ज
?द# उठकर ?नान आ?द से ?
नवृ
? हो जाएं।
 घर के मं?दर मE साफ- सफाई करE।
 घर के मं?दर मE द#प $?वgलत करE।
 सभी देवी- देवताओं का जलाg
भषेक कर
E।
 इस ?दन भगवान .
ी कृ
?ण के बाल ?प यानी लl
डू गोपाल क
'
पूजा क
' जाती
है।
 लl
डू
गोपाल का जलाg
भषेक कर
E।
 इस ?दन लl
डू गोपाल को झूले म
E
बैठाएं।

 लl
डू गोपाल को झूला झूलाएं।

 अपनी इ?
छानुसार ल
l
डू गोपाल को भोग लगाएं। इस बात का
?यान रखE iक
भगवान को gसफ[ साि?वक चीजI का भोग लगाया जाता है।
 लl
डू गोपाल क
'
सेवा पु
क' तरह करE।
 इस ?दन रा?
पूजा का मह
?व होता है, ?यIiक भगवान .
ी कृ
?ण का ज?म
रात मE
हुआ था।

 रा? मE भगवान .
ी कृ
?ण क' j
वशेष पूजा
- अच[ना करE।
 लl
डू गोपाल को
gम.ी, मेवा का भोग भी लगाएं।
 लl
डू गोपाल क
' आरती करE।
 इस ?दन अl
धक से अ
lधक लl
डू गोपाल का
?यान रखE।
 इस ?दन लl
डू गोपाल क
' अl
धक से अ
lधक सेवा करE।

Krishna Janmashtami 2021: .
ी कृ
?
ण मुरल
#
और मोर पंख
?यI
रखते थे अपने
साथ, जानE धाgम[क मह?व
.
ी कृ
?ण ज?मा?टमी का पव[ 30 अग?त को मनाया जाएगा.
कृ
?ण के भ?त उनके
ज?मो?सव, ज?मा?टमी का पव[ मनाने क' तैयार# कर रहE हG.
ऐसे म
E यह जान लेना
उपयु
?त होगा iक भगवान .
ी कृ
?
ण के साथ मोर पंख और उनक
' j$
य मुरल
#
हमेशा
साथ रहती थी. आhखर ?यI? आइए जानते हG i
क भगवान कृ
?ण
से जुड़ी मुरल
# और
मोरपंख का धाgम[क एवं आ?याि?मक मह?व है.
.ी
कृ
?ण ?यI धारण करते हG
मुरल
#?
भगवान .
ी कृ
?
ण को मुरल
#धर भी कहते हG, ?यIi
क ये हमेशा अपने साथ मुरल
#
धारण iकये रहते हG. इसक' ?व?
न बहुत ह
#
सुर
#ल# और मं
मु
?ध कर देने वाल# होती
है.
ये मुरल
#,
िजसे बांसुर
# भी कहते हG. यह सीख देती है iक हमE सभी लोगI के साथ
मीठा बोलना चा?हए और
सबके साथ सु
?दर एवं सरल ?यवहार करना चा?हए. इस
बासुंर
# मE कोई गांठ नह#ं होती.
भगवान कृ
?
ण जब चाहते ह
G
तभी इसे बजाते ह
G. ?बना
ज?रत के यह नह#ं बजती है. इसी $
कार मनु
?य के अंदर i
कसी भी दूसरे
?यि?त के
gलए गाँठ बनाकर नह#ं रखनी चा?हए और नह#

?बना ज?रत के बोलना चा?हए. जब
कोई ज?र# बात कहनी हो तभी बोलना उ?म होता है.
मुकुट
मE मोर पंख
भगवान .
ी कृ
?
ण के मुकुट म
E हमेशा मोर पंख लगा रहता है. ?यIiक भगवान .ी
कृ
?
ण को मोर पंख और गाय अ
?त j$य होती है. इसी g
लए वे अपने मुकुट म
E मोर
पंख लगाये रहते थे
. कहा जाता है iक मोर एक &?मचार# $ाणी होता है. भगवान .ी
कृ
?ण भी $ेम मE &?मचय[ क' महान भावना को समा?हत i
कये हुए है
. इसी gलए
&?मचय[ के $तीक ?व?प मोर पंख धारण i
कये रहते थे
. यह भी मा?यता है iक
भगवान कृ
?ण क'
कुंडल
# मE कालसप[ दोष था. कालसप[
दोष से मुि
?त पाने के gलए वे
सदैव
अपने मुकुट म
E
मोर पंख लगाये रहते थे
.

Janmashtami
कृ
?ण ज?मा?टमी:
कहानी कृ
?ण ज?म क'
मुरल
# मनोहर
कृ
?ण क?
हैया जमुना के तट पे
jवराजे हG
मोर मुकुट पर
कानI मE
कु
?डल कर मE
मुर
gलया साजे है
मानव जीवन सबसे सुं
दर और सव>?म होता है. मानव जीवन क'
खु
gशयI का
कुछ
ऐसा जलवा है i
क भगवान भी इस खुशी को महसूस करने समय
-समय पर धरती पर
आते हG. शा?I
के अनुसार भगवान
jव?
णु ने भी समय
-समय पर मानव ?
प लेकर
इस
धरती के सुख
I को भोगा है. भगवान jव?
णु का ह
# एक ?प
कृ
?ण जी का भी है
िज?हE ल#लाधर और ल#लाओं का देवता माना जाता है.
Janmashtami
कृ
?ण ज?मा?टमी:
कहानी कृ
?ण ज?म क'
Special Days
-त-?यौहार, gसतारI के ज?म ?दन, रा?#य-अंतररा?#य मह?व के घोjषत ?दनI पर
आधा?रत ?लॉग
Janmashtami – Story of Lord Krishna
मु
रल# मनोहर
कृ
?ण क?
हैया जमुना के तट पे
jवराजे हG
मोर मुकुट पर
कानI मE
कु
?डल कर मE
मुर
gलया साजे है
मानव जीवन सबसे सुंदर और सव
>?म होता है. मानव जीवन क'
खु
gशयI का
कुछ
ऐसा जलवा है i
क भगवान भी इस खुशी को महसूस करने समय
-समय पर धरती पर
आते हG. शा?I
के अनुसार भगवान
jव?
णु ने भी समय
-समय पर मानव ?
प लेकर
इस
धरती के सुख
I को भोगा है. भगवान jव?
णु का ह
# एक ?प
कृ
?ण जी का भी है
िज?हE ल#लाधर और ल#लाओं का देवता माना जाता है. Read: Krishna and Radha
Krishna Janmashtami
कृ
?ण को लोग रास रgसया, ल#लाधर, देवक' नंदन, lग?रधर जैसे हजारI नाम से जानते
हG.
कृ
?ण भगवान nवारा बताई गई गीता को ?
हंदू धम
[ के सबसे बड़े ंथ और पथ

$दश[क के ?प मE माना जाता है.
कृ
?ण ज?मा?टमी (Janmashtami)
कृ
?ण जी के ह#
ज?म?दवस के ?प मE $gसnध है.
कृ
?ण ज?मकथा
.
ीकृ
?ण का ज?म भा!
पद कृ
?ण अ?टमी क' म?यरा? को रो?हणी न? मE देवक' व
.
ीवसुदेव के पु
?प मE
हुआ था
. कंस ने अपनी
मृ
?
यु के भय से अपनी बहन
देवक'
और
वसुदेव
को कारागार मE कैद i
कया हुआ था
.
कृ
?ण जी ज?म के समय घनघोर
वषा[ हो रह# थी.
चारो तरफ़ घना अंधकार छाया हुआ था
. भगवान के ?नद6
शानुसार
कु
?ण जी को रात मE ह#
मथुरा के कारागार से गोकुल म
E नंद बाबा के घर ले जाया
गया.
न?द जी क' प?नी यशोदा को एक क?
या हुई थी
. वा
सुदेव
.
ीकृ
?ण को यशोदा के पास
सुलाकर उस क
?या को अपने साथ ले गए.
कंस ने उस क
?या को
वासुदेव और देवक
'
क' संतान समझ पटककर मार डालना चाहा लेiकन वह इस काय[ मE असफल ह# रहा.
दैवयोग से वह क?या जीjवत बच गई. इसके बाद .
ीकृ
?ण का लालन–पालन यशोदा
व न?द ने iकया. जब .
ीकृ
?
ण जी बड़े हुए तो उ
?हIने कं स का वध कर अपने माता-
jपता को उसक'
कैद से मु
?त कराया.
ज?मा?टमी मE हांडी फोड़
.
ीकृ
?ण जी का ज?म मा
एक पूजा अच
[ना का jवषय नह#
ं बि
?क एक उ?सव के
?प मE मनाया जाता है. इस उ?सव मE भगवान के .ीjवह
पर कपूर
, ह?द#, दह#, घी,
तेल, केसर तथा जल आ?द चढ़ाने के बाद लोग बडे हष>?लास के साथ इन व?
तुओं का
पर?पर j
वलेपन और सेवन करते ह
G. कई ?थानI पर हांडी मE
दूध
-दह# भरकर, उसे
काफ'
ऊंचाई पर टांगा जाता है
.
युवक
I क' टोg
लयां उसे फोडकर इनाम लूटने क
' होड़
मE
बहुत बढ
-चढकर इस उ?सव मE
भाग लेती ह
G. व?
तुत
: .
ीकृ
?ण ज?मा?टमी का -त
केवल उपवास का ?दवस नह#ं, बि?क यह ?दन महो?
सव के साथ जुड़कर
-तो?सव बन
जाता है.

.ी
कृ
?ण चाल#सा

बंशी शोg
भत कर मधुर
, नील जलद तन ?याम।
अ?
णअधरजनु
?ब?बफल, नयनकमलअgभराम॥
पूण
[ इ?!, अरjव?
द मुख
, पीता?
बर शुभ साज।

जय मनमोहन मदन छjव,
कृ
?णच?! महाराज॥

जय यदुनंदन जय जगवंदन।

जय वसुदेव देवक
' न?दन॥
जय यशुदा सुत न
?
द दुलारे।

जय $
भु भ
?तन के ?ग तारे॥
जय नट-नागर, नाग नथइया॥
कृ
?ण क?
हइया धेनु चरइया॥

पु
?न नख पर $
भु
lग?रवर धारो।
आओ द#नन क?ट ?नवारो॥
वंशी मधुर अधर ध
?र टेरौ।
होवे पूण
[ jवनय यह मेरौ॥
आओ ह?
र पु
?न माखन चाखो।
आज लाज भारत क' राखो॥
गोल कपोल, l
चबुक अ
?णारे।
मृदु मु
?कान मो?हनी डारे॥
रािजत रािजव नयन jवशाला।
मोर मुकुट वैज
?तीमाला॥
कुंडल
.वण, पीत पट आछे।
क?ट i
कं
iकणी काछनी काछे॥
नी
ल जलज सु
?
दर तनु सोहे।

छ?ब लhख,
सुर नर मु
?नमन मोहे॥
म?तक ?तलक,
अलक घुंघराले।

आओ कृ
?
ण बांसुर
#
वाले॥

क?र पय पान,
पूतन
?
ह तार्
यो।
अका बका कागासुर मार्
यो॥

मधुवन जलत अ
lगन जब ?वाला।
भै शीतल लखत
?
हं नंदलाला॥

सुरप
?त जब &ज चu यो ?रसाई।
मूसर धार वा
?र वषा[ई॥
लगत लगत -ज चहन बहायो।
गोवध[न नख धा?र बचायो॥
लh
ख यसुदा मन
'म अlधकाई।
मुख मंह चौदह भुवन
?दखाई॥
दु
?ट कं स अ?त उधम मचायो॥
को?
ट कमल जब फूल मंगायो॥

नाlथ काgलय?
हं तब तुम ल
#?हE।
चरण lच?न दै ?नभ[य क'?हE॥
क?र गोjपन संग रास jवलासा।
सबक'
पूरण कर
# अgभलाषा॥
के?
तक महा असुर संहार्
यो।
कं स?ह केस पकk
ड़ दै मार्
यो॥
मात-jपता क' बि?
द छुड़ाई।

उसेन कहं राज ?दलाई॥
म?
ह से मृतक छह
I
सुत लायो।

मातु देवक
' शोक gमटायो॥
भौमासुर मुर दै
?
य संहार
#।
लाये षट दश सहसकुमार
#॥
दै भीम?
हं तृण चीर सहारा।

जराg
संधु रा
?स कहं मारा॥
असुर बकासुर आ
?
दक मार्
यो।
भ?तन के तब क?ट ?
नवार्
यो॥
द#
न सुदामा के दुख टार्
यो।
तंदुल तीन मूंठ मुख डार्
यो॥
$ेम के साग j
वदुर घर मांगे।

दुय
>धन के मेवा ?यागे॥

लखी $ेम क' म?हमा भार#।
ऐसे
?याम द#न ?हतकार#॥
भारत के पारथ रथ हांके।
gलये चc कर न?
हं बल थाके॥

?नज गीता के ?
ान सुनाए।

भ?तन ?
दय सुधा वषा
[ए॥
मीरा थी ऐसी मतवाल#।
jवष पी गई बजाकर ताल#॥
राना भेजा सांप
jपटार#।
शाल#ाम बने बनवार#॥
?
नज माया तुम
jवlध?
हं
?दखायो।
उर ते संशय सकल gमटायो॥
तब शत ?न?दा क?र त?काला।
जीवन मु
?त भयो g
शशुपाला॥

जब?
हं
!ौपद# टेर लगाई।
द#नानाथ लाज अब जाई॥
तुरत
?ह वसन बने नंदलाला।
बढ़े चीर भै अ
?
र मुंह काला॥

अस अनाथ के नाथ क?हइया।
डूबत भंवर बचावइ नइया॥

'
सु
?दरदास' आस उर धार#।
दया ?ि?ट क'जै बनवार#॥
नाथ सकल मम कुम
?त ?नवारो।
?
महु बे
lग अपराध हमारो॥
खोलो पट अब दश[न द#
जै।

बोलो कृ
?ण क?हइया क' जै॥
दोहा
यह चाल#
सा कृ
?ण का, पाठ करै उर धा?र।
अ?ट gसnlध नव?नlध फल, लहै पदारथ चा?र॥

.ी राधा चाल#सा
॥ दोहा ॥
.
ी राधे वुषभानुजा
,
भ?त?न $ाणाधार ।
वृ
?दाjवjपन jवहा?रणी,
$ानावौ बार?बार ॥
।। चौपाई ।।
जय वृषभान कुंवार
# .ी ?यामा ।
क'र?त नं ?दनी शोभा धामा ॥
?न?य jवहा?रणी ?याम अधर ।
अgमत बोध मंगल दातार ॥
रास jवहा?रणी रस jव?ता?रन ।
सहचर#
सुभाग यूथ मन भावनी ॥

?न?य iकशोर# राधा गोर # ।
?याम $?नाधन अ ?त िजया भोर # ॥
क?ना सागर # ?हय उमं lगनी ।
लgलता?दक स h
खयाँ क
' संगनी ॥
?दनकर क ?
या कूल
jवहा?रणी ।
कृ
?ण $ण j$य ?
हय हु
?सवानी ॥
?न?य ?
याम तु
?
हारो गुण गाव
E ।
.ी राधा राधा कह # हश [वाह#
ं ॥

मुरल
# म E ?नत नाम उचार E ।
तुम कारण ल
#
ला वपु धर
E ॥
$ेमा ?व?jपणी अ ?
त सुकुमार
# ।
?याम j$
य वृषभानु दुलार
# ॥
नावाला iकशोर# अ ?त चाबी धामा ।
n
यु
?
त लघु लाग को
?ट र ?त कामा ॥
गौरांगी श
gश ?
नंदक वदना ।

सुभाग चपल अ
?नयारे नैना ॥ 10॥
जावक यूथ पद पंकज चरण ।

नूपुर
?वनी $ीतम मन हारना ॥
स?तता सहचर # सेवा करह #
ं ।

महा मोड़ मंगल मन भरह #
ं ॥

रgसकन जीवन $ण अधर ।
राधा नाम सकल सुख सारा ॥

अगम अगोचर ?न?य ?व?प ।
?यान धरत ?नgश?दन &
जभूपा ॥

उ?
जेऊ जासु अंश गुण खानी ।

को?टन उमा राम &?मhण ॥
?न?य धाम गोलोक ?बहा?रनी ।
जन र ?
क दुःख दोष नासवानी ॥

g
शव अज मु
?न सनका ?दक नारद ।
पार न पायं सेष अ ? शरद ॥
राधा शुभ गुण
?पा उजार # ।
?नरhख $स?ना हॉट बनवार # ॥
&ज जीवन धन राधा रा नी ।
म?हमा अ gमत न जय बखानी ॥
$
ीतम संग
?दए गल बाह #
ं ।

?बहारता ?
नत वृ
?दावन माह #
ं ॥

राधा कृ
?
ण कृ
?ण है राधा ।
एक ?प दौऊ -$ीती अगाधा ॥
.ी राधा मोहन मन हरनी ।
जन सुख
$दा $
फुि
?लत बदानी ॥
को?टक ?प धरे न ?द नंदा ।
दरश कारन ?
हत गोकुल चंदा ॥

रास के gल
कर तु
?हE ?रझावE ।
मान करो जब अ ?
त दुःख पाव
E ॥
$?
फुि
?लत होठ दरश जब पाव E ।

jवjवध भां ?त ?नत j
वनय सुनाव
E ॥
वृ
?दरं?य jवहा?र?नी ?याम ।
नाम लेथ पूरण सब कम ॥

को?टन य ? तप ?या क ?
हू ।

jवjवध नेम -त ?हय म E
धरहु ॥

तू न
?याम भ ?ताह# अपनाव E ।
जब लगी नाम न राधा गाव E ॥
वृंदा
jवjपन ?वाgमनी राधा ।
ल#
ला वपु तुवा अ
gमत अगाध ॥
?
वयं कृ
?ण नह #
ं पावह
#
ं पारा ।

और तु
?हE को जननी हारा ॥
.ीराधा रस $ीती अभेद ।
सादर गान करत ?नत वेदा ॥
राधा ?
यागी कृ
?ण को भािजह G ।
ते सपनेहूं जग जल
lध न त ?रहG ॥
क'र?
त कुमार
# ला डल# राधा ।
सु
gमरत सकल gमट?
हं भाव बड़ा ॥

नाम अमंगल मूल नासवानी ।

jवjवध ताप हर हर # मन भवानी ॥
राधा नाम ले जो कोई ।
सहजह# दामोदर वश होई ॥
राधा नाम परम सुखदायी ।

सहज?
हं कृपा कर
E
यदुराई ॥

यदुप
?त नंदन पीछे iफ?रहैन ।
जो कौउ राधा नाम सु
gम?रहैन ॥
रास jवहा?रणी ?यामा ?यार# ।
क?
हू कृपा बरसाने वा
?र ॥
वृ
?
दावन है शरण तु
?हार# ।
जय जय जय m
शभाणु दुलार
# ॥
॥ दोहा ॥

.ी राधा सव
6?
वर#,
रgसके?वर धन ?याम ।
करहूँ
?नरंतर बास मै ,
.
ी वृ
?दावन धाम ॥40॥

आरती कुंज
?बहार# क'
आरती कुंज
?बहार# क' .ी lग?
रधर कृ
?
ण मुरार
# क'।
गले मE
बैज
?तीमाला बजावG
मुर
g
ल मधुर बाला॥

.वण मE
कुंडल झलकाता नंद के आनंद न
?दलाला क'। आरती...।
गगन सम अंगकाि?त काल# राlधका चमक रह# आल#।
लतन मE ठाढ़े बनमाल# 'मर-सी अलक क?
तूर
# ?तलक।
चं!-सी झलक लgलत छ?ब ?यामा ?यार# क'। आरती...।
कनकमय मोर मुकुट
?बलसG देवता दरसन को तरसG।
गगन से सुमन रा
gश बरसG
बजै मुरचंग मधुर मृदंग।

?वाg
लनी संग
-
अतुल र
?
त गोपकुमार
# क'। आरती...।
जहां से
$
गट भई गंगा कलुष क
gलहा?रणी गंगा।
?
मरण से होत मोहभंगा बसी
gशव शीश जटा के बीच।
हरै अघ-क'च चरण छjव .ी बनवार# क'। आरती...।
चमकती उ??
वल तट रेनू बज रह
#
बृंदावन बेनू।

चहुं
?दgश गोपी ?
वालधेनु हंसत मृदुम
?द चांदनी चंद।
कटत भवफ?
द टेर सुनु द
#न gभखार# क'। आरती...।

ज?मा?टमी पर जपE भगवान .
ीकृ
?ण के ये 3 सरल एवं पौराhणक मं

गवान .
ीकृ
?ण संबंधी मं
तो बहुत ह
G, लेi
कन कुछ खास
मंI का ह# $चलन और
मह?
व है। यहां
$?
तुत ह
G ज ?मा?टमी पर
कृ
?
ण के सरल एवं पौरा
hणक मं ।

सभी मं
को जपने से पूव
[ एक बार 'ॐ .
ी कृ
?णाय शरणं मम।' मं का उ?चारण
अव?य करE।


(1) पहले मं के gलए पjवता का jवशेष ? यान रखE। ?नान प?चा?
य कुश
के आसन
पर बैठकर सुबह और शाम सं
?या वंदन के समय उ?त मं का 108 बार जाप करE।
यह मं जीवन मE iकसी भी $
कार के संकट को पास फटकने नह
#ं देगा।
पहला मं - '
ॐ कृ
?
णाय वासुदेवाय हरये परमा
?मने ।। $णतः ?लेशनाशाय गोj
वंदाय
नमो नमः।।'

(2)
दूसरा मं

संकटकाल म
E दोहराया जाता है। जब कभी भी ?यि?त को आकि?मक
संकट का सामना करना प
ड़ता है तो तुरंत ह
#
पूण
[ .nधा और jव?वास के साथ उ?त
मं
का जाप कर संकट से मुि
?त पाई जा सकती है।

दूसरा मं
- '
ॐ नमः भगवते वासुदेवाय कृ
?णाय ?लेशनाशाय गोj
वंदाय नमो नमः।
'

(3) तीसरा मं ?
नरंतर दोहराते रहना चा
?हए। उ?त मं को चलते-iफरते, उठते-बैठते
और कह#
ं भी
iकसी भी ?ण मE
दोहराते रहने से कृ
?
ण से जुड़ाव
रहता है। इस तरह
से कृ
?ण का ?नरंतर ?
यान करने से
?यि?
त कृ
?ण धारा से
जुड़कर मो
? $ाि?त का
माग[
पु
?ट कर लेता है।

तीसरा मं - '
हरे कृ
?
ण हरे कृ
?ण,
कृ
?ण-
कृ
?ण हरे हरे। हरे राम हरे राम, राम-राम हरे
हरे।'
कृ
?ण मंI का मह?व : अत: उ?त मं के मह?व को
समझते हुए अ
?य क' ओर जो
अपना मन नह#
ं लगाता वह कृ
?ण क' शरण मE होता है
और जो कृ
?ण क' शरण मE है
उसे iकसी भी $कार से रोग और शोक सता नह#ं सकते।

.
ीकृ
?ण के इन 7 मंI का करE जाप,
दूर ह
Iगी सार# परेशा?नयां
?
हंदू मा
?
यताओं के अनुसार
, .
ीकृ
?ण भगवान jव?
णु के आठव
E अवतार माने
जाने ह
G.
उनके भ?तI क' सं?या
भी बेशुमार है
. .
ी कृ
?ण के भ?त gसफ[ भारत मE ह# नह#ं वरन
पूर
#
दु
?नया मE फैले
हुए ह
G. मा?
यताओं के अनुसार
, .
ी कृ
?ण ने
अपने जीवन म
E कई
ल#लाएं क'
ं िजनसे पूर
#
दु
?नया प?रlचत है. .
ी कृ
?ण nवारा कई रा?सI का वध
करने
से लेकर गीता मE ?दए गए उपदेशI तक कई ऐसे काय[ iकए जो भ?तI के gलए संदेश
का काम करती हG.
धाgम[
क मानयताओं के अनुसार
, मंI का सह# उ?चारण सह# फल $दान करता है.
इसgलए आज हम आपको .
ीकृ
?
ण से जुड़े कुछ ऐसे मं
बताने जा रहे हG जो जीवन
मE धन-स?प?त, ऐ?वय[ और ?ान क' $ाि?त कराते हG.
1. "
कृं कृ
?णाय नमः" ... यह .
ीकृ
?
ण का बताया मूलमं
है िजसका जाप करने से
?यि?त को
अटका हुआ धन
$ा?त होता है. आप इस मं का उ?चारण अपने
दै?नक जीवन मE
कर सकते ह
G.
2. "ॐ देjवकान?दनाय j
वधमहे वासुदेवाय धीम
?ह त?
नो कृ
?ण:$चोदयात"....
.
ीकृ
?ण के इस मं
का जाप करने से
?यि?त के जीवन और मन से सभी
दुख

दूर हो जाते ह
G.
3. "
हरे कृ
?ण,
हरे कृ
?ण,
कृ
?
ण कृ
?ण, हरे हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे".... यह
16 श?दI का वै?णव मं
है जो भगवान कृ
?ण का सबसे $gसnध मं है. इस
?द?य मं का उ?
चारण करने से
?यि?त .
ीकृ
?ण क' भि?त मE ल#न हो जाता
है.
4. "ऊं .ीं नमः .
ीकृ
?णाय प?
रपूण
[तमाय ?वाहा" ... यह कोई साधारण मं नह#

बि?क .
ीकृ
?ण का स?तदशा?र महामं है. अ?य मं शा?ीय मा?यताओं के
अनुसार
108
बार जाप करने से ह
# gसnध हो जाते हG लेiकन इस महामं का
पांच लाख जाप करने से ह
# gसnध हो पाता है.
5. "ओम ?ल#
म कृ
?णाय नमः''.... इस मं
का जाप करने से मनु
?य को सफलता
और
वैभव क
' $ाि?त होती है, लेiकन इसे ?नयम-कायदI के साथ जपना चा?हए.
अगर आप iकसी भी सम?या मE हG तो इस मं का उपयोग कर सकते हG.
6. ".
ी कृ
?ण गोj
वंद हरे मुरारे
,
हे नाथ नारायण वासुदेवा
".... इस मं के उ?चारण
से .
ीकृ
?ण क'
कृपा
?यि?त पर बनी रहती है.

7. "
गोकुल नाथाय नमः
".... इस आठ अ?रI
वाले
.
ीकृ
?ण मं का जाप जो भी
भ?त करता है उसक' सभी इ?
छाएं पूर
# होती हG.

गोपाल ?
तु
?त :
कृ
?णाय गोपीनाथाय गोjव?दाय नमो नमः
नमो jव?व?व?पाय jव?वि?थ?य?तहेतवे।
jव?वे?वराय jव?वाय गोjव?दाय नमो नमः॥1॥
नमो jव?ान?पाय परमान?द?jपणे।
कृ
?णाय गोपीनाथाय गोjव?दाय नमो नमः॥2॥
नमः कमलनेाय नमः कमलमाgलने।
नमः कमलनाभाय कमलापतये नमः॥3॥

बहा[पीडाgभरामा
य रामायाकु
?ठमेधसे।
रमामानसहंसाय गोjव?दाय नमो नमः॥4॥
कं सवशjवनाशाय केg
शचाणूरघा
?तने।
काgल?द#
कूलल
#
लाय लोलकु
?डलधा?रणे॥5॥

वृषभ
?वज-व?nयाय पाथ[सारथये नमः।
वेणुवादनशीलाय गोपालाया
?हम?द[ने॥6॥

ब?लवीवदना?भोजमाg
लने नृ
?यशाgलने।
नमः $णतपालाय .
ीकृ
?णाय नमो नमः॥7॥
नमः पाप$णाशाय गोवध[नधराय च।
पूतनाजी
jवता?
ताय तृणावता
[
सुहा
?रणे॥8॥

?न?कलाय j
वमोहाय शु
n
धायाशु
nधवै?रणे।
अnjवतीयाय महते .
ीकृ
?णाय नमो नमः॥9॥

$सीद परमान?द $सीद परमे?वर।
आlध-?याlध-
भुजंगेन द
?
ट मामु
nधर $भो॥10॥
.
ीकृ
?ण ?ि?मणीका?त गोपीजनमनोहर।
संसारसागरे म?
नं मामु
nधर जगn
गुरो॥
11॥

केशव ?लेशहरण नारायण जनाद[न।
गोjव?द परमान?
द मां समु
nधर माधव॥12॥

यह है .ीमnभगवत गीता क' वह बातE जो आपको अपने जीवन मE उतार लेनी चा?हए
गीता सार,
वो संसार है जहां भगवान कृ
?ण ने ?ान का भंडार भर रखा है और उसे
पढ़ने के बाद सभी को कोई ना कोई ?ान gमलता है.
ऐसे म
E
कु
??े के रण मE
भगवान .
ीकृ
?
ण ने जो गीता का
?
ान अजु
[न को ?
दया था वह संदेश पूरे मानव जा
?त
के gलए उपयोगी है और बात करE .ीमn
भगवत गीता के कुछ
?ान को हम अपने
जीवन मE आ?मसात करE तो कई क?टI
से मुि
?त gमल जाएगी. तो आज हम आपको
बताते ह
G वह 7 उपदेश.

वत[मान का आनंद लो : .
ी कृ
?
ण के अनुसार बीते कल और

आने वाले कल क
' l
चंता
नह#ं करनी चा?हए, ?यIiक जो होना है वह# होगा. जो होता है, अ?छा ह# होता है,
इसgलए वत[मान का आनंद लो.
आ?मभाव मE रहना ह#
मुि
?त : .
ी कृ
?
ण के अनुसार नाम
, पद, $?त?ठा, सं$दाय, धम[,
?
ी या पु
?ष हम नह#ं हG और न यह शर#र हम हG. ये शर#र अि?न, जल,
वायु
,
पृ
?वी,
आकाश से बना है और इसी म E gमल जाएगा. लेiकन आ?मा ि?थर है और हम
आ?मा हG. आ?मा कभी न मरती है, न इसका ज?
म है और न मृ
?
यु
! आ?मभाव मE
रहना ह#
मुि
?त है.
यहां सब बदलता है : .
ी कृ
?
ण के अनुसार प
?रवत[न संसार का ?नयम है
. यहां सब
बदलता रहता है. इसg
लए सुख
-
दुःख
, लाभ-हा?न, जय-पराजय, मान-अपमान आ?द मE
भेदI मE एक भाव मE ि?थत रहकर हम जीवन का आनं
द ले सकते ह
G.
cोध श
ु है
: .
ी कृ
?
ण के अनुसार अपने
c
ोध पर काबू रख
E. c
ोध से
'
म पैदा होता
है और '
म से बु
nlध jवचgलत होती है. इससे ?
मृ
?त का नाश होता है और इस
$कार ?यि?त का पतन होने लगता है. cोध, कामवासना और भय ये हमारे श
ु ह
G.
ई?वर के $?त समप[ण : .
ी कृ
?
ण के अनुसार अपने को भगवान के
gलए अjप[त कर
दो. iफर वो हमार# र?
ा करेगा और हम दुःख
, भय, lच?ता,
शोक और बंधन से मु
?त
हो जाएंगे. नज?
रए को शु
nध करE : हमE अपने देखने के नज?
रए को शु
nध करना

होगा और ?ान व कम[ को एक ?प मE देखना होगा, िजससे हमारा नज?रया बदल
जाएगा.
मन को शांत रख
E : .
ी कृ
?
ण के अनुसार अशांत मन को शांत करने के
gलए अ?यास
और वैरा
?य को प?
का करते जाओ
, अ?यथा अ?नयं?त मन हमारा श
ु बन जाएगा
.
कम[ से पहले jवचार करE : हम जो भी कम[ करते हG उसका फल हमE ह# भोगना
पड़ता है. इसgलए कम[
करने से पहले
jवचार कर लेना चा?हए.
अपना काम करE : .
ी कृ
?
ण के अनुसार कोई और काम पूण
[
ता से करने से कह
#ं
अ?छा है iक हम अपना ह# काम करE.
भले वह अपूण
[ ?यIन हो. समता का भाव रखE
: सभी के $?त समता का भाव, सभी कम_ मE
कुशलता और दुः
ख ?पी संसार से
jवयोग का नाम योग है.
Sources https://www.newstracklive.com/news/shrimad-bhagwat-geeta-updesh-
hindi-me-sc93-nu-1303120-1.html

Geeta Gyan: .
ीकृ
?ण के इन उपदेशI को जीवन मE अपनाएं और सफलता पाएं
भागवn गीता मE केवल धम[
से जुड़े उपदेश नह
#ं हG बि?क इसमE जीवन का ऐसा सार
?
छपा है िजसे अपने जीवन म
E
अपनाने से
?यि?
त का जीवन पूर
# तरह से बदल
सकता है और वह सफलता $ा?त कर सकता है.
भगवान jव?
णु के आठव
E
अवतार थे भगवान
.
ीकृ
?ण (Shri Krishna) िज?हI
ने
महाभारत (Mahabharat)
यु
n
ध के दौरान अजु
[न के सारथी का iकरदार ?नभाया था.
महाभारत के इसी यु
nध मE
कृ
?
ण ने कु
??े
के मैदान म
E
अजु
[न को गीता (Geeta) का
उपदेश ?दया था. .
ीकृ
?ण क' इन बातI
का अजु
[न पर ऐसा असर
हुआ
i
क वह यु
nध
भू
gम मE i
फर से यु
nध करने और अपने ल?य क' $ाि?त क' ओर चल पड़ा.
$ासंlगक हG गीता के उपदेश
अगर आप सोचते ह
G iक भागवn गीता gसफ[ एक धम
[
ंथ है और उसमE केवल धम[
(Religion)
से जुड़े उपदेश मौजूद ह
G तो आप गलत हG. गीता मE gलखे
भगवान कृ
?ण के
ये उपदेश न gसफ[ अनमोल हG बि?
क आज भी पूर
# तरह से $ासंlगक (Relevant) हG.
अगर आप गीता के इन उपदेशI को अपने जीवन मE अपनाने क' कोgशश करE तो
इससे न gसफ[ आपका जीवन आसान हो जाएगा बि ?क सफलता (Success) हाgसल
करने म
E भी मदद gमलेगी.
बात चाहे खुद पर काबू रखने क
' हो, सामािजक तौर पर iकस तरह से ?यवहार करना
चा?हए उसक' हो या iफर iकसी तरह क' भावना?मक तकल#फ क' हो- गीता मE सभी
का समाधान मौजूद है
. इसमE कोई शक नह#ं iक हम गीता के उपदेशI का पालन कर
न gसफ[
अपना भला कर सकते ह
G बि?क समाज क?याण मE भी भागीदार# ?नभा
सकते ह
G. गीता मE जीवन जीने के सार और सफलता पाने के gलए जो बातE बतायी
गई हG उनके बारे मE हम आपको यहां बता रहे हG.
जीवन मE भी अपनाएं गीता का ?ान
1. कल क' l
चंता न कर
E- गीता मE gलखा है जो कल बीत
चुका
(Yesterday) और जो
कल आने वाला है (
Tomorrow) उसक' ?यथ[ l
चंता नह
#ं करनी चा?हए ?यIiक जो
पहले से gलखा है और जो होना तय है वह# होगा.
कृ
?ण कहते हG
जो हुआ अ
?छा

हुआ
, जो हो रहा है अ?छा हो रहा है और जो होगा वो भी अ?छा ह# होगा. इसgलए
कल क' l
चंता छोड़कर हम
E आज यानी वत[मान (Today) पर अपना जीवन फोकस
करना चा?हए और उसी का आनंद उठाना चा?हए.
2.
गु
?
से पर काबू
रखE-
भगवान कृ
?ण कहते हG काम, cोध और लोभ आ?मा का नाश
कर देता है, इसgलए इन तीनI दोषI
का समूल नाश
कर देना चा?हए. गीता मE कहा
गया है iक c
ोध यानी गु
?से (Anger) से 'म उ?प?न होता है और 'gमत ?यि?त
अपने माग[
से भटक जाता है और मनु
?य का पतन हो जाता है. इसg
लए अपने गु
?से
पर ?नयं
ण रखना बेहद ज
?र# है.
3. अ?छे-
बुरे दोन
I व?त को ?वीकार करE- गीता मE
भगवान कृ
?ण कहते हG iक ?दन
ख?
म होने के बाद रात आती है
,
बहुत गम
8 के
बाद एक सुखद मानसून आता है
. ये
बातE ?दखाती हG iक प?रवत[न (Change) ह# संसार का ?नयम है और कोई भी व?त
हमेशा एक समान नह#ं रहता. इसgलए अ?छा या
बुरा समय
, कोई व?
तु या बात के
g
लए दुखी होने क
' ज?रत नह#

?यIiक इसमE बदलाव होना ?नि?चत है. जो जैसा है
उसे वैसा ह
# ?वीकार करE.
4. नतीजे क' l
चंता न कर
E- गीता मE .
ीकृ
?ण कहते हG iक
मनु
?य जैसा कम[ (Work)
करता है उसके अनु
?प ह# उस फल क' $ाि?त होती है. इसgलए अ?छे कम_ को ह#
मह?व देना चा?हए. इसका अथ[
ये भी हुआ
i
क हर बार कोई काम करने से पहले
उसके नतीजे क' l
चंता नह
#
ं करनी चा
?हए ?यIiक अगर आप सदकम [ (Good Work)
कर रहे हG तो उसका फल ?नि?चत ह# आपको अ?छा g
मलेगा
.
5. अपनी ?मता क' पहचान करE-
गीता का उपदेश देते हुए

भगवान कृ
?
ण कहते ह
G iक
हर ?यि?त को आ?म मंथन करके अपनी पहचान करनी चा?हए. ऐसा इसgलए ?यIiक
जब कोई ?यि?
त खुद को पहचान लेता है तभी वह अपनी
?मता (Capability) क' भी
पहचान कर पाता है. iकसी भी काय[ को करने के gलए अपनी ?मता को जानना बेहद
ज?र# होता है.
Sources https://zeenews.india.com/hindi/religion/sermons-of-shri-krishna-in-geeta-
will-make-your-life-successful/837880

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अनुलोम
–jवलोम का?य
जब आप iकताब को सीधा पढ़े तो रामायण क' कथा पढ़# जाए और जब उसी
iकताब मE g
लखे श
?दI को उ?
टा करके पढ़े तो कृ
?ण भागवत क'
कथा सुनाई दे।

कांचीपुरम के
17
वीं
शती के कjव वEकटा?व?र रlचत ?थ
राघवयादवीयम्
ऐसा ह# एक
अn
भुत
?थ है। इस ?थ को ‘
अनुलोम
–jवलोम का?य’ भी कहा जाता है।
 Anulom-Vilom kavya or Raghavyadviyam
अनुलोम
–jवलोम का?य – Hindi –
Sanskrit (Download)
Famous scholar Swamy dayananda saraswathi swamy condemned Vigraharadhana,
Sayanacharaya’s bhashya , Shankara Bhashya and all branches of hindu religion and
traditions in his writings. This book answers all his confutation with proof and also
serves as a reference book for the seekers aspiring to digest the theme of Sanathana
Dharma and to reinforce their faith in the wisdom of our ancestors

 Satyarthaprakasa – स?य$काश – (Original in Telugu Translated to Hindi)
(Download)
.ी योगवाgस?ठ महारामायण
Hindi – िजस $
कार अजु
[
न और भगवान कृ
?
ण के बीच हुए संवाद को गीता के
?प मE
जाना जाता है उसी तरह .ी राम च?! और महjष[ योग jवgश?ट के
बीच हु
ए संवाद
को .ी योगवाgस?ठ महारामायण के नाम से जाना जाता हG | इसमE उसी का वण[न है |
English – As the Conversations between Arjun and Lord Krishna is known as Geeta,
same Conversations between Lord Ram and Maharishi Yogvashisth is known as Shri
YogVasisth Maharamayan.
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