इस िवकार का उपचार आघात के समय और गंभीरता पर िनभर्र करता है। मुख्य िप� वािहका क� छो-मोटी �ित
का उपचार सीटी स्केन क� मदद से िप� को िनकाल कर िकया जाता है और .आर.सी.पी. द्वारा िप�वािहका क
ओडाइ संकोिचनी-छेदन (Preoperative ERCP with sphincterotomy) कर निलका डाल दी जाती है। लेिकन
यिद जख्म गंभीर हों तो शल्य द्वारा िप�वािहका का पुनिनर(Surgical Biliary reconstruction )
िकया
जाता है।
अन्य जिटलताएं
उदरदश� िप�ाशय-उच्छेदन के बाद कुछ अन्य जिटलताओं जैसे घावों में संक्रमण या, पथ�रयों का पेट मे
िबखर जाना या गहन िशरा घना�ता (Deep Vein Thrombosis) क� स ंभ ावना भी रहती है।
दो गुलाब के फूल छू गए जब से होठ अपावन मे रे
ऐसी गंध बसी है मन में सारा जग मधुबन लगता है।
रोम-रोम में ि खले चमेल साँस-साँस में महके बेल,
पोर-पोर से झरे मालती अँग-अँग जुड़े ज ुही का मेला
पग-पग लहरे मानसरोवर, डगर-डगर छाया कदम्ब क
तुम जब से िमल गए उमर का खँडहर राजभवन लगता है।
नीरज
शल्यिक्रया के पूवर् क� औपचा�रकत(Pre-Operative Clinical Checkup & Investigations)
शल्यपूवर् िचिकत्सक�य परी(Clinical Checkup)
रोगी क� शल्यिक्रया करने के पहले िनम्न पूछताछ और पर
कर िलये जाते हैं।
• इितहास - रोगी से वतर्मान ल�, िचिकत्सक�य इितहास
(र�चाप, मध ुमेह, �ासदमा, सी.ओ.पी.डी., �दयरोग,
थायरॉयड िवकार, औषिध प्रत्यूजर(Drug Allergy),
मिस्तष-घात (Stroke) आिद, व्यि�गत इितहास(धू म्रप,
तम्बाखू या गुटक, मिदरापान आिद) और पा�रवा�रक
इितहास के बारे में िवस्तृत पूछताछ क� जाती है
• सं पूणर् शारी�रक परी�ण - नाड़ी, र�चाप, �सनगित,
तापमान और
एसपीओ
2 क� जांच क� जाती है। �दय, फुफ्फु (Lungs), यकृत, प्लीह (Spleen) इत्यािद
महत्वपूणर् अवयवों का िवस्तृत परी�ण िकया जाता
• प्रयोगशाला परी�- शल्यिक्रया पूवर् रोगी के िविभन्न परी�ण जैसे हीमोग, टी.एल.सी., डी.एल.सी.,
प्लेटलेट काउं, बी.टी., सी.टी., र� शुगर, यू�रया, िक्रयेिटि, िबिल�िबन, एस.जी.पी.टी, ऐल्केलाइन
फॉस्फेटे, ऑस्ट्रेिलया एिन, एच.आई.वी., संपूणर ् मूत्र पर, छाती का एक्सर, ई.सी.जी. और
अल्ट्रासाउंड करवाये जाते हैं। आवश्यकता पड़ने पर प�रिस्थित अनुसार अन्य परी�ण जैसे सी, 2 डी
इको, एम.आर.आई., ई.आर.सी.पी. आिद भी करवाई जा सकती हैं।