प्रस्तुतकर्ता श्रीमती साधना मानिक बी.एड. प्रथम सेमेस्टर Rungta College of Engineering & Technology Sub – Science, Topic - Lungs
मानवी फेफड़ों का परिचय फेफड़े स्वशन प्रणाली के सबसे महत्वपूर्ण अंग माने गए हैं। ये बहुत सारे ऊतकों की समूह हैं जो डायाफ्राम के ऊपर, पंजर हड्डियों के नीचे, एवं ह्रदय के दाएं बाएं हिस्से में मौजूद होते हैं। शरीर के गंदगियों जैसे मैल, पसीना आदि का प्रबंधन करने में ये प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
फेफड़ों की संरचना किसी इंसान के दोनों फेफड़े बराबर आकार की नहीं होते। दायाँ फेफड़ा बाएं फेफड़े की मुकाबले अधिक फैला होता है। दाएं फेफड़े के नीचे जिगर या लिवर मौजूद रहता है, उसके लिए जगह बनाने की लिए इस फेफड़े का आकार थोड़ा कम रहता है।
पुरुष के फेफड़े महिलाओं के फेफड़ों से ज्यादा हवा धारण करके रखते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबित पुरुष के फेफड़े 750 क्यूबिक सेंटीमीटर तक हवा धारण करके रख सकते हैं, जबकि महिलाओं की 280-300 क्यूबिक सेंटीमीटर तक हवा धारण करने में सक्षम हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति का फेफड़ा पूरी तरह से 70 प्रतिशत तक उपयोग हो पता है । अमेरिकन लंग असोसिअशन की सर्वे की अनुसार एक साधारण इंसान एक मिनट में 15 से 20 बार सांस लेता है यानी पूरे दिनभर में 20,000 बार तक सांस लेता है। छोटे बच्चे वयस्कों की मुकाबले जल्दी-जल्दी सांस लेते हैं। वे एक मिनट में ४० बार तक सांस लेते हैं ।
दाएं फेफड़े को तीन भागों में विभाजित किया गया है, जिसे लोब कहते हैं। बाएं फेफड़े की दो लोब होते हैं। ये लोब स्पंज की जैसे ऊतक होते हैं, जो प्लेउरा नामक झिल्ली या मेम्ब्रेन से घिरे रहते हैं। हर फेफड़े का अपना प्लेउरा ऊतकों का समूह रहता है, यही वजह है कि अगर एक फेफड़ा ख़राब हो तो दूसरा अच्छे से काम करने में सक्षम है।
फेफड़ों की कार्य प्रणाली फेफड़े जब फैलते हैं तो वे शरीर में हवा खींचने का काम करते हैं। जब वे सिकुड़ते हैं तो शरीर द्वारा बनाये गए गैस कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, इस गैस का शरीर में कोई काम नहीं रहता। इनके पास कोई मांसपेशी नहीं होता जो हवा लेने और छोड़ने का कार्य करता हो। डायाफ्राम एवं पंजर हड्डियां (रिब बोन्स) सांस लेने की काम में फेफड़ों कि मदद करते हैं।
अल्विओली के दीवारों पर कई केपिलरी वेन पाए जाते हैं। ऑक्सीजन अल्विओली की द्वारा केपिलरी वेन में जाते हैं, फिर रक्त की ओर प्रवाहित कर दिए जाते हैं। इस प्रतिक्रिया को गैस एक्सचेंज कहते हैं। ब्रोन्कियल ट्यूब की चारों ओर सिलिया नाम की परत रहती है, जो फेफड़ों के गंदगियों को दूसरे अंगों तक फैलने से रोकती है।
जब इंसान नाक की द्वारा सांस लेता है, तो हवा गले में ट्रेकिआ नामक अंग में जाती है, जिसको विंडपाइप भी कहा जाता है। आगे जाके ट्रेकिआ कई रास्तों में विभाजित हो जाता है, जिसको ब्रोन्कियल ट्यूब कहते हैं। ये ट्यूब दोनों फेफड़ों में पहुँच कर फिर कई भागों में विभाजित हो जाते हैं, जिनको ब्रोंकिओल कहा जाता है। इसके अंदर हवा कि एक थैली मौजूद रहती है, जिसे अल्विओली कहते हैं। इनकी कुल संख्या 480 मिलियन रहती है।
फेफड़ों को स्वस्थ रखना बहुत जरुरी है। डॉक्टरों का ऐसा मानना है कि श्वशन व्यायाम करने से, धूम्रपान छोड़ देने से, सही खाना खाने से एवं बहुत सारा पानी पीने से फेफड़ों कि बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है।