महाभारत में एक केंद्रीय वीर कथा के चारों ओर व्यवस्थित पौराणिक और उपदेशात्मक सामग्री का एक द्रव्यमान होता है, जो चचेरे भाइयों के दो समूहों कौरवों (धृतराष्ट्र के पुत्र, कुरु के वंशज), और पांडव (पांडु के पुत्र)। के बीच संप्रभुता के लिए संघर्ष के बारे में बताता है। ) महाभारत
महर्षि व्यास - महाभारत महाकाव्य के लेखक । पाराशर और सत्यवती के पुत्र । इन्हें कृष्ण द्वैपायन के नाम से भी जाना जाता है , क्योंकि वे कृष्ण वर्ण के थे तथा उनका जन्म एक द्वीप में हुआ था । कहते हैं कि वे आज भी जिंदा हैं । महाभारत के प्रमुख पात्र
कृष्ण - वासुदेव और देवकी की 8 वीं संतान और भगवान विष्णु के 8 वें अवतार जिन्होंने अपने राक्षस मामा कंस का वध किया था । भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र युद्ध की शुरुआत में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था । कृष्ण की 8 पत्नियां थीं , अर्थात । रुक्मणी , जम्बवंती , सत्यभामा , कालिंदी , मित्रबिन्दा , सत्या , भद्रा और लक्ष्मण । श्रीकृष्ण के लगभग 80 पुत्र थे । उनमें से विशेष नाम हैं - प्रद्युम्न , सांब , भानु , सुबाहु आदि । कृष्ण कुल को साम्ब के कारण नष्ट कर दिया गया था । सांब ने दुर्योधन की बेटी लक्ष्मण से शादी की । महाभारत के प्रमुख पात्र
अर्जुन- राजा पांडु के धर्मपुत्र और देवराज इंद्र के पुत्र अर्जुन की माता का नाम कुंती था। भगवान श्रीकृष्ण के सखा और उनकी ही बहन सुभद्रा के पति अर्जुन को ही गीता का उपदेश दिया गया था। द्रौपदी से जन्मे अर्जुन के पुत्र का नाम श्रुतकर्मा था। द्रौपदी के अलावा अर्जुन की सुभद्रा, उलूपी और चित्रांगदा नामक 3 और पत्नियां थीं। सुभद्रा से अभिमन्यु, उलूपी से इरावत, चित्रांगदा से वभ्रुवाहन नामक पुत्रों का जन्म हुआ। महाभारत के प्रमुख पात्र
भीम- पवनदेव और कुंती के पुत्र भीम के धर्मपिता पांडु थे। भीम में 10 हजार हाथियों का बल था। युद्ध में इन्होंने ही सभी कौरवों का वध कर दिया था। द्रौपदी से जन्मे भीमसेन से उत्पन्न पुत्र का नाम सुतसोम था। द्रौपदी के अलावा भीम की हिडिम्बा और बलंधरा नामक 2 और पत्नियां थीं। हिडिम्बा से घटोत्कच और बलंधरा से सर्वंग का जन्म हुआ। महाभारत के प्रमुख पात्र
नकुल- अश्विन कुमार और माद्री के पुत्र नकुल के धर्मपिता पांडु थे। मद्रदेश के राजा शल्य नकुल-सहदेव के सगे मामा थे। नकुल ने अश्व विद्या और चिकित्सा में भी निपुणता हासिल की थी। द्रौपदी से उनके शतानीक नाम के एक पुत्र भी हुए। द्रौपदी के अलावा नकुल की करेणुमती नामक पत्नी थीं। करेणुमती से निरमित्र नामक पुत्र का जन्म हुआ। करेणुमती चेदिराज की राजकुमारी थीं। सहदेव- अश्विनकुमार और माद्री के पुत्र सहदेव के धर्मपिता पांडु थे। सहदेव पशुपालन शास्त्र, चिकित्सा और ज्योतिष शास्त्र में दक्ष होने के साथ ही त्रिकालदर्शी भी थे। सहदेव की कुल 4 पत्नियां थीं- द्रौपदी, विजया, भानुमति और जरासंध की कन्या। द्रौपदी से श्रुतकर्मा, विजया से सुहोत्र पुत्र की प्राप्ति हुई। इसके अलावा इनके 2 पुत्र और थे जिसमें से एक का नाम सोमक था। महाभारत के प्रमुख पात्र
युधिष्ठिर - धर्मराज और कुंती के पुत्र युधिष्ठिर के धर्मपिता पांडु थे । ये सत्य वचन बोलने के लिए प्रसिद्ध थे । द्रौपदी से जन्मे युधिष्ठिर के पुत्र का नाम प्रतिविंध्य था । युधिष्ठिर की दूसरी पत्नी देविका थी । देविका से धौधेय नाम का पुत्र जन्मा । महाभारत के प्रमुख पात्र
धृतराष्ट्र - शांतनु और सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य की दूसरी पत्नी अम्बिका से धृतराष्ट्र का जन्म हुआ । धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधे थे । उनका विवाह गांधार प्रदेश की राजकुमारी गांधारी से हुआ । उनके दुर्योधन सहित 100 पुत्र और एक पुत्री थी । युयुत्सु भी उनका ही पुत्र था , जो एक दासी से जन्मा था । पांडु - शांतनु और सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य की पहली पत्नी अम्बालिका से पांडु का जन्म हुआ । पांडु का विवाह कुंती और माद्री से हुआ । श्राप के चलते दोनों से ही उनको कोई पुत्र नहीं हुआ तब कुंती और माद्री ने मंत्रशक्ति के बल से देवताओं का आह्वान किया और 5 पुत्रों को जन्म दिया । कुंती ने विवाह पूर्व भी एक पुत्र को जन्म दिया था जिसका नाम कर्ण था । इस तरह दोनों के मिलाकर 6 पुत्र थे । महाभारत के प्रमुख पात्र
दुर्योधन - कौरवों में ज्येष्ठ धृतराष्ट्र एवं गांधारी के 100 पुत्रों में सबसे बड़े दुर्योधन का शरीर वज्र के समान था , बस उसकी जंघा ही कमजोर थी । युद्ध के अंत में भीम ने उसकी जंघा उखाड़कर उसका वध कर दिया था । दुर्योधन के कर्ण की कभी नहीं सुनी । उसने हमेशा अपने मामा शकुनि की ही बातों पर ज्यादा ध्यान दिया । दुर्योधन का विवाह काम्बोज के राजा चन्द्रवर्मा की पुत्री भानुमति से हुआ था । दोनों के 2 संतानें हुईं - एक पुत्र लक्ष्मण था जिसे अभिमन्यु ने युद्ध में मार दिया था और पुत्री लक्ष्मणा जिसका विवाह कृष्ण के जामवंति से जन्मे पुत्र साम्ब से हुआ था । दुःशासन - दुर्योधन का छोटा भाई , जो द्रौपदी को हस्तिनापुर राज्यसभा में बालों से पकड़कर लाया था । कुरुक्षेत्र युद्ध में भीम ने दुःशासन की छाती का रक्त पीकर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की थी । महाभारत के प्रमुख पात्र
भीष्म- 8 वसुओं में से एक और शांतनु एवं गंगा के पुत्र भीष्म का नाम देवव्रत था। जब देवव्रत ने अपने पिता की प्रसन्नता के लिए आजीवन ब्रह्मचारी रहने का प्रण लिया, तब से उनका नाम भीष्म हो गया। उनके पिता की दूसरी पत्नी का नाम सत्यवती था, जो निषाद कन्या थीं। द्रोण- भारद्वाज ऋषि की संतान थे। द्रोणाचार्य का विवाह कृपाचार्य की बहन कृपि से हुआ था जिससे उनको एक पुत्र मिला जिसका नाम अश्वत्थामा था। गुरु द्रोणाचार्य ने शपथ ली थी कि मैं हस्तिनापुर के राजकुमारों को ही शस्त्र विद्या सिखाऊंगा इसीलिए उन्होंने एकलव्य को अपना शिष्य बनाने से इंकार कर दिया था। युद्ध में द्रौपदी के भाई धृष्टद्युम्न ने एक छल से द्रोणाचार्य का वध कर दिया था। महाभारत के प्रमुख पात्र
विदुर - महर्षि अंगिरा , राजा मनु के बाद विदुर ने ही राज्य और धर्म संबंधी अपने सुंदर विचारों से ख्याति प्राप्त की थी । अम्बिका और अम्बालिका को नियोग कराते देखकर उनकी एक दासी की भी इच्छा हुई । तब वेदव्यास ने उससे भी नियोग किया जिसके फलस्वरूप विदुर की उत्पत्ति हुई । विदुर धृतराष्ट्र के मंत्री किंतु न्यायप्रियता के कारण पांडवों के हितैषी थे । विदुर को उनके पूर्व जन्म का धर्मराज कहा जाता है । जीवन के अंतिम क्षणों में इन्होंने वनवास ग्रहण कर लिया तथा वन में ही इनकी मृत्यु हुई । संजय - संजय के पिता बुनकर थे इसलिए उन्हें सूत पुत्र माना जाता था । उनके पिता का नाम गावल्यगण था । उन्होंने महर्षि वेदव्यास से दीक्षा लेकर ब्राह्मणत्व ग्रहण किया था अर्थात वे सूत से ब्राह्मण बन गए थे । वेदादि विद्याओं का अध्ययन करके वे धृतराष्ट्र की राजसभा के सम्मानित मंत्री भी बन गए थे । कहते हैं कि गीता का उपदेश दो लोगों ने सुना - एक अर्जुन और दूसरा संजय । यहीं नहीं , देवताओं के लिए दुर्लभ विश्वरूप तथा चतुर्भुज रूप का दर्शन भी सिर्फ इन दो लोगों ने ही किया था । संजय हस्तिनापुर में बैठे हुए ही कुरुक्षेत्र में हो रहे युद्ध का वर्णन धृतराष्ट्र को सुनाते हैं । महाभारत युद्ध के पश्चात अनेक वर्षों तक संजय युधिष्ठिर के राज्य में रहे । इसके पश्चात धृतराष्ट्र , गांधारी और कुंती के साथ उन्होंने भी संन्यास ले लिया था । बाद में धृतराष्ट्र की मृत्यु के बाद वे हिमालय चले गए , जहां से वे फिर कभी नहीं लौटे । महाभारत के प्रमुख पात्र
एकलव्य - द्रोण का एक महान शिष्य जिससे गुरु दक्षिणा में द्रोण ने उसका अंगूठा मांगा था । कंस मामा - महाभारत और पुराणों में जरासंध की बहुत चर्चा होती है । वह उस काल के सबसे शक्तिशाली जनपद मगध का सम्राट था । जरासंध का दामाद था कंस , जो भगवान श्रीकृष्ण का मामा था । कंस ने अपने पिता उग्रसेन को राजपद से हटाकर जेल में डाल दिया था और स्वयं शूरसेन जनपद का राजा बन बैठा था । शूरसेन जनपद के अंतर्गत ही मथुरा आता है । कंस के काका शूरसेन का मथुरा पर राज था । कंस ने मथुरा को भी अपने शासन के अधीन कर लिया था और वह प्रजा को अनेक प्रकार से पीड़ित करने लगा था । श्रीकृष्ण की बुआ के बेटे शिशुपाल का झुकाव भी कंस की ओर था । महाभारत के प्रमुख पात्र
घटोत्कच - राक्षस जाति की हिडिम्बा को पांडु पुत्र भीम से प्रेम हो गया था । उसने अपनी माया से सुंदर शरीर धरकर भीम से विवाह किया और बाद में वह अपने असली रूप में आ गई । हिडिम्बा और भीम का पुत्र घटोत्कच था । घटोत्कच का पुत्र बर्बरीक था । द्रौपदी के शाप के कारण ही महाभारत के युद्ध में घटोत्कच कर्ण के हाथों मारा गया था । अश्वत्थामा - अश्वत्थामा कौरवों की ओर से लड़े थे । गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा के मस्तक पर अमूल्य मणि विद्यमान थी , जो कि उसे दैत्य , दानव , शस्त्र , व्याधि , देवता , नाग आदि से निर्भय रखती थी । यही कारण था कि उन्हें कोई मार नहीं सकता था । पिता को छलपूर्वक मारे जाने का जानकर अश्वत्थामा दुखी होकर क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया जिससे युद्धभूमि श्मशान भूमि में बदल गई । यह देख कृष्ण ने उन्हें 3 हजार वर्षों तक कोढ़ी के रूप में जीवित रहने का शाप दे डाला । महाभारत के प्रमुख पात्र
कृपाचार्य - हस्तिनापुर के ब्राह्मण गुरु और अश्वत्थामा के मामा । इनकी बहन ' कृपि ' का विवाह द्रोणाचार्य से हुआ था । महाभारत के युद्ध में कृपाचार्य बच गए थे , क्योंकि उन्हें चिरंजीवी रहने का वरदान था । कृपाचार्य अश्वत्थामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे । महाभारत युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से सक्रिय थे । वे आज भी जीवित हैं । युयुत्सु - महाराज धृतराष्ट्र के एक पुत्र युयुत्सु ने पांडवों की ओर से लड़ाई की थी । महाभारत महाकाव्य में ' युयुत्सु ' राजा धृतराष्ट्र के वैश्य दासी महिला से उत्पन्न पुत्र थे । माना जाता है कि युयुत्सु के वंशज आज भी मौजूद हैं । महाभारत के युद्ध में युयुत्सु ने पांडवों के लिए हथियारों की आपूर्ति और रखरखाव का कार्य किया था । महाभारत के प्रमुख पात्र
कृतवर्मा - कृतवर्मा यादव थे और यह भोजराज ह्रदिक के पुत्र तथा कौरव पक्ष के अतिरथी योद्धा थे । मथुरा पर आक्रमण के समय श्रीकृष्ण ने कृतवर्मा को पूर्वी द्वार की रक्षा का भार सौंपा था । कृतवर्मा ने बाण के मंत्री कूपकर्ण को हराया था । श्रीकृष्ण ने कृतवर्मा को हस्तिनापुर भी भेजा था , जहां ये पांडवों , द्रोण तथा विदुर आदि से मिले थे और मथुरा जाकर श्रीकृष्ण को सारा हाल बताया था । कृतवर्मा ने शतधंवा की सहायता करना अस्वीकार किया था । यादवों की आपसी लड़ाई में सात्यकि ने कृतवर्मा का सिर धड़ से अलग कर दिया था । सात्यकि - महाभारत युद्ध में सात्यकि पांडवों की ओर से लड़ने वाले यादव योद्धा थे । सात्यकि ने कौरवों के अनेक उच्च कोटि के योद्धाओं को मार डाला जिनमें से प्रमुख जलसंधि , त्रिगर्तों की गजसेना , सुदर्शन , म्लेच्छों की सेना , भूरिश्रवा , कर्णपुत्र प्रसन थे । सात्यकि ने यादवों के झगड़े में कतवर्मा का सिर काट दिया था और वे भी मारे गए थे । महाभारत के प्रमुख पात्र
द्रौपदी - सत्यवती , गांधारी और कुंती के बाद यदि किसी का नंबर आता है तो वह थीं 5 पांडवों की पत्नी द्रौपदी । द्रौपदी के लिए पांचों पांडवों के साथ विवाह करना बहुत कठिन निर्णय था । सामाजिक परंपरा के विरुद्ध उसने यह किया और दुनिया के समक्ष एक नया उदाहरण ही नहीं रखा बल्कि उसने अपना सम्मान भी प्राप्त किया और खुद की छवि को पवित्र भी बनाए रखा । द्रौपदी की कथा और व्यथा पर कई उपन्यास लिखे जा चुके हैं।द्रौपदी को इस महाभारत युद्ध का सबसे बड़ा कारण माना जाता है । द्रौपदी ने ही दुर्योधन को इंद्रप्रस्थ में कहा था , ' अंधे का पुत्र भी अंधा ।' बस यही बात दुर्योधन के दिल में तीर की तरह धंस गई थी । यही कारण था कि द्यूतक्रीड़ा में उनसे शकुनि के साथ मिलकर पांडवों को द्रौपदी को दांव पर लगाने के लिए राजी कर लिया था । द्यूतक्रीड़ा या जुए के इस खेल ने ही महाभारत के युद्ध की भूमिका लिख दी थी , जहां द्रौपदी का चीरहरण हुआ था । महाभारत के प्रमुख पात्र
गंगा - इंद्र के शाप के चलते शांतनु और गंगा को मनुष्य योनि में जन्म लेना पड़ा और फिर दोनों का मिलन हुआ । गंगा ने शांतनु से विवाह करने की शर्त रखी कि ' मैं आपसे विवाह तो करूंगी पर चाहे मैं कुछ भी करूं , आप कभी मुझसे ये नहीं पूछेंगे कि मैं वैसा क्यों कर रही हूं अन्यथा में स्वर्ग चली जाऊंगी ।' शांतनु ने शर्त मंजूर कर ली । गंगा और शांतनु के पुत्र होते थे तो गंगा उन्हें नदी में बहा देती थी । शर्त में बंधे शांतनु कुछ नहीं करते थे , लेकिन अपने 8वें पुत्र को जब गंगा नदी में बहाने लगी तो शांतनु ने उन्हें रोककर पूछ ही लिया कि तुम ऐसा क्यों करती हो ? शर्त भंग होने के बाद गंगा ने कहा कि ये 8 वसु थे जिन्हें शाप के चलते मनुष्य योनि में जन्म लेना पड़ा लेकिन इस 8वें पुत्र को अब मनुष्यों के दुख भी भोगना होंगे । यह पुत्र आगे चलकर भीष्म पितामह कहलाए । महाभारत के प्रमुख पात्र
अम्बा - शिखंडी पूर्व जन्म में अम्बा नामक राजकुमारी था । अम्बा ने आत्महत्या कर ली थी । अम्बिका - शांतनु और सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य की पत्नी , अम्बा और अम्बालिका की बहन । इनके पुत्र का नाम धृतराष्ट्र था । अम्बालिका - शांतनु और सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य की पत्नी , अम्बा और अम्बिका की बहन । इनके पुत्र का नाम पांडु था । परशुराम - अर्थात परशु वाले राम । वे द्रोण , भीष्म और कर्ण जैसे महारथियों के गुरु थे । वे भगवान विष्णु का षष्ठम अवतार हैं । कहते हैं कि वे आज भी जिंदा हैं । महाभारत के प्रमुख पात्र
कर्ण- सूर्यदेव एवं कुंती के पुत्र कर्ण का पालन-पोषण अधिरथ और राधा ने किया था । कर्ण को दानवीर कर्ण के नाम से भी जाना जाता है । कर्ण कवच एवं कुंडल पहने हुए पैदा हुए थे । इंद्र ने उनसे ये कवच और कुंडल दान में मांग लिए थे । छल करने के कारण बदले में इंद्र को अपना अमोघ अस्त्र देना पड़ा था । ' अंग ' देश के राजा कर्ण की पहली पत्नी का नाम वृषाली था । वृषाली से उसको वृषसेन , सुषेण , वृषकेत नामक 3 पुत्र मिले । दूसरी सुप्रिया से चित्रसेन , सुशर्मा प्रसेन , भानुसेन नामक 3 पुत्र मिले । माना जाता है कि सुप्रिया को ही पद्मावती और पुन्नुरुवी भी कहा जाता था । महाभारत के प्रमुख पात्र