परिभाषा
यत् अन्द्ग्नकृत् पचेत् न आमं दीपनं तद्यथा घृतं । (अ.ह्र.सू.१५)
दीपनमरतरग्ने: संधुक्षणं, तस्मै हितं दीपनीयं। (योगींिनाथ सेन)
पचेत् न आमं वन्द्ननकृत् च दीपनं तद् यथा मममश:।(शा.पू.ख.४/१)
दीपन िव्यों में वायु एवं अन्द्ग्न मिाभूत की प्रधानता िोती िै। कुछ दीपन िव्य प्रभाव
के कारण भी दीपन कमा करते िै जैसे घृत ।
वपप्पली वपप्पलीमूलचव्यधचत्रकशृंगवेराम्लवेतसमररचाजमोदाभल्लातकान्द्स्थहिंगुननयाासा
इनत दशेमानन दीपनीयानी भवन्द्रत। (च.सू.४/६)
वर्णयय
Anti Pigmentation Drugs / Complexion
Enhancers/Glow Enhancers
परिभाषा
वणाकय हितं वर्णयकम् । (गंगाधर)
वणाकय हितं वचकस्यम् । (र.वै.)
कोई भी ऐसी स्स्ितत स्िस में वणक ववक त िो रिा िै िैसे वात ववक तत में श्याव वणक ,ववष सेवन
से उत्पन्द्न नील ,पीत या क ष्ण वणक । वर्णयक द्रव्य भ्रािक वपत्त को समावस्िा में लाकर वणक को
प्राक त अवस्िा में लाते िैं ।
चन्द्दनतुंगपद्यमकोशीरमधुकमंस्िष्ठासाररवापयस्याशसतालता इतत दशेमातनवर्णयाकतन भवस्न्द्त ।
(च.सू.४/८)
द्रव्य Botanical Name Family
चन्द्दन Santalum album Santalinaceae
तुंग Calophyllus inophylum Guttifarae
पद्मक Prunus ceresoides Rosaceae
उशीर Vetiveria zizanoides Valarianaceae
मधुक Glycyrrhiza glabra Paplionaceae
मंस्िष्ठा Rubia cordifolia Rubiaceae
साररवा Hemidesmus indicus Asclepiadaceae
पयस्या Ipomea paniculata Convolvulaceae
शसता (श्वेत दूवाक) White variety of cynodon dactylonGraminae
लता (श्याम दूवाक) Black variety of cynodon dactylonGraminae
कर्ण्य
Drugs Useful For Throat Disorders
परिभाषा
कर्णठाय हितं कर्णठयम् ।
कर्णठ स्स्ित ववशभन्द्न प्रकार के रोगों का नाश करने वाला ।
साररवेक्षुमूलमधुकवपप्पली द्राक्षा ववदारी कैटयकिंसपादीब ितीकर्णटकाररका इतत दशेमातन
कर्णठयातन भवस्न्द्त । (च.सू.४/९)
परिभाषा
हृदयाय मनसे हितम् हृदयम् । (गंगाधर)
हृदयाय हितम् हृदयम् (चक्रपाणण)
आम्रआम्रातकशलकुचकरमदकव क्षाम्लाम्लवेतसकुवलबदरदाड़िममातुलुंगानीतत दशेमातन
ह्रद्यानी भवस्न्द्त ।(च.सू.४/१०)
इस मिाकषाय में वणणकत सभी द्रव्यों में अम्ल रस की प्रधानता िैं। अम्ल रस के
लक्षणों में ‘ मनोबोधयतत, हृदयं तपययतत ’ कहा है ।
सुश्रुत में वर्णयत परुषकादद गण के द्रव्य ह्रद्य ही है ।
अम्लं हृदयनां (च.सू.२५/४०)।
परिभाषा
अनिमात्रं िुिः िुिश्च िवििमािं मूत्रं संग्रहणािीनि मूत्रसंग्रहणीयम् ।
जो द्रव्य बार बार एवं अनि मात्रा में निकलिे वाले मूत्र को रोके ।
जम््वाम्रप्लक्षविकिीििोडुमबराश्वत्थभल्लािकाशमंिकसोमवल्का इनि दशेमानि
मूत्रसंग्रहणीयानि भवष्ति । । (च.सू.४/३३)
परिभाषा
मूत्रं पवरजयनि दोषसंबतिनिरासं कृत्वा िकृिौ स्थाियिीनि मूत्रपवरजिीयम् । (च.द.)
दोष दूपषि मूत्र के दोष को दूर कर उसके वणि को स्वाभापवक करिे वाला ।
िद्मोंत्िलिमलिकुमुदसौगष्तिकिुण्डरीकशिित्रमिुकपियंगुिािकीिुटिाणीनिदशेमानि
मूत्रपवरजिीयानि भवष्ति । (च.सू.४/३४)
द्रव्य Botanical Name Family
िद्मा Nelumbo nucifera Nymphaceae
उत्िल Nymphaea alba Nymphaceae
िमलि A variety of Nelumbo nucifera Nymphaceae
कुमुद Nymphaea alba Nymphaceae
सौगष्तिक ?
िुण्डरीक Red variety of Nymphaea lotus Nymphaceae
शिित्र A variety of Nelumbo nucifera Nymphaceae
मिुक Glycyrrhiza glabra Paplionaceae
पियंगु Callicarpa macrophylla Verbinaceae
िािकीिुटि Woodfordia fruticosa Lythraceae
पररभाषा
जो द्रव्य शरीर की थकािट को दूर करे ।
द्राक्षा-खजूनर-वियाल-िदर-दाड़िम-फल्गु-िरुषक-इक्षु-यि-षन्ष्टका इतत दशेमातन श्रमहराणण भिन्तत ।
(च.सू.४/४०)
परिभाषा
दाहं प्रशमयतीतत दाहप्रशमनम् ।(यो.)
जो द्रव्य बाह्य या आभयांतर दाह को शांत करे ।
सुश्रुत ने साररवादद, अंजनादद, न्यग्रोधादद, गुडूच्यादद और उत्पलादद गण को दाहनाशक
कहा ।
लाजा-चन्दन-काश्मययफल-मधूक-शकयरा-नीलोत्पल-उशीर-साररवा-गुडूची-ह्रीबेराणीतत दशेमातन
दाहप्रशमनातन भवन्न्त ।(च.सू.४/४१)
परिभाषा
संज्ां ज्ानं स्थापयतीतत संज्ास्थापनम् । (च.द.)
जो द्रव्य संज्ा को फफर से स्थापपत कर
दहंगु-कै टयय-अररमेद-वचा-चोरक-वयस्था-गोलोमी-जादटला-पलंकषा-अशोकरोदहण्य इतत दशेमातन
संज्ास्थापनातन भवन्न्त । ।(च.सू.४/४८)
द्रव्य Botanical Name Family
दहंगु Ferula narthex Umbelliferae
कै टयय(पवयत तनम्ब) Murraya koenigii Rutaceae
अररमेद A variety of Acacia catechu Mimosaceae
वचा Acorus calamus Araceae
चोरक (चोरपुष्पी) Angelica glauca Umbelliferae
वयस्था (ब्राह्मी) Bacopa monnieri Scrophulariaceae
गोलोमी A variety of Acorus calamus Araceae
जादटला Nardostachys jatamansi Valarianaceae
पलंकषा Commiphora mukul Burseraceae
अशोकरोदहणी Picrorhiza kurroa Scrophulariaceae
प्रजास्थापन
Pregnancy Stabilizers
परिभाषा
प्रजोपघातकं दोषं हत्वा प्रजां स्थापयतीतत प्रजास्थापनम् । (च.द.)
जो द्रव्य संतान का प्रततबंध करने वाले दोषों व रोगों को दूर कर प्रजा या संतान उत्पतत
म सहायक हों ।
प्रजां गभय स्थापयतत दोषं तनरस्येतत प्रजास्थापनम् । (यो.र.)
ऐन्द्री-ब्राह्मी-शतवीयाय-सहस्रवीयाय-अमोघा-अव्यथा-शशवा-अररष्टा-वाट्यापुष्पी-पवष्वकसेनकान्ता
इतत दशेमातन अंगमदयप्रशमनातन भवन्न्त ।(च.सू.४/४९)
द्रव्य Botanical Names Family
िीरण (उशीर) Vetiveria zizanoides Gramineae
शामल Oryza sativa Gramineae
षन्ष्टक A variety of Oryza sativa Gramineae
इक्षुिामलका(खागामलका) Astercantha longifolia Acanthaceae
दिू Desmostachya bipinnata Gramineae
कुश A variety of D. bipinnata Gramineae
काश Saccharum spontaneum Gramineae
गुतद्रा(गुडूिी) Tinospora cordifolia/ Saccharum sara Menispermaceae /
Gramineae
इत्कटमूल ?/Sesbania aculeata Paplionaceae
कत्तृणमूल(गतधिृण) Cymbopogon schonanthus Gramineae
स्तन्यशोधन
Galacto-purificators
परिभाषा
दोष दूवषिं स्ितयं शोधयति इति स्ितयशोधनम् ।
अष्टविध स्ितयदोष में इन द्रव्यों का प्रयोग फकया जािा है
पाठामहौषधसुरदा�मुस्िमूिाूगुडूिीित्सकफलफकराितिक्िककटुरोहहणीसाररिा इति
दशेमातन स्ितयशोधनातन ििन्ति । (ि.सू.४/१८)