Dr. Laxmi Verma BA-1 st year sri Shankracharya Mahavidyalya , Junwani Topic-Malnutrition Subject- Indian Economics
कुपोषण ( Malnutrition) वह अवस्था है जिसमें पौष्टिक पदार्थ और भोजन, अव्यवस्थित रूप से लेने के कारण शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है और जिसके कारण गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है। कुपोषण तब भी होता है जब किसी व्यक्ति के आहार में पोषक तत्त्वों की सही मात्रा नहीं होती है। कुपोषण के कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। अत: कुपोषण की जानकारियाँ होना अत्यन्त जरूरी है। कुपोषण प्राय: पर्याप्त सन्तुलित अहार के आभाव में होता है। बच्चों और स्त्रियों के अधिकांश रोगों की जड़ में कुपोषण ही होता है। स्त्रियों में रक्ताल्पता या घेंघा रोग अथवा बच्चों में सूखा रोग या रतौंधी और यहाँ तक कि अंधत्व भी कुपोषण के ही दुष्परिणाम हैं। इसके अलावा ऐसे पचासों रोग हैं जिनका कारण अपर्याप्त या असन्तुलित भोजन होता है।
कुपोषण को कैसे पहचानें यदि मानव शरीर को सन्तुलित आहार के जरूरी तत्त्व लम्बे समय न मिलें तो निम्नलिखित लक्षण दिखते हैं। जिनसे कुपोषण का पता चल जाता है। 1. शरीर की वृद्धि रुकना।खाना 2. मांसपेशियाँ ढीली होना अथवा सिकुड़ जाना। 3. झुर्रियाँ युक्त पीले रंग की त्वचा। 4. कार्य करने पर शीघ्र थकान आना।
किसी भी देश या शहर में यदि बड़े पैमाने पर लोग कुपोषण से ग्रस्त होते हैं, तो इसके कई कारण हो सकते हैं जिनमें आर्थिक,सामजिक और राजनीतिक कारण संभव हैं :- सामजिक स्थिति कुपोषण का कारण सिर्फ पोषण की अधिकता या कमी ही नहीं हैं बल्कि यह सामजिक स्थिति से भी प्रभावित होता हैं. जैसे की जनसंख्या-वृद्धि से भी यह संभव हैं, जिसमे समाज के एक हिस्से को ही सभी पोषण मिलने लगता हैं. और दूसरा पक्ष कुपोषण का शिकार होने लगता हैं. इसी तरह युद्ध के समय भी कुपोषण की संभावना बढ़ जाती हैं और बड़े होते बच्चों में भी यह समस्या दिखना आम हैं. इस तरह वास्तव में कुपोषण समाज की स्वास्थ सम्बन्धित समस्याओं में मुख्य समस्या बन चुकी हैं क्युकी आज का युवा अपने शरीर को फिट रखने की चाहत में पोषक तत्वों में समझोता करने लगता है,उस पर खाने में जंक फ़ूड की अधिकता भी शरीर में पोषक तत्वों की कमी करती हैं.
भुखमरी विश्व खाध्य कार्यक्रम ( WFP) के अनुसार लगभग 1.02 बिलियन लोग विश्व भर में कुपोषण और भुखमरी का शिकार है. इसका मतलब हैं कि हर 6 में से 1 व्यक्ति आवश्यक भोजन और स्वस्थ जीवन नहीं जी पाता हैं. इस कारण भुखमरी और कुपोषण विश्व भर में स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्यायों में सबसे ऊपर हैं यहाँ तक की AIDS, मलेरिया और ट्यूबरकुलोसिस तीनों को मिलाकर देखे तो इनसे भी ज्यादा ये गंभीर हैं. प्राकृतिक आपदा, गरीबी, कृषि में कमी और पर्यावण का अत्यधिक शोषण भी एक कारण हैं.
कम वजन जैसा कि नाम से पता चलता है, यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ वेस्टिंग या स्टंटिंग या दोनों के कारण बच्चे का उसकी उम्र के अनुसार वजन / लंबाई में नहीं बढ़ता है । कुपोषण के इस प्रकार को असफल विकास कुपोषण के रूप में भी जाना जाता है। यदि बच्चे के पोषण की जरूरतों में सुधार किया जाए, तो बच्चे में वजन संबंधी कमियों को ठीक किया जा सकता है, पर बच्चे की लंबाई में आई कमियों को सही करना मुश्किल होता है। स्टंटिंग बच्चे में स्टंटिंग की स्थिति जन्म से पहले गर्भावस्था के दौरान माँ के खराब स्वास्थ्य के कारण शुरू होती है, जिससे बच्चे में असामान्य और अनुपातहीन वृद्धि होती है, यह दीर्घकालिक कुपोषण के रूप में भी जाना जाता है। स्टंटिंग लंबे समय तक होने वाली प्रक्रिया है और इसीलिए लंबे समय तक इसके परिणाम भी दिखाई देते हैं । बच्चे में स्टंटिंग होने के पीछे मुख्य कारण खराब स्तनपान, शरीर को पोषक तत्वों की अपर्याप्त आपूर्ति और निरंतर संक्रमण होना आदि है।
माइक्रोन्यूट्रिएंट की कमी सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी या कुपोषण, शरीर में विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ और ‘डी’ जैसे आवश्यक विटामिनों की कमी के साथ-साथ, फोलेट, कैल्शियम, आयोडीन, जिंक और सेलेनियम की कमी को दर्शाता है। सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी शरीर में इन पोषक तत्वों की लंबे समय तक कमी के कारण होती है। इन पोषक तत्वों में से प्रत्येक शरीर में महत्वपूर्ण अंगों के विकास और कार्य में सहायता करता है और इसकी कमी से अपर्याप्त विकास और एनीमिया, अपर्याप्त मस्तिष्क विकास, थायरॉयड की समस्या, रिकेट्स, इम्युनिटी कमजोर होना, तंत्रिका का अध: पतन, नजर कमजोर होना और हड्डियों के अपर्याप्त विकास आदि जैसे रोग हो सकते हैं। वेस्टिंग वेस्टिंग या तीव्र कुपोषण अचानक व बहुत अधिक वजन घटने की स्थिति है और इससे कुपोषण के तीन प्रकार होते हैं: क्वाशिरकोर: इस स्थिति में, पैरों और पंजों में द्रव के अवरोध (बाइलेटरल पीटिंग एडिमा) के कारण कम पोषण के बावजूद बच्चा मोटा दिखता है। मरास्मस: इस प्रकार का कुपोषण तब होता है जब वसा और ऊतक, शरीर में पोषक तत्वों की कमी की भरपाई करने के लिए बहुत अधिक मात्रा में कम हो जाते हैं। यह शरीर में इम्युनिटी और आंतरिक प्रक्रियाओं की गतिविधि को धीमा कर देता है। मरास्मिक-क्वाशिरकोर: यह मरास्मस और क्वाशिरकोर दोनों का मिश्रण है और इसमें गंभीर वेस्टिंग के साथ-साथ सूजन भी शामिल है।
बच्चों में कुपोषण के संकेत और लक्षण शिशुओं और बच्चों में कुपोषण के संकेत और लक्षण बच्चे की पोषण संबंधी कमी पर निर्भर करते हैं। कुपोषण के कुछ संकेतों और लक्षणों में शामिल हैं: थकान और कमजोरी चिड़चिड़ापन खराब प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है सूखी और पपड़ीदार त्वचा अपर्याप्त, अवरुद्ध विकास फूला हुआ पेट घाव, संक्रमण और बीमारी से ठीक होने में लंबा समय लगना मांसपेशियों का कम होना व्यवहारिक और बौद्धिक विकास का धीमा होना मानसिक कार्यक्षमता और पाचन समस्याओं में कमी
कुपोषण की रोकथाम के लिए आवश्यक पोषक तत्व बच्चे के आहार में कुपोषण को रोकने के लिए निम्नलिखित पोषक तत्व शामिल होने चाहिए: कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन आयरन विटामिन वसा कैल्शियम
कुपोषण से बचाव के लिए खाद्य पदार्थ फल और सब्जियां – दिन में कम से कम 5-6 बार दूध, पनीर, दही जैसे डेयरी उत्पाद चावल, आलू, अनाज और स्टार्च के साथ अन्य खाद्य पदार्थ मांस, मछली, अंडे, बीन्स और वे खाद्य पदार्थ जो प्रोटीन से भरपूर होते हैं वसा – तेल, नट, बीज