व्यावहारिक मनोविज्ञान का अर्थ इतिहास (Meaning and History of Applied Pschology)
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Jan 18, 2021
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हेनरी इलियट के अनुसार “यह मनोविज्ञान की ऐसी शाखा है जिसमें शुद्ध और विशेषकर प्रायोगिक मनोविज्ञान की विधियों एवं �...
हेनरी इलियट के अनुसार “यह मनोविज्ञान की ऐसी शाखा है जिसमें शुद्ध और विशेषकर प्रायोगिक मनोविज्ञान की विधियों एवं परिणामों को व्यहारिक समस्याओं और व्यवहारिक जीवन पर प्रयोग करने का प्रयास किया जाता है”
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Language: none
Added: Jan 18, 2021
Slides: 16 pages
Slide Content
व्यावहारिक मनोविज्ञान का अर्थ एवं इतिहास डॉ राजेश वर्मा असिस्टेंट प्रोफेसर ( मनोविज्ञान ) राजकीय महाविद्यालय आदमपुर, हिसार, हरियाणा
व्यावहारिक मनोविज्ञान का अर्थ दैनिक जीवन में मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों और नियमों का अनुप्रयोग। परिभाषा हेनरी इलियट के अनुसार “ यह मनोविज्ञान की ऐसी शाखा है जिसमें शुद्ध और विशेषकर प्रायोगिक मनोविज्ञान की विधियों एवं परिणामों को व्यहारिक समस्याओं और व्यवहारिक जीवन पर प्रयोग करने का प्रयास किया जाता है ”
अनुप्रयुक्त या व्यावहारिक मनोविज्ञान वह क्षेत्र है जो मनोविज्ञान के सिद्धांतों पर केंद्रित होता है एवं उनका अध्ययन करता है। व्यावहारिक मनोविज्ञान अमूर्त सिद्धांतों और प्रयोगशाला आधारित प्रयोगों का वास्तविक दुनिया के परिणामों के परिप्रेक्ष्य में अध्ययन करता है। यह शास्त्र मूर्त परिणामों को प्राप्त करने के लिए मनोविज्ञान के सिद्धांतों की पुष्टि करने का प्रयास करता है। मौलिक मनोविज्ञान ज्ञान और प्रयोग के विस्तार के लिए गहरे एवं सूक्ष्म ज्ञान की तलाश करता है जबकि व्यावहारिक मनोविज्ञान अर्जित ज्ञान को वास्तविक जीवन में उपयोग पर केंद्रित होता है।
उद्देश्य व्यावहारिक मनोविज्ञान मानव के व्यावहारिक पक्ष से संबंधित होता है जिसमे असल जीवन की व्यावहारिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। इसके साथ - साथ यह मानव आचरण में वांछनीय परिवर्तन लाने में सहायक होता है। और व्यवहार से सम्बंधित समस्याओं का समाधान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। व्यावहारिक मनोविज्ञान का उद्देश्य व्यक्ति की विभिन गतिविधियों का वर्णन, भविष्यवाणी तथा नियंत्रण करना होता है। जिसके फलस्वरूप व्यक्ति अपने जीवन को बुद्धिमता पूर्ण ढंग से समझ सके और अपने आस - पास के वातावरण ( मनोवैज्ञानिक , सामाजिक एवं प्राकृतिक ) के साथ सफलतापूर्वक अंतःक्रिया कर सके ।
व्यावहारिक मनोविज्ञान का इतिहास
लगभग 5152 वर्ष पहले पारंपरिक चंद्र कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष के 11 वें दिन (नवंबर - दिसंबर) यानि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन गीता का उपदेश दिया गया था जो व्यावहारिक मनोविज्ञान का एक अद्भुत उदाहरण है। केवल अपने विचारों के माध्यम से श्री कृष्ण ने अर्जुन के सभी भ्रम दूर कर दिए थे और उसे मानसिक रूप से अपना कर्तव्य निभाने के लिए तैयार कर लिया था।
आधुनिक व्यावहारिक मनोविज्ञान के संस्थापक ह्यूगो मस्टरबर्ग को आधुनिक व्यवहारिक मनोविज्ञान का संस्थापक माना जाता है।
अरस्तु और प्लेटो से लेकर पेस्टलोजी, फ्रांसिस गाल्टन, विलियम स्टर्न, थोरंडाइक, वॉलटर स्कॉट और फिर ह्यूगो मस्टरबर्ग ने शिक्षा एवं जीवन में मनोविज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डाला है। इस दौरान कई महत्वपूर्ण पुस्तकों जैसे “The soul of child” (William Thierry Preyer , 1892); “Teachers handbook of Psychology” (James Sully, 1886); “Witness Testimony” (William Stern, 1910); Educational Psychology (E. L. Thorndike, 1903); “Psychology and Industrial Efficiency” ( Musterberg , 1913) इत्यादि प्रकाशित की गई जिनमें मनोविज्ञान की व्यावहारिकता पर प्रकाश डाला गया।
इस दौरान कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों का निर्माण हुआ जिन्होंने इस विषय को लोगों के करीब लाने में अपनी भूमिका निभाई। कुछ पत्रिकाएँ भी शुरू की गई जिन्होंने नये नये अनुसंधानों एवं सिद्धांतों तक आम लोगों की पहुंच बनाई। “Psychological Clinic, Journal of applied Psychology, Association of Consulting Psychologists, American Association of Applied Psychology इत्यादि।
मनोविज्ञान को व्यावहारिकता में लाने के लिए 1921 में टरमन द्वारा जीनियस स्टडी आरम्भ की गई और हरमैन रोशा द्वारा रोशा स्याही धब्बा टेस्ट का निर्माण किया गया। 1925 में मनोविज्ञान ने सेना में अपनी उपयोगिता साबित की। वॉटसन ने व्यवहारवाद की शुरुआत की और दिखाया कि वातावरण का व्यक्तित्व पर सार्थक प्रभाव पड़ता है। 1928 में मार्गरेट मीड ने साबित किया कि सामाजिक कारकों में परिवर्तन करके बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन किया जा सकता है।
1938 में मरे एवं मॉर्गन ने TAT का निर्माण किया। मनोविज्ञान का प्रयोग लगभग हर क्षेत्र में होने लगा , उदाहरण के लिए शिक्षा, नैदानिक, सैन्य , स्वास्थ्य आदि। इसके बाद तो मनोविज्ञान का विस्तार तेजी से हुआ। 1979 में एलिज़ाबेथ लोफ्टुस ने चश्मदीद गवाह की रचना की जिसके कारण मनोविज्ञान न्यायिक प्रणाली में अपनी जगह बनाने में सफल हुआ जिसके फलस्वरूप फोरेंसिक मनोविज्ञान का जन्म हुआ और उसे मान्यता प्राप्त हुई। इसके बाद तो मनोविज्ञान ने आर्थिक क्षेत्र, राजनितिक, समाज, संगठनात्मक एवं खेल में भी अपनी उपयोगिता साबित की। इस प्रकार मनोविज्ञान एक लंबा सफर तय करके आज के आधुनिक युग तक पहुँच चुका जहां यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास में भी अपना योगदान दे रहा है।
आओ जाने हमने क्या सीखा ?
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions) Q 1. दैनिक जीवन में मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों और नियमों का अनुप्रयोग कहलाता है ? a. मनोविज्ञान b. असामान्य मनोविज्ञान c. सामान्य मनोविज्ञान d. व्यावहारिक मनोविज्ञान Q 2. व्यक्ति की व्यवहारिक समस्याओं का समाधान करने के लिए प्राय मनोविज्ञान की किस शाखा का उपयोग किया जाता है? a. व्यावहारिक मनोविज्ञान b. संज्ञानात्मक मनोविज्ञान c. प्रायोगिक मनोविज्ञान d. क्रिया शोध मनोविज्ञान
Q 3. गीता उपदेश कब दिया गया था? a. कार्तिक एकादशी b. मार्गशीर्ष एकादशी c. कार्तिक एकादशी शुक्ल पक्ष d. मार्गशीर्ष एकादशी शुक्ल पक्ष Q 4. आधुनिक व्यवहारिक मनोविज्ञान का संस्थापक किसे माना जाता है? a. सिगमंड फ्रायड b. ह्यूगो मस्टरबर्ग c. विलियम जेम्स d. प्रोफेसर अस्थाना Q 5 1921 में जीनियस स्टडी की शुरुआत किस मनोवैज्ञानिक ने की? a. बीएफ स्किनर b. जॉन वाटसन c. लुईस टर्मन d. जेपी गिलफोर्ड
लघुउत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Questions) Q 1. व्यावहारिक मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए? Q 2. व्यवहारिक मनोविज्ञान के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए। Q 3. सिद्ध कीजिए कि श्री कृष्ण द्वारा दिया गया गीता उपदेश व्यावहारिक मनोविज्ञान का एक अद्भुत उदाहरण है। Q 4. मनोविज्ञान ने किन-किन क्षेत्रों में अपनी उपयोगिता साबित की है किन्हीं चार का नाम लिखिए। Q 5. किन्हीं चार विश्व प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिकों के नाम लिखिए।