Moral story in hindi - मेमना और मछुहारे की कहानी by Kahanizone
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Apr 24, 2025
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एक बार की बात हैं एक शिकारी ने जंगल में एक मेमना देखा और उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे तेज दौड़ लगा दी। मेमना भी तेजी से...
एक बार की बात हैं एक शिकारी ने जंगल में एक मेमना देखा और उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे तेज दौड़ लगा दी। मेमना भी तेजी से भाग रहा था और मन ही मन में सोच रहा था आज तेज नहीं भागा तो मारा जाऊँगा। आगे जाके उसने देखा नदी के किनारे एक मछुआरा खड़ा था। मेमने ने मछुआरे से उसकी नाव में छिपने के लिए पूछा और उसने हाँ बोल दिया।
थोड़ी देर बाद शिकारी मछुआरे के पास आया और उससे मेमने के बारें में पूछने लगा। मछुआरा बोला मुझे नहीं पता और इशारे से नाव की तरफ दिखा रहा था। लेकिन, शिकारी मछुआरे के इशारे को समझ नहीं पाया और आगे चला गया। मेमना नाव से बाहर निकल आया तो मछुआरा उससे बोलने लगा देखो मैंने आपकी जान कैसे बचा दी?
मेमना बोली “अकलमंदे इशारा काफी” अगर शिकारी बुद्धिमान होता तो मैं आज आपके कारण मारी जाती। आपने उसे मेरी तरफ इशारा करके अच्छा नहीं किया। तुम पर विश्वास करने लायक नहीं है और तेजी से अपने घर की तरफ भाग निकली। उसकी बातें सुनकर मछुआरे को बहुत पछतावा हुआ और आगे से उसने किसी के साथ विश्वासघात न करने की कसम खाई।
नैतिक सीख:
इस दुनिया में विश्वास बहुत बड़ी चीज हैं जोकि, हम एक दूसरे के ऊपर निश्चिंत होकर रखते हैं। हमें कभी भी किसी के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए।
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Added: Apr 24, 2025
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मेमना और मछुहारे की कहानी
एक बार की बात हैं एक शिकारी ने जंगल में एक मेमना देखा और उसे पकड़ने के
शलए उसके पीछे तेज दौड़ लगा दी। मेमना भी तेजी से भाग रहा था और मन ही मन
में सोच रहा था आज तेज नहीं भागा तो मारा जाऊँ गा। आगे जाके उसने देखा नदी
के ककनारे एक मछुआरा खड़ा था। मेमने ने मछुआरे से उसकी नाव में शछपने के शलए
पूछा और उसने हाँ बोल ददया।
थोड़ी देर बाद शिकारी मछुआरे के पास आया और उससे मेमने के बारें में पूछने
लगा। मछुआरा बोला मुझे नहीं पता और इिारे से नाव की तरफ ददखा रहा था।
लेककन, शिकारी मछुआरे के इिारे को समझ नहीं पाया और आगे चला गया। मेमना
नाव से बाहर कनकल आया तो मछुआरा उससे बोलने लगा देखो मैंने आपकी जान
कै से बचा दी?
मेमना बोली “अकलमंदे इिारा काफी” अगर शिकारी बुद्धिमान होता तो मैं आज
आपके कारण मारी जाती। आपने उसे मेरी तरफ इिारा करके अच्छा नहीं ककया।
तुम पर कवश्वास करने लायक नहीं है और तेजी से अपने घर की तरफ भाग कनकली।
उसकी बातें सुनकर मछुआरे को बहुत पछतावा हुआ और आगे से उसने ककसी के
साथ कवश्वासघात न करने की कसम खाई।
इस �कनया में कवश्वास बहुत बड़ी चीज हैं जोकक, हम एक �सरे के ऊपर कनश्चिंत होकर
रखते हैं। हमें कभी भी ककसी के साथ कवश्वासघात नहीं करना चाकहए।
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