Most Powerful Shri Kali Sahasranama Stotram.pdf

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About This Presentation

Kali Sahastranaam, also known as the Thousand Names of Kali, is a powerful hymn dedicated to Goddess Kali, a fierce form of Goddess Durga. Worshipping her is believed to help overcome both internal and external enemies.

Maa Kali is depicted with a protruded tongue, a garland of skulls, and weapons ...


Slide Content

Most Powerful Shri Kali Sahasranama Stotram | 1008 Names of Kali Maa | श्री काली
सहस्त्रनाम स्तोत्रम.
Kali Sahastranaam, also known as the Thousand Names of Kali, is a powerful hymn dedicated to
Goddess Kali, a fierce form of Goddess Durga. Worshipping her is believed to help overcome
both internal and external enemies.
Maa Kali is depicted with a protruded tongue, a garland of skulls, and weapons symbolizing her
ability to instill fear in evil-doers. Despite her terrifying appearance, Kali is compassionate
towards her devotees, protecting them from harm and granting them prosperity and success.
The essence of Kali's incarnation lies in her role of destroying evil forces that even gods could
not defeat. Her powers are unmatched, as all the gods contributed their strengths and weapons to
aid her divine mission. Kali's ability to swiftly vanquish evil and safeguard her followers is
central to her divine nature.
Kali Sahastranaam is said to have numerous benefits, including healing illnesses, bestowing
wealth, preventing untimely deaths, extending longevity, and ensuring the birth of a first son. It
is particularly recommended for those facing challenges related to Rahu or Saturn afflictions,
childlessness, lack of wisdom, past-life karmic issues, and malefic placements of Saturn in the
birth chart.
Chanting Kali Sahastranaam, especially before 6 AM with a ghee lamp lit, is believed to amplify
its potency. For further knowledge please contact Acharya Pradeep Kumar (Mob) +91-
9438741641 (Call/WhatsApp)


काली सहस्त्रनाम / Kali Sahastranaam
�शान-काललका काली भद्रकाली कपाललनी ।
गुह्य-काली महाकाली कु �-कु ल्ला लिरोलिनी ।।1।।
काललका काल-रालत्रश्च महा-काल-लनतम्बिनी ।
काल-भैरि-भार्ाा च कु ल-ित्र्म-प्रकालशनी ।।2।।
कामदा कालमनीर्ा क�ा कमनीर्-स्व�लपणी ।
कस्तूरी-रस-ललप्ताङ्गी कु ञ्जरेश्वर-गालमनी।।3।।
ककार-िणा-सिााङ्गी कालमनी काम-सुन्दरी ।

कामात्र्ता काम-�पा च काम-िेनुुु: कलािती ।।4।।
कान्ता काम-स्व�पा च कामाख्या कु ल-कालमनी ।
कु लीना कु ल-ित्यिा दुगाा दुगालत-नालशनी ।।5।।
कौमारी कु लजा कृ ष्णा कृ ष्ण-देहा कृ शोदरी ।
कृ शाङ्गी कु लाशाङ्गी च क्रीज्ररी कमला कला ।।6।।
करालास्य कराली च कु ल-काांतापरालजता ।
उग्रा उग्र-प्रभा दीप्ता लिप्र-लचत्ता महा-बला ।।7।।
नीला घना मेघ-नाद्रा मात्रा मुद्रा लमताऽलमता ।
ब्राह्मी नारार्णी भद्रा सुभद्रा भक्त-ित्सला ।।8।।
माहेश्वरी च चामु�ा िाराही नारलसांलहका ।
िङ्ाांगी िङ्ा-कां काली नृ-मु�-स्रम्बिणी लशिा ।।9।।
माललनी नर-मु�ाली-गलद्रक्त-लिभूषणा । काली सहस्त्रनाम
रक्त-चन्दन-लसक्ताङ्गी लसांदूरा�ण-मस्तका ।।10।।
घोर-�पा घोर-दांष्ट्रा घोरा घोर-तरा शुभा ।
महा-दांष्ट्रा महा-मार्ा सुदन्ती र्ुग-दन्तुरा ।।11।।
सुलोचना लि�पाक्षी लिशालाक्षी लत्रलोचना ।
शारदेन्दु-प्रसन्नस्या स्पुरत्-स्मेरािुजेक्षणा ।।12।।
अट्टहासा प्रफु ल्लास्या स्मेर-िक्त्रा सुभालषणी ।
प्रफु ल्ल-प�-िदना म्बस्मतास्या लप्रर्-भालषणी ।।13।।
कोटराक्षी कु ल-श्रेष्ठा महती बहु-भालषणी ।
सुमलत: मलतश्च�ा च�-मु�ालत-िेलगनी ।।14।।
प्रच�ा चम्ब�का च�ी चलचाका च�-िेलगनी ।
सुके शी मुक्त-के शी च दीघा-के शी महा-कचा ।।15।।

पे्रत-देही-कणा-पूरा प्रेत-पालण-सुमेखला ।
प्रेतासना लप्रर्-प्रेता प्रेत-भूलम-कृ तालर्ा ।।16।।
�शान-िालसनी पुण्या पुण्यदा कु ल-पम्ब�ता ।
पुण्यालर्ा पुण्य-देहा पुण्य-श्लोका च पािनी ।।17।।
पूता पलित्रा परमा परा पुण्य-लिभूषणा ।
पुण्य-नाम्नी भीलत-हरा िरदा खङ्ग-पालशनी ।।18।।
नृ-मु�-हस्ता शस्त्रा च लिन्नमस्ता सुनालसका ।
दलक्षणा �ामला �ामा शाांता पीनोन्नत-स्तनी ।।19।।
लदगिरा घोर-रािा सृक्कान्ता-रक्त-िालहनी ।
महा-रािा लशिा सांज्ञा लन:सांगा मदनातुरा ।।20।।
मत्ता प्रमत्ता मदना सुिा-लसन्धु-लनिालसनी ।
अलत-मत्ता महा-मत्ता सिााकषाण-काररणी ।।21।।
गीत-लप्रर्ा िा�-रता प्रेत-नृत्य-परार्णा ।
चतुभुाजा दश-भुजा अष्ट्ादश-भुजा तथा ।।22।।
कात्यार्नी जग�ाता जगती-परमेश्वरी ।
जगद्-बन्धुजागद्धात्री जगदानन्द-काररणी ।।23।।
जगज्जीि-मर्ी हेम-िती महामार्ा महा-लर्ा ।
नाग-र्ज्ञोपिीताङ्गी नालगनी नाग-शार्नी ।।24।।
नाग-क�ा देि-क�ा गान्धारी लकन्नरेश्वरी ।
मोह-रात्री महा-रात्री द�णाभा सुरासुरी ।।25।।
लि�ा-िरी िसु-मती र्लक्षणी र्ोलगनी जरा ।
राक्षसी डालकनी िेद-मर्ी िेद-लिभूषणा ।।26।।
श्रुलत-स्मृलतमाहा-लि�ा गुह्य-लि�ा पुरातनी ।

लचांताऽलचांता स्विा स्वाहा लनद्रा तन्द्रा च पािाती ।।27।।
अपाणा लनश्चला लीला सिा-लि�ा-तपम्बस्वनी ।
गङ्गा काशी शची सीता सती सत्य-परार्णा ।।28।।
नीलत: सुनीलत: सु�लचस्तुलष्ट्: पुलष्ट्िृालत: क्षमा ।
िाणी बुम्बद्धमाहा-लक्ष्मी लक्ष्मीनील-सरस्वती ।।29।।
स्रोतस्वती स्रोत-िती मातङ्गी लिजर्ा जर्ा ।
नदी लसन्धु: सिा-मर्ी तारा शू� लनिालसनी ।।30।।
शुद्धा तरांलगणी मेिा शालकनी बहु-�लपणी ।
सदानन्द-मर्ी सत्या सिाानन्द-स्व�पलण ।।31।।
स्थूला सूक्ष्मा सूक्ष्म-तरा भगित्यनु�लपणी ।
परमाथा-स्व�पा च लचदानन्द-स्व�लपणी ।।32।।
सुनन्दा नम्बन्दनी स्तुत्या स्तिनीर्ा स्वभालिनी ।
रांलकणी टांलकणी लचत्रा लिलचत्रा लचत्र-�लपणी ।।33।।
प�ा प�ालर्ा प�-मुखी प�-लिभूषणा ।
शालकनी हालकनी क्षान्ता रालकणी �लिर-लप्रर्ा ।।34।।
भ्राम्बन्तभािानी �द्राणी मृडानी शत्रु-मलदानी ।
उपेन्द्राणी महेशानी ज्योत्स्ना चन्द्र-स्व�लपणी ।।35।।
सूय्र्र्ाम्बिका �द्र-पत्नी रौद्री स्त्री प्रकृ लत: पुमान् ।
शम्बक्त: सूम्बक्तमालत-मती भम्बक्तमुाम्बक्त: पलत-व्रता ।।36।।
सिेश्वरी सिा-माता सिााणी हर-िल्लभा ।
सिाज्ञा लसम्बद्धदा लसद्धा भाव्या भव्या भर्ापहा ।।37।।
कत्री हत्री पाललर्त्री शिारी तामसी दर्ा ।
तलमस्रा र्ालमनीस्था न म्बस्थरा िीरा तपम्बस्वनी ।।38।।

चािाङ्गी चांचला लोल-लजह्वा चा�-चररलत्रणी ।
त्रपा त्रपा-िती लज्जा लनलाज्जा ह्ीां रजोिती ।।39।।
सत्व-िती िमा-लनष्ठा श्रेष्ठा लनष्ठु र-िालदनी ।
गररष्ठा दुष्ट्-सांहत्री लिलशष्ट्ा श्रेर्सी घृणा ।।40।।
भीमा भर्ानका भीमा-नालदनी भी: प्रभािती ।
िागीश्वरी श्रीर्ामुना र्ज्ञ-कत्र्री र्जु:-लप्रर्ा ।।41।।
ऋक्-सामाथिा-लनलर्ा रालगणी शोभन-स्वरा ।
कल-क�ी किु-क�ी िेणु-िीणा-परार्णा ।।42।।
िलशनी िैष्णिी स्वच्छा िात्री लत्र-जगदीश्वरी ।
मिुमती कु �ललनी शम्बक्त: ऋम्बद्ध: लसम्बद्ध: शुलच-म्बस्मता ।।43।।
रम्भोिैशी रती रामा रोलहणी रेिती मघा ।
शङ् म्बखनी चलक्रणी कृ ष्णा गलदनी प�नी तथा ।।44।।
शूललनी पररघास्त्रा च पालशनी शाङर ् ग-पालणनी ।
लपनाक-िाररणी िूम्रा सुरलभ िन-माललनी ।।45।।
रलथनी समर-प्रीता च िेलगनी रण-पम्ब�ता ।
जलटनी िलङ्ाणी नीला लािण्यािुलि-चम्बन्द्रका ।।46।।
बलल-लप्रर्ा महा-पूज्या पूणाा दैत्येन्द्र-मम्बिनी ।
मलहषासुर-सांहन्त्री िालसनी रक्त-दम्बन्तका ।।47।।
रक्तपा �लिराक्ताङ्गी रक्त-खपार-हम्बस्तनी ।
रक्त-लप्रर्ा मााँस – �लिरासिासक्त-मानसा ।।48।।
गलच्छोुे लणत-मु�ालल-क�-माला-लिभूषणा ।
शिासना लचतान्त:स्था माहेशी िृष-िालहनी ।।49।।
व्याघ्र-त्वगिरा चीर-चेललनी लसांह-िालहनी ।

िाम-देिी महा-देिी गौरी सिाज्ञ-भालिनी ।।50।।
बाललका त�णी िृद्धा िृद्ध-माता जरातुरा ।
सुभ्रुलिालालसनी ब्रह्म-िालदलन ब्रह्माणी मही ।।51।।
स्वप्नािती लचत्र-लेखा लोपा-मुद्रा सुरेश्वरी ।
अमोघाऽ�न्धती तीक्ष्णा भोगित्यनुिालदनी ।।52।।
मन्दालकनी मन्द-हासा ज्वालामुख्यसुरान्तका ।
मानदा मालननी मा�ा माननीर्ा मदोद्धता ।।53।।
मलदरा मलदरो�ादा मेध्या नव्या प्रसालदनी ।
सुमध्यानन्त-गुलणनी सिा-लोकोत्तमोत्तमा ।।54।।
जर्दा लजत्वरा जेत्री जर्श्रीजार्-शाललनी ।
सुखदा शुभदा सत्या सभा-सांक्षोभ-काररणी ।।55।।
लशि-दूती भूलत-मती लिभूलतभीषणानना ।
कौमारी कु लजा कु न्ती कु ल-स्त्री कु ल-पाललका ।।56।।
कीलतार्ाशम्बस्वनी भूषाां भूष्या भूत-पलत-लप्रर्ा ।
सगुणा-लनगुाणा िृष्ठा कला-काष्ठा प्रलतलष्ठता ।।57।।
िलनष्ठा िनदा ि�ा िसुिा स्व-प्रकालशनी ।
उिी गुिी गु�-श्रेष्ठा सगुणा लत्रगुणाम्बिका ।।58।।
महा-कु लीना लनष्कामा सकामा काम-जीिना ।
काम-देि-कला रामालभरामा लशि-नताकी ।।59।।
लचन्तामलण: कल्पलता जाग्रती दीन-ित्सला ।
कालताकी कृ लत्तका कृ त्या अर्ोुे ध्या लिषमा समा ।।60।।
सुमांत्रा मांलत्रणी घूणाा ह्लालदनी क्लेश-नालशनी ।
त्रैलोक्य-जननी हृष्ट्ा लनमाांसा मनो�लपणी ।।61।।

तडाग-लनम्न-जठरा शुष्क-माांसाम्बस्थ-माललनी ।
अिन्ती मथुरा मार्ा त्रैलोक्य-पािनीश्वरी ।।62।।
व्यक्ताव्यक्तानेक-मूलता: शिारी भीम-नालदनी ।
क्षेमज्र्री शांकरी च सिा- स�ोह-काररणी ।।63।।
ऊध्र्ि-तेजम्बस्वनी म्बक्लन्न महा-तेजम्बस्वनी तथा ।
अद्वैत भोलगनी पूज्या र्ुिती सिा-मङ्गला ।।64।।
सिा-लप्रर्ांकरी भोग्या िरणी लपलशताशना ।
भर्ांकरी पाप-हरा लनष्कलांका िशांकरी ।।65।।
आशा तृष्णा चन्द्र-कला लनलद्रका िार्ु-िेलगनी ।
सहस्र-सूर्ा सांकाशा चन्द्र-कोलट-सम-प्रभा ।।66।।
िलह्-म�ल-मध्यस्था सिा-तत्त्व-प्रलतलष्ठता ।
सिााचार-िती सिा-देि – क�ालिदेिता ।।67।।
दक्ष-क�ा दक्ष-र्ज्ञ नालशनी दुगा ताररणी ।
इज्या पूज्या लिभीभूालत: सत्कीलताब्र्रह्म-�लपणी ।।68।।
रम्भीश्चतुरा राका जर्न्ती क�णा कु हु: ।
मनम्बस्वनी देि-माता र्शस्या ब्रह्म-चाररणी ।।69।।
ऋम्बद्धदा िृम्बद्धदा िृम्बद्ध: सिाा�ा सिा-दालर्नी ।
आिार-�लपणी ध्येर्ा मूलािार-लनिालसनी ।।70।।
आज्ञा प्रज्ञा-पूणा-मनाश्चन्द्र-मुख्यानुिूललनी ।
िािदूका लनम्न-नालभ: सत्या सन्ध्या दृढ़-व्रता ।।71।।
आन्वीलक्षकी दांड-नीलतस्त्रर्ी लत्र-लदि-सुन्दरी ।
ज्वललनी ज्वाललनी शैल-तनर्ा लिन्ध्य-िालसनी ।।72।।
अमेर्ा खेचरी िैर्ाा तुरीर्ा लिमलातुरा ।

प्रगल्भा िा�णीच्छार्ा शलशनी लिस्पुलललङ्गनी ।।73।।
भुम्बक्त लसम्बद्ध सदा प्राम्बप्त: प्राक�ा मलहमालणमा ।
इच्छा-लसम्बद्धलिालसद्धा च िलशत्वीध्र्ि-लनिालसनी ।।74।।
ललघमा चैि गालर्त्री सालित्री भुिनेश्वरी ।
मनोहरा लचता लदव्या देव्युदारा मनोरमा ।।75।।
लपांगला कलपला लजह्वा-रसज्ञा रलसका रसा ।
सुषुम्नेडा भोगिती गान्धारी नरकान्तका ।।76।।
पाञ्चाली �म्बिणी रािाराध्या भीमालिरालिका ।
अमृता तुलसी िृन्दा िैटभी कपटेश्वरी ।।77।।
उग्र-च�ेश्वरी िीर-जननी िीर-सुन्दरी ।
उग्र-तारा र्शोदाख्या देिकी देि-मालनता ।।78।।
लनरन्जना लचत्र-देिी क्रोलिनी कु ल-दीलपका ।
कु ल-िागीश्वरी िाणी मातृका द्रालिणी द्रिा ।।79।।
र्ोगेश्वरी-महा-मारी भ्रामरी लिन्दु-�लपणी ।
दूती प्राणेश्वरी गुप्ता बहुला चामरी-प्रभा ।।80।।
कु म्बिका ज्ञालननी ज्येष्ठा भुशुांडी प्रकटा लतलथ: ।
द्रलिणी गोलपनी मार्ा काम-बीजेश्वरी लक्रर्ा ।।81।।
शाांभिी के करा मेना मूषलास्त्रा लतलोत्तमा ।
अमेर्-लिक्रमा व्रूâरा सम्पत्-शाला लत्रलोचना ।।82।।
सुस्थी हव्य-िहा प्रीलत�ष्मा िूम्रालचारङ्गदा ।
तलपनी तालपनी लिश्वा भोगदा िाररणी िरा ।।83।।
लत्रखांडा बोलिनी ि�ा सकला शब्द-�लपणी ।
बीज-�पा महा-मुद्रा र्ोलगनी र्ोलन-�लपणी ।।84।।

अनङ्ग – मदनानङ्ग – लेखनङ्ग – कु शेश्वरी ।
अनङ्ग-मालललन-कामेशी देलि सिााथा-सालिका ।।85।।
सिा-मन्त्र-मर्ी मोलह��णानङ्ग-मोलहनी ।
अनङ्ग-कु सुमानङ्ग-मेखलानङ्ग – �लपणी ।।86।।
िङ्ोश्वरी च जलर्नी सिा-द्वन्द्व-क्षर्ज्र्री ।
षडङ्ग-र्ुिती र्ोग-र्ुक्ता ज्वालाांशु-माललनी ।।87।।
दुराशर्ा दुरािारा दुजार्ा दुगा-�लपणी ।
दुरन्ता दुष्कृलत-हरा दुध्र्र्ेर्ा दुरलतक्रमा ।।88।।
हांसेश्वरी लत्रकोणस्था शाकम्भर्ानुकम्बम्पनी ।
लत्रकोण-लनलर्ा लनत्या परमामृत-रलञ्जता ।।89।।
महा-लि�ेश्वरी श्वेता भे��ा कु ल-सुन्दरी ।
त्वररता भक्त-सांसक्ता भम्बक्त-ि�ा सनातनी ।।90।।
भक्तानन्द-मर्ी भम्बक्त-भालिका भम्बक्त-शज्र्री ।
सिा-सौन्दर्ा-लनलर्ा सिा-सौभाग्य-शाललनी ।।91।।
सिा-सौभाग्य-भिना सिा सौख्य-लन�लपणी ।
कु मारी-पूजन-रता कु मारी-व्रत-चाररणी ।।92।।
कु मारी-भम्बक्त-सुम्बखनी कु मारी-�प-िाररणी ।
कु मारी-पूजक-प्रीता कु मारी प्रीलतदा लप्रर्ा ।।93।।
कु मारी-सेिकासांगा कु मारी-सेिकालर्ा ।
आनन्द-भैरिी बाला भैरिी िटुक-भैरिी ।।94।।
�शान-भैरिी काल-भैरिी पुर-भैरिी ।
महा-भैरि-पत्नी च परमानन्द-भैरिी ।।95।।
सुिानन्द-भैरिी च उ�ादानन्द-भैरिी ।

मुक्तानन्द-भैरिी च तथा त�ण-भैरिी ।।96।।
ज्ञानानन्द-भैरिी च अमृतानन्द-भैरिी ।
महा-भर्ज्र्री तीव्रा तीव्र-िेगा तपम्बस्वनी ।।97।।
लत्रपुरा परमेशानी सुन्दरी पुर-सुन्दरी ।
लत्रपुरेशी पञ्च-दशी पञ्चमी पुर-िालसनी ।।98।।
महा-सप्त-दशी चैि षोडशी लत्रपुरेश्वरी ।
महाांकु श-स्व�पा च महा-चव्रेश्वरी तथा ।।99।।
नि-चव्रेâश्वरी चक्र-ईश्वरी लत्रपुर-माललनी ।
राज-राजेश्वरी िीरा महा-लत्रपुर-सुन्दरी ।।100।।
लसन्दूर-पूर-�लचरा श्रीमम्बरिपुर-सुन्दरी ।
सिाांग-सुन्दरी रक्ता रक्त-िस्त्रोत्तरीलर्णी ।।101।।
जिा-र्ािक-लसन्दूर -रक्त-चन्दन-िाररणी ।
लत्रकू टस्था पञ्च-कू टा सिा-िूट-शरीररणी ।।102।।
चामरी बाल-कु लटल-लनमाल-�ाम-के लशनी ।
िङ्ा-मौम्बक्तक-रत्नाढ्या-लकरीट-मुकु टोज्ज्वला ।।103।।
रत्न-कु �ल-सांसक्त-स्फुरद्-ग�-मनोरमा ।
कु ञ्जरेश्वर-कु म्भोत्थ-मुक्ता-रलञ्जत-नालसका ।।104।।
मुक्ता-लिद्रुम-मालणक्य-हाराढ्य-स्तन-म�ला ।
सूर्ा-कान्तेन्दु-कान्ताढ्य-कान्ता-क�-भूषणा ।।105।।
िीजपूर-स्फुरद्-िीज -दन्त – पांम्बक्तरनुत्तमा ।
काम-कोद�काभुग्न-भ्रू-कटाक्ष-प्रिलषाणी ।।106।।
मातांग-कु म्भ-िक्षोजा लसत्कोक-नदेक्षणा ।
मनोज्ञ-शुष्कु ली-कणाा हांसी-गलत-लिडम्बिनी ।।107।।

प�-रागाांगदा-ज्योलतदोश्चतुष्क-प्रकालशनी ।
नाना-मलण-पररस्फू जाच्ददृद्ध-काांचन-िांकणा ।।108।।
नागेन्द्र-दन्त-लनमााण-िलर्ाांलचत-पालणनी ।
अांगुरीर्क-लचत्राांगी लिलचत्र-क्षुद्र-घम्बिका ।।109।।
पट्टािर-परीिाना कल-मञ्जीर-लशांलजनी ।
कपूाराग�-कस्तूरी-कुां कु म-द्रि-लेलपता ।।110।।
लिलचत्र-रत्न-पृलथिी-कल्प-शाम्बख-तल-म्बस्थता ।
रत्न-द्वीप-स्पुâरद्-रक्त-लसांहासन-लिलालसनी ।।111।।
षट्-चक्र-भेदन-करी परमानन्द-�लपणी ।
सहस्र-दल – प�ान्तश्चन्द्र – म�ल-िलतानी ।।112।।
ब्रह्म-�प-लशि-क्रोड-नाना-सुख-लिलालसनी ।
हर-लिष्णु-लिरांचीन्द्र-ग्रह – नार्क-सेलिता ।।113।।
लशिा शैिा च �द्राणी तथैि लशि-िालदनी ।
मातांलगनी श्रीमती च तथैिानन्द-मेखला ।।114।।
डालकनी र्ोलगनी चैि तथोपर्ोलगनी मता ।
माहेश्वरी िैष्णिी च भ्रामरी लशि-�लपणी ।।115।।
अलिुषा िेग-िती क्रोि-�पा सु-मेखला ।
गान्धारी हम्बस्त-लजह्वा च इडा चैि शुभज्र्री ।।116।।
लपांगला ब्रह्म-सूत्री च सुषुम्णा चैि गम्बन्धनी ।
आि-र्ोलनब्र्रह्म-र्ोलनजागद-र्ोलनरर्ोलनजा ।।117।।
भग-�पा भग-स्थात्री भगनी भग-�लपणी ।
भगाम्बिका भगािार-�लपणी भग-माललनी ।।118।।
ललांगाख्या चैि ललांगेशी लत्रपुरा-भैरिी तथा ।

ललांग-गीलत: सुगीलतश्च ललांगस्था ललांग-�प-िृि् ।।119।।
ललांग-माना ललांग-भिा ललांग-ललांगा च पािाती ।
भगिती कौलशकी च प्रेमा चैि लप्रर्ांिदा ।।120।।
गृध्र-�पा लशिा-�पा चलक्रणी चक्र-�प-िृि् ।
ललांगालभिालर्नी ललांग-लप्रर्ा ललांग-लनिालसनी ।।121।।
ललांगस्था ललांगनी ललांग-�लपणी ललांग-सुन्दरी ।
ललांग-गीलतमहा-प्रीता भग-गीलतमाहा-सुखा ।।122।।
ललांग-नाम-सदानांदा भग-नाम सदा-रलत: ।
ललांग-माला-िांâठ-भूषा भग-माला-लिभूषणा ।।123।।
भग-ललांगामृत-प्रीता भग-ललांगामृताम्बिका ।
भग-ललांगाचान-प्रीता भग-ललांग-स्व�लपणी ।।124।।
भग-ललांग-स्व�पा च भग-ललांग-सुखािहा ।
स्वर्म्भू-कु सुम-प्रीता स्वर्म्भू-कु सुमालचाता ।।125।।
स्वर्म्भू-पुष्प-प्राणा स्वर्म्भू-कु सुमोम्बत्थता ।
स्वर्म्भू-कु सुम-स्नाता स्वर्म्भू-पुष्प-तलपाता ।।126।।
स्वर्म्भू-पुष्प-घलटता स्वर्म्भू-पुष्प-िाररणी ।
स्वर्म्भू-पुष्प-लतलका स्वर्म्भू-पुष्प-चलचाता ।।127।।
स्वर्म्भू-पुष्प-लनरता स्वर्म्भू-कु सुम-ग्रहा ।
स्वर्म्भू-पुष्प-र्ज्ञाांगा स्वर्म्भूकु सुमाम्बिका ।।128।।
स्वर्म्भू-पुष्प-लनलचता स्वर्म्भू-कु सुम-लप्रर्ा ।
स्वर्म्भू-कु सुमादान-लालसो�त्त – मानसा ।।129।।
स्वर्म्भू-कु सुमानन्द-लहरी-लस्नग्ध देलहनी ।
स्वर्म्भू-कु सुमािारा स्वर्म्भू-िुुु सुमा-कला ।।130।।

स्वर्म्भू-पुष्प-लनलर्ा स्वर्म्भू-पुष्प-िालसनी ।
स्वर्म्भू-कु सुम-लस्नग्धा स्वर्म्भू-कु सुमाम्बिका ।।131।।
स्वर्म्भू-पुष्प-काररणी स्वर्म्भू-पुष्प-पालणका ।
स्वर्म्भू-कु सुम-ध्याना स्वर्म्भू-कु सुम-प्रभा ।।132।।
स्वर्म्भू-कु सुम-ज्ञाना स्वर्म्भू-पुष्प-भोलगनी ।
स्वर्म्भू-कु सुमोल्लास स्वर्म्भू-पुष्प-िलषाणी ।।133।।
स्वर्म्भू-कु सुमोत्साहा स्वर्म्भू-पुष्प-�लपणी ।
स्वर्म्भू-कु सुमो�ादा स्वर्म्भू पुष्प-सुन्दरी ।।134।।
स्वर्म्भू-कु सुमाराध्या स्वर्म्भू-कु सुमोद्भिा ।
स्वर्म्भू-कु सुम-व्यग्रा स्वर्म्भू-पुष्प-पूलणाता ।।135।।
स्वर्म्भू-पूजक-प्रज्ञा स्वर्म्भू-होतृ-मातृका ।
स्वर्म्भू-दातृ-रलक्षत्री स्वर्म्भू-रक्त-ताररका ।।136।।
स्वर्म्भू-पूजक-ग्रस्ता स्वर्म्भू-पूजक-लप्रर्ा ।
स्वर्म्भू-िन्दकािारा स्वर्म्भू-लनन्दकान्तका ।।137।।
स्वर्म्भू-प्रद-सिास्वा स्वर्म्भू-प्रद-पुलत्रणी ।
स्वम्भू-प्रद-सस्मेरा स्वर्म्भू-प्रद-शरीररणी ।।138।।
सिा-कालोद्भि-प्रीता सिा-कालोद्भिाम्बिका ।
सिा-कालोद्भिोद्भािा सिा-कालोद्भिोद्भिा ।।139।।
कु �-पुष्प-सदा-प्रीलतगोल-पुष्प-सदा-रलत: ।
कु �-गोलोद्भि-प्राणा कु �-गोलोद्भिाम्बिका ।।140।।
स्वर्म्भुिा लशिा िात्री पािनी लोक-पािनी ।
कीलतार्ाशम्बस्वनी मेिा लिमेिा शुक्र-सुन्दरी ।।141।।
अलश्वनी कृ लत्तका पुष्या तैजस्का चन्द्र-म�ला ।

सूक्ष्माऽसूक्ष्मा िलाका च िरदा भर्-नालशनी ।।142।।
िरदाऽभर्दा चैि मुम्बक्त-बन्ध-लिनालशनी ।
कामुका कामदा कान्ता कामाख्या कु ल-सुन्दरी ।।143।।
दुुःखदा सुखदा मोक्षा मोक्षदाथा-प्रकालशनी ।
दुष्ट्ादुष्ट्-मलतश्चैि सिा-कार्ा-लिनालशनी ।।144।।
शुक्रािारा शुक्र-�पा-शुक्र-लसन्धु-लनिालसनी ।
शुक्रालर्ा शुक्र-भोग्या शुक्र-पूजा-सदा-रलत:।।145।।
शुक्र-पूज्या-शुक्र-होम-सन्तुष्ट्ा शुक्र-ित्सला ।
शुक्र-मूम्बत्र्त: शुक्र-देहा शुक्र-पूजक-पुलत्रणी ।।146।।
शुक्रस्था शुलक्रणी शुक्र-सांस्पृहा शुक्र-सुन्दरी ।
शुक्र-स्नाता शुक्र-करी शुक्र-सेव्यालत-शुलक्रणी ।।147।।
महा-शुक्रा शुक्र-भिा शुक्र-िृलष्ट्-लििालर्नी ।
शुक्रालभिेर्ा शुक्राहाा शुक्र-िन्दक-िम्बन्दता ।।148।।
शुक्रानन्द-करी शुक्र-सदानन्दालभिालर्का ।
शुक्रोत्सिा सदा-शुक्र-पूणाा शुक्र-मनोरमा ।।149।।
शुक्र-पूजक-सिास्वा शुक्र-लनन्दक-नालशनी ।
शुक्राम्बिका शुक्र-सम्पत् शुक्राकषाण-काररणी ।।150।।
शारदा सािक-प्राणा सािकासक्त-रक्तपा ।
सािकानन्द-सन्तोषा सािकानन्द-काररणी ।।151।।
आि-लि�ा ब्रह्म-लि�ा पर ब्रह्म स्व�लपणी ।
सिा-िणा-मर्ी देिी जप-माला-लििालर्नी ।।152।।