एक समय की बात हैं गुरु द्रोणाचार्य के पास कुछ शिष्य धनुर्विद्या सीख रहे थे। सभी शिष्य धनुर्धर बनने के लिए वन में अप�...
एक समय की बात हैं गुरु द्रोणाचार्य के पास कुछ शिष्य धनुर्विद्या सीख रहे थे। सभी शिष्य धनुर्धर बनने के लिए वन में अपनी-अपनी प्रतिभा को दिखाते थे। इन्ही शिष्यों में पांडवों का महान धनुर्धर अर्जुन भी गुरु द्रोणाचार्य के पास धनुर्विद्या सीख रहा था। एक बार गुरु द्रोणाचार्य ने अपने सभी शिष्यों की परीक्षा लेना चाहा।
वें अपने सभी शिष्यों को लेकर वन में गए। वहाँ पर किसी पेड़ पर बैठी एक चिड़िया को दिखाते हुए उस पर निशाना साधने के लिए कहते हैं। सभी शिष्य अपने-अपने धनुष पर बाण चढ़ाकर पेड़ पर बैठी चिड़िया को भेदने के लिए तैयार थे। वे अपने गुरु की आज्ञा का इंतजार कर रहे थे।
तभी गुरु द्रोणाचार्य सभी से एक एक करके पूंछते हैं कि तुम्हें पेड़ पर क्या दिख रहा हैं? किसी शिष्य ने चिड़िया, किसी ने पेड़, किसी ने पत्ते, और किसी ने फल भी बता दिया। लेकिन जब गुरु द्रोणाचार्य अर्जुन के पास जाते हैं और उनसे पूछते हैं कि शिष्य तुम्हें क्या दिख रहा हैं?
अर्जुन अपने गुरु को उत्तर देते हुए कहते हैं- “गुरुदेव मुझे सिर्फ चिड़िया की आँख दिख रही हैं।” अर्जुन की बात सुनकर गुरु द्रोणाचार्य बहुत प्रसन्न होते हैं। उस दिन से अर्जुन को निपुर्ण शिष्य के रूप में मानने लगते हैं।
नैतिक सीख:
हमारा लक्ष्य बहुत साफ होना चाहिए। जिससे हमारा ध्यान आसपास की चीजों पर न भटके।
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Added: Apr 19, 2025
Slides: 1 pages
Slide Content
लक्ष्य पर नजरहिन्दी किानी
एक समय की बात िैं गु� द्रोणाचायय के पास कु छ शिष्य धनुर्विद्या सीख रिे थे।
सभी शिष्य धनुधयर बनने के शलए वन में अपनी-अपनी प्रहतभा को ददखाते थे।
इन्िी शिष्यों में पा�डवों का मिान धनुधयर अजुयन भी गु� द्रोणाचायय के पास
धनुर्विद्या सीख रिा था। एक बार गु� द्रोणाचायय ने अपने सभी शिष्यों की
परीक्षा लेना चािा।
वें अपने सभी शिष्यों को लेकर वन में गए। विा� पर हकसी पेड़ पर बैठी एक
चचचड़या को ददखाते हुए उस पर हनिाना साधने के शलए किते िैं। सभी शिष्य
अपने-अपने धनुष पर बाण चढ़ाकर पेड़ पर बैठी चचचड़या को भेदने के शलए
तैयार थे। वे अपने गु� की आज्ञा का इ�तजार कर रिे थे।
तभी गु� द्रोणाचायय सभी से एक एक करके प �छते िैं हक तुम्िें पेड़ पर क्या
ददख रिा िैं? हकसी शिष्य ने चचचड़या, हकसी ने पेड़, हकसी ने पत्ते, और हकसी
ने फल भी बता ददया। लेहकन जब गु� द्रोणाचायय अजुयन के पास जाते िैं और
उनसे प छते िैं हक शिष्य तुम्िें क्या ददख रिा िैं?
अजुयन अपने गु� को उत्तर देते हुए किते िैं- “गु�देव मुझे शसफय चचचड़या की
आ�ख ददख रिी िैं।” अजुयन की बात सुनकर गु� द्रोणाचायय बहुत प्रसन्न िोते
िैं। उस ददन से अजुयन को हनपुणय शिष्य के �प में मानने लगते िैं।
िमारा लक्ष्य बहुत साफ िोना चाहिए। जजससे िमारा ध्यान आसपास की
चीजों पर न भटके ।
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