प्रकरण : मुहावरे विषय : हिंदी / व्याकरण कक्षा : दसवीं अध्यापक : ग ो म ती श र्म ा दिनांक : 5 मई 202 1 - 2 2 BANYAN INTERNATIONAL SCHOOL JAMMU
मुहावरे ( Muhavare ) भाषा को सहज और रुचिकर बनाने वाले वाक्यांश होते हैं| मुहावरों को कहावतें और लोकोक्तियाँ भी कहते हैं इनका इस्तेमाल भाषा में व्यंग के रूप में किया जाता है| मुहावरों का शाब्दिक अर्थ बहुत सरल होता है लेकिन इनका भावार्थ बहुत गूढ़ होता है| मुहावरों को उनके भावार्थ के आधार पर ही प्रयोग किया जाता है | मुहावरे और कहावतें एक उदाहरण की तरह होती हैं जिनको भाषा में इस्तेमाल करके हम कठिन बातों को भी बड़ी सहजता के साथ दूसरों को समझा सकते हैं| आइये कुछ मुहावरे पढ़ते हैं और उनका अर्थ समझते हैं – मुहावरे
ऐसे वाक्यांश, जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी विलक्षण अर्थ की प्रतीति कराये, मुहावरा कहलाता है। दूसरे शब्दों में- मुहावरा भाषा विशेष में प्रचलित उस अभिव्यक्तिक इकाई को कहते हैं, जिसका प्रयोग प्रत्यक्षार्थ से अलग रूढ़ लक्ष्यार्थ के लिए किया जाता है। साधारण अर्थ में - मुहावरा किसी भाषा में आने वाला वह वाक्यांश है, जो अपने शाब्दिक अर्थ को न बताकर किसी विशेष अर्थ को बताता है। मुहावरे
उदाहरण के माध्यम से कक्षा में प्रथम आने की सूचना पाकर मैं ख़ुशी से फूला न समाया अर्थात बहुत खुश हो जाना। 2. केवल हवाई किले बनाने से काम नहीं चलता, मेहनत भी करनी पड़ती है अर्थात् कल्पना में खोए रहना। इन वाक्यों में ‘ख़ुशी से फूला न समाया’ और ‘हवाई किले बनाने’ वाक्यांश विशेष अर्थ दे रहे हैं। यहाँ इनके शाब्दिक अर्थ नहीं लिए जाएँगे। ये विशेष अर्थ ही 'मुहावरे' कहलाते हैं।
'मुहावरा' शब्द अरबी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है- अभ्यास। मुहावरा का प्रयोग करना और ठीक-ठीक अर्थ समझना बड़ा ही कठिन है, यह अभ्यास और बातचीत से ही सीखा जा सकता है। इसलिए इसका नाम मुहावरा पड़ गया । हिंदी भाषा में मुहावरों का प्रयोग भाषा को सुंदर, प्रभावशाली, संक्षिप्त तथा सरल बनाने के लिए किया जाता है। ये वाक्यांश होते हैं। मुहावरों का काम है किसी बात को इस खूबसूरती से कहना को सुनने-वाला उसे समझ भी जाए और उससे प्रभावित भी हो जाए।
मुहावरा की विशेषता 1. मुहावरे का प्रयोग वाक्य के प्रसंग में होता है, अलग नहीं। जैसे, कोई कहे कि 'पेट काटना' तो इससे कोई विशेष अर्थ प्रकट नहीं होता है। इसके विपरीत, कोई कहे कि 'मैंने पेट काटकर' अपने लड़के को पढ़ाया, तो वाक्य के अर्थ में एक संकेत, सुंदरता और एक लय प्राप्त हो जाती है । 2. मुहावरा अपना असली रूप कभी नहीं बदलता अर्थात् उसे पर्यायवाची शब्दों में परिवर्तित नहीं किया जा सकता। जैसे- 'कमर टूटना ' एक मुहावरा है, लेकिन इसके स्थान पर 'कमर टूटने' के पर्यायवाची शब्द 'कटिभंग' जैसे शब्द का प्रयोग गलत होगा।
3. मुहावरे का शब्दार्थ नहीं, उसका विशेष अर्थ ही ग्रहण किया जाता है। जैसे- 'खिचड़ी पकाना'। ये दोनों शब्द जब मुहावरे के रूप में प्रयुक्त होंगे, तब इनका शब्दार्थ नहीं लिया जाता। लेकिन, वाक्य में जब इन शब्दों का प्रयोग होगा, तब विशेष अर्थ होगा- 'गुप्तरूप से सलाह करना '। 4. मुहावरे का अर्थ प्रसंग के अनुसार होता है। जैसे- 'लड़ाई में खेत आना' । इसका अर्थ 'युद्ध में शहीद हो जाना' है, न कि लड़ाई के स्थान पर किसी 'खेत' पर चला जाना है। मुहावरा की विशेषता
5. हिन्दी के अधिकतर मुहावरों का सीधा सम्बन्ध शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों से है। यह बात दूसरी भाषाओं के मुहावरों में भी पायी जाती है। जैसे- मुँह, कान, हाथ, पाँव इत्यादि पर अनेक मुहावरे प्रचलित हैं। हमारे अधिकतर कार्य इन्हीं के सहारे चलते हैं। मुहावरा की विशेषता
मुहावरों के प्रकार मुहावरों को निम्नलिखित आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है- 1. सादृश्य पर आधारित। 2. शारीरिक अंगों पर आधारित। 3. असंभव स्थितियों पर आधारित। 4. कथाओं पर आधारित। 5. प्रतीकों पर आधारित। 6. घटनाओं पर आधारित।
सादृश्य पर आधारित मुहावरे- बहुत से मुहावरे सादृश्य या समानता पर आधारित होते हैं । जैसे- चूड़ियाँ पहनना, दाल न गलना, सोने पर सुहागा, कुंदन-सा चमकना , पापड़ बेलना आदि। 2. शारीरिक अंगों पर आधारित मुहावरे- हिंदी भाषा के अंतर्गत इस वर्ग में बहुत मुहावरे मिलते हैं । जैसे- अंग-अंग ढीला होना, आँखें चुराना, अँगूठा दिखाना, आँखों से गिरना , सिर हिलाना, उँगली उठाना, छाती पर साँप लोटना, तलवे चाटना, दाँत खट्टे करना, नाक रगड़ना, पीठ दिखाना, मुँह काला करना आदि।
3. असंभव स्थितियों पर आधारित मुहावरे- इस तरह के मुहावरों में वाच्यार्थ के स्तर पर इस तरह की स्थितियाँ दिखाई देती हैं जो असंभव प्रतीत होती हैं । जैसे- पानी में आग लगाना, पत्थर का कलेजा होना, जमीन आसमान एक करना, सिर पर पाँव रखकर भागना, हथेली पर सरसों जमाना, हवाई किले बनाना, दिन में तारे दिखाई देना आदि। 4. कथाओं पर आधारित मुहावरे - कुछ मुहावरों का जन्म लोक में प्रचलित कुछ कथा-कहानियों से होता हैं । जैसे- टेढ़ी खीर होना, एक और एक ग्यारह होना, हाथों-हाथ बिक जाना, साँप को दूध पिलाना, रँगा सियार होना, दुम दबाकर भागना, काठ में पाँव देना आदि।
5. प्रतीकों पर आधारित मुहावरे- कुछ मुहावरे प्रतीकों पर आधारित होते हैं । जैसे- एक आँख से देखना, एक ही लकड़ी से हाँकना, एक ही थैलेके चट्टे-बट्टे होना, तीनों मुहावरों में प्रयुक्त 'एक' शब्द 'समानता' का प्रतीक है । इसी तरह से डेढ़ पसली का होना, ढाई चावल की खीर पकाना, ढाई दिन की बादशाहत होना, में डेढ़ तथा ढाई शब्द 'नगण्यता' के प्रतीक है । 6. घटनाओं पर आधारित मुहावरे- कुछ मुहावरों के मूल में कोई घटना भी रहती है । जैसे- काँटा निकालना, काँव-काँव करना, ऊपर की आमदनी, गड़े मुर्दे उखाड़ना आदि।
उपर्युक्त भेदों के अलावा मुहावरों का वर्गीकरण स्रोत के आधार पर भी किया जा सकता है। हिंदी में कुछ मुहावरे संस्कृत से आए हैं, तो कुछ अरबी-फारसी से आए हैं। इसके अतिरिक्त मुहावरों की विषयवस्तु क्या है, इस आधार पर भी उनका वर्गीकरण किया जा सकता है। जैसे- स्वास्थ्य विषयक, युद्ध विषयक आदि। कुछ मुहावरों का वर्गीकरण किसी क्षेत्र विशेष के आधार पर भी किया जा सकता है। जैसे- क्रीडाक्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले मुहावरे, सेना के क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले मुहावरे आदि। मुहावरों के प्रकार
यहाँ पर कुछ प्रसिद्ध मुहावरे, उनके अर्थ और वाक्य में प्रयोग सहित दिए जा रहे हैं -
1. अक्ल पर पत्थर पड़ना - बुद्धि भष्ट होना वाक्य - विद्वान और वीर होकर भी रावण की अक्ल पर पत्थर ही पड़ गया था कि उसने माता सीता का अपहरण किया। 2. अंक भरना - स्नेह से लिपटा लेना वाक्य - माँ ने बेटी को देखते ही अंक भर लिया। 3. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना- स्वयं अपनी प्रशंसा करना वाक्य - अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं देता।
4. अपने पैरों पर खड़ा होना - स्वालंबी होना वाक्य - युवकों को अपने पैरों पर खड़े होने पर ही विवाह करना चाहिए । 5. अक्ल का दुश्मन - मूर्ख वाक्य- राहुल अपने पिता की बात का सही से जवाब नहीं देता है, लगता है आजकल राहुल अक्ल के दुश्मन हो गया है। 6. अपना उल्लू सीधा करना - मतलब निकालना वाक्य - आजकल के नेता अपना उल्लू सीधा करने के लिए ही लोगों को भड़काते है।