Muryan art and architecture (piller)....

skkushavaha 187 views 27 slides Sep 11, 2025
Slide 1
Slide 1 of 27
Slide 1
1
Slide 2
2
Slide 3
3
Slide 4
4
Slide 5
5
Slide 6
6
Slide 7
7
Slide 8
8
Slide 9
9
Slide 10
10
Slide 11
11
Slide 12
12
Slide 13
13
Slide 14
14
Slide 15
15
Slide 16
16
Slide 17
17
Slide 18
18
Slide 19
19
Slide 20
20
Slide 21
21
Slide 22
22
Slide 23
23
Slide 24
24
Slide 25
25
Slide 26
26
Slide 27
27

About This Presentation

मौर्यकालीन कला में स्तंभ वास्तु का महत्व पूर्ण स्थान है, अशोक के शासन काल में देश के विभिन्न भागों के सार्वजनिक दृ�...


Slide Content

SPM Govt. PG College,Phaphamau,Prayagraj
( A constituent college of University Of Allahabad )
Mauryan Art and architecture
(Timing-11:30 AM)
Presented by
Dr. Sanjay Kumar Kushavaha
Assistant Professor
SPM Govt. PG college, Prayagraj

कंनगनहल्लीसेप्राप्तअशोककीप्रस्तरप्रतिमा, कनााटककेगुलबगाा
तिलेमें, केपीपुनाचा, 1994-95.
ब्राह्मीतलतपमेंलेख, ‘रान्योअशोक’

Ashokan
Pillers in India

मौर्ाकालकेसर्वोत्कृ ष्टनमूने, अशोककेएकाश्मकस्तंभहैंिोतकउसनेध�प्रचारकेतलएदेशके
तर्वतभन्नभागोंमेंस्थातपितकएथे।इनकीसंख्यालगभग20 हैऔरर्ेचुनार(बनारसकेतनकट) केबलुआ
पत्थरकेबनेहुएहैं।लाटकीऊँ चाई40 से50 फु टहै।चुनारकीखानोंसेपत्थरोंकोकाटकरतनकालना,
तशल्पकलामेंइनएकाश्मकखम्ोंकोकाट-िराशकरर्विामान�पदेना, इनस्तंभोंकोदेशकेतर्वतभन्न
भागोंमेंपहुँचाना, तशल्पकलािथाइंिीतनर्रीकौशलकाअनोखाउदाहरणहै।इनस्तंभोंकेदोमुख्य
भागउल्लेखनीर्हैं-(1) स्तंभर्तष्टर्ागार्वदुमलाट(tapering shaft) औरशीर्ाभाग।शीर्ाभागकेमुख्य
अंशहैंघंटा, िोतकअखमीनीस्तंभोंकेआधारकेघंटोंसेतमलिे-िुलिेहैं।भारिीर्तर्वद्वान्इसे
अर्वांगमुखीकमलकहिेहैं।इसकेऊपरगोलअंडर्ाचौकीहै।कु छचौतकर्ोंपरचारपशुऔरचार
छोटेचक्रअंतकिहैं(िैसेसारनाथस्तंभशीर्ाकीचौकीपर) िथाकु छपरहंसपक्तिअंतकिहै।चौकीपर
तसंह, अश्व, हाथीिथाबैलआसीनहैं।रामपुरमेंनटुर्वाबैललतलिमुद्रामेंखडाहै।सारनाथकेशीर्ास्तंभ
परचारतसंहपीठसटाएबैठेहैं।र्ेचारतसंहएकचक्रधारणतकएहुएहैं।र्हचक्रबुद्धद्वाराधमा-चक्र-
प्रर्विानकाप्रिीकहै।अशोककेएकाश्मकस्तंभोंकासर्वोत्कृ ष्टनमूनासारनाथकेतसहंस्तंभकाशीर्ाक
है।मौर्ातशक्तल्पर्ोंके�पतर्वधानकाइससेअ�ादूसरानमूनाऔरकोईनहींहै।ऊपरीतसंहोंमेंिैसी
शक्तिकाप्रदशानहै, उनकीफू लीनसोंमेंिैसीस्वाभातर्वकिाहैऔरउनकेनीचेउके रीआकृ तिर्ोंमेंिो
प्राणर्वानर्वास्ततर्वकिाहै, उसमेंकहींभीआरक्तम्ककलाकीछार्ानहींहै।तशल्पोंनेतसंहोंके�पको
प्राकृ तिकस�ाईसेप्रकटतकर्ाहै।

Lauriya Araraj

सारनाथमेंअशोकनेिोस्तम्बनर्वार्ाथाउसकेशीर्ाभागकोस िंहचतुर्ुुखकहिेहैं।इस
मूतिामेंचारभारिीर्तसंहपीठ-से-पीठसटार्ेखडेहैं।अशोकस्तम्अबभीअपनेमूलस्थान
परक्तस्थिहैतकन्तुउसकार्हशीर्ा-भागसारनाथकेसंग्रहालर्मेंरखाहुआहै।र्ह
तसंहचिुमुाखस्तम्शीर्ाहीभारिकेराष्टरीर्तचह्नके�पमेंस्वीकारतकर्ागर्ाहै।इसकेआधार
केमध्यभागमेंअशोकचक्रकोभारिकेराष्टरीर्ध्विमेंबीचकीसफेदपट्टीमेंरखागर्ा
है।अतधकांशभारिीर्मुद्राओंएर्वंतसक्ोंपरअशोककातसंहचिुमुाखरहिाहै

Vaishali Piller

सांचीस्तंभ-शीर्ा

Delhi-Meerut(originally
fromMeerut, broken in pieces
during transportation).

रामपुरर्वाकास्तंभ

Lauriya Nandangarh

Delhi-Topra(originally
fromTopra Kalan).

कौशांबीस्तंभलेख

�क्त�ंदेई
स्तंभ

स्तंभोंकी-तर्वशेर्िःसारनाथस्तंभकी-चमकीलीपातलश, घंटाकृ तििथाशीर्ाभागमेंपशु
आकृ तिकेकारणपाश्चात्यतर्वद्वानोंनेर्हमिव्यितकर्ाहैतककलाकोप्रेरणाअखमीनी
ईरानसेतमलीहै।चौकीपरहंसोंकीउके रीगईआकृ तिर्ोंऔरअन्यसज्जाओंमेंर्ूनानी
प्रभार्वभीतदखाईदेिाहै।
भारिीर्तर्वद्वानोंकेअनुसारअशोककेस्तंभकीकलाकास्रोिभारिीर्है।मौर्ास्तंभ-शीर्ों
कीपशु-मूतिार्ाँ, सारनाथकातसंहस्तंभ, रामपुरर्वाकाबैलप्राचीनतसंधुघाटीसेप्रर्वाहमान
परम्पराकेअनुकू लहै।तकन्तुर्वासुदेर्वशरणअग्रर्वालनेमहाभारिऔरआपस्तम्बसूत्रसे
प्रमाणप्रस्तुितकएहैं, तिनसेतसद्धहोिाहैतकचमकीलीपातलशउत्पन्नकरनेकीकला
ईरानसेकहींपहलेभारिमेंज्ञािथी।मौर्ाकालसेपूर्वाऔरएकहदिकमौर्ाकालीन
स्थानोंपरिोकालीपातलशर्वालेमृदभांडपाएगएहैंउनसेप्रिीिहोिाहैतकदेशके
इतिहासमेंएकर्ुगऐसाथािबओपदारचमकमें�तचलीिािीथी।र्हभीतसद्धहोिाहै
तकपातलशकारहस्यके र्वलराितशक्तल्पर्ोंिकसीतमिनहींथा।तपंपरहर्वास्तूपसेतमली
स्फतटकमंिूर्ा, पाटतलपुत्रकेदोर्क्षऔरदीदारगंिकीर्क्षीमेंभीर्हपातलशपाईिािी
है।सारनाथकेधमाचक्रकीकल्पनातनिांिभारिीर्है।

ईरानीस्तंभोंऔरमौर्ास्तंभोंमेंस्पष्टभेदहैं।स्विंत्रस्तंभोंकीकल्पनाभारिीर्
है।ईरानीस्तंभनालीदारहैंिबतकभारिीर्स्तंभसपाटहैं।ईरानीस्तंभअलग-
अलगपार्ाण-खंडोंकेबनेहुएहैंतकन्तुअशोकस्तंभएकहीपत्थरकेहैं।स्तंभ
केशीर्ाभागकोघंटाकहागर्ाहै।तकन्तुभारिीर्तर्वद्वानोंकेअनुसारर्ह
आर्वांगमुखकमलअथर्वापूणाघटहैिोबाहरकीओरलहरािीहुईकमलकी
पंखुतडर्ोंसेढकाहुआहै।र्तदकु छसमर्केतलएइसेघंटामानभीतलर्ािाए
िोर्हईरानीघंटेसेतभन्नहै।िथाकतथिमौर्ाघंटाघटपल्लर्वर्ापूणाघटके
अतभप्रार्केसदृशबनार्ागर्ाहै।इसकेअलार्वाईरानीऔरमौर्ास्तंभशीर्ाकों
केअलंकरणोंमेंभीअंिरहै।मौर्ाकालीनतशक्तल्पर्ोंनेतचरपररतचिपरम्पराको
अपनार्ाऔरअपनीप्रतिभासेउसेनर्वीनआकारप्रदानतकर्ा।
र्तदईरानीप्रभार्वकोमानभीतलर्ािाए, िोभीअशोकस्तंभोंकीसंगि
राशीमूतिाकलािथाअलंकरणकोअखमीनी, ईरानीर्ार्ूनानकीमूलाकृ तिर्ोंकी
नक़लमात्रनहींमानािासकिा।तर्वदेशीकला-लक्षणोंकास�क्अध्यर्नकरके
भारिीर्कलाकारोंनेअपनीप्रतिभासे�पािंरणतकर्ाहैऔरउन्हेंअपनेढंगसे
कलाकृ तिर्ोंमेंअतभव्यितकर्ाहै।

धन्यर्वाद