Nai antarrashtriya arthik vyavastha[NIEO]

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About This Presentation

यह सामग्री विशेष रूप से शिक्षण और सीखने को बढ़ाने के शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है। आर्थिक / वाणिज्यिक अथवा किसी �...


Slide Content

नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था
[ NEW INTERNATIONAL ECONOMICORDER]
https://i.ebayimg.com/images/g/jIsAAOSwYIpcAGpW/s-l400.jpg
द्वारा- डॉक्टर ममता उपाध्याय
एसोसिएट प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान
कुमारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय
बादलपुर, गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश
उद्देश्य-
●अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में विद्यमान राजनीतिक तत्वोंकी जानकारी
●विकसित एवं विकासशील देशों के संबंधों के संदर्भ मेंअंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का विश्लेषण
●अंतरराष्ट्रीयराजनीतिकेआर्थिकव्यवस्थाकोनिर्देशितकरनेमेंसंयुक्तराष्ट्रसंघकीभूमिकाका
विश्लेषण
●नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की मांग के संदर्भमें विकासशील देशों की राजनीतिक जागृति का ज्ञान
●नई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की मांग की प्रासंगिकताका विश्लेषण
●अंतरराष्ट्रीय राजनीति की समझ की क्षमता का विकास
राजनीतिकव्यवस्थाअर्थव्यवस्थाकेसाथघनिष्ठरूपसेसंबद्धहोतीहै,यहतथ्यराष्ट्रीयराजनीतिकेसंदर्भमें
जितनासत्यहैउतनाहीअंतरराष्ट्रीयराजनीतिकेसंदर्भमेंभी।नागरिकोंकाआर्थिकअसंतोषराजनीतिकव्यवस्था
केसमक्षक्रांतिकासंकटखड़ाकरताहै,यहबातअरस्तुकेसमयसेहीराजनीतिकव्यवस्थाकेधारकोंकेसमक्ष
विचारणीयरहीहैऔरशासकइससेबचनेकेलिएउपायकरतेरहेहैं।अंतरराष्ट्रीयराजनीतिकेप्रमुखकर्ताराज्य

हैं,अतःजब1960केदशकमेंदुनियाकेविकासशीलराष्ट्रोंकेमंचसेविद्यमानअंतर्राष्ट्रीयअर्थव्यवस्थाकेप्रति
असंतोषजतातेहुएनईअंतर्राष्ट्रीयअर्थव्यवस्थाकीमांगकीगई,तोयहअंतरराष्ट्रीयराजनीतिकव्यवस्थामेंवर्चस्व
कारीस्थितिरखनेवालेपूंजीवादीविकसितदेशोंकेलिएएकबड़ीचुनौतीथी।द्वितीयविश्वयुद्धतकएशिया,
अफ्रीकाऔरलैटिनअमेरिकाकेगरीबऔरपिछड़ेहुएदेशविकसितराष्ट्रोंकेउपनिवेशवादकेशिकारथे।
राष्ट्रीयस्वतंत्रतासंघर्षोंकेमाध्यमसेइन्होंनेउपनिवेशवादीताकतोंसेराजनीतिकस्वतंत्रतातोप्राप्तकरली,किंतु
आर्थिकदृष्टिसेइनकीनिर्भरताअभीविकसितदेशोंपरबनीहुईहै।विकसितदेशोंद्वाराअपनाईगईआर्थिक
नीतियोंकेकारणइनविकासशीलदेशोंकीस्थितिअभीअधीनताकीबनीहुईहै,जिसेनवउपनिवेशवादयाआर्थिक
उपनिवेशवादकहागया।इसआर्थिकनिर्भरताकोकमकरसमानता,न्याय,संप्रभुताकासम्मान,अहस्तक्षेपजैसे
लोकतांत्रिकसिद्धांतोंकेआधारपरअंतर्राष्ट्रीयअर्थव्यवस्थाकेनिर्माणकीमांगइनराष्ट्रोंकेद्वाराकीजातीरही
है।उनकीइसमांगकोहीनईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीमांगकेरूपमेंप्रस्तुतकियाजाताहै।दुनियासे
शीतयुद्धकीसमाप्ति,वैचारिकसंघर्षमेंपूंजीवादीविचारधाराकीविजयऔरइसकेपरिणामस्वरूपबहुराष्ट्रीयनिगमों
काविस्तारऐसेतथ्यहैं,जोनईअंतर्राष्ट्रीयअर्थव्यवस्थाकीमांगकोसर्वथाप्रासंगिकबनातेहैं।बहुराष्ट्रीय
निगमोंकेमाध्यमसेविकासशीलदेशोंकेसंसाधनोंकादोहनकरविकसितराष्ट्रोंकोसंपन्नबनानेकादृष्टिकोण
विकासशील राष्ट्रों में प्रभावी है। इन्हें उपनिवेशवादके नए साधन के रूप में देखा जा रहा है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि-
सुव्यवस्थितअंतरराष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थास्थापितकरनेकाप्रथमसुव्यवस्थितप्रयासद्वितीयविश्वयुद्धकीसमाप्ति
केबाद‘ब्रेटनवुड्ससम्मेलन’[1944]मैंकियागयाजिसकाआयोजनदुनियाकी5महाशक्तियों-अमेरिकारूस
फ्रांसब्रिटेनऔरचीननेमिलकरकियाथा।ब्रेटनवुड्ससम्मेलनमेंप्रस्तावितआर्थिकव्यवस्थाकाउद्देश्यअमीर
औरगरीबदेशोंकेबीचमौजूदअसमानताऔरनिर्भरताकेसंबंधोंकोजारीरखनेकेउद्देश्यसेकियागयाथाऔर
इससंबंधमेंसंस्थागतव्यवस्थाकरतेहुए‘विश्वबैंक’और‘अंतरराष्ट्रीयमुद्राकोष’जैसीसंस्थाओंकीस्थापनाकी
गई।1917मेंरूसमेंहुएसमाजवादीक्रांतिऔरपूर्वीयूरोपकेदेशोंमेंसमाजवादकाविस्तारतथाराष्ट्रोंके
आपसीसंबंधोंमेंतनावशिथिलताजैसीघटनाओंकेसंदर्भमेंइसबातपरजोरदियाजानेलगाकीआर्थिकसंबंधों
कानिर्धारणन्यायऔरलोकतांत्रिकआदर्शोंपरकियाजानाचाहिए।इससंबंधमेंपहलकीगईगुटनिरपेक्षआंदोलनके
द्वाराजब1962कीकाहिरासम्मेलनमेंआर्थिकविकासकीसमस्याओंकोउठायागयाऔर1972मेंगुटनिरपेक्षके
विदेशमंत्रियोंकेजॉर्जटाउनमेंहुएसम्मेलनमेंनईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकेनिर्माणहेतुएककार्यवाहीयोजना
तैयारकीगई।1973मेंहुएअल्जीयर्ससम्मेलनमेंगुटनिरपेक्षदेशोंनेधनीदेशोंकीशोषकप्रवृत्तिकाखुलासा
करतेहुएप्रचलितअंतरराष्ट्रीयअर्थव्यवस्थामेंमौजूदअसमानताओंकीओरध्यानआकर्षितकिया।गुटनिरपेक्ष
देशोंकापक्षयहहैकिविकासशीलदेशोंमेंविश्वकी75%जनसंख्यारहतीहैकिंतुवेविश्वकी30%आयपरही
जीवननिर्वाहकरतेहैं।उनकीअधिकांशजनसंख्यानिरक्षरहैऔरकुपोषणतथाभुखमरीकीशिकारहै,जबकि

विकसितदेशोंकीकमजनसंख्याकेद्वारादुनियाकेअधिकांशआर्थिकसंसाधनोंकाउपयोगकियाजाताहै।यह
अन्याय और असमानता युक्त स्थिति है जिसे दूर किया जानाचाहिए।
नईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीमांगकाबौद्धिकआधारअर्जेंटीनाकेअर्थशास्त्रीरालपरेबिशएवंजर्मनब्रिटिश
अर्थशास्त्रीहंसडब्ल्यूसिंगरकाशोधप्रबंधथा,जो1940केदशकमेंसामनेआयाऔरजिसमेंप्रतिपादितकिया
गयाकिदिनोंदिनअंतरराष्ट्रीयव्यापारकीशर्तेंढीलीपड़ेगीऔरकच्चेमालकीआपूर्तिकर्तातथावस्तुओंके
उत्पादकदेशोंकेसंबंधोंमेंगिरावटआएगी।अंतरराष्ट्रीयअर्थव्यवस्थाकीआलोचनाकरतेहुएइनअर्थशास्त्रियों
नेविकासशीलदेशोंकीगौणआर्थिकस्थितिकाउल्लेखकियाजिनकासाम्राज्यवादीशक्तियोंनेअतीतमें
उपनिवेशबनाकरशोषणकियाथा।इसस्थितिमेंसुधारकेलिएयहसुझावदियागयाकिउत्तरकेविकसित
राष्ट्रोंकेउद्योगपतियोंऔरसरकारोंकोइसबातकेलिएबाध्यकियाजानाचाहिएकिवहउन्हेंतकनीकऔर
विशेषज्ञताप्रदानकरेंएवंदक्षिणकेराष्ट्रोंकोइसयोग्यबनाएंकिवेअपनाऔद्योगिकआधारखुदतैयारकरसकें।
इसशोधप्रबंधनेअंतरराष्ट्रीयराजनीतिमें‘निर्भरतासिद्धांत’कोजन्मदियाऔरनईअंतरराष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्था
कीमांगकेलिएएकतार्किकरणनीतिभीप्रदानकी।1960केदशकमेंprebischकेनेतृत्वमेंUNCTAD[
unitednationsconferenceontradeanddevelopment]नईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाको
लागू करने का प्रमुख मंच बना।
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा नई अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाकी स्थापना की दिशा में किया गया प्रयास-
अल्जीयर्ससम्मेलनमेंगुटनिरपेक्षराष्ट्रोंद्वाराकीगईमांगकीतरफध्यानदेतेहुएसंयुक्तराष्ट्रमहासभाकाछठा
विशेषअधिवेशन1974मेंबुलायागयाजिसमेंनईअंतरराष्ट्रीयअर्थव्यवस्थास्थापितकरनेकीघोषणाऔरसंबंधित
प्रस्ताव पारित किए गए। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस दिशामें अब तक तीन महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं-
1.नई अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए संयुक्त राष्ट्रघोषणा-
1मई1974कोसंयुक्तराष्ट्रकीमहासभाकेछठेविशेषअधिवेशनमेंनईअंतर्राष्ट्रीयअर्थव्यवस्थास्थापितकरने
कीघोषणाकरतेहुएयहप्रस्तावपारितकियागयाकिअंतरराष्ट्रीयअर्थव्यवस्थासमानता,प्रभुत्वसंपन्नता,
आत्मनिर्भरता,सामान्यहितोंतथासभीराज्योंकेमध्यसहयोगकेआधारपरनिर्मितकीजानीचाहिएऔरइसदिशामें
सभी राष्ट्र मिलकर प्रयास करेंगे।
2.नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था स्थापित करनेहेतु कार्यक्रम-
संयुक्तराष्ट्रकीघोषणाकेअनुरूपनईअंतर्राष्ट्रीयअर्थव्यवस्थास्थापितकरनेकेलिएकुछकार्यक्रमघोषितकिए
गएजैसे-तेलकीकीमतोंमेंहोनेवालीवृद्धिसेविकासशीलदेशोंकीकठिनाइयोंकोकमकरना,कच्चेमाल,खाद्य
स्थिति में सुधार आदि क्षेत्रो में विकासशील देशोंकी साम्यता पूर्ण भागीदारी को सुनिश्चित करनाआदि।
3. राज्यों के आर्थिक अधिकार और कर्तव्यों का चार्टर-

दिसंबर1974मेंमहासभानेअपनेअधिवेशनमेंराष्ट्रोंकेआर्थिकअधिकारोंऔरकर्तव्योंपरएकचार्टरस्वीकार
किया। चार्टर के अनुसार राज्यों के निम्नांकित आर्थिकअधिकारों और कर्तव्यों को स्वीकृत किया गया-
●प्रत्येकराज्यकोबिनाकिसीबाह्यहस्तक्षेपयाधमकीकेनागरिकोंकीइच्छाकेअनुसारअपनीआर्थिक
प्रणाली तथा राजनीतिक और सांस्कृतिक पद्धति को चुननेका अधिकार है।
●प्रत्येक राज्य को अपने सभी संपत्ति प्राकृतिक संसाधनोंपर प्रभुत्व का अधिकार है।
●प्रत्येकराज्यकोअंतरराष्ट्रीयव्यापारतथाराजनीतिक,आर्थिकऔरसामाजिकप्रणालीमेंकिसीतरहके
मतभेद के बावजूद सहयोगी गतिविधियों में संलग्न होनेका अधिकार है।
●प्रत्येकराष्ट्रअपनेअर्थव्यवस्थाकेविकासहेतुप्राथमिकवस्तुउत्पादकोंकेसंगठनोंसेसंबद्धहो
सकता है।
●चार्टरकाअनुच्छेद10यहवर्णितकरताहैकिकानूनीरूपसेसमानहोनेकेकारणसभीराज्योंकोविश्व
कीआर्थिकवृद्धिऔरमुद्रासंबंधीसमस्याओंमेंनीतिनिर्धारणकीप्रक्रियामेंपूर्णऔरप्रभावीरूपसे
भागीदारहोनेकाअधिकारहैऔरवेउनसेमिलनेवालेलाभमेंभीसमानरूपसेहिस्सेदारबननेकेअधिकारी
हैं।
●प्रत्येकराष्ट्रअपनेआर्थिकऔरसामाजिकविकासकोतीव्रकरनेकेलिएविज्ञानऔरप्रौद्योगिकीमें
प्रगति से होने वाले लाभ को प्राप्त करने का अधिकारीहै।
●प्रत्येकराष्ट्रकायहकर्तव्यहैकिवहप्रभावीअंतरराष्ट्रीयनियंत्रणकेअधीनरहतेहुएराष्ट्रीयसंसाधनों
का प्रयोग राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक विकास हेतुकार्य करें।
●प्रत्येकराष्ट्रअंतरराष्ट्रीयशांतिपूर्णसहअस्तित्वकीभावनाकेअनुसारदूसरेराष्ट्रोंकेसाथशांतिएवं
सद्भावना पूर्ण संबंधों का विकास करें और राज्यों केमध्य व्यापार को सुविधाजनक बनाएं ।
●चार्टरकाअनुच्छेद28यहप्रावधानकरताहैकिसभीराज्यविकासशीलदेशोंकेआयातऔरनिर्यातमें
संतुलनबनाएरखनेमेंयोगदानदेताकिउनकेलिएअंतरराष्ट्रीयव्यापारन्यायएवंसाम्यतापरआधारितहो
सके।
●राज्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार के विकास हेतु द्विपक्षीयएवं बहुपक्षीय व्यापार समझौता करें।
स्पष्टहैकिउक्तचार्टरकाउद्देश्यनकेवलन्यायपूर्णअर्थव्यवस्थाकाविकासकरनाहै,बल्कियहराष्ट्रों
केआत्मनिर्णयकेअधिकारकेअनुसारअपनीराजनीतिक,सांस्कृतिकऔरसामाजिकव्यवस्थाकोभी
निर्धारित करने का अधिकार देता है।
नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था के उद्देश्यएवं सिद्धांत[ Objectives and Priciples]

●वैश्विक व्यापार को न्याय पूर्ण बनाना
●अल्पविकसितराष्ट्रोंकेहितोंकोध्यानमेंरखतेहुएमौजूदाअंतरराष्ट्रीयआर्थिकसंस्थानोंकापुनर्गठन
एवंविनियमनताकिव्यापार,तकनीकएवंपूंजीकाविनियमनविश्वअर्थव्यवस्थाकेविकासकीदृष्टिसेकिया
जा सके।
●विश्व के आर्थिक संसाधनों का समता पूर्ण वितरण
●विश्व की जनसंख्या के जीवन की दशाओं में सुधार
●अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीति निर्धारण की प्रक्रियामें अल्प विकसित देशों की सहभागिता में वृद्धि
●सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नई अंतरराष्ट्रीयमुद्रा का विकास
●विकासशीलराष्ट्रोंकेमध्यआपसीआर्थिकसहयोगकोप्रोत्साहितकरउनकाआर्थिकविकास
करना-दक्षिण -दक्षिण सहयोग का विकास [विकासशील देश दुनियाके मानचित्र में दक्षिण में अवस्थित है]
●विकासशील देशों की आर्थिक समस्याओं- भुगतान संतुलन,ऋण और विनिमय, का समाधान
●खनिज पदार्थों सहित सभी प्रकार के आर्थिक संसाधनों परराष्ट्र की संप्रभुता स्थापित करना
●कच्चेमालकीकीमतकोघटानेबढ़ानेकीप्रवृत्तिपररोकऔरकच्चेमालतथाउत्पादितमालकीकीमतों
में ज्यादा अंतर ना आने देना
●विकासशील देशों के औद्योगिक उत्पादन के निर्यात कोप्रोत्साहित करना
●विकासशील देशों एवं विकसित देशों के मध्य तकनीक- विकासकी खाई को पाटना
●बहुराष्ट्रीय निगमों की गतिविधियों पर समुचित नियंत्रणस्थापित करना
मूल्यांकन-
●नईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीस्थापनाहेतुसंयुक्तराष्ट्रसंघकीकार्ययोजनाऔरउसकेद्वारा
निर्धारितराष्ट्रोंकेअधिकारएवंकर्तव्यकोपूरीतरहलागूकियागयाहो,ऐसादिखाईनहींदेता।हालांकि
1973-74केदशकमें‘ओपेक’[organizationofpetroleumexportingcountries]
राष्ट्रोंकेद्वारातेलप्रतिबंधलगाकरअपनीसंगठनशक्तिकापरिचयदियागया।जूलियसनएरेरेजैसे
अफ्रीकीनेतानेनईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीस्थापनाहेतुव्यापकसक्रियतादिखाई,किंतुबहुत
से विश्लेषक नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की मांगको एक विफलता के रूप में देखते हैं।
●आलोचकोंकीदृष्टिमेंयहनईअंतरराष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीविफलताहीहैजिसने1986में’राइटटू
डेवलपमेंट’कीमांगकोप्रोत्साहितकिया।1980केदशककेबादब्रेटनवुड्ससम्मेलनद्वारास्थापित
संस्थागतढांचा‘वाशिंगटनसहमति’एवंवैश्वीकरणकेरूपमेंपरिवर्तितहोगयाहैजिसेअक्सरनवउदारवाद

केरूपमेंवर्णितकियाजाताहै।विश्वव्यापारसंगठनएवंमुक्तव्यापारसमझौतेराष्ट्रोंकोव्यापारिक
प्रतिबंधों को समाप्त करने के लिए बाध्य कर रहे हैं।
●संयुक्तराज्यअमेरिकाजैसीमहाशक्तिकेद्वाराप्रारंभसेहीनईअंतरराष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीमांगको
अस्वीकारकियाजातारहाहै।विशेषरुपसेनवअनुदारवादियोंएवंउदारतावादियोंजोअमेरिकीविदेश
नीतिनिर्माणकीप्रक्रियामेंप्रभावीभूमिकानिभातेहैं,नेनईअंतरराष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीआलोचना
कीहै।आलोचकोमेंप्रमुखहैं-विलियमसाइमन,डैनियलपैट्रिक,मैनेहान,इर्विंगक्रिस्टलआदि।वस्तुतः
उन्हेंयहपताहैकिसमतापूर्णअंतरराष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीस्थापनाअमेरिकाकेवैश्विकएकाधिकारको
समाप्तकरदेगी।महाशक्तियोंकीदृष्टिमेंनईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीमांगनेएकवैश्विकसंकट
उपस्थितकियाहै।इससेनकेवलब्रेटनवूडसकॉन्फ्रेंसद्वारास्थापितवित्तीयव्यवस्थाधराशाईहुईहै,
बल्किविकसितदेशोंकोदंगेएवंलूटपाटतथाआतंकवादजैसीआंतरिकसमस्याओंकाभीसामनाकरना
पड़ा है। एक देश में स्थित सबाल्टर्न वर्ग के विद्रोहको अंतर्राष्ट्रीय सबाल्टर्न द्वारा समर्थन मिला है।
●अर्थशास्त्रीहैरीजॉनसननेनईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीआलोचनाइसआधारपरकीहैकिइससे
संसाधनोंकेआवंटनकीकेंद्रीययोजनाकोप्रोत्साहनमिलेगा।प्राकृतिकसंसाधनोंकीकीमतोंका
नियंत्रण उनके उपभोग को कम करेगा जिससे उत्पादन कर्ताओंकोबेरोजगारी का सामना करना पड़ सकता है।
●1981मेंकानकुनमेंआयोजितउत्तरदक्षिणशिखरसम्मेलनमेंतत्कालीनअमेरिकीराष्ट्रपतिरीगननेयह
घोषितकरकिदुनियाकीगरीबीनिजीनिवेशऔरमुक्तव्यापारकेमाध्यमसेहीदूरकीजासकतीहैएवं
विकास,समृद्धितथालोकतंत्रकोनिजीकरणकेमाध्यमसेहीप्राप्तकियाजासकताहै,नईअंतर्राष्ट्रीय
आर्थिक व्यवस्था की प्रासंगिकता को खारिज कर दिया।
किंतुइनआलोचनाओंकेबावजूदनईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीमांगअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकसंबंधोंकोसंतुलन
कारीस्थितिमेंलानेकीदृष्टिसेसर्वथाप्रासंगिकहै।उत्तरकेराष्ट्रोंद्वाराअस्वीकृतकिएजानेकेबावजूदयह
नहींकहाजासकताकिनईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीमांगविफलहोगईहै।नईअंतरराष्ट्रीयआर्थिक
व्यवस्थाकामुख्यउद्देश्यवैश्विकअर्थव्यवस्थामेंदक्षिणकेराष्ट्रोंकीआर्थिकस्थितिमेंसुधारलानाथा।यहउद्देश्य
काफीहदतकप्राप्तकियागयाहै।1970केदशकमेंजबनईअंतरराष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीघोषणाकीगई
थी,उससमयविकसितराष्ट्रोंकाहिस्सावैश्विकसकलघरेलूउत्पादमें80%हुआकरताथा,जबकि2009तक
उनकीसाझेदारीघटकर57%होगई।इसकीतुलनामेदक्षिणकेराष्ट्रोंकीउभरतीहुईबाजारअर्थव्यवस्थाओंने
वैश्विकसकलघरेलूउत्पादमेंअपनीभागीदारी40%तककरलीहै।हालांकियहभीएकतथ्यहैकिदक्षिणकेराष्ट्र
आर्थिकदृष्टिसेअबपूरीतरहसंप्रभुनहींकहेजासकते।आजदुनियाकीअर्थव्यवस्थामेराष्ट्रआपूर्तिचैनके
माध्यमसेएकदूसरेपरनिर्भरहोगएहै।नईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकेअंतर्गतकीगईसंस्थागतपरिवर्तनकी

मांगतोपूरीनहींहोसकीहै,किंतुइसमेंनिहितन्यायऔरसमानताकीभावनाअंतरराष्ट्रीयसंबंधोंकोलंबेसमयतक
प्रभावित करती रहेगी, ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है।
नईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीआत्मावर्तमानमेंवैश्विकजलवायुपरिवर्तनसंबंधीवार्ताओंमेंदेखीजासकतीहै,
जिसमेंविकासशीलराष्ट्रोंकेसंगठनG-77केद्वारा’विकासकेअधिकारकीमांग’केसाथपर्यावरणीयन्यायकी
मांगकीजारहीहै।यहसंगठनधरतीपरबढ़तीहानिकारकग्रीनहाउसगैसेसकेलिएविकसितराष्ट्रोंको
जिम्मेदारसमझताहैऔरइतिहासमेंउनकेद्वाराजोगलतियांकीगई,उसकीभरपाईकेलिएविकसितदेशोंसे
तकनीक और आर्थिक सहायता की मांग करता है ताकि पर्यावरणीयक्षति को पूरा किया जा सके ।
निष्कर्ष-
●नईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीमांग1970केदशकमेंविकासशीलराष्ट्रोंद्वाराविश्वमंचपरउठाई
गई।
●यहमांगविद्यमानअंतर्राष्ट्रीयअर्थव्यवस्थाजोविकसितदेशोंद्वारानियंत्रितहै,मैंसुधारकीअपेक्षारखती
है।
●नएअंतरराष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीमांगउठानेमेंगुटनिरपेक्षआंदोलनएवंविकासशीलदेशोंकेनेताओं
की अहम भूमिका रही है।
●1974मेंसंयुक्तराष्ट्रमहासभाकेद्वाराइसमांगकोस्वीकारकरतेहुएनईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्था
की स्थापना हेतु घोषणा की गई और इसके लिए एक कार्य योजनातैयार की गई।
●नईअंतरराष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकेसंदर्भमेंसंयुक्तराष्ट्रसंघकीघोषणाराष्ट्रोंकेअधिकारोंऔर
कर्तव्यों को निर्धारित करती है।
●नईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीमांगसमानता,न्याय,संप्रभुताकासम्मान,आत्मनिर्णयकाअधिकार,
आर्थिकनीतिकेनिर्धारणकीप्रक्रियामेंविकासशीलराष्ट्रोंकीभागीदारी,प्राकृतिकसंसाधनोंपरसभी
राष्ट्रोंकासमानअधिकारजैसेसिद्धांतोंकेआधारपरअंतरराष्ट्रीयअर्थव्यवस्थाकापुनर्निर्माणकरना
चाहती है।
●इस मांग का उद्देश्य दुनिया का संतुलित एवं न्याय पूर्णआर्थिक विकास करना है।
●विकासशीलराष्ट्रोंकेआर्थिकविकासहेतुउत्तरकेविकसितराष्ट्रोंद्वारापूंजीऔरतकनीकके
हस्तांतरण को आवश्यक माना जाता है।
●उत्तरकेविकसितराष्ट्रोंनेइसमांगकेप्रतिनकारात्मकरवैयाअपनायाहैऔरइसेआतंकएवंअशांतिको
प्रोत्साहित करने वाला मानकर इसे खारिज किया है।
●जलवायुपरिवर्तनसंबंधीवार्तामेविकासशीलराष्ट्रोंकेआर्थिकपक्षकोउठाकरऔर‘विकासके
अधिकार की मांग’ करके नई अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाकी भावना को बनाए रखा गया है।

मुख्य शब्द-
ब्रेटनवुड्सकॉन्फ्रेंस,उत्तर-दक्षिणसंवाद,गुटनिरपेक्षआंदोलन,समानताऔरन्यायपरआधारितअंतर्राष्ट्रीय
अर्थव्यवस्था, संस्थागत परिवर्तन
References and Suggested Reading
1.N. Jagdish Bhagvati[ed.] ,1977,The New InternationalEconomic Order
2.CharterofEconomicRightsandDutiesOfStates,HistoricArchivesofThe
United Nations Audiovisual Library of InrenationalLaw
3.Routeletge Encyclopaedia of Inernational PoliticalEconomy
4.VijayPrasad,TheDarkerNations:APeople”sHistoryoftheThirdWorld,The
New Press,London,2007
5.The New InternationalEconomic Order:A Reintroduction,
March,2015,humanityjournal,org
6.BradlyW.Bateman,‘’ThereAreManyAlternatives:MargaretThatcherinThe
HistoryOfEconomicThought,’’JournalofTheHistoryOFEconomic
Thought,no. 3, 2002
प्रश्न-
निबंधात्मक-
1.नईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थासेआपक्यासमझतेहैं,इसकेप्रमुखसिद्धांतोंऔरउद्देश्योंकीविवेचना
कीजिए।
2.नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की मांग विकासशीलराष्ट्रों के असंतोष का परिणाम है, विवेचना कीजिए।
3.नईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थाकीस्थापनाकेसंदर्भमेंसंयुक्तराष्ट्रसंघकेप्रयासोंकामूल्यांकन
कीजिए।
4.संयुक्तराष्ट्रसंघकीघोषणाकेअनुसारनईअंतर्राष्ट्रीयआर्थिकव्यवस्थास्थापितकरनेहेतुराज्योंके
किन अधिकारों और कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न-
1. नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की मांग किसदशक में की गई।
[ अ ] 1960 [ ब ] 1970 [ स ] 1950 [ द ] 1980
2.नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की मांग का बौद्धिकआधार क्या था।
[ अ] थैचर थीसिस [ ब ] परेबिश - सिंगर थीसिस [ स] जूलियस नएरेरे द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत
[ द ] उपर्युक्त सभी

3. नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का मुख्य सिद्धांत क्या है।
[ अ ] समानता [ ब ] न्याय [ स ] संप्रभुता [ द ]उपर्युक्त सभी
4. नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की स्थापना हेतुसंयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा किस वर्ष घोषणा कीगई।
[ अ ] 1974 [ ब ] 1972 [ स ] 1977 [ द ] 1970
5. UNCTAD किसका संक्षिप्त रूप है.
[ अ ] संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन[ ब ] संयुक्त राष्ट्र तकनीकी एवं विकास सम्मेलन
[ स ] संयुक्त राष्ट्र व्यापार सहायता एवं विकास कंसलटेंट[ द ] उपर्युक्त में से कोई नहीं
6. G-77 कैसे राष्ट्रों का संगठन है.
[ अ ] विकसित [ ब ] विकासशील [ स ] गुटनिरपेक्ष[ द ] समाजवादी
7. वैश्वीकरण के दौर में उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्थाकिन देशों की है.
[ अ ] भारत [ ब ] जापान [ स ] चीन [ द ] उपर्युक्तसभी
8. OPEC क्या है.
[अ]दक्षिणएशियाकेतेलउत्पादकदेशोंकासंगठन[ब]मध्यपूर्वकेतेलनिर्यातकदेशोंकासंगठन[स]
लैटिन अमेरिका के देशों का संगठन [ द ] समाजवादी देशोंका सैनिक संगठन
9. नई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की मांग को विकसितदेश किस रूप में देखते हैं।
[ अ ] आंतरिक अशांति और आतंक को प्रोत्साहित करने वालेतत्व के रूप में
[ ब ] न्याय पूर्ण मांग के रूप में
[ स ] अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में वांछित सुधारकी मांग के रूप में
[ द ] उपर्युक्त सभी
10 . अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक नीतियों का निर्धारणकरने वाली प्रमुख वैश्विक संस्था कौन सी है।
[ अ ] अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष [ ब ] वर्ल्ड बैंक[ स ] उपर्युक्त दोनों [ द ] एशियन डेवलपमेंट बैंक
11. विद्यमान अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था किस सम्मेलनके निर्णय के अनुसार संचालित हो रही है।
[ अ ] बीजिंग सम्मेलन [ब ] ब्रेटन वुड्स कॉन्फ्रेंस[ स ] अंकटाड सम्मेलन [ द ] उपर्युक्त सभी
उत्तर-1. ब 2. ब 3. द 4. अ 5. अ 6. ब 7. द8. ब 9. अ 10. स 11. ब
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