ओसीडी एक प्रकार का मानसिक रोग होता है जिसमें अनचाहे विचार पीड़ित व्यक्ति को बार-बार आने लगते हैं जिससे पीड़ित व्यक...
ओसीडी एक प्रकार का मानसिक रोग होता है जिसमें अनचाहे विचार पीड़ित व्यक्ति को बार-बार आने लगते हैं जिससे पीड़ित व्यक्ति जरूरत से ज्यादा चिंता करने लगता है इसमें शिकार हुए लोग अक्सर संशय में रहते हैं अपने विचारों पर काबू नहीं रख पाते दिमाग से जुड़ी कई बीमारियां ऐसी हैं जिनका कई लोग शिकार हो रहे हैं इस रोग से पीड़ित व्यक्ति अपने आप पर किसी प्रकार का भरोसा नहीं रख पाता एवं उसकी शक करने की आदत बढ़ती जाती है आपने कई बार ऐसे व्यक्तियों को देखा होगा जो किसी एक चीज को लेकर काफी समय तक शक में रहते हैं जैसे पंखा लाइट बंद किया या नहीं घर का दरवाजा बंद किया या नहीं बार-बार पैसों को गिनना बार-बार हाथ धुलने की आदत बार-बार किसी जगह पर हाथ टच करने की आदत ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर यानी मानसिक रोग के कारण होता है जिसके कारण पीड़ित व्यक्ति का दिमाग एक ही काम को बार-बार करने के लिए कहता है जिसकी वजह से कोई बार-बार वही सोचे वही काम करें यह किस तरह की नकारात्मक सोच के कारण होता है और ना ही यह यह कोई पागलपन या जानलेवा बीमारी है
लक्षण
· दोहराव वाला व्यवहार
डर से जुड़ी चीजों को को महसूस करना जैसे, घर में कोई बाहरी व्यक्ति घुस आया है।
·
· हाथ धोना
· ऐसे लोगों को किसी और को नुकसान पहुंचने का डर भी रहता है।
· अत्यधिक सफाई
· धर्म या नैतिक विचारों पर पागलपन की हद तक ध्यान देना।
· व्यवहार की जाँच
चीजों को बेवजह बार-बार जांचना, जैसे कि ताले, उपकरण और स्विच आदि।
·
· गिनती
किसी चीज को भाग्यशाली या दुर्भाग्यशाली मानने का अंधविश्वास
·
· अवांछित यौन विचार
बेकार की चीजें इकट्ठा करना जैसे कि पुराने न्यूजपेपर, खाने के खाली डिब्बे, टूटी हुई चीजें आदि।
·
· आश्वासन की तलाश
कंटैमिनेशन
ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति हद से ज्यादा सफाई करता है चाहे वह शरीर के कपड़े हो कमरा हो घर हो चादर इत्यादि को बार-बार साफ करता है ऐसे व्यक्तियों को महसूस होता है कि यदि वह गंदगी व कूड़े के आसपास जाएंगे तो उनके ऊपर कीटाणु अटैक कर देंगे और उनको नहाना पड़ेगा बाहर जाने पर इस प्रकार के व्यक्ति टॉयलेट आदि का उपयोग नहीं करते उनको एक वहमहोता हैपरफेक्शन
ओसीडी से पीड़ित रोगी छोटी-छोटी बातों को लेकर अत्यधिक विचलित हो जाते हैं जैसे चीज़े एक विशेष प्रकार से क्यों नहीं रखी?संदेह करना
इस तरह के ओसीडी में लोगों के दिमाग में बार बार एक संदेह ख्याल आते रहते हैं। एक चीज को लेकर काफी समय तक शक में रहते हैं जब तक वह इस काम को ना कर लें उन्हें तसल्ली नहीं मिलती।
जैसे क्या मैंने दरवाजा बंद किया, क्या मैंने सिलेंडर बंद किया, पंखे का बटन बंद है या नहीं, दरवाज़ा कहीं खुला न रह गया, आदि जैसे सवाल उनके मन में पैदा होते रहते हैं। इसी कारण वे बार-बार इसको देखने के लिए आते हैं क्योंकि उनके मस्तिष्क में अजीब तरह का तनाव होता रहता है।
वैसे तो अपनी सुरक्षा का ख़याल रखना सबके लिए आवश्यक हैं लेकिन हर 10 मिनट में इस बात का बार-बार ख्याल आना कि मैं फिर से चेक कर लूं, या कहीं खुला ना रह गया हो वास्तव में संदेह को जन्म देता है।ना सोचने योग्य चीज़ें व अपराधबोध
ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति को बार-बार ऐसे विचार आते हैं जो नॉर्मल इंसान के लिए गलत होते हैं पीड़ित व्यक्ति को ऐसा लगता है कि वह गलत इंसान बन जाएगा वह दूसरे व्यक्ति के लिए भी गलत सोचने लगता है हालांकि यह सब वह जानबूझकर नहीं करता है
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Language: none
Added: Jul 09, 2022
Slides: 18 pages
Slide Content
ओसीडी (OCD obsessive compulsive
disorder)
ओसीडी एक प्रकार का मान�सक रोग होता है िजसम� अन
चाहे �वचार पी�ड़त व्यिक्त को बार-
बार आने लगते ह� िजससे पी�ड़त व्यिक्त जरूरत से ज्या
दा �चंता करने लगता है इसम� �शकार हुए लोग अक्सर सं
शय म� रहते ह� अपने �वचार� पर काबू नह�ं रख पाते �दमा
ग से जुड़ी कई बीमा�रयां ऐसी ह� िजनका कई लोग �शकार
हो रहे ह� इस रोग से पी�ड़त व्यिक्त अपने आप पर �कसी
प्रकार का भरोसा नह�ं रख पाता एवं उसक� शक करने क�
आदत बढ़ती जाती है आपने कई बार ऐसे व्यिक्तय� को दे
खा होगा जो �कसी एक चीज को लेकर काफ� समय तक
शक म� रहते ह� जैसे पंखा लाइट बंद �कया या
नह�ं घर का दरवाजा बंद �कया या नह�ं बार-
बार पैस� को �गनना बार-बार हाथ धुलने क� आदत बार-
बार �कसी जगह पर हाथ टच करने क� आदत ऑब्से�सव
कंपिल्सव �डसऑडर्र यानी
मान�सक रोग के कारण होता है िजसके कारण पी�ड़त व्य
िक्त का �दमाग एक ह� काम को बार-
बार करने के �लए कहता है िजसक� वजह से कोई बार-
बार वह� सोचे वह� काम कर� यह �कस तरह क� नकारात्म
क सोच के कारण होता है और ना ह� यह यह कोई पागलप
न या जानलेवा बीमार� है य�द हम इस बीमार� के बारे म�
ध्यान पूवर्क पढ़ते ह� तो हम खु द इसका मतलब समझ स
कते ह� जैसे ऑब्सेशन का मतलब होता है �कसी भी व्यव
हार �कसी भी कायर् क� पु नरावृ�� अथवा उसे बार-
बार करना य�द हमारे मन म� कोई भी �वचार बार बार आ
ता है उससे प्रभा�वत होकर हम कोई कायर् बार-
बार करते ह� वह �वचार नेगे�टव और पॉिज�टव �कसी भी
प्रकार का हो सकता है ऐसे �वचार बार-
बार मन म� आने से घबराहट और बेचैनी होने लगती है िज
से हम चाह कर भी रोक नह�ं सकते इसी प्रकार दूसरे शब्द
कं पल्शन का अथर् होता है मजबू र� यानी �कसी भी प्रकार
के �वचार का बार-
बार हमारे मिस्तष्क म� आने क� मजबूर� के कारण रोगी के
व्यवहार म� प�रवतर्न य�द कोई �वचार रोगी के मिस्तष्क
म� बार बार आता है तो वह मजबू रन उसी �वचार के अनु रू
प बार-
बार कायर् करता है उदाहरण के तौर पर य�द रोगी को लग
ता है �क उसके हाथ गंदे ह� तो वह बार-
बार अपने हाथ� को धोता है यह प्र�क्रया बार-
बार �रपीट करता रहता है बार-
बार हाथ धोकर कं पल्शन होता है िजससे मर�ज को कुछ
समय के �लए अच्छा महसूस होता है
जब कोई व्यिक्त एक ह� काम को बार-
बार करने के �लए सोचे या उसे कर� तो उसे इस प्रकार क�
आदत पड़ जाती है बार-
बार इन प्र�क्रयाओं को दोहराते रहने से उसे क� शंकाएं और
परेशा�नयां बढ़ने लगती है िजससे उसे बेचैनी रोजमरार् के
काम� पर ध्यान ना दे पाना उसका जीवन सामान्य नह�ं र
हता जीवन म� उथल-
पुथल मच जाती है और उसे �कसी प्रकार का शां�त और सु
कून नह�ं रहता इसका सह� वक्त पर इलाज ना करना खत
रनाक सा�बत हो सकता है इससे व्यिक्त को अन्य प्रकार
क� बीमा�रयां जैसे हाई ब्लड प्रेशर और तनाव आ�द होने
के कारण व्यिक्त का मान�सक संतु लन �बगड़ने लगता है
और वह �कसी भी कायर् पर पू णर् रुप से ध्यान क��द्रत नह�ं
कर पाता
ल�ण
• दोहराव वाला व्यवहार
• डर से जुड़ी चीज� को को महसू स करना जैसे, घर
म� कोई बाहर� व्यिक्त घु स आया है।
•
• हाथ धोना
• ऐसे लोग� को �कसी और को न ुकसान पह ुंचने का डर
भी रहता है।
• अत्य�धक सफाई
• धमर् या नै�तक �वचार� पर पागलपन क� हद तक
ध्यान देना।
• व्यवहार क� जाँच
• चीज� को बेवजह बार -
बार जांचना, जैसे �क ताले, उपकरण और िस्वच
आ�द।
•
• �गनती
• �कसी चीज को भाग्यशाल� या दुभार्ग्यशाल� मान
ने का अंध�वश्वास
•
• अवां�छत यौन �वचार
• बेकार क� चीज� इकट्ठा करना जैसे �क पुराने न्यू
जपेपर, खाने के खाल� �डब्बे, टूट� हुई चीज� आ�द
।
•
• आश्वासन क� तलाश
•
• ।
जो लोग बार -
बार �कसी चीज को चेक कर� जैसे घर का दरवाजा बार
-
बार चेक करना बंद है �क नह�ं गैस चेक करना रुपय�
का बार-बार �गरना बार-
बार पीछे मुड़ कर देखना यह बार-
बार �कसी वस्तु को टच करना आ�द ओसीडी के रोगी
के ल�ण होते ह�
कंटै�मनेशन
ओसीडी से पी�ड़त व्यिक्त हद से ज्यादा सफाई कर
ता है चाहे वह शर�र के कपड़े हो कमरा हो घर हो चाद
र इत्या�द को बार-
बार साफ करता है ऐसे व्यिक्तय� को महसूस होता है
�क य�द वह गंदगी व क ूड़े के आसपास जाएंगे तो उन
के ऊपर क�टाणु अटैक कर द�गे और उनको नहाना प
ड़ेगा बाहर जाने पर इस प्रकार के व्यिक्त टॉयलेट आ
�द का उपयोग नह�ं करते उनको एक वहमहोता है के
वहां पर गंदगी होने से उन्ह� इंफे क्शन हो जाएगा और
वह बीमार हो जाएंगे अनेक प्रकार के �वचार उनके म
िस्तष्क म � आते ह� कुछ भी हो सकता है उन्ह� संदेह बा
र-
बार परेशान करता है उन्ह� लगता है �क उनके आसपा
स क� चीज � अथवा वातावरण बहुत अ�धक गंदा है िज
ससे बीमार� बढ़ जाएगी उनके मन म� बैठ जाता है �क
यह चीज� बहुत गंद� है और यह साफ नह�ं होगी इस
प्रकार के व्यिक्त बहुत व्याकुल होकर अपना कोई भी
क�मती सामान फ�क सकते ह� य�द कोई व्यिक्त उन
के घर म� उनक� क ुस� चारपाई अथवा चादर पर बैठ
जाता है तो वो उसको बदल कर ह� दम लेते ह�
परफेक्शन
ओसीडी से पी�ड़त रोगी छोट�-छोट� बात� को लेकर
अत्य�धक �वच�लत हो जाते ह� जैसे
चीज़े एक �वशेष प्रकार से क्य� नह�ं रखी? अगर रंग
�मलता है तो वह चाह�गे �क हम इसे इंद्रधनुष क� तर
ह सजा द � या उसे अपने �हसाब से �कसी भी पंिक्त म �
रख द�।
अगर चीज� एक बराबर नह�ं ह� तो वे इसे एक बराबर�
से रखने के �लए �चं�तत रहते ह�।
उनके �दमाग म � अजीब खयाल आ जाता है �क अगर
यह चीज� आडर्र म� ना रखी जाएँ तो कुछ बु रा हो सक
ता है। ऐसे लोग� को बस एक ह� �चंता होती है �क वह
चीज़� को एक पंिक्त या आडर्र म� रख द� चाहे वह अ
ल्फाबे�टकल हो, न्य ूमे�रकल हो , कलडर् हो, कै सा भी
हो ले�कन पंिक्त म � हो।
3.) संदेह करना
इस तरह के ओसीडी म� लोग� के �दमाग म � बार बार ए
क संदेह ख्याल आते रहते ह�। एक चीज को लेकर का
फ� समय तक शक म � रहते ह� जब तक वह इस काम
को ना कर ल� उन्ह� तसल्ल� नह�ं �मलती।
जैसे
क्या म �ने दरवाजा बंद �कया, क्या म�ने �सल�डर बंद
�कया, पंखे का बटन बंद है या नह�ं, दरवाज़ा कह�ं ख ु
ला न रह गया, आ�द जैसे सवाल उनके मन म� पैदा
होते रहते ह�। इसी कारण वे बार-
बार इसको देखने के �लए आते ह� क्य��क उनके म
िस्तष्क म � अजीब तरह का तनाव होता रहता है।
वैसे तो अपनी सुर�ा का ख़याल रखना सबके �लए
आवश्यक ह � ले�कन हर 10 �मनट म� इस बात का बार
-
बार ख्याल आना �क म� �फर से चेक कर लू ं, या कह�ं
खुला ना रह गया हो वास्तव म � संदेह को
जन्म देता है।
ऐसे लोग इस हद तक पह ुंच जाते ह� �क जब तक वे 5-
6 बार चेक ना कर ल� तब तक उन्ह � उलझन होती रह
ती है
। ऐसा ना करने पर कुछ बु रा हो जाएगा ऐसा उन्ह� म
हसू स होने लगता है। बार-
बार इन प्र�क्रयाओं को दोहराते रहने से उसे क� शंकाएं
और परेशा�नयां बढ़ने लगती है इस तरह ना �सफ़र् उ
नका समय नष्ट होता है बिल्क वे परेशान भी रहते ह�
। इससे उनका व्यवहार बदलने लगता है।
4.) ना सोचने योग्य चीज़ � व अपराधबोध
ओसीडी से पी�ड़त व्यिक्त को बार-बार ऐसे �वचार
आते ह� जो नॉमर्ल इंसान के �लए गलत होते ह� पी�ड़त
व्यिक्त को ऐसा लगता है �क वह गलत इंसान बन
जाएगा वह दूसरे व्यिक्त के �लए भी गलत सोचने
लगता है हालां�क यह सब वह जानबूझकर नह�ं
करता है उसके �वचार �कसी धमर् आ�द के �वरुद्ध भी
हो सकते ह� सेक्सुअल हो सकते ह� �हंसक हो सकते ह�
या �कसी जा�त अथवा �कसी जानवर आ�द के
�वरुद्ध भी हो सकते ह� पी�ड़त व्यिक्त बार-बार
प्राथर्ना करता है ता�क वह इन �वचार� से बच सक�
अपने ध्यान को क��द्रत करता है और अपने मन को
बदलने क� पूणर्तया को�शश करता है परंतु उसके
�दमाग म� ह� अनचाहे �वचार बार-बार आते रहते ह�
िजसके कारण वह अपने आप को असहाय एवं
अपराध बोध से ग्र�सत महसू स करता है और वह
अपने सेल्फ कॉिन्फड�स को खो देता है उसे ऐसा
लगने लगता है वह अपने मन के �वचार� को ह� नह�ं
रोक पाता तो वह अपने जीवन म� क्या कर पाएगा
उसे आत्मग्ला�न और नकारात्मक �वचार हर समय
घेरे रहते ह �
ओसीडी (OCD) से बचाव
ओसीडी (OCD) का कोई भी ल�ण य�द आपको �द
खे तो आप डॉक्टर या साइकोलॉिजस्ट क� सलाह ल�।
वह आपको इस बीमार� से मु क्त करा सकते ह�। इसी
के साथ इससे बचने के �लए आप यह चीज� अपना स
कते ह�-
मनो�च�कत्सा ( Psychotherapy)
ऐसे व्यवहार म� थेरेपी आपके सोच पैटनर् को बदलने
म� काफ� मदद कर सकती है। आपक� ओर से एक्सपो
जर और काम को रोकथाम म� ये सहायक है। आपका
डॉक्टर आपको �चंता पैदा करने या मजबू�रय� को से
ट करने के �लए �डजाइन क� गई िस्थ�त म� डाल देगा
। आप अपने OCD �वचार� या काम को कम करना
सीख�गे।
1.) अपनी िस्थ�त को देख� व समझ�।
2.) हर िस्थ�त म� स्वयं का साथ द�।
3.) अपने �दमाग म � �सफर् पॉिज�टव थॉट्स या सकारा
त्मक �वचार ह� लाएं। यह देख� �क वास्तव म � क्या ह ु
आ है बजाय इसके �क आप के वल अपने �दमाग़ म �
आयी बात को ह� सुन�।
जब आप अपने ओसीडी के आग्रह और �वचार� का
सामना कर रहे ह�, तो इसके बजाय अपना ध्यान �क
सी और चीज़ पर स्थानांत�रत करने का प्रयास कर�।
व्यिक्त टहलने जा सकता है, व्यायाम कर सकता है,
, वी�डयो गेम खेल सकता है और अन्य। महत्वपूणर्
बात यह है �क आप जो भी करते ह�, कम से कम 20
�मनट के �लए कुछ करने का आनंद ल�, ता�क कम्प
िल्सव �वचार� पर आपक� प्र�त�क्रया म� देर� हो सके ।
4.) कुछ काम करने का मन कर� तो आप उसका उल्टा
कर� जैसे आप एक ह� रंग के कपड़े बार-
बार पहनना चाहते ह� तो अलग-
अलग रंग के कपड़े पहन�।
5.) जब आप असहज िस्थ�त म � रहना सीख जाएँ तो
समझ� �क आप ओसीडी से बच रहे ह�।
6.) अपने व्यवहार म� बदलाव कर �। इससे आपका �द
माग भी उसी म � सहज महस ूस करेगा।
ओसीडी से ग्रस्त इन्सान को खु द क� हरकत� असामा
न्य नह�ं लगती . ले�कन य�द इससे ग्रस्त व्यिक्त मा
न ले, �क उसे यह बीमार� है तो इलाज ज्यादा आसा
नी से हो सकता है .
सामान्य तौर पर साई�कया�ट्रस्ट ( मनो�व�ानी )
, साईकोलोिजस्ट ( मनो �च�कत्सक )
, समाजसेवी या अन्य काउंसलर क� मदद से उपचार
�कया जाता है . कुछ दवाएँ भी लेनी पड़ सकती ह �