ओसीडी (OCD obsessive compulsive disorder)

DrShahnwazAlam 966 views 18 slides Jul 09, 2022
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ओसीडी एक प्रकार का मानसिक रोग होता है जिसमें अनचाहे विचार पीड़ित व्यक्ति को बार-बार आने लगते हैं जिससे पीड़ित व्यक...


Slide Content

ओसीडी (OCD obsessive compulsive
disorder)
ओसीडी एक प्रकार का मान�सक रोग होता है िजसम� अन
चाहे �वचार पी�ड़त व्यिक्त को बार-
बार आने लगते ह� िजससे पी�ड़त व्यिक्त जरूरत से ज्या
दा �चंता करने लगता है इसम� �शकार हुए लोग अक्सर सं
शय म� रहते ह� अपने �वचार� पर काबू नह�ं रख पाते �दमा
ग से जुड़ी कई बीमा�रयां ऐसी ह� िजनका कई लोग �शकार
हो रहे ह� इस रोग से पी�ड़त व्यिक्त अपने आप पर �कसी
प्रकार का भरोसा नह�ं रख पाता एवं उसक� शक करने क�
आदत बढ़ती जाती है आपने कई बार ऐसे व्यिक्तय� को दे
खा होगा जो �कसी एक चीज को लेकर काफ� समय तक
शक म� रहते ह� जैसे पंखा लाइट बंद �कया या
नह�ं घर का दरवाजा बंद �कया या नह�ं बार-
बार पैस� को �गनना बार-बार हाथ धुलने क� आदत बार-
बार �कसी जगह पर हाथ टच करने क� आदत ऑब्से�सव
कंपिल्सव �डसऑडर्र यानी

मान�सक रोग के कारण होता है िजसके कारण पी�ड़त व्य
िक्त का �दमाग एक ह� काम को बार-
बार करने के �लए कहता है िजसक� वजह से कोई बार-
बार वह� सोचे वह� काम कर� यह �कस तरह क� नकारात्म
क सोच के कारण होता है और ना ह� यह यह कोई पागलप
न या जानलेवा बीमार� है य�द हम इस बीमार� के बारे म�
ध्यान पूवर्क पढ़ते ह� तो हम खु द इसका मतलब समझ स
कते ह� जैसे ऑब्सेशन का मतलब होता है �कसी भी व्यव
हार �कसी भी कायर् क� पु नरावृ�� अथवा उसे बार-
बार करना य�द हमारे मन म� कोई भी �वचार बार बार आ
ता है उससे प्रभा�वत होकर हम कोई कायर् बार-
बार करते ह� वह �वचार नेगे�टव और पॉिज�टव �कसी भी
प्रकार का हो सकता है ऐसे �वचार बार-
बार मन म� आने से घबराहट और बेचैनी होने लगती है िज
से हम चाह कर भी रोक नह�ं सकते इसी प्रकार दूसरे शब्द
कं पल्शन का अथर् होता है मजबू र� यानी �कसी भी प्रकार
के �वचार का बार-

बार हमारे मिस्तष्क म� आने क� मजबूर� के कारण रोगी के
व्यवहार म� प�रवतर्न य�द कोई �वचार रोगी के मिस्तष्क
म� बार बार आता है तो वह मजबू रन उसी �वचार के अनु रू
प बार-
बार कायर् करता है उदाहरण के तौर पर य�द रोगी को लग
ता है �क उसके हाथ गंदे ह� तो वह बार-
बार अपने हाथ� को धोता है यह प्र�क्रया बार-
बार �रपीट करता रहता है बार-
बार हाथ धोकर कं पल्शन होता है िजससे मर�ज को कुछ
समय के �लए अच्छा महसूस होता है

जब कोई व्यिक्त एक ह� काम को बार-
बार करने के �लए सोचे या उसे कर� तो उसे इस प्रकार क�
आदत पड़ जाती है बार-
बार इन प्र�क्रयाओं को दोहराते रहने से उसे क� शंकाएं और
परेशा�नयां बढ़ने लगती है िजससे उसे बेचैनी रोजमरार् के
काम� पर ध्यान ना दे पाना उसका जीवन सामान्य नह�ं र

हता जीवन म� उथल-
पुथल मच जाती है और उसे �कसी प्रकार का शां�त और सु
कून नह�ं रहता इसका सह� वक्त पर इलाज ना करना खत
रनाक सा�बत हो सकता है इससे व्यिक्त को अन्य प्रकार
क� बीमा�रयां जैसे हाई ब्लड प्रेशर और तनाव आ�द होने
के कारण व्यिक्त का मान�सक संतु लन �बगड़ने लगता है
और वह �कसी भी कायर् पर पू णर् रुप से ध्यान क��द्रत नह�ं
कर पाता

ल�ण
• दोहराव वाला व्यवहार
• डर से जुड़ी चीज� को को महसू स करना जैसे, घर
म� कोई बाहर� व्यिक्त घु स आया है।


• हाथ धोना

• ऐसे लोग� को �कसी और को न ुकसान पह ुंचने का डर
भी रहता है।
• अत्य�धक सफाई
• धमर् या नै�तक �वचार� पर पागलपन क� हद तक
ध्यान देना।
• व्यवहार क� जाँच
• चीज� को बेवजह बार -
बार जांचना, जैसे �क ताले, उपकरण और िस्वच
आ�द।


• �गनती
• �कसी चीज को भाग्यशाल� या दुभार्ग्यशाल� मान
ने का अंध�वश्वास

• अवां�छत यौन �वचार
• बेकार क� चीज� इकट्ठा करना जैसे �क पुराने न्यू
जपेपर, खाने के खाल� �डब्बे, टूट� हुई चीज� आ�द



• आश्वासन क� तलाश

• ।

जो लोग बार -
बार �कसी चीज को चेक कर� जैसे घर का दरवाजा बार
-
बार चेक करना बंद है �क नह�ं गैस चेक करना रुपय�
का बार-बार �गरना बार-
बार पीछे मुड़ कर देखना यह बार-

बार �कसी वस्तु को टच करना आ�द ओसीडी के रोगी
के ल�ण होते ह�





कंटै�मनेशन
ओसीडी से पी�ड़त व्यिक्त हद से ज्यादा सफाई कर
ता है चाहे वह शर�र के कपड़े हो कमरा हो घर हो चाद
र इत्या�द को बार-

बार साफ करता है ऐसे व्यिक्तय� को महसूस होता है
�क य�द वह गंदगी व क ूड़े के आसपास जाएंगे तो उन
के ऊपर क�टाणु अटैक कर द�गे और उनको नहाना प
ड़ेगा बाहर जाने पर इस प्रकार के व्यिक्त टॉयलेट आ
�द का उपयोग नह�ं करते उनको एक वहमहोता है के
वहां पर गंदगी होने से उन्ह� इंफे क्शन हो जाएगा और
वह बीमार हो जाएंगे अनेक प्रकार के �वचार उनके म
िस्तष्क म � आते ह� कुछ भी हो सकता है उन्ह� संदेह बा
र-
बार परेशान करता है उन्ह� लगता है �क उनके आसपा
स क� चीज � अथवा वातावरण बहुत अ�धक गंदा है िज
ससे बीमार� बढ़ जाएगी उनके मन म� बैठ जाता है �क
यह चीज� बहुत गंद� है और यह साफ नह�ं होगी इस
प्रकार के व्यिक्त बहुत व्याकुल होकर अपना कोई भी
क�मती सामान फ�क सकते ह� य�द कोई व्यिक्त उन

के घर म� उनक� क ुस� चारपाई अथवा चादर पर बैठ
जाता है तो वो उसको बदल कर ह� दम लेते ह�

परफेक्शन
ओसीडी से पी�ड़त रोगी छोट�-छोट� बात� को लेकर
अत्य�धक �वच�लत हो जाते ह� जैसे
चीज़े एक �वशेष प्रकार से क्य� नह�ं रखी? अगर रंग
�मलता है तो वह चाह�गे �क हम इसे इंद्रधनुष क� तर
ह सजा द � या उसे अपने �हसाब से �कसी भी पंिक्त म �
रख द�।
अगर चीज� एक बराबर नह�ं ह� तो वे इसे एक बराबर�
से रखने के �लए �चं�तत रहते ह�।
उनके �दमाग म � अजीब खयाल आ जाता है �क अगर
यह चीज� आडर्र म� ना रखी जाएँ तो कुछ बु रा हो सक
ता है। ऐसे लोग� को बस एक ह� �चंता होती है �क वह

चीज़� को एक पंिक्त या आडर्र म� रख द� चाहे वह अ
ल्फाबे�टकल हो, न्य ूमे�रकल हो , कलडर् हो, कै सा भी
हो ले�कन पंिक्त म � हो।

3.) संदेह करना
इस तरह के ओसीडी म� लोग� के �दमाग म � बार बार ए
क संदेह ख्याल आते रहते ह�। एक चीज को लेकर का
फ� समय तक शक म � रहते ह� जब तक वह इस काम
को ना कर ल� उन्ह� तसल्ल� नह�ं �मलती।
जैसे
क्या म �ने दरवाजा बंद �कया, क्या म�ने �सल�डर बंद
�कया, पंखे का बटन बंद है या नह�ं, दरवाज़ा कह�ं ख ु
ला न रह गया, आ�द जैसे सवाल उनके मन म� पैदा
होते रहते ह�। इसी कारण वे बार-

बार इसको देखने के �लए आते ह� क्य��क उनके म
िस्तष्क म � अजीब तरह का तनाव होता रहता है।
वैसे तो अपनी सुर�ा का ख़याल रखना सबके �लए
आवश्यक ह � ले�कन हर 10 �मनट म� इस बात का बार
-
बार ख्याल आना �क म� �फर से चेक कर लू ं, या कह�ं
खुला ना रह गया हो वास्तव म � संदेह को
जन्म देता है।
ऐसे लोग इस हद तक पह ुंच जाते ह� �क जब तक वे 5-
6 बार चेक ना कर ल� तब तक उन्ह � उलझन होती रह
ती है
। ऐसा ना करने पर कुछ बु रा हो जाएगा ऐसा उन्ह� म
हसू स होने लगता है। बार-
बार इन प्र�क्रयाओं को दोहराते रहने से उसे क� शंकाएं
और परेशा�नयां बढ़ने लगती है इस तरह ना �सफ़र् उ

नका समय नष्ट होता है बिल्क वे परेशान भी रहते ह�
। इससे उनका व्यवहार बदलने लगता है।

4.) ना सोचने योग्य चीज़ � व अपराधबोध
ओसीडी से पी�ड़त व्यिक्त को बार-बार ऐसे �वचार
आते ह� जो नॉमर्ल इंसान के �लए गलत होते ह� पी�ड़त
व्यिक्त को ऐसा लगता है �क वह गलत इंसान बन
जाएगा वह दूसरे व्यिक्त के �लए भी गलत सोचने
लगता है हालां�क यह सब वह जानबूझकर नह�ं
करता है उसके �वचार �कसी धमर् आ�द के �वरुद्ध भी
हो सकते ह� सेक्सुअल हो सकते ह� �हंसक हो सकते ह�
या �कसी जा�त अथवा �कसी जानवर आ�द के
�वरुद्ध भी हो सकते ह� पी�ड़त व्यिक्त बार-बार
प्राथर्ना करता है ता�क वह इन �वचार� से बच सक�
अपने ध्यान को क��द्रत करता है और अपने मन को

बदलने क� पूणर्तया को�शश करता है परंतु उसके
�दमाग म� ह� अनचाहे �वचार बार-बार आते रहते ह�
िजसके कारण वह अपने आप को असहाय एवं
अपराध बोध से ग्र�सत महसू स करता है और वह
अपने सेल्फ कॉिन्फड�स को खो देता है उसे ऐसा
लगने लगता है वह अपने मन के �वचार� को ह� नह�ं
रोक पाता तो वह अपने जीवन म� क्या कर पाएगा
उसे आत्मग्ला�न और नकारात्मक �वचार हर समय
घेरे रहते ह �
ओसीडी (OCD) से बचाव

ओसीडी (OCD) का कोई भी ल�ण य�द आपको �द
खे तो आप डॉक्टर या साइकोलॉिजस्ट क� सलाह ल�।
वह आपको इस बीमार� से मु क्त करा सकते ह�। इसी

के साथ इससे बचने के �लए आप यह चीज� अपना स
कते ह�-
मनो�च�कत्सा ( Psychotherapy)
ऐसे व्यवहार म� थेरेपी आपके सोच पैटनर् को बदलने
म� काफ� मदद कर सकती है। आपक� ओर से एक्सपो
जर और काम को रोकथाम म� ये सहायक है। आपका
डॉक्टर आपको �चंता पैदा करने या मजबू�रय� को से
ट करने के �लए �डजाइन क� गई िस्थ�त म� डाल देगा
। आप अपने OCD �वचार� या काम को कम करना
सीख�गे।



1.) अपनी िस्थ�त को देख� व समझ�।
2.) हर िस्थ�त म� स्वयं का साथ द�।

3.) अपने �दमाग म � �सफर् पॉिज�टव थॉट्स या सकारा
त्मक �वचार ह� लाएं। यह देख� �क वास्तव म � क्या ह ु
आ है बजाय इसके �क आप के वल अपने �दमाग़ म �
आयी बात को ह� सुन�।
जब आप अपने ओसीडी के आग्रह और �वचार� का
सामना कर रहे ह�, तो इसके बजाय अपना ध्यान �क
सी और चीज़ पर स्थानांत�रत करने का प्रयास कर�।
व्यिक्त टहलने जा सकता है, व्यायाम कर सकता है,
, वी�डयो गेम खेल सकता है और अन्य। महत्वपूणर्
बात यह है �क आप जो भी करते ह�, कम से कम 20
�मनट के �लए कुछ करने का आनंद ल�, ता�क कम्प
िल्सव �वचार� पर आपक� प्र�त�क्रया म� देर� हो सके ।
4.) कुछ काम करने का मन कर� तो आप उसका उल्टा
कर� जैसे आप एक ह� रंग के कपड़े बार-

बार पहनना चाहते ह� तो अलग-
अलग रंग के कपड़े पहन�।
5.) जब आप असहज िस्थ�त म � रहना सीख जाएँ तो
समझ� �क आप ओसीडी से बच रहे ह�।
6.) अपने व्यवहार म� बदलाव कर �। इससे आपका �द
माग भी उसी म � सहज महस ूस करेगा।

ओसीडी से ग्रस्त इन्सान को खु द क� हरकत� असामा
न्य नह�ं लगती . ले�कन य�द इससे ग्रस्त व्यिक्त मा
न ले, �क उसे यह बीमार� है तो इलाज ज्यादा आसा
नी से हो सकता है .
सामान्य तौर पर साई�कया�ट्रस्ट ( मनो�व�ानी )
, साईकोलोिजस्ट ( मनो �च�कत्सक )

, समाजसेवी या अन्य काउंसलर क� मदद से उपचार
�कया जाता है . कुछ दवाएँ भी लेनी पड़ सकती ह �