Patang-पतंग (कविता)

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About This Presentation

THis PPT is prepared by Dillip kumar Badatya ,PGT(Hindi)JNV Boudh.


Slide Content

पतंग
कक्षा-बारहव ं(कोर)
आरोह-भाग-II
कक्षा-बारहव ं
आरोह-भाग-दो
कवव-आलोकधन्वा

कववपररचय
जन्म-सन१९४८ईबबहारकेम ंगेरजजलेमें
कायय-१९७२मेंलेखनकायय
रंगकमी
सामाजजकऔरसांस्कृततककाययकताय
सामाजजकचेतनाकेकवव
महात्मागााँध अंतरराष्ट्रीयहहंदी
ववश्वववद्यालयमेंकाययरत

रचनाएं
पहलीकववता-जनताकाआदम
भाग ह ईलड़ककयां
ब्रूनोकीबेहियां
द तनयारोजबनत है
काव्यगतववशेषताएं-भारत यसंस्कृततकाचचत्रण
बालमनोववज्ञानकीअच्छीसमझ
भाषाशैली: श द्धसाहहजत्यकशब्दोंकाप्रयोग,बबम्बोंकास न्दरप्रयोग

पतंग-भावभूमम
‘पतंग’ आलोकधन्वाकीतीनहिस्सोंमेंफैलीिुईएकलंबीकहवतािै।परंतु
उसकातीसराहिस्सािीपाठ्यक्रममेंशाहमलहकयागयािै।
इसकहवतामेंआयािुआपतंगशब्दअसलमेंबिुतसीबातोंकाप्रतीकिै।वि
कल्पना, उमंग, उत्साि, उड़ानऔरहवकासकाप्रतीकबनकरकहवतामेंनयेअर्थ
रचतािै।

पतंग
सबसेतेज़बौछारेंगयींभादोगया
सवेराहुआ।
खरगोशकीआँखोंजैसालालसवेरा
शरदआयापुलोंकोपारकरतेहुए।
अपनीनयीचमकीलीसाइककलतेज़
चलातेहुए

पतंग
घंटीबजातेहुएज़ोर-ज़ोरसे
चमकीलेइशारोंसेबुलातेहुए
पतंगउडाने-वालेबच्चोंकेझुंडको
चमकीलेइशारोंसेबुलातेहुएऔर
आकाशकोइतनामुलायमबनातेहुए
ककपतंगऊपरउठसके-

ककवअपनीरचनाकाआरंभकरतेहुएकहतेहैंककबरसातकामौसमकवदाहोगया।कजससमयसबसेतेजवर्ााहुआकरतीहै, वह
भाद्रमाहभीअबबीतचुकाहै।एकनयीसुबहआपहुंचीहै।लाकलमासेयुक्तयहकोमलसुबह, खरगोशकीआंखोंजैसीलाल
कदखायीदेतीहै।खरगोशस्वयंभीकोमलताकाप्रतीकहै।
वर्ााऋतुकेजातेहीशरदऋतुआपहुंचीहै।ऐसाप्रतीतहोताहैजैसेवहअपनीयात्राकेदौरानसमयऔरअवरोधोंकेबहुतसेपुलों
कोपारकरनेकेबादआयीहै।
बरसातकेकदनोंमेंबादलोंकेछायेरहनेसेजोघूपनरमहुआकरतीथी,वहअबज्यादाप्रखरऔरचमकदारहोचलीहै।ककवइस
कबंबकोप्रस्तुतकरनेकेकलयेउसकीतुलनाचमकीलीसाईककलसेकररहेहैं।मानोकोईबच्चाअपनीनयीरंग-कबरंगीचमकदार
साईककलकीघंटीकोउत्साहकेसाथजोरसेबजाताहुआभागाचलाआरहाहो।
शरदऋतुपतंगउडानेवालेबच्चोंकोअपनेपासबुलानेकेकलयेइशाराकररहीहै।यानीवहसंकेतकररहीहै, ककवहसुहानामौसम
आगयाहै, जबबच्चेपतंगेंउडासकतेहैं।
उसनेआसमानकोभीइतनाकोमलबनाकदयाहैअथाात्बच्चोंकेअनुकूलवातावरणकनकमातकरकदयाहै, ताककबच्चोंकीपतंगेंवहां
अकधकसेअकधकऊंचाईतकजासकें।
भावार्य

काव्यसौंदयय
खरगोशकीआँखोंजैसालालसवेरा’, यहांपरउपमा
अलंकारहै।
‘शरदआयापुलोंकोपारकरतेहुए’, यहांपरशरदऋतु
कामानवीकरणककयागयाहै।अतःमानवीकरण
अलंकारहै।
कबंबकाशाकददकअथाहै-कचत्र।ककवतामेंशददोंकेद्वारा
ककसीदृश्यकाकचत्रणहीकबंबकहलाताहै।
‘आकाशकोइतनामुलायमबनातेहुए’।यहांपरआकाश
कोमुलायमबनानेकेप्रतीकसेबच्चोंकीकोमलभावनाओं
कीओरसंकेतककयागयाहै।
‘ककशुरूहोसकेसीकटयों, ककलकाररयोंऔर/कततकलयोंकी
इतनीनाज़ुकदुकनया।’ यहांपरबच्चोंकीउमंगों, आनंदऔर
कोमलताकोसीकटयों, ककलकाररयोंऔरकततलीकेप्रतीक
द्वारासमझायागयाहै।
शांतऔरवात्सल्यरसहै।

पतंग
दुकनयाकीसबसेहलकीऔररंगीनचीज़उडसके
दुकनयाकासबसेपतलाकाग़ज़उडसके-
बाँसकीसबसेपतलीकमानीउडसके-
ककशुरूहोसकेसीकटयों, ककलकाररयोंऔर
कततकलयोंकीइतनीनाज़ुकदुकनया

पतंग
जन्मसेहीवेअपनेसाथलातेहैंकपास
पृथ्वीघूमतीहुईआतीहैउनकेबेचैनपैरोंकेपास
जबवेदौडतेहैंबेसुध
छतोंकोभीनरमबनातेहुए
कदशाओंकोमृदंगकीतरहबजातेहुए
जबवेपेंगभरतेहुएचलेआतेहैं
डालकीतरहलचीलेवेगसेअक्सर;

पतंग
छतोंकेखतरनाकककनारोंतक-
उससमयकगरनेसेबचाताहैउन्हें
कसर्फाउनकेहीरोमांकचतशरीरकासंगीत
पतंगोंकीधडकतीऊचाइयाँउन्हेंथामलेतीहैंमहज़
एकधागेकेसहारे
पतंगोंकेसाथ-साथवेभीउडरहेहैं
अपनेरंध्रोंकेसहारे

पतंग
अगरवेकभीकगरतेहैंछतोंकेखतरनाकककनारोंसे
औरबचजातेहैंतबतो
औरभीकनडरहोकरसुनहलेसूरजकेसामनेआतेहैं
पृथ्वीऔरभीतेज़घूमतीहूईआतीहै
उनकेबेचैनपैरोंकेपास।

भावार्य
आलोकधन्वाबच्चोंकीकोमलताकीओरसंकेतकरतेहुएकहतेहैं
ककवेअपनेजन्मकेसाथहीकपासजैसीकोमलतालेकरआतेहैं।
उनकाशरीर, त्वचा, भावसभीकुछअनंतकोमलतासेयुक्तहोताहै।
वेएकअदृश्यसत्यकोप्रकटकरतेहुएबतातेहैंककखुदधरतीही
घूमतीहुईउनकेकनरंतरचंचलतामेंरहनेवालेपैरोंकेपासआतीहै।
यहांपरककवनेकल्पनाको, दाशाकनकपररकल्पनामेंबदलकदयाहै।
एकदाशाकनकताइसमेंकनकहतहै।कथनकेकवपयायकोभीदेकखयेकक
बच्चोंकेपैरधरतीपरदौडनेनहींजाते, इसकेउलटस्वयंधरतीही
उनकेव्याकुलपैरोंकेपासआपहुंचतीहै।
अथाात्समूचीधरतीहीउनकेपैरोंकीगकतकेसामने
छोटीहै।कमहै।आंकशकहै।अपनीधुरीपरघूमरही
पृथ्वीकीगकतकोइसतरहककवनेएकनयाहीअथादे
कदयाहै।किरआलोकधन्वाअपनीककवतामेंआगेबढ़ते
हुएबतातेहैं, कककजससमयबच्चेअपनीसुध-बुध
खोकरदौडरहेहोतेहैं, तबछतोंकीकठोरताभीउनके
कलयेनरमबनजातीहै।वेउसकीपरवाहनहींकरते।

भावार्य
बच्चोंनेतोहोशखोदेनेकीप्रबलताकोआत्मसात्कररखाहै।उसकीपराकाष्ठाकोअकजातकररखाहै।इसकलयेउन्होंने
सबतरहकेभयोंपरभीकवजयपालीहै।
ककवनेएकऔरउपमाकाप्रयोगकरतेहुएबतायाहैककजैसेएकलचीलीडालीमोडकरछोडीजाये, तोवहअपनी
सबसेतेजगकतसेअपनेपूवास्थानकीओरलौटतीहै।वहीगकत़ बच्चोंकेपासहोतीहै।कसर्फाबच्चोंकेपास।अन्यत्र
दुलाभहै।
इसगकतकाझोंकाउन्हेंछतोंकीककनारतकपहुंचादेताहै।खतरनाकककनारतक।वेछतसेकगरनेकोहोतेहैं, शरीरकगर
जानेकेकलयेबाहरतकझूलभीजाताहै, परवेअपनीहीदेहकेरोमांचकसंगीतसेअपनेकोसम्हाललेतेहैं।

भावार्य
वहीदेहसम्हालतीहैउन्हें, कजसकीसुध-बुधबच्चोंनेखोदीहै।एक
आंतररकसंतुलनउन्हेंबार-बारबचाताहै।आकाशमेंउडनेवालीपतंगोंकी
धडकतीहुईऊंचाईयांहीमानोउन्हेंअपनेकनतांतपतलेधागेसेथामलेतीहैं।
वेस्वयंइतनेहल्केहोतेहैं, भारहीनहोतेहैंककपतंगोंकेसाथखुदभी
आसमानकीअनंततामेंउडरहेहोतेहैं।उनकीदेहकेरोम-कछद्रहीउन्हें
भारहीनबनातेहैं।औरभारहीनबनाताहैउन्हेंउनकाकनष्कलुशहोना।
कनष्पापहोना।अमलहोना।
यहउडानउनकीआकांक्षाओंकीउडानहै।आशाओंकीउडानहै।
संभावनाओंकीउडानहै।असलमेंएकबच्चाहीसंसारकीसबसेबडी
संभावनाहै।उसकेअंदरसेमहानता, श्रेष्ठताऔरमहामानवताकेपैदाहो
सकनेकीसंभावनाहोतीहै।
अबवहजोखमउठानेकासहसकरनेवालाबनगयाहै।अब
वहसूरजकीतपनकासामनाकरनेकोतैयारहै।चुनौकतयों
कामुकाबलाकरनेकोतैयारहै।
औरअबतोउनकीआकांक्षाओंकादायराइतनाबडाहो
जाताहैककधरतीकीसीमाएंछोटीपडजातीहैं।पृथ्वीकवराट
आकांक्षाओंसेयुक्तबच्चोंकेआतुरपैरोंकेपासऔरभी
तेजगकतसेचलीआतीहै।
अबउसेबच्चेकीगकतकामुकाबलाकरनाहै।मामलाउलट
गयाहैंपहलेबच्चेकेसामनेधरतीकीगकतकीचुनौतीथी,
अबधरतीकेसामनेबच्चेकीआकांक्षाओंकीगकतकी
कवराटचुनौकतयांहैं।

काव्यसौंदयय
उपमाअलंकार: ‘कदशाओंकोमृदंगकीतरहबजातेहुए’,
‘डालकीतरहलचीलेवेगसेअक्सर’।
2 उत्प्रेक्षाअलंकार: ‘जन्मसेहीवेअपनेसाथलातेहैं
कपास’, ‘पतंगोंकेसाथ-साथवेभीउडरहेहैं’।
‘पृथ्वीघूमतीहुईआतीहैउनकेबेचैनपैरोंकेपास’, ‘पतंगों
कीधडकतीऊचाइयाँउन्हेंथामलेतीहैं’।
5 कबंबकवधान: 1 ‘जबवेपेंगभरतेहुएचलेआतेहैं/डालकी
तरहलचीलेवेगसेअक्सर/छतोंकेखतरनाकककनारोंतक-’
6 ककवताकीभार्ासरल, सहजऔरप्रवाहपूणाहै।
मुहावरोंकाप्रयोगहुआहै: ‘छतोंकोभीनरम
बनातेहुए’, ‘जबवेपेंगभरतेहुएचलेआते
हैं’, ‘पतंगोंकीधडकतीऊचाइयाँउन्हेंथाम
लेतीहैंमहज़एकधागेकेसहारे’।
शांतऔरवात्सल्यरसहै।

धन्यवाद
हदलीपक मारबाड़त्या
प .ज .िी.(हहंदी)
जवाहरनवोदयववद्यालय, पलझार, बौद्ध,
ओडिशा
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