बहुउद्देशीय परियोजना के लाभ और हानि,
नदी जोड़ो परियोजना UPSC,
नदी घाटी परियोजना से लाभ,
नदी से लाभ और हानि,
भारत की पहल�...
बहुउद्देशीय परियोजना के लाभ और हानि,
नदी जोड़ो परियोजना UPSC,
नदी घाटी परियोजना से लाभ,
नदी से लाभ और हानि,
भारत की पहली नदी जोड़ो परियोजना,
बहुउद्देशीय परियोजना से होने वाले लाभ,
नदी जोड़ो परियोजना Drishti IAS,
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Added: Sep 18, 2022
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नदी परियोजना के लाभ और नुक्सान
भारत में हर साल आने वाले बढ़ और सूखा के समस्या को धयान में रखते हुए नदी जोड़ो परियोजना बनाया गया
जिसका उद्देश्य भारतीय नदियों को जलाशयों और नहरों के माध्यम से आपस में जोड़ना है. इससे सुखा और बाढ़
जैसी समस्याओं का समाधान हो सके।
भारत में नदी जोड़ो का विचार सर्वप्रथम 1858 में एक ब्रिटिश सिंचाई इंजीनियर सर आर्थर थॉमस कॉटन ने दिया
था। 1960 में फिर तत्कालीन उर्जा और सिंचाई राज्यमंत्री कएल राव ने गंगा और कावेरी नदियों को जोड़ने के
विचार को पेश कर इस विचार धरा को फिर से जीवित कर दिया था| पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने 1982 में
नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी का गठन किया था| सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर, 2002 में एक जनहित याचिका
की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को इस योजना को शीघ्रता से पूरा करने को कहा और साथ ही 2003 तक इस पर
प्लान बनाने को कहा और 2016 तक इसको पूरा करने पर ज़ोर दिया गया था| प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने
2003 में सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया था और यह अनुमान लगाया गया था कि इस
परियोजना में लगभग 560000 करोड़ रुपयों की लागत आएगी| 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से केंद्र सरकार को
निर्देश दिया की इस महत्वकांशी परियोजना को समयबद्द तरीके से अम्ल करके शुरू किया जाए ताकि समय
ज्यादा बढ़ने की वजह से इसकी लागत और न बढ़ जाए|
दरअसल, राज्यों के बीच असहमति, केंद्र की दखलंदाज़ी के लिये किसी कानूनी प्रावधान का न होना और
पर्यावरणीय चिंता इसकी राह में कुछ बड़ी बाधाएँ बनकर सामने आती रही हैं। जुलाई 2014 में केंद्र सरकार ने
नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी विशेष समिति के गठन को मंज़ूरी दी थी।
हमारे देश में सतह पर मौजूद पानी की कुल मात्रा 690 बिलियन क्यूबिक मीटर प्रतिवर्ष है, लेकिन इसका केवल 65
फीसदी पानी ही इस्तेमाल हो पाता है। शेष पानी बेकार बहकर समुद्र में चला जाता है, इसकी वज़ह से भारत में
सूखा और बाढ़ जैसे हालात साथ-साथ चलते हैं। ऐसे देश के लिये जहाँ की आबादी के एक बड़े हिस्से को साफ़ पानी
उपलब्ध नहीं है, यह स्थिति निश्चित ही चिंतनीय है।
इस परियोजना के तेहत भारत की 60 नदियों को जोड़ा जाएगा जिसमें गंगा नदी भी शामिल हैं| उम्मीद है कि इस
परियोजना की मदद से अनिश्चित मानसूनी बारिश पर किसानों की निर्भरता में कटौती आएगी और सिंचाई के
लिए लाखों खेती योग्य भूमि भी होगी. इस परियोजना को तीन भागों में विभाजित किया गया है: उत्तर हिमालयी
नदी जोडो घटक; दक्षिणी प्रायद्वीपीय घटक और अंतरराज्यीय नदी जोडो घटक| इस परियोजना को भारत के
राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण (एनडब्ल्यूडीए), जल संसाधन मंत्रालय के अन्तर्गत प्रबंधित किया जा रहा है|
नदी जोड़ो परियोजना के लाभ
1. पेयजल की समस्या कम होगी
2. सूखे और बाढ़ की समस्या कम होगी
3. आर्थिक समृद्धि आने से लोगों का जीवन-स्तर सुधरेगा
4. कृषि में सिंचित क्षेत्र के हिस्से में उल्लेखनीय वृद्धि होगी
5. जलविद्युत की उपलब्धता होने से सस्ती एवं स्वच्छ ऊर्जा की प्राप्ति होगी
6. नहरों का विकास होगा
7. पर्यटन स्थलों के बनने से विकास का स्तर बढ़ेगा
8. वनीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा
नदी जोड़ो परियोजना के दुष्प्रभाव
1. नदी जोड़ो परियोजना को पूरा करने हेतु कई बड़े बाँध, नहरें और जलाशय बनाने होंगे जिससे आस पास की
भूमि दलदली हो जाएगी और कृषि योग्य नहीं रहेगी.
2. गंगा के पानी को विंध्या के उपर उठाकर कावेरी की और ले जाने में बड़े-बड़े डीजल पम्पों का इस्तेमाल करना
होगा जिससे काफी ज्यादा लागत आएगी
3. कड़ोरो लोगों को लगभग विस्थापित करना होगा,
4. जमीन को लेकर भी इस परियोजना के तहत विवाद खड़े हो सकते है.
5. दो नदी को आपस में जोड़ने से बिच में आने वाले बहुत सारे जंगलो की कटाई हो सकती है, जिससे प्रकृति पर
प्रतिकूल प्रभाव पर सकता है|