जगद्गुरु कृपालु साहित्य_ भक्तियोग प्राधान्य विलक्षण दार्शनिक सिद्धान्त सम्बन्धी जगद्गुरु श्.pdf

KripaluJiMaharjBhakt 399 views 7 slides Oct 13, 2023
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About This Presentation

इस 'प्रेम रस सिद्धान्त' ग्रन्थ की प्रमुख विशेषता यही है कि समस्त शास्त्रीय विरोधाभासों का सुन्दर सरल भाषा में स�...


Slide Content

जगद्ग ुरुकृपालुसाहित्य :भक्तियोगप्राधान्य
विलक्षण दार्शनिकसिद्धान्त सम्बन्धी जगद्ग ुरुश्री
कृपालुजीमहाराजद्वारारचितप्रमुखमूलग्रन्थ
प्रेमरससिद्धान्त
इस'प्रेमरससिद्धान्त'ग्रन्थकीप्रमुखविशेषतायहीहैकिसमस्तशास्त्रीयविरोधाभासों
कासुन्दरसरलभाषामेंसमन्वयकियागयाहै।आचार्यचरणनेवेदोंशास्त्रोंकेप्रमाणों
केअतिरिक्तदैनिकअनुभवोंकेउदाहरणोंद्वारासर्वसाधारणकेलाभकोदृष्टिकोणमें
रखतेहुएविषयोंकानिरूपणकियाहै।वैसेतोज्ञानकीकोईसीमानहींहैफिरभीइस
छोटेसेग्रन्थमेंजीवकाचरमलक्ष्य,जीवएवंमायातथाभगवान्कास्वरूप,महापुरुष
परिचय,कर्म,ज्ञान,भक्ति,साधनाआदिकाऐसानिरूपणकियाहैजिसेजनसाधारण
भीसमझसकताहैएवंसमस्तशंकाओंकासमाधानप्राप्तकरसकताहै।
आचार्यचरणकिसीसम्प्रदायविशेषसेसम्बद्धनहींहैं।अतएवउनकेइसग्रन्थमेंसभी
आचार्योंकासम्मानकियागयाहै।निराकार,साकारब्रह्मएवंअवताररहस्यका
प्रतिपादनतोअनूठाहीहै।अन्तमेंकर्मयोगसम्बन्धीप्रतिपादनपरविशेषजोरदिया
गयाहै।क्योंकिसम्पूर्णसंसारीकार्योंकोकरतेहुएहीसंसारीलोगोंकोअपनालक्ष्यप्राप्त
करनाहै।इसग्रन्थकेविषयमेंक्यासमालोचनाकीजायबसगागरमेंसागरकेसमान
हीसम्पूर्णतत्त्वज्ञानभराहै।जिसकापात्रजितनाबड़ाहोगावहउतनाहीबड़ालाभले
सकेगा।इतनाहीनिवेदनहैकिपाठकएकबारअवश्यपढ़ें।
प्रेमरसमदिरा
आनन्दकन्दश्रीकृष्णचन्द्रकोभीक्रीतदासबनालेनेवालाउन्हींकापरमान्तरंगप्रेम
तत्त्वहैतथायहीप्रत्येकजीवकापरमचरमलक्ष्यहै।'प्रेमरसमदिरा'मेंइसकाविशद
निरूपणकियागयाहैतथाइसकीप्राप्तिकासाधनभीबतायागयाहै।इसमें१००८पदहैं
जिनमेंश्रीकृष्णकीविभिन्नलीलाओंकावर्णन,वेदशास्त्र,पुराणादिसम्मतएवंअनेक
महापुरुषोंकीवाणियोंकेमतानुसारकियागयाहै।सगुण-साकारब्रह्मकीसरसलीलाओं
कारसवैलक्षण्यविशेषरूपेणश्रीकृष्णावतारमेंहीहुआहै।अतःइनसरसपदोंकाआधार
उसीअवतारकीलीलाएँहैं।
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अर्थसहितइसपुस्तककोदोभागोमेंप्रकाशितकियागयाहै।
ब्रजरसमाधुरी
जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराजकीपुस्तकब्रजरसमाधुरीमेंउनकेद्वारारचितकाव्य,
काव्यहीनहींअपितु,उनकेदिव्यप्रेमसेओतप्रोतहृदयकीमधुर-मधुरझनकारेंहैं।जैसा
किपुस्तककेनामसेहीस्पष्टहै,दिव्यरसोंमेंसर्वश्रेष्ठब्रजरसकामाधुर्यनिर्झरित
होताहै।
ब्रजरसरसिकजगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज,रसिकशिरोमणि,रसरूपश्यामसुन्दरएवं
रससिन्धुरासेश्वरीश्रीराधारानीकीरसमयीलीलाओंकारसास्वादनसाधारणजीवोंको
भीकरानेकेलियेसदैवआतुररहतेथे।अतःनित्यनयेनयेसंकीर्तनोंद्वारा
नित्यनवायमानसंकीर्तनरसकीवर्षाकरनाउनकास्वभावथा।ब्रजरससेओतप्रोतये
सभीसंकीर्तनब्रजरसमाधुरीमेंसंकलितकियेगयेहैंजोतीनभागोंमेंप्रकाशितकीगई
है।
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राधागोविंदगीत
ग्यारहहजारएकसौग्यारहदोहोंकेरूपमें,दोभागोंमेंप्रकाशित,यहएकअद्वितीयएवं
अनुपमेयग्रन्थहै।वेद,पुराण,शास्त्रसभीकामन्थनकरकेज्ञानकेअगाधअपरिमेय
समुद्रसेआचार्यश्रीनेकुछरननिकालकरसामनेरखदियेहैं।इतनीसरलभाषाहैजो
सर्वसाधारणकोभीग्राह्यहै।वेदव्यासनेवेदोंकोसरलरूपमेंपुराणकेरूपमेंप्रकट
किया,किन्तु‘राधागोविन्दगीत'मेंतोसभीशास्त्रों,वेदोंपुराणोंकासारहै।आश्चर्यकी
बाततोयहहैकिसभीदोहेचलते-फिरतेहीहँसी-खेलमेंहीबनेहैं।भगवत्क्षेत्रसम्बन्धी
कोईभीप्रश्नऐसानहींहैजिसकाउत्तरइसमेंनहो।
सौभाग्यशालीपाठकोंकोपढ़नेपरहीज्ञातहोगाकिकितनीबड़ीज्ञान-राशिउनकेहाथमें
है,जोअगणितजन्ममाथापच्चीकरनेकेबादभीप्राप्तनहोपाती।कलियुगमेंदैहिक,
दैविक,भौतिकतापोंसेतपेहुएजीवोंकेलियेयहग्रन्थअत्यधिकउपयोगीहै।
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श्यामाश्यामगीत
ब्रजरससेआप्लावित‘श्यामाश्यामगीत'जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराजकीएकऐसी
रचनाहै,जिसकेप्रत्येकदोहेमेंरसकासमुद्रओतप्रोतहै।श्रीराधाकृष्णकीअनेकमधुर
लीलाओंकासुललितवर्णनहृदयकोसहजहीश्यामाश्यामकेप्रेमसेसराबोरकरदेताहै।
अधिकक्याकहाजाय,‘श्यामाश्यामगीत'सरलभाषा,मधुरतमभाववगेयपदावलीकी
एकऐसीत्रिवेणीहै,जिसमेंअवगाहनकरकेहीभावुकमहानुभावइसकीलोकोत्तर
रमणीयताकायत्किंचित्रसास्वादनएवंजगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराजके
'भक्तियोगरसावतार'स्वरूपकीएकझलकप्राप्तकरसकेंगे।
श्रीराधाकृष्णसम्बन्धीभक्तिमार्गीयसिद्धान्तोंसेयुक्तइसग्रन्थमें100दोहेहैं।
प्रत्येकदोहेकीव्याख्याभीलिखीगईहै।सभीशास्त्रोंवेदोंकासारइनदोहोंमेंलिखदिया
गयाहै।
भक्तिशतक
मैंकौन?मेराकौन?
आचार्यश्रीनेइसऐतिहासिकप्रवचनश्रृंखलामेंसमस्तशास्त्रोंवेदोंकाज्ञानअत्यधिक
सरलसरसभाषामेंप्रकटकरकेभारतीयवैदिकसंस्कृतिकोसदासदाकेलिए
गौरवान्वितकरदियाहैएवंभारतजिनकारणोंसेजगद्गुरुकेरूपमेंप्रतिष्ठितरहाहै
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उसकेमूलाधाररूपमेंजगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराजनेसमस्तधर्मग्रन्थोंकीदिव्य
सम्पदाकोजनसाधारणतकपहुँचाकरऋषिमुनियोंकीपरम्पराकोपुनर्जीवनप्रदान
कियाहै।
कलियुगभगवन्नाम,गुण,लीलादिसंकीर्तनहीभगवत्प्राप्तिकाएकमात्रमार्गहै।‘युगल
माधुरी'दिव्ययुगलश्रीराधाकृष्णकेनाम,गुणादिसेसम्बन्धितसंकीर्तनोंकासंग्रहहै।
युगलरस
महाभावरूपामहाशक्तिराधाएवंसर्वशक्तिमान्भगवान्श्रीकृष्णएकहीहैं।अत:‘युगल
रस'पुस्तकमेंश्रीराधाकृष्णदोनोंकीहीमधुरातिमधुरदिव्यलीलाओंकानिरूपणकिया
गयाहै।
युगलशतक
ब्रजरसमेंसराबोरकरनेवाला'युगल-शतक'एकअद्वितीयएवंअनुपमेयग्रन्थहै।इस
ग्रन्थमेंश्रीकृष्णएवंश्रीराधारानीकेपचास-पचासपदसंकलितकियेगयेहैं।
श्रीकृष्णद्वादशी
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इसपुस्तकमेंआनंदकंदसच्चिदानंदश्रीकृष्णचन्द्रकेसांगोपांगशास्त्रीयरूपध्यानका
दिग्दर्शनकरायागयाहै।प्रत्येकअंगकासौन्दर्यचित्रणइतनामनोहारीहैकिबहुतकम
प्रयाससेसाधककेमानसपटलपरश्रीकृष्णकीसजीवझाँकीअंकितहोजातीहै।अतः
प्रत्येकसाधककेलियेपरमउपयोगीहै।
श्रीराधात्रयोदशी
इसपुस्तकमेंवृषभानुनन्दिनीरासेश्वरीश्रीराधारानीकेप्रेमरससारस्वरूपविग्रहका
सांगोपांगचित्रणअत्यन्तहीआकर्षकएवंअनूठेढंगसेकियागयाहै।श्रीराधारानीके
रूपध्यानकेलिएपरमसहायकअतःभक्तिमार्गीयप्रत्येकसाधककेलिएपरमउपयोगी
है।
निष्कर्ष:
इसब्लॉगमेंहमनेजगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराजद्वारारचितउनकेमहत्वपूर्ण
साहित्यकेबारेमेंजानकारीप्रदानकीहै।उनकीप्रमुखग्रंथोंमेंसेकुछकाउल्लेखकिया
गयाहै,जोभक्ति,प्रेम,औरभगवानकेप्रतिभक्तियोगकेमहत्वपूर्णसिद्धांतोंको
सरलऔरसुंदरभाषामेंप्रस्तुतकरतेहैं।इनग्रंथोंमेंभगवानश्रीकृष्णऔरश्रीराधारानी
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केप्रेमरसकाअनुभवकियाजाताहै,जिससेसाधकोंकोभक्तिमार्गपरआगेबढ़नेका
मार्गप्राप्तहोताहै।येग्रंथभक्तियोगकेमहत्वपूर्णसिद्धांतोंकोसमझानेऔरअपनाने
मेंमददकरतेहैंऔरइन्हेंपढ़नेसेसाधकअपनेजीवनकोधार्मिकऔरआदर्शपूर्णबना
सकतेहैं।इसीतरह,श्रीकृपालुजीमहाराजकेलेखनकेमाध्यमसेवेभक्तियोगके
आदर्शऔरविचारशीलदार्शनिकसिद्धांतोंकोलोगोंतकपहुँचारहेहैं,जोसद्गुरुके
आदर्शोंकाअनुसरणकरनेकेलिएइनग्रंथोंकाअध्ययनकरसकतेहैं।
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