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mamataupadhyay1 1,206 views 9 slides May 11, 2023
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About This Presentation

existentialism ,philosophy , jyan paul satra,Martin Hedeger, neetze,freedom of choice,absurdness of life , commitment to society, Despair,Buddhist philosophy,essence, logic, science


Slide Content

अस्तित्ववाद
[Existentialism]
https://www.slideserve.com/vin/existentialism
द्वारा-डॉ.ममताउपाध्याय
प्रो.,राजनीतिविज्ञान
के.एम.कॉलेज,बादलपुर
गौतमबुद्धनगर,उत्तरप्रदेश
उद्देश्य-
●अस्तित्व वादीदर्शनकाज्ञान
●समसामयिक दौरमेआस्तित्ववादी दर्शनकीप्रासंगिकता काज्ञान
●मानवजीवनकेप्रतिसकारात्मकचिंतनकीप्रवृत्तिकाविकास

मुख्यशब्द-
अस्तित्व ,डेजन,ओवरमेन,दासनैतिकता,चयनकीस्वतंत्रता ,मानववादी
,धर्म,विज्ञान,दर्शन
अस्तित्ववाद दोविश्वयुद्धोंकेमध्यविकसित एकदार्शनिकप्रवृत्ति,विचारएवं
बौद्धिक आंदोलनहै,जिसकालक्ष्यमानवीयजीवनकेअस्तित्व कीतलाशऔर
उसेसार्थकताप्रदानकरनाहै।यहएकमानवकेंद्रितधारणाहैजोइसमूलविचार
परआधारित हैकिपृथ्वीकेसमस्तप्राणियों मेंमनुष्यअपनीचयनकीस्वतंत्रता
केकारणअनोखाहैऔरइसीकारणवहअपनेजीवनकीसार्थकतासिद्ध कर
सकताहै।यहधारणाईश्वरीय सत्तामेंविश्वासनकरकेमनुष्यकीसत्तामें
विश्वासव्यक्त करतीहै।वास्तव मेंयहमानवजीवनकोउसकेमूलरूपमें
समझनेकाप्रयत्न हैएवंप्रत्येकमनुष्यकोएकविशिष्ट पहचानकेसाथजीवन
जीनेकेलिएप्रेरितकरतीहै।यद्यपि यहएकजटिल ,अस्पष्ट एवंविरोधाभाससे
युक्तअवधारणाहैऔरइसीलिए सर्वाधिकविवादास्पद भीहै।डेनमार्ककेविचारक
सोरेनकिर्कगार्डकोअस्तित्ववाद काजनकमानाजाताहै।अन्यप्रमुख
अस्तित्ववादीविचारकहै-मार्टिनहाइडेगर,ज्यांपालसार्त्र,कार्लजैस्पर्स,मार्शल
विक्टरफ्रैंकल,अल्बर्टकामू,नीट्जेआदि।
अर्थएवंपरिभाषा-
अस्तित्ववाद अंग्रेजीके‘Existentialism’शब्द काहिंदीरूपांतरहै,जो
‘Existence’शब्दसेबनाहैजिसकातात्पर्यहै-होनायाअलगदिखना।अस्तित्व
वादियों केअनुसारकेवलमनुष्यहीऐसाप्राणीहैजोहर्षोल्लास सेपरेपृथकदिखने
कीक्षमतारखताहै।उनकेअनुसारपृथ्वीपरमनुष्यकीउपस्थिति केदोचरणहैं।
प्रथमचरणमेंवहरक्तऔरमांससेबनेएकसजीवव्यक्तिकेरूपमेंजन्मलेताहै
जिसेहेड़ेगारने‘डेजन’कहाहै।इसचरणमेंमनुष्यकाकेवलभौतिक अस्तित्व
होताहै।दूसरेचरणमेंजबव्यक्तिकोअपनीक्षमता,संभावनाऔरसत्ताकाज्ञान
होताहैतोयहीअस्तित्व कीस्थितिहै।अस्तित्व एकजागृतअवस्था हैजिसमें
मनुष्यअपनीक्षमताओंऔरसंभावनाओंकोपहचानकरआगेबढ़ताहै।हेडेगरने
इनदोनोंचरणोंमेंमनुष्यकीस्थितिको‘स्वयं’एवं‘स्वयंकेलिए’कहाहै।
मनुष्यजीवनअत्यंतजटिल हैऔरमनुष्यअपनेजीवनकाअधिकांश समय
अस्तित्व कोपहचाननेमेंनिकालदेताहै।
प्रोफेसरब्लैकहोमनेअस्तित्ववाद कोसत्तावादकादर्शनमानाहै।

डॉक्टर गणपति चंद्रगुप्तकेअनुसार‘’अस्तित्ववाद एकदृष्टिकोण है।यह
परंपरागततर्कपरआधारित दार्शनिकविचारोंकेविरुद्ध एकविद्रोहहैजोविचारों
एवंभौतिक जगतकीतार्किकव्याख्या करतेहैंतथामानवीयसत्ताकीसमस्या की
उपेक्षाकरतेहैं।’
सारत्रनेअस्तित्ववाद कोमानववादमानाहै।
प्रभाखेतानकेअनुसार,‘’अस्तित्व काअर्थहैसततप्रकटहोतेरहनाऔरअनुभूति
केसाथउभरतेरहना।इसअर्थमेंकेवलमनुष्यहीअस्तित्ववाद होताहैऔरउसे
हीअनुभूतिहोतीरहतीहैकिवहअपनीपरिस्थितियों काअतिक्रमण कररहाहै।
अतःइसविचारकेकेंद्रमेंव्यक्तिस्वयंहै।’’
ऑक्सफोर्डडिक्शनरी केअनुसार,‘’अस्तित्ववाद एकदार्शनिकसिद्धांत
अथवादृष्टिकोण हैजोएकस्वतंत्र,उत्तरदाईव्यक्तिकेअस्तित्व परजोरदेताहै
औरमनुष्यकोअपनीइच्छाएवंकार्यकेअनुसारअपनेविकासकेलिएउत्तरदाई
मानताहै।‘’
ब्रिटानिकाविश्वकोश केअनुसार,‘’अस्तित्ववाद यूरोपमें1930सेबीसवीं
शताब्दी केमध्यतकविकसित वहदर्शनहैजोदुनियामेंमनुष्यकेअस्तित्व की
व्याख्या करताहैएवंजीवनकेठोसमूल्यतथाउसकेचुनौतीपूर्णहोनेकीविशेषता
परप्रकाशडालताहै‘’
इतिहास-
अस्तित्ववाद कीजड़ेप्राचीनयूनानमेंपरमैनिटजवहेराक्लिट्ज़ ्केविचारोंमें
मिलतीहै।मध्ययुगमेंधर्मवैज्ञानिक मेस्टरएकहार्ट एवंसंतअगस्टाइन के
दर्शनमेंभीअस्तित्व वादीविचारमिलतेहैं।भारतमेंबौद्धदर्शनअस्तित्व वादी
धारणाकाएकपरिपक्वरूपप्रस्तुतकरताहै।
अस्तित्ववाद केउदयकेपीछेअनेककारणउत्तरदाईथे।
प्राचीनयूनानीदर्शनमेंप्लेटो,अरस्तुऔरसुकरातकेद्वाराआदर्शराज्य की
धारणाकाप्रतिपादन करराज्यकेमहत्व कोसम्मुखलायागया।यूरोपकादर्शन,
फ्रांसीसीक्रांति,रूसीक्रांति,औद्योगिकक्रांति,विज्ञानऔरतकनीककाबढ़ताहुआ
महत्व,विश्वयुद्धकीविभीषिका तथातानाशाहीव्यवस्था ,पूंजीवाद,साम्राज्यवाद
,आदर्शवादऔरविवेकवादआदिनेमिलकर अस्तित्ववाद केजन्म केकारण
उपस्थितकिए।दोविश्वयुद्धोंकीत्रासदी नेलोगोंमेंनिराशा,दीनता,पीड़ाऔर

कुंठाकोजन्मदियाजिसकेकारणईश्वर,धर्मऔरमानवतासेलोगोंकाविश्वास
उठगया।विज्ञानऔरतकनीककेविकासनेएकओरमनुष्यकीजीवनशैलीको
सुखमयएवंसुविधाजनक बनाया,सृष्टिएवंप्रकृतिकेअनेकरहस्यों सेपर्दा
उठायातोदूसरीओरमानवीयमूल्योंऔरप्राकृतिकपर्यावरण कोक्षतिपहुंचाई
औरयुद्धकीपरिस्थितियों कोजन्मदिया।इनसभीपरिस्थितियों ,विचारोंऔर
मान्यताओ ंमेंमनुष्यकीउपेक्षाहुई,अतःअस्तित्ववाद उनसभीवैज्ञानिक ,
राजनीतिक ,सामाजिक ,ऐतिहासिक ,आध्यात्मिक मान्यताओ ंकाविरोधकरताहै
जोव्यक्तिकोगौणस्थानप्रदानकरतेहैं।
अस्तित्ववाद कीप्रमुखमान्यताएंयासिद्धांत
1.ईश्वरीय सत्ताकेस्थानपरमानवसत्तामेंविश्वास-
अस्तित्ववाद इसदार्शनिकधारणाकेविरुद्ध हैकिसृष्टिकानिर्माणकिसी
ईश्वरनेकियाहैतथासृष्टिउसकेनियमानुसारहीसंचालित होतीहै।वेईश्वर
कीसत्ताकोकाल्पनिक बतातेहुएमनुष्यकीसत्ताकोवास्तविक बतातेहैंऔरयह
मानतेहैंकियहमनुष्यहीहैजोअपनेअस्तित्व कीअनुभूतिकरतेहुएदुनिया
केविकासमेंअपनायोगदानदेतारहाहै।अपनेअस्तित्व कोपहचाननामानव
जीवनकासर्वोच्च लक्ष्यहै।यहभारतीयदर्शनकेइससिद्धांतकेविपरीत हैजो
यहमानताहैकिमानवजीवनकालक्ष्यमोक्षअर्थात जीवन-मरणकेचक्रसे
मुक्तिहै।सारत्रनेअपनेव्याख्यान मेंकहाथाकि’अस्तित्ववाद मानववादहै।
मनुष्यपहलेअस्तित्व मेंआताहै,उसकाटकरावस्वयंसेहोताहै,दुनियामेंआगे
बढ़ताहैऔरउसकेबादस्वयंकोपरिभाषित करताहै।........मनुष्यएकअच्छा
इंसानबननेकेरास्तेकीतलाशकरताहैनकिक्रूरइंसानबननेके।’’नीटजे
मनुष्यद्वाराभीड़काअनुसरणकिएजानेकीप्रवृत्तिकेविरोधीहैऔरइसे‘दास
नैतिकता’[SlaveMorality]कीसंज्ञादेतेहैंऔरएकऐसे‘ओवरमैन’की
कल्पनाकरतेहैंजिसकेअंदरजीवनकीक्रूरचुनौतियों कासामनाकरनेकासाहस
होऔरजिसनेदासतापरआधारित पारंपरिक मूल्योंपरविजयप्राप्तकरलीहो
तथाजिसमेंअपनेजीवनकोस्वयंआकारदेनेतथाअपनेमौलिकरूपमेंबनेरहने
कीशक्तिहो।‘’
2.मनुष्यकेवैचारिक अस्तित्व कीतुलनामेंभौतिक अस्तित्व कोप्राथमिकता
प्रदानकरना-

अस्तित्ववादविचारकउसदर्शनकेभीविरुद्ध हैजोविचारतत्व,आत्मतत्वया
सारतत्वकोमनुष्यकेभौतिक अस्तित्व सेज्यादामहत्वपूर्णबतातेहैं।
हीगलऔरग्रीनकेचिंतनमेंमौजूदविश्वात्मा याशाश्वत चेतनाकीधारणा
अथवाहिंदूदर्शनमेंआत्मा-परमात्मा काविचारइसमान्यतापरआधारित हैकि
सारतत्वभौतिक अस्तित्व सेपहलेऔरप्रमुखहै।अस्तित्व वादीइसकेविपरीत
मनुष्यकेभौतिक अस्तित्व कोप्राथमिक बतातेहैंऔरयहमानतेहैंकिमनुष्य
अपनेबारेमेंजैसासोचताहै,वैसानहींहोता,बल्किवैसाहोताहैजैसावहसंकल्प
करताहै।‘’
3.चयनकीस्वतंत्रता केकारणमनुष्यकेलिएअपनेअस्तित्व कोपहचाननासंभव
-
अस्तित्व वादीविचारकों कीएकप्रमुखमान्यतायहहैकिसंसारकेसभीप्राणियों
मेंमनुष्यहीअपनेअस्तित्व कोपहचाननेऔरजीवनकीसार्थकतासिद्ध करने
कीयोग्यतारखताहैक्योंकिसिर्फउसीकेपासविभिन्नविषयोंएवंपरिस्थितियों
काचयनकरनेकीस्वतंत्रता है।विज्ञान औरतर्कजनितविभिन्न सामाजिक -
आर्थिकपरिस्थितियों नेमनुष्यकेसामनेजीवनकेअनेकरास्तेविकल्प केरूपमें
प्रस्तुतकिएहैं।यहमनुष्यकाकार्यहैकिवहइनरास्तोंमेंसेअपनेलिएऐसे
विकल्प चुनेजिसकेमाध्यम सेवहअपनेजीवनकीसार्थकतासिद्ध करसके।
मानवअस्तित्व कीसार्थकताइसबातमेंहैकिवहमानवीयमूल्योंपरआधारित
जीवनजीनेमेंकितनासक्षम होपाताहै।अपनीपुस्तक‘’बीइंगएंडनथिंगनेस’’
मेसारत्रनेयहप्रतिपादितकियाकिउसीमनुष्यकाजीवनप्रामाणिक हैजो
अपनीस्वतंत्रता काउपभोगकरतेहुएजीताहै।
4.अस्तित्व कीपहचानअनुभूतिकाविषयहै,नकितर्कका-
अस्तित्व वादीविज्ञानवाद मेंनिहित तार्किकताकाखंडनकरतेहैंऔरयहमानते
हैंकिमनुष्यअपनेवास्तविक अस्तित्व कीपहचानजीवनकीसामाजिक -
राजनीतिक -आर्थिकपरिस्थितियों केअनुभवसेकरसकताहै,नकीकिसीतार्किक
विश्लेषणकेमाध्यम से।
5.दुखएवंनिराशाकेक्षणोंमेंहीअस्तित्व कीअनुभूतिसंभव-

अस्तित्ववादी यहभीमानतेहैंकिसांसारिक जगतकीचकाचौंध मेंअक्सरमनुष्य
अपनेअस्तित्व कोभूलजाताहै,किंतुजबवहदुख,निराशाऔरअकेलेपनके
क्षणोंमेंहोताहैतोउसेअपनेअस्तित्व काएहसासहोताहैऔरवहइसमरणशील
जीवनमेंकुछसार्थककरनेकेलिएसोचताहै।
6.आधुनिकसभ्यताऔरविज्ञानकाविरोध-
विज्ञान वस्तुनिष्ठता केविचारपरआधारित हैऔरआधुनिकसभ्यता
उपभोक्तावादी संस्कृतिकोप्रोत्साहित करतीहै।इसकेविपरीत अस्तित्ववाद
व्यक्तिनिष्ठ होनेकेकारणव्यक्तिगतस्वतंत्रता कासमर्थकहै।इसीलिए
अस्तित्ववाद कोस्वतंत्रता कादर्शनभीकहाजाताहै।चूंकिआधुनिकसभ्यता-
संस्कृतिऔरविज्ञानमनुष्यकीस्वतंत्रता कोसीमित करतेहैं,इसलिए अस्तित्ववाद
उनकाविरोधीहै।
7.समस्याओ ंकेसमाधानकेबजायउनकेनिदानमेंविश्वास-
अस्तित्ववाद मानवजीवनकेसमक्षविद्यमान नानासमस्याओ ंकेसमाधानमें
विश्वासनहींरखताबल्कियहमानताहैकिसमस्याए ंऔरचुनौतियांतोजीवनका
अंगहै,अतःआवश्यकता उनकेसमाधानकीनहीं,बल्किनिदानकीहै।अर्थात
मनुष्यकोसमस्याओ ंकासामनाकरनेकाकौशलसीखनाचाहिए,नकिउन्हेंपूरी
तरहसमाप्त करनेकेप्रयासमेंसंलग्न होनाचाहिए।
8.संपूर्णविश्वकेसाथसमन्वित होकरहीअस्तित्व कीप्राप्तिसंभव-
मनुष्यअपनेअस्तित्व कीप्राप्तिसंसारकेअन्यप्राणियों सेअलगरहकरनहीं
करसकता,क्योंकिइनसभीमेंएकसाहचर्यकासंबंधहै।जबतकमनुष्यसभीके
प्रतिसंवेदनशीलबनकरस्वतंत्रता काउपभोगकरतेहुएअपनेकार्योंमेंसंलग्न नहीं
होगा,तबतकवहप्राणियों केलिएकुछसार्थककरनेमेंसक्षम नहींहोगा।सारत्रने
इसे‘LOOK’कहाहै।अर्थात मनुष्यकाजीवनकेप्रतिऐसादृष्टिकोणजिसके
अंतर्गतवहअपनेहीसमानदूसरोंकीस्वतंत्रता केमहत्व काभीअनुभवकरताहै।
यहएकप्रकारसेमनुष्यकीअपनीस्वतंत्रता परएकसीमाभीहैजोइसआधुनिक
दृष्टिकोण केसमानहैकिहमारीस्वतंत्रता कामूल्यवहींतकहैजहांतकदूसरेकी

स्वतंत्रता बाधित नहींहोती।वस्त ुतःनाजीजर्मनीद्वाराफ़्रांसपरअधिकारकिए
जानेकीघटनाऔरस्वयंयुद्धकैदीकेरूपमेंसारत्रकेअनुभवोंनेउन्हें
समूहवादी बनादियाऔरवेयहकहनेकोबाध्य हुएकिवेएकऐसेसमाजके
निर्माण केप्रतिसंवेदनशीलहैजिसमेंप्रत्येकव्यक्तिपूर्णस्वतंत्रऔरसमाजके
प्रतिपूर्णतःप्रतिबद्ध हो।
मूल्यांकन
मानवीयमूल्योंकीस्थापनापरबलदेनेकेकारणजहांएकओरअस्तित्ववाद की
प्रशंसाकीगई,वहींदूसरीओरआलोचकइसदर्शनमेंनिम्नांकित कमियांदेखतेहैं-
1.अस्तित्ववाद एकनिराशावादी दर्शनहै,जिसमेंदुखसंताप,पीड़ा,वेदनाआदि
कोमनुष्यकेअस्तित्व कीअनुभूतिकेलिएआवश्यक मानागयाहै।
अस्तित्ववादी यहमानतेहैंकिसमस्याए ं,संतापऔरविसंगतियां मानवजीवन
काहिस्साहैजिनसेमुक्तहोपानासंभवनहींहै।
2.ईश्वरकीसत्ता,तर्कवादऔरविज्ञान आदिमेंअविश्वास भीइसदर्शनको
नकारात्मक बनादेताहै,जिसकेकारणअराजकताकीस्थितिउत्पन्न होनेकी
संभावनादिखाईदेतीहै।स्पष्ट हैकिअराजकताकीस्थितिमेंकिसीप्रकारका
विकाससंभवनहींहै।
3.रामविलास शर्माअस्तित्ववाद मेंविरोधाभासकीस्थितिदेखतेहैं।एकतरफ
तोअस्तित्ववादीव्यक्तिकीआत्मनिष्ठता मेंविश्वासरखतेहैं,वहींदूसरीओर
मूल्यआधारित समाजकीस्थापनाकीबातकरतेहैं।व्यक्तिनिष्ठाऔर
समाजनिष्ठा यहदोनोंविरोधाभासीहै।
4.अस्तित्ववाद कोकोरेव्यक्तिवादी ,अहंकारवादी,विद्रोही औरउत्पातीदर्शन
केरूपमेंदेखागयाऔरसभीनकारात्मकक्रियाकलापों एवंआंदोलनोंपरइसका
प्रभावदेखागया।
5.हर्बर्टमारक्य ूसनेसारत्रकीपुस्तक‘बीइंगएण्डनथिनगन ेस’कीयहकहकर
आलोचनाकीकिइसनेजीवनमेचिंताएवंदुखकोप्रचारितकियातथाजीवनकी
निरर्थकताकाविचारप्रस्तुतकियाजिसकेकारणनिराशावादमेवृद्धिहुई।

किन्तुडॉ.शिवप्रसादसिंहनेअस्तित्ववाद केमहत्व
कोस्वीकारकरतेहुएइसेप्रत्येकदर्शनकाप्रस्थानबिंदुमानाहै।उनकेशब्दोंमें,’’
अस्तित्ववाद कीसबसेबड़ीदेनयहहैकिउसनेआजकेवातावरणमेंमनुष्यके
अपनेऔरसमाजसेहुएअलगावकोरेखांकितकिया।....अस्तित्ववाद इसकारण
प्रत्येकदर्शनकाप्रस्थानबिंदुबनजाताहैक्योंकिवहअस्तित्व दर्शनसेसंबंधित
प्रश्नोंकोइसढंगसेसामनेरखताहैकिपहलेकेसमाधानबेकारऔरव्यर्थलगने
लगतेहैं।’’अस्तित्ववादी दर्शननेड्रामा,आर्ट,साहित्य औरमनोविज्ञान आदि
सभीविधाओंकोप्रभावितकिया।फ्रांसमेंउत्तरसंरचनावादकासिद्धांत
अस्तित्ववादी दर्शनसेप्रभावित है।अस्तित्ववादियों नेसमसामयिक युगमें
तुलनात्मक पर्यावरण वादीदर्शनकोभीप्रभावितकिया।
REFERENCES &SUGGESTED READINGS
1.Barrett,William,IrrationalMan;AStudyinExistential
Philosophy
2.Camus,TheRebel
3.EncyclopaediaBritannica
4.Heidegger,LetteronHumanism
5.Kierkgard,Soren,FearandTrembling
6.Marino,Gordon,ed.[ 2004]Basic Writings of
Existentialism,NewYork,ModernLibrary
7.OxfordDictionary
8.Sartre,TheRoadstoFreedom
9.StanfordEncyclopaediaofPhilosophy,plato.stanford.edu
प्रश्न-निबंधात्मक
1.अस्तित्ववादी दर्शनपरएकनिबंधलिखें.
2.अस्तित्ववाद मनुष्यकेअस्तित्व कोपरिभाषित करनेवालादर्शनहै,विवेचना
कीजिए .
3.अस्तित्ववाद केप्रमुखसिद्धांतों अथवामान्यताओ ंकीविवेचनाकीजिए .

वस्तुनिष्ठ-
1.निम्नांकित मेंसेकौनएकअस्तित्ववादीविचारकनहींहै?
[अ]मार्टिनहाइडेगर[ब]ज्यांपालसार्त्र[स]अल्बर्टकामू[द]रॉबर्ट
नोजिक
2.अस्तित्ववाद काजनककिसेकहाजाताहै?
[अ]सोरेनकिर्कगार्ड[ब]नीट्जे[स]अल्बर्टकामू[द]कार्लjजैस्पर्स
3.‘BeingAndNothingness’नामकपुस्तककालेखककौनहै?
[अ]ज्यांपालसार्त्र[ब]हाइडेगर[स]माइकलफोकाल्ट [द]डेरिडा
4.अस्तित्ववाद केविषयमेंसत्यकथनकाचयनकीजिए।
[अ]अस्तित्ववादविज्ञानएवंतर्ककाविरोधीहै।
[ब]यहधार्मिकमान्यताओ ंकाविरोधीहै।
[स]यहमनुष्यकोस्वयंउसकेजीवनकानिर्माता मानताहै।
[द]उपर्युक्तसभीसत्यहै।
5.मनुष्यकेअस्तित्व कोओवरमैनकेरूपमेंकिसनेपरिभाषितकियाहै?
[अ]नीट्जे[ब]ज्यांपालसार्त्र[स]हाइडेगर[द]
उत्तर-1.2.अ3.अ4.द5.अद
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