रजत जयंती पीपीटी.pptx and report and articke

UddeshyaKumarSingh 6 views 25 slides Sep 09, 2025
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Slide Content

छत्तीसगढ़ राज्य गठन के 25 वें वर्ष में 25000 कुपोषित बच्चों को कुपोषण मुक्त करने का अभियान महिला एवं बाल विकास विभाग जिला-सरगुजा

कुपोषण ( Malnutrition) कुपोषण ( Malnutrition) का अर्थ है — शरीर को उसकी आवश्यकता अनुसार उचित मात्रा में पोषक तत्व ( Nutrition) नहीं मिल पाना। यह स्थिति तब होती है जब बच्चे को पर्याप्त भोजन नहीं मिलता, या जो भोजन मिलता है उसमें जरूरी पोषक तत्वों की कमी होती है । कुपोषण के प्रकार:- बच्चों में कुपोषण का मापन तीन प्रकार से किया जाता है 1. कम वजन ( Underweight): 2. दुबलापन ( Wasting): 3. नाटापन ( Stunting)

कम वजन ( Underweight) कम वजन ( Underweight): उम्र के अनुसार शरीर का वजन कम होना शारीरिक विकास में सामान्य देरी यह अक्सर   "छिपा हुआ भूख"   ( Hidden Hunger) का संकेत है आहार में सूक्ष्म पोषक तत्व की कमी होती है।

दुबलापन ( Wasting) दुबलापन ( Wasting): लंबाई के अनुपात में वजन का अत्यधिक कम होना SAM ( गंभीर तीव्र कुपोषण): मांसपेशियों व वसा का अत्यधिक क्षय जीवन के लिए खतरनाक (मृत्यु दर 9-12 गुना अधिक) MAM ( मध्यम तीव्र कुपोषण): रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी SAM बच्चों में मृत्यु दर   सामान्य बच्चों से 12 गुना अधिक   (यूनिसेफ)।

नाटापन ( Stunting) नाटापन ( Stunting) उम्र के अनुसार लंबाई का सामान्य से कम होना यह दीर्घकालिक कुपोषण ( Chronic Malnutrition) का संकेत है नाटापन एक साइलेंट इमरजेंसी है, क्योंकि इसके प्रभाव जीवनभर रहते हैं। इसलिए, समय पर पोषण और देखभाल से इसे रोका जा सकता है।

जिले में 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों के कुपोषण की जानकारी:- जिले में कुल 85583 बच्चों में 30.6% बच्चे नाटापन ( Stunted) से ग्रसित हैं 7.7% बच्चे दुबलापन ( Wasted) से ग्रसित हैं 15.4% बच्चे कम वजन ( Underweight) से ग्रसित हैं Growth Monitoring Children upto 6 years PROJECTWISE _GROWTH MONITORING VERIFICATION REPORT MONTH- JUNE 2025 S.no Project Total Active Children measured (Height & Weight) for the Month Stunting (Height-for-age) Wasting (Weight-for-height) Underweight (Weight-for-age) TOTAL Severely stunted (N) Moderately stunted (N) SAM (N) MAM (N) Severely underweight (N) Moderately underweight (N) 1 Ambikapur Gramin 12907 1320 2094 172 606 244 1333 5769 2 Ambikapur Urban 11287 1079 1635 106 290 121 654 3885 3 Batauli 6137 738 1256 177 356 197 820 3544 4 Darima Ambikapur 02 6392 942 1462 187 439 324 1129 4483 5 Lakhanpur 12147 1344 2530 257 687 336 1648 6802 6 Lundra 11703 1508 2515 295 669 305 1816 7108 7 Mainpat 8970 1118 1469 269 496 288 1020 4660 8 Sitapur 7321 706 1350 147 430 126 804 3563 9 Udaipur 8719 1372 1761 309 688 393 1633 6156 Grand Total:- 85583 10127 16072 1919 4661 2334 10857 45970

छत्तीसगढ़ राज्य गठन के 25 वें वर्ष में 25000 कुपोषित बच्चों को कुपोषण मुक्त करने का अभियान छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर , सरगुजा जिला प्रशासन ने   "25,000 कुपोषित बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने"   का लक्ष्य निर्धारित किया है । यह अभियान  15 अगस्त 2025 ( स्वतंत्रता दिवस) से 26 जनवरी 2026 ( गणतंत्र दिवस)   तक चलेगा ।

कुपोषित बच्चे का पोषण सुरक्षा कवच

कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन एवं डाटा प्रबंधन पोषण ट्रैकर से डेटा प्राप्त करना:- पोषण ट्रैकर विभागीय डिजिटल एप है जिसके माध्यम से बच्चों के वजन, ऊंचाई और पोषण स्तर से संबंधित डेटा एकत्र किया जाता है। इस डेटा को प्राप्त करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता नियमित रूप से बच्चों की माप लेते हैं और उसे ट्रैकर में दर्ज करते हैं। इस डेटा का उपयोग कुपोषण की पहचान, निगरानी और हस्तक्षेप योजनाओं के लिए किया जाता है। प्रत्येक कुपोषित बच्चे के लिए आगामी 6 महीने के वजन व ऊंचाई मापन की शीट तैयार की जायेगी जिसमें वर्तमान आंकड़े दर्ज रहेंगे। शिविर स्थलवार कुपोषित बच्चों की सूची तैयार की जायेगी ताकि बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके। नोडल अधिकारीवार कुपोषित बच्चों की सूची तैयार की जायेगी ताकि बच्चों के पोषण की निगरानी की जा सके ।

स्वास्थ्य शिविर का आयोजन अभियान के 6 माह के दौरान प्रत्येक 15 दिवस में चिन्हांकित कलस्टरों में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन स्वास्थ्य शिविर हेतु स्थल का चिन्हांकन - जनपद CEO/CMO, BMO और CDPO के द्वारा स्वास्थ्य शिविर हेतु जांच टीम का निर्धारण- CMHO , BMO के द्वारा शिविर स्थल की गतिविधियाँ: बच्चों की शारीरिक जाँच: वजन , ऊँचाई मापन एवं वृद्धि मानकों के अनुसार कुपोषण स्तर का आकलन। रक्त परीक्षण: हीमोग्लोबिन स्तर की जाँच ( रक्ताल्पता की पहचान)। चिकित्सकीय परामर्श: चिकित्सक द्वारा गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान एवं उपचार।

शिविर में की जाने वाली गतिविधियाँ दवाओं का वितरण: आयरन सिरप:  6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को साप्ताहिक। विटामिन-ए सिरप:   वार्षिक खुराक ( 6-59 माह के बच्चों को)। एल्बेंडाजोल ( कृमिनाशक ):  6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को 6 माह के अंतराल पर । ORS , Zinc एवं आवश्यकतानुसार अन्य दवाइयां । पोषण सुरक्षा कार्ड में एंट्री: चिकित्सक और ANM, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा बच्चे के पोषण और स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी की एंट्री । संदर्भित सेवाएँ ( Referral Services): गंभीर कुपोषित बच्चों ( SAM) के लिए: पोषण पुनर्वास केंद्र ( NRC)  में भर्ती। असामान्य लक्षण वाले बच्चों को:   नजदीकी CHC/ जिला अस्पताल भेजना। बाल भोज का आयोजन: शिविर में उपस्थित कुपोषित बच्चों हेतु पौष्टिक भोजन या खिचड़ी

विभिन्न विभागों का समन्वय और दायित्व कुपोषण एक बहुआयामी एवं जटिल सामाजिक-स्वास्थ्य समस्या है, जिसकी जड़ें केवल भोजन की कमी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह स्वास्थ्य, स्वच्छता, शिक्षा, आजीविका, और सामाजिक व्यवहारों से भी गहराई से जुड़ी हुई है। ऐसे में इसका समाधान किसी एकमात्र विभाग की जिम्मेदारी नहीं हो सकता। इसके प्रभावी समाधान हेतु विभिन्न विभागों के बीच सशक्त समन्वय अत्यंत आवश्यक है। महिला एवं बाल विकास विभाग स्वास्थ्य विभाग पंचायत / नगरीय निकाय विभाग स्कूल शिक्षा विभाग आदिम जाति जनजाति कल्याण विभाग

महिला एवं बाल विकास विभाग के दायित्व कुपोषण जैसी गंभीर समस्या से प्रभावी रूप से निपटने के लिए नोडल विभाग की सक्रिय और निर्णायक भूमिका आवश्यक है । इस विभाग की जिम्मेदारी न केवल योजनाओं को ज़मीनी स्तर तक पहुंचाने की है, बल्कि सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और अन्तर्विभागीय समन्वय बनाने की भी है । अभियान के लिए नोडल विभाग का दायित्व कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन एवं डेटा प्रबंधन पोषण आहार एवं सेवाओं का 100% क्रियान्वयन स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन अन्तर-विभागीय समन्वय प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण रिपोर्टिंग जिला कार्यक्रम अधिकारी से आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता स्तर तक एक कुपोषित बच्चे को गोद लेना

वर्तमान गतिविधियों का 100% क्रियान्वयन पोषण आहार का 100% वितरण । केंद्र में प्रतिदिन 3 से 6 वर्ष कुपोषित बच्चों की शत प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करना । 0 वर्ष से 6 वर्ष के सभी बच्चों का सही वजन एवं ऊंचाई मापन । सभी आंगनबाड़ी केंद्र में वजन मशीन एवं उंचाई मशीन की उपलब्धता । केंद्र एवं व्यक्तिगत स्वच्छता एवं साफ़ सफाई । चिन्हांकित कुपोषित बच्चों के घर में भेंट व पोषण पर परामर्श ।

पोषण आहार आहार आयु समूह आवृत्ति अंडा/केला, फूटे चने का सत्तू + गुड़ 6 माह - 6 वर्ष के गंभीर और मध्यम कुपोषित बच्चे प्रतिदिन (6 दिन/सप्ताह) भीगा/ अंकुरित चना 6 माह – 6 वर्ष अन्य कुपोषित बच्चे प्रतिदिन (6 दिन/सप्ताह) THR (Take Home Ration) 6 माह – 3 वर्ष के सभी कुपोषित बच्चे प्रतिदिन (6 दिन/सप्ताह) गरम भोजन (हरी सब्जियों के साथ ) 3-6 वर्ष के सभी कुपोषित बच्चे प्रतिदिन ( आंगनबाड़ी केंद्र पर 6 दिन/सप्ताह)

स्वास्थ्य विभाग के दायित्व स्वास्थ्य विभाग की सक्रिय भागीदारी कुपोषण से जूझ रहे बच्चों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाने की शक्ति रखती है। शिविरों के माध्यम से न केवल तत्काल चिकित्सा और पोषण सेवाएँ मिलती हैं, बल्कि टीकाकरण, रक्ताल्पता नियंत्रण और आवश्यक दवाइयों के वितरण जैसे प्रयास बच्चों के समग्र स्वास्थ्य में स्थायी सुधार लाते हैं। यह विभाग सीधे उस परिवर्तन का माध्यम बनता है जो कुपोषण को पीछे छोड़ बच्चों के स्वस्थ भविष्य की ओर ले जाता है। शिविर हेतु टीम(चिकित्सक, स्टाफ नर्स, ANM,मितानिन कोऑर्डिनेटर ) तैयार करना । टीम में एक शिविर स्थल में आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करना । हेल्थ पर्यवेक्षक , ANM, मितानिन को अभियान से जोड़ना । ANM, मितानिन के द्वारा कुपोषित बच्चों को गोद लेना । विटामिन-A सिरप, एल्बेंडाजोल ( कृमिनाशक )   सिरप, आयरन सिरप, ORS और जिंक एवं अन्य का वितरण । 100% टीकाकरण अभियान:   बच्चों को BCG, DPT, हेपेटाइटिस बी आदि का पूर्ण टीकाकरण। रक्ताल्पता नियंत्रण:   हीमोग्लोबिन जाँच ।

पंचायत / नगरीय निकाय विभाग के दायित्व पंचायत विभाग प्रशासन और समुदाय/ जनप्रतिनिधियों के बीच की सबसे मजबूत कड़ी है। गांव स्तर पर सरपंच, पंच और सचिव के माध्यम से न केवल अभियान का प्रचार-प्रसार प्रभावी ढंग से हो सकता है, बल्कि शिविरों का आयोजन, हितग्राहियों की भागीदारी सुनिश्चित करना और स्थानीय समन्वय भी सशक्त रूप से संभव होता है। सरपंच , पंच आदि के माध्यम से प्रचार-प्रसार और शिविर स्थल पर हितग्राहियों की उपस्थिति सुनिश्चित करना सरपंच, वार्ड पंच द्वारा कुपोषित बच्चों को गोद लेना । ग्राम पंचायत सचिव के माध्यम से ग्राम स्तरीय समन्वय करना । विभाग के अन्य अधिकारियों को अभियान से जोड़ना । NRLM के सहयोग से महिला स्व -सहायता समूहों को अभियान से जोड़ना।

स्कूल शिक्षा विभाग के दायित्व कुपोषण मुक्त अभियान में शिक्षा विभाग की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। विद्यालयों के माध्यम से बच्चों एवं समुदाय तक प्रभावी संदेश पहुँचाया जा सकता है। प्रत्येक शिक्षक , प्रधान पाठक , प्राचार्य , संकुल समन्वयक एवं शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारियों को अभियान से जोड़ना । प्रत्येक शिक्षक , प्रधान पाठक , प्राचार्य , संकुल समन्वयक के द्वारा कुपोषित बच्चों को गोद लेना । शिविर स्थल पर हितग्राहियों को भेजने में सहयोग करना ।

आदिम जाति जनजाति कल्याण विभाग के दायित्व इस अभियान में आश्रम शालाओं और छात्रावासों की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रत्येक आश्रम छात्रावास को निकटतम आंगनवाड़ी केंद्र से जोड़ा जाना चाहिए, ताकि बच्चों के पोषण स्तर की निगरानी और सुधार में सहयोग मिल सके । प्रत्येक आश्रम छात्रावास को निकटतम आंगनवाड़ी केंद्र से जोड़ना और अधीक्षकों , शिक्षकों व अन्य अधिकारियों को अभियान से जोड़ना । कुपोषित बच्चों को गोद लेना ।

प्रशिक्षण इस संवेदनशील अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु विभिन्न स्तरों पर कार्य कर रहे अधिकारियों एवं कर्मचारियों का विषयगत ज्ञान और समन्वय अत्यंत आवश्यक है । प्रशिक्षण के माध्यम से न केवल उनकी भूमिका स्पष्ट होती है, बल्कि नवीन दिशा-निर्देशों, कार्यप्रणाली और समन्वित प्रयासों की समझ भी विकसित होती है । इससे जमीनी स्तर पर कार्यों की गुणवत्ता एवं प्रभावशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। जिला स्तरीय प्रशिक्षण:   सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों एवं अभियान के नोडल अधिकारियों का त्रैमासिक प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा, जिससे अभियान की दिशा, कार्यप्रणाली और समन्वय को बेहतर किया जा सके। प्रथम प्रशिक्षण (31 जुलाई 2025 तक) द्वितीय प्रशिक्षण (अक्तूबर 2025 तक) परियोजना स्तरीय प्रशिक्षण:   इस स्तर पर संकुल समन्वयक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन एवं ANM जैसे फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को शामिल करते हुए प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा, जिससे वे जमीनी स्तर पर कार्यों का प्रभावी निष्पादन कर सकें। प्रथम प्रशिक्षण (10 अगस्त 2025 तक) द्वितीय प्रशिक्षण(अक्तूबर 2025 तक)

रिपोर्टिंग इस अभियान के अंतर्गत कुल चार प्रकार की रिपोर्टिंग की जाएगी, जिससे कार्यों की निगरानी और प्रभाव मूल्यांकन संभव हो सकेगा। पोषण सुरक्षा कार्ड के आधार पर कुपोषित बच्चे के पोषण परिवर्तन की रिपोर्ट:- इस रिपोर्ट में कुपोषित बच्चे के स्वास्थ्य और पोषण स्तर में हुए बदलावों को दर्ज किया जाएगा। इसमें निम्न जानकारियाँ शामिल होंगी: बच्चे का नाम, आयु और पता प्रारंभिक वजन, ऊंचाई और पोषण स्थिति 6 महीने के दौरान वजन वृद्धि और ऊंचाई की स्थिति और सुधार दिए गए पोषण स्वास्थ्य हस्तक्षेप (जैसे—पोषण आहार, विटामिन-A सिरप, एल्बेंडाजोल ( कृमिनाशक ), आयरन सिरप, स्वास्थ्य जांच) वर्तमान स्थिति । शिविर के आयोजन की रिपोर्ट- शिविर में उपस्थित नोडल अधिकारी और स्वास्थ्य एवं अन्य अधिकारी कर्मचारी और संसाधनों की उपलब्धता (दवाएँ, उपकरण आदि) शिविर में हितग्राहियों की उपस्थिति की रिपोर्ट । हितग्राहियों के मोबिलाइजेशन की रिपोर्ट:- हितग्राहियों को शिविर या कार्यक्रम से जोड़ने के लिए की गई गतिविधियों का विवरण ।

मूल्यांकन एवं अनुश्रवण नोडल अधिकारी एवं कर्मचारियों की जिम्मेदारी: प्रत्येक स्वास्थ्य शिविर के लिए नोडल अधिकारियों और संबंधित कर्मचारियों को स्पष्ट दायित्व सौंपे जाएंगे । पोषण सुरक्षा कार्ड में एंट्री: शिविर स्थल पर की गई स्वास्थ्य जांच और मापन (वजन/ऊंचाई) की जानकारी पोषण सुरक्षा कार्ड में तत्काल दर्ज की जाएगी । एक्सेल फॉर्मेट में एंट्री: परियोजना अधिकारी पोषण सुरक्षा कार्ड की जानकारी के आधार पर बच्चों के वजन और ऊंचाई की प्रविष्टि एक्सेल फॉर्मेट में करेंगे । मासिक डेटा विश्लेषण: Poshan Tracker के माध्यम से सभी स्तरों पर मासिक डेटा का विश्लेषण किया जाएगा तथा ग्राम पंचायत, सेक्टर व विकासखंड स्तर पर तुलनात्मक समीक्षा की जाएगी । परियोजना स्तरीय मूल्यांकन समिति को प्रस्तुतिकरण: SDM की अध्यक्षता में गठित समिति के समक्ष प्रति माह के प्रथम सप्ताह में पोषण परिवर्तन पत्रक प्रस्तुत किया जाएगा । कलेक्टर महोदय की समीक्षा बैठक: प्रत्येक माह की द्वितीय समय सीमा बैठक में कलेक्टर महोदय द्वारा अभियान की प्रगति एवं प्रभावशीलता की समीक्षा की जाएगी ।

रिपोर्टिंग,मूल्यांकन एवं अनुश्रवण दायित्व क्रमांक कार्य/दायित्व जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी समयसीमा / स्थान 1 प्रत्येक स्वास्थ्य शिविर हेतु नोडल अधिकारियों एवं कर्मचारियों की नियुक्ति ज़िला प्रशासन प्रत्येक स्वास्थ्य शिविर हेतु 2 शिविर के आयोजन की रिपोर्ट, शिविर में हितग्राहियों की उपस्थिति की रिपोर्ट हितग्राहियों के मोबिलाइजेशन की रिपोर्ट परियोजना अधिकारी शिविर समाप्ति पश्चात् 3 जांच और मापन की एंट्री पोषण सुरक्षा कार्ड में करना चिकित्सक ,ANM, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शिविर स्थल पर तत्काल 4 वजन और ऊंचाई की जानकारी एक्सेल फॉर्मेट में एंट्री परियोजना अधिकारी पाक्षिक 5 मासिक Poshan Tracker डेटा का विश्लेषण और पंचायत, सेक्टर, विकासखंडवार समीक्षा परियोजना अधिकारी, सुपरवाइज़र मासिक 6 पोषण परिवर्तन पत्रक का प्रस्तुतीकरण मूल्यांकन समिति के समक्ष परियोजना अधिकारी / सुपरवाइज़र हर माह के प्रथम सप्ताह – SDM की अध्यक्षता में 7 अभियान की प्रगति एवं प्रभावशीलता समीक्षा कलेक्टर महोदय प्रत्येक माह की द्वितीय समय सीमा बैठक

संभावित व्यय क्र . विवरण ( Description) कुल हितग्राही प्रति इकाई लागत 1 माह का व्यय 6 माह का व्यय 1 कुपोषित बच्चों के लिए अतिरिक्त पोषण(भीगा चना) 16500 3 49500 1782000 2 जिला स्तरीय प्रशिक्षण (2 सत्र) 150 100 - 300000 3 परियोजना स्तरीय प्रशिक्षण (2 सत्र) 5000 50   500000 4 पोषण सुरक्षा कार्ड 25000 25 - 625000 5 शिविर स्थल पर कुपोषित बच्चों हेतु बाल भोज(12 सत्र) 25000 10 500000 6000000 6 परिवहन एवं अन्य व्यय - - - 1500000 कुल व्यय (एक करोड़ सात लाख सात हजार रूपये ) 10707000