राजस्थान का इतिहास / rajputo ka shauraya.pptx

keshavprajapat989 19 views 6 slides May 24, 2024
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About This Presentation

Rajasthan literally derives from the Hindustani words meaning "Land of Kings". The state is home to the Thar Desert, a large dry desert that has a wide variety of plants, animals and birds. Part of the Thar Desert is protected and contained in the Desert National Park.


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राजस्थान का इतिहास राजस्थान  का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से शुरू होता है। ईसा पूर्व 3000 से 1000 के बीच यहाँ की संस्कृति सिंधु घाटी सभ्यता जैसी थी। 12वीं सदी तक राजस्थान के अधिकांश भाग पर गुर्जरों का राज्य रहा है। गुजरात तथा राजस्थान का अधिकांश भाग गुर्जरत्रा (गुर्जरों से रक्षित देश) के नाम से जाना जाता था।

आमेर का इतिहास मुगल सम्राट अकबर की सेना का नेतृत्व करने वाले महाराजा मान सिंह प्रथम ने 1592 में 11वीं सदी के किले के अवशेषों पर इसका निर्माण शुरू करवाया था । राजस्थान में छह पहाड़ी किलों के समूह के हिस्से के रूप में किले को 2013 में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट भी घोषित किया गया।

जोधपुर का इतिहास इस समृद्ध शहर का सम्पूर्ण इतिहास राठौड़ वंश के इर्द-गिर्द घूमता है। राठौड़ प्रमुख राव जोधा ने 1459 ईस्वी में जोधपुर का निर्माण किया। शहर की प्राचीन राजधानी, मण्डोर के स्थान पर जोधपुर को बनाये जाने के भी उल्लेख मिलते हैं। जोधपुर और आस पास के इलाकों के लोगों को आज भी 'मारवाड़ी' के नाम से जाना जाता है।

रणथंभौर का इतिहास ​​  रणथंभौर किला शुरू में 5वीं शताब्दी ईस्वी में यादव राजा जयंत द्वारा बनाया गया था  ।  2013 में, विश्व धरोहर समिति के 37वें सत्र में, रणथंभौर किले को, राजस्थान के 5 अन्य किलों के साथ, यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। राजस्थान के समूह पहाड़ी किले ।

चित्तौड़गढ़ का इतिहास चित्तौड़गढ़ उच्चारण (चित्तौड़, चित्तौड़, या चित्तौड़गढ़ भी) पश्चिमी भारत के राजस्थान राज्य में एक शहर और नगरपालिका है। यह बनास की एक सहायक नदी बेराच नदी पर स्थित है, और चित्तौड़गढ़ जिले का प्रशासनिक मुख्यालय और मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश की पूर्व राजधानी है। चित्तौड़गढ़ शहर गंभीरी और बेड़च नदी के तट पर स्थित है।

बीकानेर का इतिहास बीकानेर की स्थापना सन् 1488 ई. में, राठौड़ राजकुमार राव बीकाजी ने की थी। कहा जाता है कि जोधपुर महाराजा राव जोधा जी के पाँच पुत्रों मे से एक बीकाजी, अपने पिता से किसी बात पर नाराज़ हो गए और उन्होंने जोधपुर छोड़ दिया। काफी दूर यात्रा करने के बाद वह एक जंगल में आए, जिसका नाम जांगलदेश था।