hindi samas pps is simple hindi students and readers guid line for known hindi language
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Added: Jan 03, 2012
Slides: 18 pages
Slide Content
समास
समास का तातपय य
है ‘संििपीकरण’।
दो या दो से अििक शबदो से िमलकर
बने ह
ुए एक नवीन एवं साथकय शबद को
समास कहते है।
जैसे - ‘रसोई के िलए घर’
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ििरह को काटने वाला
मन से चाहा
देश से िनकाला
संदेह के िबना
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समािसक शबद
समास के िनयमो से िनिमतय शबद सामािसक
शबद कहलाता है। इसे समसतपद भी कहते
है। समास होने के बाद िवभिियो के िचह
(परसिय) लुप हो जाते है
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सामािसक शबदो के बीच के संबंि को
सपष करना समास-िवगह कहलाता है।
जैसे-राजपुत-राजा का पुत।
पूवपय द और उतरपद
समास मे दो पद (शबद) होते
है। पहले पद को पूवपय द और
दस
ूरे पद को उतरपद कहते है।
जैसे-िंिाजल। इसमे िंिा
पूवपय द और जल उतरपद है।
समास के
भेद
अवययीभाव
समास
ततपुरष
समास
दनद
समास
बह
ुवीिह
समास
िजस समास का पहला पद पिान हो और वह
अवयय हो उसे अवययीभाव समास कहते है।
जैसे - यथामित (मित के अनुसार), आमरण
(मतृ यु कर) इनमे यथा और आ अवयय है।
ततपुरष समास - िजस समास का उतरपद पिान हो और
पूवपय द िौण हो उसे ततपुरष समास कहते है। जैसे -
तुलसीदासकृत = तुलसी दारा कृत (रिचत)
िजस समास के दोनो पद पिान होते है तथा िवगह
करने पर ‘और’, अथवा, ‘या’, एवं लिता है, वह दंद
समास कहलाता है।
िजस समास के दोनो पद अपिान हो और
समसतपद के अथ य के अितिरि कोई सांके ितक
अथ य पिान हो उसे बह
ुवीिह समास कहते है।
अवययीभाव समास
अवययीभाव समास की पहचान
इसमे समसत पद अवयय बन जाता है अथातय समास होने
के बाद उसका रप कभी नहीं बदलता है। इसके साथ
िवभिि िचह भी नहीं लिता।
आजीवन - जीवन-भर
यथासामथय य- सामथय य के अनुसार
यथाशिि - शिि के अनुसार
यथािविि िविि के अनुसार
यथाकम - कम के अनुसार
भरपेट - पेट भरकर
हररोज - रोज-रोज
हाथोहाथ - हाथ ही हाथ मे
रातोरात - रात ही रात मे
पितिदन - पतयेक िदन
बेशक - शक के िबना
िनडर - डर के िबना
िनससंदेह - संदेह के िबना
पितवष य- हर वष य
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ततपुरष समास के पकार
जातवय- िवगह मे जो कारक पकट हो
उसी कारक वाला वह समास होता है।
कम य ततपुरष
ििरहकट
ििरह को काटने
वाला करण ततपुरष
मनचाहा
मन
से चाहा
संपदान
ततपुरष
रसोईघर
रसोई के िलए
घर
अपादान
ततपुरष
देशिनकाला
देश से
िनकाला
संबंध ततपुरष
गंगाजल
गंगा
का जल
अििकरण
ततपुरष
निरवास
निर मे
वास
ततपुरष समास के पकार
नञ ततपुरष समास
िजस समास मे पहला पद िनषेिातमक हो उसे
नञ ततपुरष समास कहते है।
समसत पद समास-िवगहसमसत पद समास-िवगह
असभय
अनािद
अनंत न अतं न सभय
न आिद
असंभव न संभव
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कमयिारय समास
िजस समास का उतरपद पिान हो और
पूवयiद व उतरपद मे िवशेषण-िवशेषय
अथवा उपमान-उपमेय का संबंि हो वह
कमिय ारय समास कहलाता है।
समसत पद समास-िवगह समसत पद समास-िवगह
देहलता देह रपी लता दहीबडा दही मे ड
ूबा बडा
नीलकमल
सजजन
नीला कमल
पीतांबर पीला अंबर (वस)
सत
्
(अचछा) जन
नरिसंह नरो मे िसंह के समान
ितलोक तीनो लोको का समाहार
नवगह नौ गहो का समूह
नवरात नौ राितयो का समूह
िदिु समास
िजस समास का पूवपय द संखयावाचक िवशेषण
हो उसे िदिु समास कहते है। इससे समूह
अथवा समाहार का बोि होता है।
समसत पद समास-िवगह
अठननी
आठ आनो का समहू
दोपहर
चौमासा
शताबदी
तयमबकेशर
दो पहरो का समाहार
चार मासो का समूह
सौ अबदो (वषो) का समूह
तीन लोको का ईशर
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दनद समास
समसत पद समास-िवगह
पाप-पुणय पाप और पुणय
सीता-राम सीता और राम
ऊँ च-नीच ऊँ च और नीच
अनन-जल अनन और जल
खरा-खोटा खरा और खोटा
रािा-कृषण रािा और कृषण
िजस समास के दोनो पद पिान होते है तथा
िवगह करने पर ‘और’, अथवा, ‘या’, एवं लिता है,
वह दंद समास कहलाता है।
बह
ुवीिह समास
िजस समास के दोनो पद अपिान हो और
समसतपद के अथ य के अितिरि कोई
सांकेितक अथ य पिान हो उसे बह
ुवीिह समास
कहते है।
समसत पद समास-िवगह
दशानन दश है आनन (मखु) िजसके अथातय
्रावण
नीलकं ठ नीला है कं ठ िजसका अथातय
्िशव
सलु ोचनासंदु र है लोचन िजसके अथातय ्मेघनाद की पती
कमयिारय और बह
ुवीिह समास मे
अंतर
कमिय ारय मे समसत-पद का एक पद दस
ूरे
का िवशेषण होता है। इसमे शबदाथ य पिान
होता है। जैसे - नीलकंठ = नीला कंठ। बह
ुवीिह
मे समसत पद के दोनो पदो मे िवशेषण-
िवशेषय का संबंि नहीं होता अिपतु वह
समसत पद ही िकसी अनय संजािद का
िवशेषण होता है। इसके साथ ही शबदाथ य िौण
होता है और कोई िभननाथ य ही पिान हो
जाता है। जैसे - नील+कंठ = नीला है कंठ
िजसका अथातय िशव।
संिि और समास मे
अंतर
संिि वणो मे होती है। इसमे िवभिि
या शबद का लोप नहीं होता है। जैसे -
देव+आलय = देवालय। समास दो पदो
मे होता है। समास होने पर िवभिि
या शबदो का लोप भी हो जाता है।
जैसे - माता-िपता = माता और िपता।