SAMAS PRAKARAN ( BY DR. KANAK LATA)

VivekaNand384 140 views 4 slides Jul 26, 2020
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SAMAS


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समास प्रकरण ( लघु सिद्धांत कुमौदी के अनुसार ) प्रारंभिक चरण डॉ. कनक लता ( असिस्टेंट प्रोफेसर ) संस्कृत विभाग बादलपुर स्ना महाविद्यालय

समासनम समास : अर्थात अनेक सार्थक पदों का एक पद बन जाना समास कहलाता है | समास एक संक्षेपीकरण की प्रक्रिया है | दरारन - राजा का पुत्र - ' राज पुरुष ’ समास में प्राप्त सामासिक पद के दो प्रकार से विग्रह होते है | लौकिक विग्रह - लोक में या व्यव्हार में वाक्यांश प्रयोग में यह विग्रह आता है | अलौकिक विग्रह - इसे शास्त्रीय विग्रह भी कहते है | यह पाणिनीय व्याकरण के विभक्ति प्रत्यय है जो विशिष्ट अर्थों के बोधक है | पाणिनि कृत अष्टाध्यायी में समास सम्बंधित सूत्र है – कृत्तद्धितसमासाश्च प्रातिपदिक संज्ञा हो जिससे स्पष्ट है कि समास को प्रातिपदिक कहा जाये |

पूर्व पद एवं उत्तर पद - समास दो सार्थक पदों के योग से बना है | उदहारण - राज पुरुष यहाँ दो पद है राजा + पुरुष राजा यहाँ पूर्व पद है एवं पुरुष यहाँ उत्तर पद है सह सूपा- समास हमेशा सुबन्त पद का सुबन्त पद के साथ ही होता है | यहाँ सुप का अर्थ है सुबन्त एवं सूपा का अर्थ है सुबन्तेन अतः सुबन्त पद का सुबन्त के साथ समास हो | समास में विभक्ति का लोप- कृत्तद्धितसमासाश्च से प्रातिपदिक संज्ञा होने पर सुपोधातुप्रतिपदिकाया सूत्र से (सु) (आदि) विभक्तियाँ का लोप हो जाता है |

केवल समास- किसी विशेष संज्ञा से रहित केवल समास कहलाता है | ( उदाहरण- भूतपूर्व: ) लौकिक विग्रह- पूर्वं भूतः अलौकिक विग्रह - पूर्व अम् भूत सु पूर्व अम् भूत सु - सह सूपा से समास हुआ पूर्व भी सुबन्त है भूत भी सुबन्त है | पूर्व भूत- सुपोधातुप्रतिपदिकाया से सूप का लोप हुआ | पूर्व भूत- प्रथमानिर्दिष्टम समास उपसर्जनम् सूत्र से दोनों की उपसर्जन की संज्ञा हो गयी | भूत पूर्व- उपसर्जनम् पूर्वं से पूर्व से पहले भूत आया|
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