sandigdh dravya in ras shastra and bhesajiya kalpana

adityakp1612 168 views 8 slides Aug 28, 2024
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About This Presentation

For ras shastra


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संदिग्ध द्रव्य • वेक्रांत • अग्निजार • चपल • गिरिसिंदुर • रसांजन • कंकुष्ठ • पुष्पांजन

वेक्रांत अष्ट्रासश्चाषकलक ‌षट्कोणो मश्रंगो गुरु। शुद्ध मिश्रितवर्णश्च युक्तो वैक्रांत उच्यते । Tourmaline – शोभामणि – Best Flor spar Calcium fluorite Rock crystal Magnese

चपल विशेषता वंगवद्रवते वहनौ चपलस्तेन कीर्तितः। भेद - ४ गौर: श्वेतो अरुण: कृष्णश्चपलस्त: चतुर्विधा।

रसांजन दार्वीक्वाधमजाक्षीरं पादपक्व यदा धनम् । तदा रसाउञ्जनं ख्यातं तन्नेत्रयो परमं हितम् ।।

पुष्पांजन पुष्पाञ्जन मितं चैव । रस्तर्गिनी — पीतल (CU+ZN) पीतल —∆— यशद — श्वेत वर्ण

अग्निजार समुद्रणाग्जिन क्रस्थ जरायुबहिस्जिन्त । संशुष्को भानुतापेण साइजिजार इति स्मृतः ।।

गिरिसिंदूर महागिरीषु चालपीय , पाषाणान्त स्थितो रसः । शुष्क सोण : स निर्दिष्टों गिरीसिंदूर संज्ञया ।।

कंकुष्ठ तंत्रक नलिकास्य तदन्यदेषुक मतम । पीतप्रभं गुरुश्रेष्ठ कंकुष्ठ मादीकम । श्याम पीतं लघु सक्तसत्वं नेष्ट रेनुकम् ।।
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