School readiness hindi ppt for special educators

VakilSah 0 views 3 slides Sep 26, 2025
Slide 1
Slide 1 of 3
Slide 1
1
Slide 2
2
Slide 3
3

About This Presentation

it is beneficial ppt for special educators.


Slide Content

School readiness स्कूल रेडीनेस का हिंदी में अर्थ है विद्यालय के लिए तत्परता या तैयारी। इसका मतलब है कि बच्चा शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक रूप से इस योग्य हो कि वह स्कूल के वातावरण में आसानी से ढल सके और सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग ले सके। 📚 स्कूल रेडीनेस का विस्तृत अर्थ: - सीखने की तत्परता : बच्चा नई चीजें सीखने के लिए उत्साहित हो। - अनुभव साझा करने की क्षमता : दूसरों के साथ बातचीत और सहयोग करने की योग्यता। - शैक्षिक सामग्री से जुड़ाव : किताबों, पेंसिल, चित्रों आदि में रुचि लेना। - भावनात्मक संतुलन : अपने भावों को नियंत्रित करना और सामाजिक संबंध बनाना। - स्वस्थ शारीरिक विकास : मोटर स्किल्स और आत्म-निर्भरता जैसे कपड़े पहनना, खाना खाना आदि। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, कक्षा 1 में प्रवेश लेने वाले बच्चों के लिए 12 सप्ताह का स्कूल रेडीनेस मॉड्यूल प्रस्तावित किया गया है ताकि वे औपचारिक शिक्षा के लिए सहजता से तैयार हो सकें।

🔍 कारण 📖 विवरण शैक्षिक सफलता की नींव बच्चा सीखने के लिए उत्साहित होता है और प्रारंभिक साक्षरता व गणितीय कौशल विकसित करता है। सामाजिक समायोजन बच्चा अन्य बच्चों और शिक्षकों के साथ सकारात्मक संबंध बनाना सीखता है। भावनात्मक संतुलन बच्चा अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना और समूह में कार्य करना सीखता है। स्वतंत्रता और आत्म-निर्भरता बच्चा खुद से छोटे-छोटे कार्य करना सीखता है जैसे कपड़े पहनना, खाना खाना आदि। शिक्षा में समानता वंचित वर्ग के बच्चों को भी समान अवसर मिलते हैं जिससे शिक्षा में असमानता कम होती है। विद्यालय में सहज प्रवेश बच्चा स्कूल के वातावरण में आसानी से ढल जाता है और व्यवहार संबंधी समस्याएं कम होती हैं। स्कूल रेडीनेस की आवश्यकता (Need of School Readiness)

📚 स्कूल रेडीनेस के महत्वपूर्ण बिंदु सीखने की तत्परता बच्चा नई चीज़ें सीखने के लिए उत्साहित और मानसिक रूप से तैयार होता है। भाषा और संप्रेषण कौशल मौखिक भाषा का विकास, कहानी-कविता सुनना और समझना, जिससे बच्चा अपनी बात स्पष्ट रूप से कह सके। सामाजिक और भावनात्मक विकास दूसरों के साथ मिल-जुलकर रहना, भावनाओं को समझना और नियंत्रित करना। स्वतंत्रता और आत्म-निर्भरता खुद से छोटे-छोटे काम करना जैसे कपड़े पहनना, खाना खाना, शौचालय जाना आदि। ध्वनि जागरूकता और लेखन पूर्व कौशल ध्वनियों को पहचानना, रेखाएँ खींचना, पैटर्न बनाना आदि जिससे आगे चलकर लिखने में मदद मिले। बौद्धिक विकास तुलना करना, अंतर पहचानना, अवलोकन करना जैसी क्षमताओं का विकास। शारीरिक स्वास्थ्य और मोटर स्किल्स खेल-कूद, दौड़ना, कूदना जैसी गतिविधियाँ जो बच्चे के शारीरिक विकास को बढ़ावा देती हैं। शिक्षक और अभिभावक की भूमिका शिक्षक और माता-पिता का सहयोग बच्चे को सीखने के लिए सकारात्मक वातावरण देने में अहम होता है।