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Jun 27, 2023
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About This Presentation
1008 names of lord shiva with meaning
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none
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Jun 27, 2023
Slides:
41 pages
Slide Content
Slide 1
शिवजी के 1008 नाम
क्र. नाम अर्थ
1 शिवः क�ाणस्व�प
2 हरः भक्तोंके पाप-ताप हर लेनेवाले
3 मृडः सुखदाता
4 �द्रः दुःख दूर करनेवाले
5 पुष्करः आकािस्व�प
6 पुष्पलतचनः पुष्पके समान खखले �ए नेत्रवाले
7 अशर्थग�ः प्राशर्थयतोंकत प्राप्त हतनेवाले
8 सदाचारः श्रेष्ठ आचरणवाले
9 िवथः सोंहारकारी
10 िम्ुः क�ाणशनके तन
11 महेश्वरः महान् ईश्वर
12 चन्द्रापीडः
चन्द्रमाकत शिरतभूषणके �पमें धारण
करनेवाले
13 चन्द्रमौशलः शसरपर चन्द्रमाका मुकु ट धारण करनेवाले
14 शवश्वम् सवथस्व�प
15 शवश्वम्रेश्वरः
शवश्वका भरण-पतषण करनेवाले श्रीशवष्णुके भी
ईश्वर
16 वेदान्तसारसोंदतहः
वेदान्तके सारतत्त्व सखिदानन्दमय ब्रह्मकी
साकार मूशतथ
17 कपाली हार्में कपाल धारण करनेवाले
18 नीललतशहतः
(गलेमें) नील और (िेष अोंगतोंमें) लतशहत-
वणथवाले
19 ध्यानाधारः ध्यानके आधार
20 अपररच्छे�ः देि काल और वस्तुकी सीमासे अशवभाज्य
21 गौरीभताथ गौरी अर्ाथत् पावथतीजीके पशत
22 गणेश्वरः प्रमर्गणतोंके स्वामी
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23 अष्टमूशतथः
जल, अशि, वायु, आकाि, सूयथ, चन्द्रमा, पृथ्वी
और यजमान इन आठ �पतोंवाले,
24 शवश्व मूशतथः
25 शत्रवगथस्वगथसाधनः
धमथ, अर्थ, काम तर्ा स्वगथकी प्राखप्त
करानेवाले
26 ज्ञानग�ः ज्ञानसे ही अनुभवमें आनेके यतग्य
27 दृढप्रज्ञः सुखथर्र बुखिवाले
28 देवदेवः देवताओोंके भी आराध्य
29 शत्रलतचनः सूयथ चन्द्रमा और अशि�प तीन नेत्रतोंवाले
30 वामदेवः लतकके शवपरीत स्वभाववाले देवता
31 महादेवः महान् देवता ब्रह्माशदकतोंके भी पूजनीय
32 पटुः सब कु छ करनेमें समर्थ एवों कु िल
33 पररवृढः स्वामी
34 दृढः कभी शवचशलत न हतनेवाले
35 शवश्व�पः जगत््स्व�प
36 शव�पाक्षः शवकट नेत्रवाले
37 वागीिः वाणीके अशधपशत
38 िुशचसत्तमः पशवत्र पु�षतोंमें भी सबसे श्रेष्ठ
39 सवथप्रमाणसोंवादी सम्पूणथ प्रमाणतोंमें सामोंजस्य थर्ाशपत करनेवाले
40 वृषाङ्कः अपनी ध्वजामें वृषभका शचह्न धारण करनेवाले
41 वृषवाहनः वृषभ या धमथकत वाहन बनानेवाले
42 ईिः स्वामी या िासक
43 शपनाकी शपनाक नामक धनुष धारण करनेवाले
44 खट््वाङ्गी
खाटके पायेकी आकृ शतका एक आयुध धारण
करनेवाले
45 शचत्रवेषः शवशचत्र वेषधारी
46 शचरोंतनः पुराण (अनाशद) पु�षतत्तम
47 तमतहरः अज्ञानान्धकारकत दूर करनेवाले
Slide 3
48 महायतगी महान् यतगसे सम्पन्न
49 गतप्ता रक्षक
50 ब्रह्मा सृशष्टकताथ
51 धूजथशटः जटाके भारसे युक्
52 कालकालः कालके भी काल
53 कृ शत्तवासाः
गजासुरके चमथकत व�के �पमें धारण
करनेवाले
54 सुभगः सौभाग्यिाली
55 प्रणवात्मकः ओोंकार-स्व�प अर्वा प्रणवके वाच्यार्थ
56 उन्नध्रः बन्धनरशहत
57 पु�षः अन्तयाथमी आत्मा
58 जुष्यः सेवन करनेयतग्य
59 दुवाथसाः “दुवाथसा” नामक मुशनके �पमें अवतीणथ
60 पुरिासनः तीन मायामय असुरपुरतोंका दमन करनेवाले
61 शदव्यायुधः “पािुपत” आशद शदव्य अ� धारण करनेवाले
62 स्कन्दगु�ः काशतथके यजीके शपता
63 परमेष्ठी अपनी प्रकृ ष्ट मशहमामें खथर्त रहनेवाले
64 परात्परः कारणके भी कारण
65 अनाशदमध्यशनधनः आशद मध्य और अन्तसे रशहत
66 शगरीिः कै लासके अशधपशत
67 शगररजाधवः पावथतीके पशत
68 कु बेरबन्धुः कु बेरकत अपना बन्धु (शमत्र) माननेवाले
69 श्रीक�ः �ामसुषमासे सुितशभत क�वाले
70 लतकवणोत्तमः समस्त लतकतों और वणोंसे श्रेष्ठ
71 मृदुः कतमल स्वभाववाले
72 समाशधवे�ः
समाशध अर्वा शचत्तवृशत्तयतोंके शनरतधसे
अनुभवमें आनेयतग्य
73 कतद�ी धनुधथर
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74 नीलक�ः
क�में हालाहल शवषका नील शचह्न धारण
करनेवाले
75 परश्वधी परिुधारी
76 शविालाक्षः बडे-बडे नेत्रतोंवाले
77 मृगव्याधः
वनमें व्याध या शकरातके �पमें प्रकट हत
िूकरके ऊपर बाण चलानेवाले
78 सुरेिः देवताओोंके स्वामी
79 सूयथतापनः सूयथकत भी द� देनेवाले
80 धमथधाम धमथके आश्रय
81 क्षमाक्षेत्रम् क्षमाके उत्पशत्त-थर्ान
82 भगवान्
सम्पूणथ ऐश्वयथ, धमथ, यि, श्री, ज्ञान तर्ा
वैराग्यके आश्रय,
83 भगनेत्रशभत् भगदेवताके नेत्रका भेदन करनेवाले
84 उग्रः सोंहारकालमें भयोंकर �प धारण करनेवाले
85 पिुपशतः
माया�पमें बँधे �ए पािबि पिुओों (जीवतों)-
कत तत्त्वज्ञानके द्वारा मुक् करके यर्ार्थ�पसे
उनका पालन करनेवाले
86 तार्क्ष्थः सतमपत ग�ड�प
87 शप्रयभक्ः भक्तोंसे प्रेम करनेवाले
88 परोंतपः ित्रुता रखने-वालतोंकत सोंताप देनेवाले
89 दाता दानी
90 दयाकरः दयाशनधान अर्वा कृ पा करनेवाले
91 दक्षः कु िल
92 कपदी जटाजूटधारी
93 कामिासनः कामदेवका दमन करनेवाले
94 �िानशनलयः �िानवासी
95 सूक्ष्मः इखन्द्रयातीत एवों सवथव्यापी
96 �िानथर्ः �िानभूशममें शवश्राम करनेवाले
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97 महेश्वरः महान् ईश्वर या परमेश्वर
98 लतककताथ जगत््की सृशष्ट करनेवाले
99 मृगपशतः मृगके पालक या पिुपशत
100 महाकताथ
शवराट् ब्रह्मा�की सृशष्ट करनेके समय महान्
कतृथत्वसे सम्पन्न
101 महौषशधः
भवरतगका शनवारण करनेके शलये महान्
ओषशध�प
102 उत्तरः सोंसार-सागरसे पार उतारनेवाले
103 गतपशतः
स्वगथ, पृथ्वी, पिु, वाणी, शकरण, इखन्द्रय और
जलके स्वामी,
104 गतप्ता रक्षक
105 ज्ञानग�ः तत्त्वज्ञानके द्वारा ज्ञानस्व�पसे ही जाननेयतग्य
106 पुरातनः सबसे पुराने
107 नीशतः �ायस्व�प
108 सुनीशतः उत्तम नीशतवाले
109 िुिात्मा शविुि आत्मस्व�प
110 सतमः उमासशहत
111 सतमरतः चन्द्रमापर प्रेम रखनेवाले
112 सुखी आत्मानन्दसे पररपूणथ
113 सतमपः
सतमपान करनेवाले अर्वा सतमनार्�पसे
चन्द्रमाके पालक
114 अमृतपः
समाशधके द्वारा स्व�पभूत अमृतका
आस्वादन करनेवाले
115 सौ�ः भक्तोंके शलये सौ��पधारी
116 महातेजाः महान् तेजसे सम्पन्न
117 महाद्युशतः परमकाखन्तमान्
118 तेजतमयः प्रकािस्व�प
119 अमृतमयः अमृत�प
Slide 6
120 अन्नमयः अन्न�प
121 सुधापशतः अमृतके पालक
122 अजातित्रुः
शजनके मनमें कभी शकसीके प्रशत ित्रुभाव
नहीों पैदा �आ, ऐसे समदिी,
123 आलतकः प्रकािस्व�प
124 सम्ाव्यः स�ाननीय
125 हव्यवाहनः अशिस्व�प
126 लतककरः जगत््के स्रष्टा
127 वेदकरः वेदतोंके प्रकट करनेवाले
128 सूत्रकारः
ढक्कानादके �पमें चतुदथि माहेश्वर सूत्रतोंके
प्रणेता
129 सनातनः शनत्यस्व�प
130 महशषथकशपलाचायथः साोंख्यिा�के प्रणेता भगवान् कशपलाचायथ
131 शवश्वदीखप्तः अपनी प्रभासे सबकत प्रकाशित करनेवाले
132 शत्रलतचनः तीनतों लतकतोंके द्रष्टा
133 शपनाकपाशणः हार्में शपनाक नामक धनुष धारण करनेवाले
134 भूदेवः पृथ्वीके देवता
135 स्वखस्तदः क�ाणदाता
136 स्वखस्तकृ त् क�ाणकारी
137 सुधीः शविुि बुखिवाले
138 धातृधामा शवश्वका धारण-पतषण करनेमें समर्थ तेजवाले
139 धामकरः तेजकी सृशष्ट करनेवाले
140 सवथगः सवथव्यापी
141 सवथगतचरः सबमें व्याप्त
142 ब्रह्मसृक् ब्रह्माजीके उत्पादक
143 शवश्वसृक् जगत््के स्रष्टा
144 सगथः सृशष्टस्व�प
145 कशणथकारशप्रयः कनेरके फू लकत पसोंद करनेवाले
Slide 7
146 कशवः शत्रकालदिी
147 िाखः काशतथके यके छतटे भाई िाखस्व�प
148 शविाखः
स्कन्दके छतटे भाई शविाखस्व�प अर्वा
शविाख नामक ऋशष
149 गतिाखः वेदवाणीकी िाखाओोंका शवस्तार करनेवाले
150 शिवः मोंगलमय
151 शभषगनुत्तमः
भवरतगका शनवारण करनेवाले वै�तों (ज्ञाशनयतों)-
में सवथश्रेष्ठ
152 गङ्गाप्लवतदकः
गोंगाके प्रवाह�प जलकत शसरपर धारण
करनेवाले
153 भव्यः क�ाणस्व�प
154 पुष्कलः पूणथतम अर्वा व्यापक
155
थर्पशतः ब्रह्मा��पी
भवनके शनमाथता (र्वई), ब्रह्मा��पी भवनके शनमाथता
156 खथर्रः अचोंचल अर्वा थर्ाणु�प
157 शवशजतात्मा मनकत विमें रखनेवाले
158 शवधेयात्मा
िरीर मन और इखन्द्रयतोंसे अपनी इच्छाके
अनुसार काम लेनेवाले
159 भूतवाहनसारशर्ः
पाोंचभौशतक रर् (िरीर)-का सोंचालन
करनेवाले बुखि�प सारशर्
160 सगणः प्रमर्गणतोंके सार् रहनेवाले
161 गणकायः गणस्व�प
162 सुकीशतथः उत्तम कीशतथवाले
163 शछन्नसोंियः सोंियतोंकत काट देनेवाले
164 कामदेवः
मनुष्यतोंद्वारा अशभलशषत समस्त कामनाओोंके
अशधष्ठाता परमदेव
165 कामपालः सकाम भक्तोंकी कामनाओोंकत पूणथ करनेवाले
166 भस्मतद््धूशलतशवग्रहः अपने श्रीअोंगतोंमें भस्म रमानेवाले
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167 भस्मशप्रयः भस्मके प्रेमी
168 भस्मिायी भस्मपर ियन करनेवाले
169 कामी अपने शप्रय भक्तोंकत चाहनेवाले
170 कान्तः परम कमनीय प्राणवल्लभ�प
171 कृ तागमः समस्त त�िा�तोंके रचशयता
172 समावतथः सोंसारचक्रकत भलीभाँशत घुमानेवाले
173 अशनवृत्तात्मा
सवथत्र शव�मान हतनेके कारण शजनका आत्मा
कहीोंसे भी हटा नहीों है ऐसे
174 धमथपुञ्जः धमथ या पुण्यकी राशि
175 सदाशिवः शनरन्तर क�ाणकारी
176 अक�षः पापरशहत
177 चतुबाथ�ः चार भुजाधारी
178 दुरावासः
शजन्हें यतगीजन भी बडी कशठनाईसे अपने
हृदयमखन्दरमें बसा पाते हैं ऐसे
179 दुरासदः परम दुजथय
180 दुलथभः
भखक्हीन पु�षतोंकत कशठनतासे प्राप्त
हतनेवाले
181 दुगथमः
शजनके शनकट प�ँचना शकसीके शलये भी
कशठन है ऐसे
182 दुगथः
पाप-तापसे रक्षा करनेके शलये दुगथ�प अर्वा
दुज्ञेय
183 सवाथयुधशविारदः सम्पूणथ अ�तोंके प्रयतगकी कलामें कु िल
184 अध्यात्मयतगशनलयः अध्यात्मयतगमें खथर्त
185 सुतन्तुः सुन्दर शवस्तृत जगत्-�प तन्तुवाले
186 तन्तुवधथनः जगत्-�प तन्तुकत बढ़ानेवाले
187 िुभाङ्गः सुन्दर अोंगतोंवाले
188 लतकसारङ्गः लतकसारग्राही
189 जगदीिः जगत््के स्वामी
Slide 9
190 जनादथनः भक्जनतोंकी याचनाके आलम्बन
191 भस्मिुखिकरः भस्मसे िुखिका सम्पादन करनेवाले
192 मे�ः सुमे� पवथतके समान के न्द्र�प
193 ओजस्वी तेज और बलसे सम्पन्न
194 िुिशवग्रहः शनमथल िरीरवाला
195 असाध्यः
साधन-भजनसे दूर रहनेवाले लतगतोंके शलये
अलभ्य
196 साधु-साध्यः साधन-भजनपरायण सत्पु�षतोंके शलये सुलभ
197 भृत्यमकथ ट�पधृक्
श्रीरामके सेवक वानर हनुमान््का �प धारण
करनेवाले
198 शहरण्यरेताः अशिस्व�प अर्वा सुवणथमय वीयथवाले
199 पौराणः पुराणतोंद्वारा प्रशतपाशदत
200 ररपुजीवहरः ित्रुओोंके प्राण हर लेनेवाले
201 बली बलिाली
202 महाह्रदः परमानन्दके महान् सरतवर
203 महागतथः महान् आकाि�प
204 शसिवृन्दारवखन्दतः शसितों और देवताओोंद्वारा वखन्दत
205 व्याघ्रचमाथम्बरः व्याघ्रचमथकत व�के समान धारण करनेवाले
206 व्याली सपोंकत आभूषणकी भाँशत धारण करनेवाले
207 महाभूतः
शत्रकालमें भी कभी नष्ट न हतनेवाले
महाभूतस्व�प
208 महाशनशधः सबके महान् शनवासथर्ान
209 अमृतािः
शजनकी आिा कभी शवफल न हत ऐसे
अमतघसोंकल्प
210 अमृतवपुः शजनका कलेवर कभी नष्ट न हत ऐसे
211 पाञ्चज�ः पाोंचज� नामक िोंखस्व�प
212 प्रभञ्जनः वायुस्व�प अर्वा सोंहारकारी
Slide 10
213 पञ्चशवोंिशततत्त्वथर्ः
प्रकृ शत, महत्तत्त्व (बुखि), अहोंकार, चक्षु, श्रतत्र,
घ्राण, रसना, त्वक्, वाक्, पाशण, पायु, पाद,
उपथर्, मन, िब्द, स्पिथ, �प, रस, गन्ध,
पृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाि इन
चौबीस जड तत्त्वतोंसशहत पचीसवें
चेतनतत्त्वपु�षमें व्याप्त,
214 पाररजातः याचकतोंकी इच्छा पूणथ करनेमें कल्पवृक्ष�प
215 परावरः कारण-कायथ�प
216 सुलभः
शनत्य-शनरन्तर शचन्तन करनेवाले एकशनष्ठ
श्रिालु भक्कत सुगमतासे प्राप्त हतनेवाले
217 सुव्रतः उत्तम व्रतधारी
218 िूरः िौयथसम्पन्न
219 ब्रह्म-वेदशनशधः ब्रह्मा और वेदके प्रादुभाथवके थर्ान
220 शनशधः जगत्-�पी रत्नके उत्पशत्तथर्ान
221 वणाथश्रमगु�ः वणों और आश्रमतोंके गु� (उपदेष्टा)
222 वणी ब्रह्मचारी
223 ित्रुशजत् अन्धकासुर आशद ित्रुओोंकत जीतनेवाले
224 ित्रुतापनः ित्रुओोंकत सोंताप देनेवाले
225 आश्रमः सबके शवश्रामथर्ान
226 क्षपणः ज�-मरणके कष्टका मूलतच्छेद करनेवाले
227 क्षामः प्रलयकालमें प्रजाकत क्षीण करनेवाले
228 ज्ञानवान् ज्ञानी
229 अचलेश्वरः पवथततों अर्वा थर्ावर पदार्ोंके स्वामी
230 प्रमाणभूतः शनत्यशसि प्रमाण�प
231 दुज्ञेयः कशठनतासे जाननेयतग्य
232 सुपणथः वेदमय सुन्दर पोंखवाले ग�ड�प
233 वायुवाहनः अपने भयसे वायुकत प्रवाशहत करनेवाले
234 धनुधथरः शपनाकधारी
Slide 11
235 धनुवेदः धनुवेदके ज्ञाता
236 गुणराशिः अनन्त क�ाणमय गुणतोंकी राशि
237 गुणाकरः सद््गुणतोंकी खाशन
238 सत्यः सत्यस्व�प
239 सत्यपरः सत्यपरायण
240 अदीनः दीनतासे रशहत
241 धमाथङ्गः धमथमय शवग्रहवाले
242 धमथसाधनः धमथका अनुष्ठान करनेवाले
243 अनन्तदृशष्टः असीशमत दृशष्टवाले
244 आनन्दः परमानन्दमय
245 द�ः दुष्टतोंकत द� देनेवाले अर्वा द�स्व�प
246 दमशयता दुदाथन्त दानवतोंका दमन करनेवाले
247 दमः दमनस्व�प
248 अशभवा�ः प्रणाम करनेयतग्य
249 महामायः मायाशवयतोंकत भी मतहनेवाले महामायावी
250 शवश्वकमथशविारदः सोंसारकी सृशष्ट करनेमें कु िल
251 वीतरागः पूणथतया शवरक्
252 शवनीतात्मा
मनसे शवनयिील अर्वा मनकत विमें
रखनेवाले
253 तपस्वी तपस्यापरायण
254 भूतभावनः सम्पूणथ भूततोंके उत्पादक एवों रक्षक
255 उ�त्तवेषः पागलतोंके समान वेष धारण करनेवाले
256 प्रच्छन्नः मायाके पदेमें शछपे �ए
257 शजतकामः कामशवजयी
258 अशजतशप्रयः भगवान् शवष्णुके प्रेमी
259 क�ाणप्रकृ शतः क�ाणकारी स्वभाववाले
260 कल्पः समर्थ
261 सवथलतकप्रजापशतः सम्पूणथ लतकतोंकी प्रजाके पालक
Slide 12
262 तरस्वी वेगिाली
263 तारकः उिारक
264 धीमान् शविुि बुखिसे युक्
265 प्रधानः सबसे श्रेष्ठ
266 प्रभुः सवथसमर्थ
267 अव्ययः अशवनािी
268 लतकपालः समस्त लतकतोंकी रक्षा करनेवाले
269 अन्तशहथतात्मा अन्तयाथमी आत्मा अर्वा अदृ� स्व�पवाले
270 कल्पाशदः कल्पके आशदकारण
271 कमलेक्षणः कमलके समान नेत्रवाले
272 वेदिा�ार्थतत्त्वज्ञः
वेदतों और िा�तोंके अर्थ एवों तत्त्वकत
जाननेवाले
273 अशनयमः शनय�णरशहत
274 शनयताश्रयः सबके सुशनशित आश्रयथर्ान
275 चन्द्रः चन्द्रमा�पसे आह्लादकारी
276 सूयथः सबकी उत्पशत्तके हेतुभूत सूयथ
277 िशनः िनैिर�प
278 के तुः के तु नामक ग्रहस्व�प
279 वराङ्गः सुन्दर िरीरवाले
280 शवद्रुमच्छशवः मूँगेकी-सी लाल काखन्तवाले
281 भखक्व�ः भखक्के द्वारा भक्के विमें हतनेवाले
282 परब्रह्म परमात्मा
283 मृगबाणापथणः मृग�पधारी यज्ञपर बाण चलानेवाले
284 अनघः पापरशहत
285 अशद्रः कै लास आशद पवथतस्व�प
286 अद्र््यालयः
कै लास और मन्दर आशद पवथततोंपर शनवास
करनेवाले
287 कान्तः सबके शप्रयतम
Slide 13
288 परमात्मा परब्रह्म परमेश्वर
289 जगद््गु�ः समस्त सोंसारके गु�
290 सवथकमाथलयः सम्पूणथ कमोंके आश्रयथर्ान
291 तुष्टः सदा प्रसन्न
292 मङ्ग�ः मोंगलकारी
293 मङ्गलावृतः मोंगलकाररणी िखक्से सोंयुक्
294 महातपाः महान् तपस्वी
295 दीघथतपा दीघथकालतक तप करनेवाले
296 थर्शवष्ठः अत्यन्त थर्ूल
297 थर्शवरत ध्रुवः अशत प्राचीन एवों अत्यन्त खथर्र
298 अहःसोंवत्सरः
शदन एवों सोंवत्सर आशद काल�पसे खथर्त
अोंि-कालस्व�प
299 व्याखप्तः व्यापकतास्व�प
300 प्रमाणम् प्रत्यक्षाशद प्रमाणस्व�प
301 परमों तपः उत्कृ ष्ट तपस्या-स्व�प
302 सोंवत्सरकरः सोंवत्सर आशद कालशवभागके उत्पादक
303 म�-प्रत्ययः वेद आशद म�तोंसे प्रतीत (प्रत्यक्ष) हतनेयतग्य
304 सवथदिथनः सबके साक्षी
305 अजः अज�ा
306 सवेश्वरः सबके िासक
307 शसिः शसखियतोंके आश्रय
308 महारेताः श्रेष्ठ वीयथवाले
309 महाबलः प्रमर्गणतोंकी महती सेनासे सम्पन्न
310 यतगी यतग्यः सुयतग्य यतगी
311 महातेजाः महान् तेजसे सम्पन्न
312 शसखिः समस्त साधनतोंके फल
313 सवाथशदः सब भूततोंके आशदकारण
314 अग्रहः इखन्द्रयतोंकी ग्रहणिखक्के अशवषय
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315 वसुः सब भूततोंके वासथर्ान
316 वसुमनाः उदार मनवाले
317 सत्यः सत्यस्व�प
318 सवथपापहरत हरः
समस्त पापतोंका अपहरण करनेके कारण हर
नामसे प्रशसि
319 सुकीशतथितभनः उत्तम कीशतथसे सुितशभत हतनेवाले
320 श्रीमान् शवभूशतस्व�पा उमासे सम्पन्न
321 वेदाङ्गः वेद�प अोंगतोंवाले
322 वेदशव�ुशनः वेदतोंका शवचार करनेवाले मननिील मुशन
323 भ्राशजष्णुः एकरस प्रकािस्व�प
324 भतजनम् ज्ञाशनयतोंद्वारा भतगनेयतग्य अमृतस्व�प
325 भतक्ा पु�ष�पसे उपभतग करनेवाले
326 लतकनार्ः भगवान् शवश्वनार्
327 दुराधरः
अशजतेखन्द्रय पु�षतोंद्वारा शजनकी आराधना
अत्यन्त कशठन है
328 अमृतः िाश्वतः सनातन अमृतस्व�प
329 िान्तः िाखन्तमय
330 बाणहस्तः प्रतापवान् हार्में बाण धारण करनेवाले प्रतापी वीर
331 कम�लुधरः कम�लु धारण करनेवाले
332 धन्वी शपनाकधारी
333 अवाङ््मनसगतचरः मन और वाणीके अशवषय
334 अतीखन्द्रयत महामायः इखन्द्रयातीत एवों महामायावी
335 सवाथवासः सबके वासथर्ान
336 चतुष्पर्ः चारतों पु�षार्ोंकी शसखिके एकमात्र मागथ
337 कालयतगी
प्रलयके समय सबकत कालसे सोंयुक्
करनेवाले
338 महानादः
गम्ीर िब्द करनेवाले अर्वा अनाहत
नाद�प
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339 महतत्साहत महाबलः महान् उत्साह और बलसे सम्पन्न
340 महाबुखिः श्रेष्ठ बुखिवाले
341 महावीयथः अनन्त पराक्रमी
342 भूतचारी भूतगणतोंके सार् शवचरनेवाले
343 पुरोंदरः शत्रपुरसोंहारक
344 शनिाचरः राशत्रमें शवचरण करनेवाले
345 प्रेतचारी प्रेततोंके सार् भ्रमण करनेवाले
346 महािखक्मथहाद्युशतः अनन्तिखक् एवों श्रेष्ठ काखन्तसे सम्पन्न
347 अशनदे�वपुः अशनवथचनीय स्व�पवाले
348 श्रीमान् ऐश्वयथवान्
349 सवाथचायथमनतगशतः सबके शलये अशवचायथ मनतगशतवाले
350 ब�श्रुतः ब�ज्ञ अर्वा सवथज्ञ
351 अमहामायः
बडी-से-बडी माया भी शजनपर प्रभाव नहीों
डाल सकती ऐसे
352 शनयतात्मा मनकत विमें रखनेवाले
353 ध्रुवतऽध्रुवः
ध्रुव (शनत्य कारण) और अध्रुव (अशनत्यकायथ)-
�प
354 ओजस्तेजतद्युशतधरः
ओज (प्राण और बल), तेज (िौयथ आशद गुण)
तर्ा ज्ञानकी दीखप्तकत धारण करनेवाले,
355 जनकः सबके उत्पादक
356 सवथिासनः सबके िासक
357 नृत्यशप्रयः नृत्यके प्रेमी
358 शनत्यनृत्यः प्रशतशदन ता�व नृत्य करनेवाले
359 प्रकािात्मा प्रकािस्व�प
360 प्रकािकः सूयथ आशदकत भी प्रकाि देनेवाले
361 स्पष्टाक्षरः ओोंकार�प स्पष्ट अक्षरवाले
362 बुधः ज्ञानवान्
363 म�ः ऋक्, साम और यजुवेदके म�स्व�प,
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364 समानः सबके प्रशत समान भाव रखनेवाले
365 सारसम्प्प्लवः सोंसारसागरसे पार हतनेके शलये नौका�प
366 युगाशदकृ द्युगावतथः
युगाशदका आरम् करनेवाले तर्ा चारतों
युगतोंकत चक्रकी तरह घुमानेवाले
367 गम्ीरः गाम्ीयथसे युक्
368 वृषवाहनः नन्दी नामक वृषभपर सवार हतनेवाले
369 इष्टः परमानन्दस्व�प हतनेसे सवथशप्रय
370 अशवशिष्टः सम्पूणथ शविेषणतोंसे रशहत
371 शिष्टेष्टः शिष्ट पु�षतोंके इष्टदेव
372 सुलभः
अन�शचत्तसे शनरन्तर स्मरण करनेवाले
भक्तोंके शलये सुगमतासे प्राप्त हतनेयतग्य
373 सारितधनः सारतत्त्वकी खतज करनेवाले
374 तीर्थ�पः तीर्थस्व�प
375 तीर्थनामा
तीर्थनामधारी अर्वा शजनका नाम भवसागरसे
पार लगानेवाला है ऐसे
376 तीर्थदृ�ः
तीर्थसेवनसे अपने स्व�पका दिथन
करानेवाले अर्वा गु�-कृ पासे प्रत्यक्ष हतनेवाले
377 तीर्थदः चरणतदक स्व�प तीर्थकत देनेवाले
378 अपाोंशनशधः जलके शनधान समुद्र�प
379 अशधष्ठानम्
उपादान-कारण�पसे सब भूततोंके आश्रय
अर्वा जगत्-�प प्रपोंचके अशधष्ठान
380 दुजथयः शजनकत जीतना कशठन है ऐसे
381 जयकालशवत् शवजयके अवसरकत समझनेवाले
382 प्रशतशष्ठतः अपनी मशहमामें खथर्त
383 प्रमाणज्ञः प्रमाणतोंके ज्ञाता
384 शहरण्यकवचः सुवणथमय कवच धारण करनेवाले
385 हररः श्रीहररस्व�प
386 शवमतचनः सोंसारबन्धनसे सदाके शलये छुडा देनेवाले
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387 सुरगणः देवसमुदाय�प
388 शव�ेिः सम्पूणथ शव�ाओोंके स्वामी
389 शवन्दुसोंश्रयः शबन्दु�प प्रणवके आश्रय
390 बाल�पः बालकका �प धारण करनेवाले
391 अबलत�त्तः बलसे उ�त्त न हतनेवाले
392 अशवकताथ शवकाररशहत
393 गहनः दुबोधस्व�प या अग�
394 गुहः
मायासे अपने यर्ार्थ स्व�पकत शछपाये
रखनेवाले
395 करणम् सोंसारकी उत्पशत्तके सबसे बडे साधन
396 कारणम् जगत््के उपादान और शनशमत्त कारण
397 कताथ सबके रचशयता
398 सवथबन्धशवमतचनः सम्पूणथ बन्धनतोंसे छुडानेवाले
399 व्यवसायः शनियात्मक ज्ञानस्व�प
400 व्यवथर्ानः सम्पूणथ जगत््की व्यवथर्ा करनेवाले
401 थर्ानदः
ध्रुव आशद भक्तोंकत अशवचल खथर्शत प्रदान
कर देनेवाले
402 जगदाशदजः
शहरण्यगभथ�पसे जगत््के आशदमें प्रकट
हतनेवाले
403 गु�दः
श्रेष्ठ वस्तु प्रदान करनेवाले अर्वा
शजज्ञासुओोंकत गु�की प्राखप्त करानेवाले
404 लशलतः सुन्दर स्व�पवाले
405 अभेदः भेदरशहत
406 भावात्माऽऽत्मशन सोंखथर्तः सत्स्व�प आत्मामें प्रशतशष्ठत
407 वीरेश्वरः वीरशिरतमशण
408 वीरभद्रः वीरभद्र नामक गणाध्यक्ष
409 वीरासनशवशधः वीरासनसे बैठनेवाले
410 शवराट् अखखलब्रह्मा�स्व�प
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411 वीरचूडामशणः वीरतोंमें श्रेष्ठ
412 व्यर्थ वेत्ता शवद्वान्
413 शचदानन्दः शवज्ञानानन्दस्व�प
414 नदीधरः मस्तकपर गोंगाजीकत धारण करनेवाले
415 आज्ञाधारः आज्ञाका पालन करनेवाले
416 शत्रिूली शत्रिूलधारी
417 शिशपशवष्टः तेजतमयी शकरणतोंसे व्याप्त
418 शिवालयः भगवती शिवाके आश्रय
419 वालखख�ः वालखख� ऋशष�प
420 महाचापः महान् धनुधथर
421 शतग्ाोंिुः सूयथ�प
422 बशधरः लौशकक शवषयतोंकी चचाथ न सुननेवाले
423 खगः आकािचारी
424 अशभरामः परम सुन्दर
425 सुिरणः सबके शलये सुन्दर आश्रय�प
426 सुब्रह्मण्यः ब्राह्मणतोंके परम शहतैषी
427 सुधापशतः अमृतकलिके रक्षक
428 मघवान् कौशिकः कु शिकवोंिीय इन्द्रस्व�प
429 गतमान् प्रकािशकरणतोंसे युक्
430 शवरामः समस्त प्राशणयतोंके लयके थर्ान
431 सवथसाधनः समस्त कामनाओोंकत शसि करनेवाले
432 ललाटाक्षः ललाटमें तीसरा नेत्र धारण करनेवाले
433 शवश्वदेहः जगत्स्व�प
434 सारः सारतत्त्व�प
435 सोंसारचक्रभृत् सोंसारचक्रकत धारण करनेवाले
436 अमतघद�ः शजनका द� कभी व्यर्थ नहीों जाता है ऐसे
437 मध्यथर्ः उदासीन
438 शहरण्यः सुवणथ अर्वा तेजःस्व�प
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439 ब्रह्मवचथसी ब्रह्मतेजसे सम्पन्न
440 परमार्थः मतक्ष�प उत्कृ ष्ट अर्थकी प्राखप्त करानेवाले
441 परत मायी महामायावी
442 िम्बरः क�ाणप्रद
443 व्याघ्रलतचनः व्याघ्रके समान भयानक नेत्रतोंवाले
444 �शचः दीखप्त�प
445 शवरशञ्चः ब्रह्मस्व�प
446 स्वबथन्धुः स्वलोकमें बन्धुके समान सुखद
447 वाचस्पशतः वाणीके अशधपशत
448 अहपथशतः शदनके स्वामी सूयथ�प
449 रशवः समस्त रसतोंका ितषण करनेवाले
450 शवरतचनः शवशवध प्रकारसे प्रकाि फै लानेवाले
451 स्कन्दः स्वामी काशतथके य�प
452 िास्ता वैवस्वतत यमः सबपर िासन करनेवाले सूयथकु मार यम
453 युखक्�न्नतकीशतथः
अष्टाोंगयतग-स्व�प तर्ा ऊध्वथलतकमें फै ली
�ई कीशतथसे युक्
454 सानुरागः भक्जनतोंपर प्रेम रखनेवाले
455 परञ्जयः दूसरतोंपर शवजय पानेवाले
456 कै लासाशधपशतः कै लासके स्वामी
457 कान्तः कमनीय अर्वा काखन्तमान्
458 सशवता समस्त जगत््कत उत्पन्न करनेवाले
459 रशवलतचनः सूयथ�प नेत्रवाले
460 शवद्वत्तमः शवद्वानतोंमें सवथश्रेष्ठ परम शवद्वान्
461 वीतभयः सब प्रकारके भयसे रशहत
462 शवश्वभताथ जगत््का भरण-पतषण करनेवाले
463 अशनवाररतः शजन्हें कतई रतक नहीों सकता ऐसे
464 शनत्यः सत्यस्व�प
465 शनयतक�ाणः सुशनशित�पसे क�ाणकारी
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466 पुण्यश्रवणकीतथनः
शजनके नाम, गुण, मशहमा और स्व�पके
श्रवण तर्ा कीतथन परम पावन हैं, ऐसे
467 दूरश्रवाः
सवथव्यापी हतनेके कारण दूरकी बात भी सुन
लेनेवाले
468 शवश्वसहः
भक्जनतोंके सब अपराधतोंकत कृ पापूवथक सह
लेनेवाले
469 ध्येयः ध्यान करनेयतग्य
470 दुःस्वप्ननािनः
शचन्तन करनेमात्रसे बुरे स्वप्नतोंका नाि
करनेवाले
471 उत्तारणः सोंसारसागरसे पार उतारनेवाले
472 दुष्कृ शतहा पापतोंका नाि करनेवाले
473 शवज्ञेयः जाननेके यतग्य
474 दुस्सहः
शजनके वेगकत सहन करना दूसरतोंके शलये
अत्यन्त कशठन है ऐसे
475 अभवः सोंसारबन्धनसे रशहत अर्वा अज�ा
476 अनाशदः
शजनका कतई आशद नहीों है ऐसे सबके
कारणस्व�प
477 भूभुथवत लक्ष्मीः भूलोक और भुवलोककी ितभा
478 शकरीटी मुकु टधारी
479 शत्रदिाशधपः देवताओोंके स्वामी
480 शवश्वगतप्ता जगत््के रक्षक
481 शवश्वकताथ सोंसारकी सृशष्ट करनेवाले
482 सुवीरः श्रेष्ठ वीर
483 �शचराङ्गदः सुन्दर बाजूबोंद धारण करनेवाले
484 जननः प्राशणमात्रकत ज� देनेवाले
485 जनज�ाशदः ज� लेने-वालतोंके ज�के मूल कारण
486 प्रीशतमान् प्रसन्न
487 नीशतमान् सदा नीशतपरायण
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488 धवः सबके स्वामी
489 वशसष्ठः
मन और इखन्द्रयतोंकत अत्यन्त विमें रखनेवाले
अर्वा वशसष्ठ ऋशष�प
490 क�पः द्रष्टा अर्वा क�प मुशन�प
491 भानुः प्रकािमान अर्वा सूयथ�प
492 भीमः दुष्टतोंकत भय देनेवाले
493 भीमपराक्रमः अशतिय भयदायक पराक्रमसे युक्
494 प्रणवः ओोंकारस्व�प
495 सत्पर्ाचारः सत्पु�षतोंके मागथपर चलनेवाले
496 महाकतिः
अन्नमयाशद पाँचतों कतितोंकत अपने भीतर धारण
करनेके कारण महाकति�प
497 महाधनः
अपररशमत ऐश्वयथवाले अर्वा कु बेरकत भी धन
देनेके कारण महाधनवान्
498 ज�ाशधपः ज� (उत्पादन)-�पी कायथके अध्यक्ष ब्रह्मा
499 महादेवः सवोत्कृ ष्ट देवता
500 सकलागमपारगः समस्त िा�तोंके पारोंगत शवद्वान्
501 तत्त्वम् यर्ार्थ तत्त्व�प
502 तत्त्वशवत् यर्ार्थ तत्त्वकत पूणथतया जाननेवाले
503 एकात्मा अशद्वतीय आत्म�प
504 शवभुः सवथत्र व्यापक
505 शवश्वभूषणः
सम्पूणथ जगत््कत उत्तम गुणतोंसे शवभूशषत
करनेवाले
506 ऋशषः म�द्रष्टा
507 ब्राह्मणः ब्रह्मवेत्ता
508 ऐश्वयथज�मृत्युजराशतगः ऐश्वयथ, ज�, मृत्यु और जरासे अतीत
509 पञ्चयज्ञसमुत्पशत्तः पोंच महायज्ञतोंकी उत्पशत्तके हेतु
510 शवश्वेिः शवश्वनार्
511 शवमलतदयः शनमथल अभ्युदयकी प्राखप्त करानेवाले धमथ�प
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512 आत्मयतशनः स्वयम्ू
513 अना�न्तः आशद-अन्तसे रशहत
514 वत्सलः भक्तोंके प्रशत वात्स�-स्नेहसे युक्
515 भक्लतकधृक् भक्जनतोंके आश्रय
516 गायत्रीवल्लभः गायत्रीम�के प्रेमी
517 प्राोंिुः ऊँ चे िरीरवाले
518 शवश्वावासः सम्पूणथ जगत््के आवासथर्ान
519 प्रभाकरः सूयथ�प
520 शििुः बालक�प
521 शगरररतः कै लास पवथतपर रमण करनेवाले
522 सम्राट् देवेश्वरतोंके भी ईश्वर
523 सुषेणः सुरित्रुहा
प्रमर्गणतोंकी सुन्दर सेनासे युक् तर्ा
देवित्रुओोंका सोंहार करनेवाले
524 अमतघतऽररष्टनेशमः अमतघ सोंकल्पवाले महशषथ क�प�प
525 कु मुदः भूतलकत आह्लाद प्रदान करनेवाले चन्द्रमा�प
526 शवगतज्वरः शचन्तारशहत
527 स्वयोंज्यतशतस्तनुज्यतशतः
अपने ही प्रकािसे प्रकाशित हतनेवाले
सूक्ष्मज्यतशतःस्व�प
528 आत्मज्यतशतः अपने स्व�पभूत ज्ञानकी प्रभासे प्रकाशित
529 अचञ्चलः चोंचलतासे रशहत
530 शपङ्गलः शपोंगलवणथवाले
531 कशपल�श्रुः
कशपल वणथकी दाढ़ी-मूँछ रखनेवाले दुवाथसा
मुशनके �पमें अवतीणथ
532 भालनेत्रः ललाटमें तृतीय नेत्र धारण करनेवाले
533 त्रयीतनुः तीनतों लतक या तीनतों वेद शजनके स्व�प हैं ऐसे
534 ज्ञानस्कन्दत महानीशतः ज्ञानप्रद और श्रेष्ठ नीशतवाले
535 शवश्वतत्पशत्तः जगत््के उत्पादक
536 उपप्लवः सोंहारकारी
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537 भगत शववस्वानाशदत्यः अशदशतनन्दन भग एवों शववस्वान्
538 यतगपारः यतगशव�ामें पारोंगत
539 शदवस्पशतः स्वगथलतकके स्वामी
540 क�ाणगुणनामा क�ाणकारी गुण और नामवाले
541 पापहा पापनािक
542 पुण्यदिथनः
पुण्यजनक दिथनवाले अर्वा पुण्यसे ही
शजनका दिथन हतता है ऐसे
543 उदारकीशतथः उत्तम कीशतथवाले
544 उ�तगी उ�तगिील
545 स�तगी श्रेष्ठ यतगी
546 सदस�यः सदसत्स्व�प
547 नक्षत्रमाली नक्षत्रतोंकी मालासे अलोंकृ त आकाि�प
548 नाके िः स्वगथके स्वामी
549 स्वाशधष्ठानपदाश्रयः स्वाशधष्ठान चक्रके आश्रय
550 पशवत्रः पापहारी शनत्य िुि एवों पापनािक
551 मशणपूरः मशणपूर नामक चक्रस्व�प
552 नभतगशतः आकािचारी
553 हृत्पु�रीकमासीनः हृदयकमलमें खथर्त
554 िक्रः इन्द्र�प
555 िान्तः िान्त-स्व�प
556 वृषाकशपः हररहर
557 उष्णः हालाहल शवषकी गमीसे उष्णतायुक्
558 गृहपशतः समस्त ब्रह्मा��पी गृहके स्वामी
559 कृ ष्णः सखिदानन्दस्व�प
560 समर्थः सामर्थ्थिाली
561 अनर्थनािनः अनर्थका नाि करनेवाले
562 अधमथित्रुः अधमथनािक
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563 अज्ञेयः
बुखिकी प�ँचसे परे अर्वा जाननेमें न
आनेवाले
564 पु��तः पु�श्रुतः ब�त-से नामतोंद्वारा पुकारे और सुने जानेवाले
565 ब्रह्मगभथः ब्रह्मा शजनके गभथथर् शििुके समान है ऐसे
566 बृहद््गभथः
शवश्वब्रह्मा� प्रलयकालमें शजनके गभथमें रहता
है ऐसे
567 धमथधेनुः
धमथ�पी वृषभकत उत्पन्न करनेके शलये
धेनुस्व�प
568 धनागमः अनकी प्राखप्त करानेवाले
569 जगखितैषी समस्त सोंसारका शहत चाहनेवाले
570 सुगतः उत्तम ज्ञानसे सम्पन्न अर्वा बुिस्व�प
571 कु मारः काशतथके य�प
572 कु िलागमः क�ाणदाता
573 शहरण्यवणो ज्यतशतष्मान् सुवणथके समान गौरवणथवाले तर्ा तेजस्वी
574 नानाभूतरतः नाना प्रकारके भूततोंके सार् क्रीडा करनेवाले
575 ध्वशनः नादस्व�प
576 अरागः आसखक्िू�
577 नयनाध्यक्षः नेत्रतोंमें द्रष्टा�पसे शव�मान
578 शवश्वाशमत्रः
सम्पूणथ जगत््के प्रशत मैत्री भावना रखनेवाले
मुशनस्व�प
579 धनेश्वरः धनके स्वामी कु बेर
580 ब्रह्मज्यतशतः ज्यतशतःस्व�प ब्रह्म
581 वसुधामा
सुवणथ और रत्नतोंके तेजसे प्रकाशित अर्वा
वसुधास्व�प
582 महाज्यतशतरनुत्तमः
सूयथ आशद ज्यतशतयतोंके प्रकािक सवोत्तम
महाज्यतशतःस्व�प
583 मातामहः
मातृकाओोंके ज�दाता हतनेके कारण
मातामह
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584 मातररश्वा नभस्वान् आकािमें शवचरनेवाले वायुदेव
585 नागहारधृक् सपथमय हार धारण करनेवाले
586 पुल�ः पुल� नामक मुशन
587 पुलहः पुलह नामक ऋशष
588 अग�ः कु म्ज�ा अग� ऋशष
589 जातूकण्यथः इसी नामसे प्रशसि मुशन
590 परािरः
िखक्के पुत्र तर्ा व्यासजीके शपता मुशनवर
परािर
591 शनरावरणशनवाथरः आवरणिू� तर्ा अवरतधरशहत
592 वैरञ्च्यः ब्रह्माजीके पुत्र नीललतशहत �द्र
593 शवष्टरश्रवाः शवस्तृत यिवाले शवष्णुस्व�प
594 आत्मभूः स्वयम्ू ब्रह्मा
595 अशन�िः अकु ख�त गशतवाले
596 अशत्रः अशत्र नामक ऋशष अर्वा शत्रगुणातीत
597 ज्ञानमूशतथः ज्ञानस्व�प
598 महायिाः महायिस्वी
599 लतकवीराग्रणीः शवश्वशवख्यात वीरतोंमें अग्रगण्य
600 वीरः िूरवीर
601 च�ः प्रलयके समय अत्यन्त क्रतध करनेवाले
602 सत्यपराक्रमः सिे पराक्रमी
603 व्यालाकल्पः सपोंके आभूषणसे शृङ्गार करनेवाले
604 महाकल्पः महाकल्पसोंज्ञक कालस्व�पवाले
605 कल्पवृक्षः
िरणागततोंकी इच्छा पूणथ करनेके शलये
कल्पवृक्षके समान उदार
606 कलाधरः चन्द्रकलाधारी
607 अलोंकररष्णुः अलोंकार धारण करने या करानेवाले
608 अचलः शवचशलत न हतनेवाले
609 रतशचष्णुः प्रकािमान
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610 शवक्रमतन्नतः पराक्रममें बढ़े-चढ़े
611 आयुः िब्दपशतः आयु तर्ा वाणीके स्वामी
612 वेगी प्लवनः वेगिाली तर्ा कू दने या तैरनेवाले
613 शिखखसारशर्ः अशि�प सहायकवाले
614 असोंसृष्टः शनलेप
615 अशतशर्ः
प्रेमी भक्तोंके घरपर अशतशर्की भाँशत
उपखथर्त हत उनका सत्कार ग्रहण करनेवाले
616 िक्रप्रमार्ी इन्द्रका मान मदथन करनेवाले
617 पादपासनः वृक्षतोंपर या वृक्षतोंके नीचे आसन लगानेवाले
618 वसुश्रवाः यि�पी धनसे सम्पन्न
619 हव्यवाहः अशिस्व�प
620 प्रतप्तः सूयथ�पसे प्रच� ताप देनेवाले
621 शवश्व-भतजनः
प्रलयकालमें शवश्व-ब्रह्मा�कत अपना ग्रास
बना लेनेवाले
622 जप्यः जपनेयतग्य नामवाले
623 जराशदिमनः बुढ़ापा आशद दतषतोंका शनवारण करनेवाले
624 लतशहतात्मा तनूनपात् लतशहतवणथवाले अशि�प
625 बृहदश्वः शविाल अश्ववाले
626 नभतयतशनः आकािकी उत्पशत्तके थर्ान
627 सुप्रतीकः सुन्दर िरीरवाले
628 तशमस्रहा अज्ञानान्धकारनािक
629 शनदाघस्तपनः तपनेवाले ग्रीष्म�प
630 मेघः बादलतोंसे उपलशक्षत वषाथ�प
631 स्वक्षः सुन्दर नेत्रतोंवाले
632 परपुरञ्जयः शत्रपुर�प ित्रुनगरीपर शवजय पानेवाले
633 सुखाशनलः
सुखदायक वायुकत प्रकट करनेवाले
िरत्काल�प
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634 सुशनष्पन्नः
शजसमें अन्नका सुन्दर�पसे पररपाक हतता है
वह हेमन्तकाल�प
635 सुरशभः शिशिरात्मकः सुगखन्धत मलयाशनलसे युक् शिशिर-ऋतु�प
636 वसन्तत माधवः चैत्र-वैिाख
637 ग्रीष्मः ग्रीष्म-ऋतु�प
638 नभस्यः भाद्रपदमास�प
639 बीजवाहनः
धान आशदके बीजतोंकी प्राखप्त करानेवाला
िरत्काल
640 अशङ्गरा गु�ः
अोंशगरा नामक ऋशष तर्ा उनके पुत्र देवगु�
बृहस्पशत
641 आत्रेयः अशत्रकु मार दुवाथसा
642 शवमलः शनमथल
643 शवश्ववाहनः सम्पूणथ जगत््का शनवाथह करानेवाले
644 पावनः पशवत्र करनेवाले
645 सुमशतशवथद्वान् उत्तम बुखिवाले शवद्वान्
646 त्रैशव�ः
तीनतों वेदतोंके शवद्वान् अर्वा तीनतों वेदतोंके द्वारा
प्रशतपाशदत
647 वरवाहनः वृषभ�प श्रेष्ठ वाहनवाले
648 मनतबुखिरहोंकारः मन बुखि और अहोंकारस्व�प
649 क्षेत्रज्ञः आत्मा
650 क्षेत्रपालकः िरीर�पी क्षेत्रका पालन करनेवाले परमात्मा
651 जमदशिः जमदशि नामक ऋशष�प
652 बलशनशधः अनन्त बलके सागर
653 शवगालः अपनी जटासे गोंगाजीके जलकत टपकानेवाले
654 शवश्वगालवः
शवश्वशवख्यात गालव मुशन अर्वा प्रलयकालमें
कालाशिस्व�पसे जगत््कत शनगल जानेवाले
655 अघतरः सौ��पवाले
656 अनुत्तरः सवथश्रेष्ठ
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657 यज्ञः श्रेष्ठः श्रेष्ठ यज्ञ�प
658 शनःश्रेयसप्रदः क�ाणदाता
659 िैलः शिलामय शलोंग�प
660 गगनकु न्दाभः आकािकु न्द
661 दानवाररः दानव-ित्रु
662 अररोंदमः ित्रुओोंका दमन करनेवाले
663 रजनीजनकिा�ः सुन्दर शनिाकर-�प
664 शनःि�ः शनष्क�क
665 लतकि�धृक्
िरणागतजनतोंके ितक-ि�कत शनकालकर
स्वयों धारण करनेवाले
666 चतुवेदः चारतों वेदतोंके द्वारा जाननेयतग्य
667 चतुभाथवः चारतों पु�षार्ोंकी प्राखप्त करानेवाले
668 चतुरितुरशप्रयः चतुर एवों चतुर पु�षतोंके शप्रय
669 आम्नायः वेदस्व�प
670 समाम्नायः अक्षरसमाम्नाय
671 तीर्थदेवशिवालयः तीर्ोंके देवता और शिवालय�प
672 ब��पः अनेक �पवाले
673 महा�पः शवराट्-�पधारी
674 सवथ�पिराचरः चर और अचर सम्पूणथ �पवाले
675 �ायशनमाथयकत �ायी �ायकताथ तर्ा �ायिील
676 �ायग�ः �ाययुक् आचरणसे प्राप्त हतनेयतग्य
677 शनरञ्जनः शनमथल
678 सहस्रमूिाथ सहस्रतों शसरवाले
679 देवेन्द्रः देवताओोंके स्वामी
680 सवथि�प्रभञ्जनः
शवपक्षी यतिाओोंके सम्पूणथ ि�तोंकत नष्ट कर
देनेवाले
681 मु�ः मुँडे �ए शसरवाले सों�ासी
682 शव�पः शवशवध �पवाले
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683 शवक्रान्तः शवक्रमिील
684 द�ी द�धारी
685 दान्तः मन और इखन्द्रयतोंका दमन करनेवाले
686 गुणतत्तमः गुणतोंमें सबसे श्रेष्ठ
687 शपङ्गलाक्षः शपोंगल नेत्रवाले
688 जनाध्यक्षः जीवमात्रके साक्षी
689 नीलग्रीवः नीलक�
690 शनरामयः नीरतग
691 सहस्रबा�ः सहस्रतों भुजाओोंसे युक्
692 सवेिः सबके स्वामी
693 िरण्यः िरणागत शहतैषी
694 सवथलतकधृक् सम्पूणथ लतकतोंकत धारण करनेवाले
695 प�ासनः कमलके आसनपर शवराजमान
696 परों ज्यतशतः परम प्रकािस्व�प
697 पारम्पर्य्थफलप्रदः परम्परागत फलकी प्राखप्त करानेवाले
698 प�गभथः
अपनी नाशभसे कमलकत प्रकट करनेवाले
शवष्णु�प
699 महागभथः
शवराट् ब्रह्मा�कत गभथमें धारण करनेके
कारण महान् गभथवाले
700 शवश्वगभथः
सम्पूणथ जगत््कत अपने उदरमें धारण
करनेवाले
701 शवचक्षणः चतुर
702 परावरज्ञः कारण और कायथके ज्ञाता
703 वरदः अभीष्ट वर देनेवाले
704 वरेण्यः वरणीय अर्वा श्रेष्ठ
705 महास्वनः डम�का गम्ीर नाद करनेवाले
706 देवासुरगु�देवः देवताओों तर्ा असुरतोंके गु�देव एवों आराध्य
707 देवासुर-नमस्कृ तः देवताओों तर्ा असुरतोंसे वखन्दत
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708 देवासुरमहाशमत्रः देवता तर्ा असुर दतनतोंके बडे शमत्र
709 देवासुरमहेश्वरः देवताओों और असुरतोंके महान् ईश्वर
710 देवासुरेश्वरः देवताओों और असुरतोंके िासक
711 शदव्यः अलौशकक स्व�पवाले
712 देवासुरमहाश्रयः देवताओों और असुरतोंके महान् आश्रय
713 देवदेवमयः देवताओोंके शलये भी देवता�प
714 अशच�ः शचत्तकी सीमासे परे शव�मान
715 देवदेवात्मसम्वः देवाशध-देव ब्रह्माजीसे �द्र�पमें उत्पन्न
716 स�तशनः सत्पदार्ोंकी उत्पशत्तके हेतु
717 असुरव्याघ्रः असुरतोंका शवनाि करनेके शलये व्याघ्र�प
718 देवशसोंहः देवताओोंमें श्रेष्ठ
719 शदवाकरः सूयथ�प
720 शवबुधाग्रचरश्रेष्ठः देवताओोंके नायकतोंमें सवथश्रेष्ठ
721 सवथदेवतत्तमतत्तमः सम्पूणथ श्रेष्ठ देवताओोंके भी शिरतमशण
722 शिवज्ञानरतः क�ाणमय शिव-तत्त्वके शवचारमें तत्पर
723 श्रीमान् अशणमा आशद शवभूशतयतोंसे सम्पन्न
724 शिखखश्रीपवथतशप्रयः
कु मार काशतथयके यके शनवासभूत श्रीिैल
नामक पवथतसे प्रेम करनेवाले
725 वज्रहस्तः वज्रधारी इन्द्र�प
726 शसिखड््गः
ित्रुओोंकत मार शगरानेमें शजनकी तलवार कभी
असफल नहीों हतती ऐसे
727 नरशसोंहशनपातनः िरभ�पसे नृशसोंहकत धरािायी करनेवाले
728 ब्रह्मचारी
भगवती उमाके प्रेमकी परीक्षा लेनेके शलये
ब्रह्मचारी�पसे प्रकट
729 लतकचारी समस्त लतकतोंमें शवचरनेवाले
730 धमथचारी धमथका आचरण करनेवाले
731 धनाशधपः धनके अशधपशत कु बेर
732 नन्दी नन्दी नामक गण
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733 नन्दीश्वरः इसी नामसे प्रशसि वृषभ
734 अनन्तः अन्तरशहत
735 निव्रतधरः शदगम्बर रहनेका व्रत धारण करनेवाले
736 िुशचः शनत्यिुि
737 शलङ्गाध्यक्षः शलोंगदेहके द्रष्टा
738 सुराध्यक्षः देवताओोंके अशधपशत
739 यतगाध्यक्षः यतगेश्वर
740 युगावहः युगके शनवाथहक
741 स्वधमाथ
आत्मशवचार�प धमथमें खथर्त अर्वा
स्वधमथपरायण
742 स्वगथतः स्वगथलतकमें खथर्त
743 स्वगथस्वरः
स्वगथलतकमें शजनके यिका गान शकया जाता
है ऐसे
744 स्वरमयस्वनः सात प्रकारके स्वरतोंसे युक् ध्वशनवाले
745 बाणाध्यक्षः
बाणासुरके स्वामी अर्वा बाणशलोंग नमथदेश्वरमें
अशधदेवता�पसे खथर्त
746 बीजकताथ बीजके उत्पादक
747 धमथकृ िमथसम्वः धमथके पालक और उत्पादक
748 दम्ः मायामय�पधारी
749 अलतभः लतभरशहत
750 अर्थशवच्छम्ुः
सबके प्रयतजनकत जाननेवाले क�ाणशनके तन
शिव
751 सवथभूतमहेश्वरः सम्पूणथ प्राशणयतोंके परमेश्वर
752 �िानशनलयः �िानवासी
753 त्र्यक्षः शत्रनेत्रधारी
754 सेतुः धमथमयाथदाके पालक
755 अप्रशतमाकृ शतः अनुपम �पवाले
756 लतकतत्तरस्फु टालतकः अलौशकक एवों सुस्पष्ट प्रकािसे युक्
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757 त्र्यम्बकः शत्रनेत्रधारी अर्वा त्र्यम्बक नामक ज्यतशतशलिंग
758 नागभूषणः नागहारसे शवभूशषत
759 अन्धकाररः अन्धकासुरका वध करनेवाले
760 मखद्वेषी दक्षके यज्ञका शवध्वोंस करनेवाले
761 शवष्णुकन्धरपातनः यज्ञमय शवष्णुका गला काटनेवाले
762 हीनदतषः दतषरशहत
763 अक्षयगुणः अशवनािी गुणतोंसे सम्पन्न
764 दक्षाररः दक्षद्रतही
765 पूषदन्तशभत् पूषा देवताके दाँत ततडनेवाले
766 धूजथशटः जटाके भारसे शवभूशषत
767 ख�परिुः खख�त परिुवाले
768 सकलत शनष्कलः साकार एवों शनराकार परमात्मा
769 अनघः पापके स्पिथसे िू�
770 अकालः कालके प्रभावसे रशहत
771 सकलाधारः सबके आधार
772 पा�ुराभः श्वेत काखन्तवाले
773 मृडत नटः सुखदायक एवों ता�वनृत्यकारी
774 पूणथः सवथव्यापी परब्रह्म परमात्मा
775 पूरशयता भक्तोंकी अशभलाषा पूणथ करनेवाले
776 पुण्यः परम पशवत्र
777 सुकु मारः सुन्दर कु मार हैं शजनके ऐसे
778 सुलतचनः सुन्दर नेत्रवाले
779 सामगेयशप्रयः सामगानके प्रेमी
780 अक्रू रः क्रू रतारशहत
781 पुण्यकीशतथः पशवत्र कीशतथवाले
782 अनामयः रतग-ितकसे रशहत
783 मनतजवः मनके समान वेगिाली
784 तीर्थकरः तीर्ोंके शनमाथता
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785 जशटलः जटाधारी
786 जीशवतेश्वरः सबके प्राणेश्वर
787 जीशवतान्तकरः प्रलयकालमें सबके जीवनका अन्त करनेवाले
788 शनत्यः सनातन
789 वसुरेताः सुवणथमय वीयथवाले
790 वसुप्रदः धनदाता
791 सद््गशतः सत्पु�षतोंके आश्रय
792 सत्कृ शतः िुभ कमथ करनेवाले
793 शसखिः शसखिस्व�प
794 सज्जाशतः सत्पु�षतोंके ज�दाता
795 खलक�कः दुष्टतोंके शलये क�क�प
796 कलाधरः कलाधारी
797 महाकालभूतः
महाकाल नामक ज्यतशतशलिंगस्व�प अर्वा
कालके भी काल हतनेसे महाकाल
798 सत्यपरायणः सत्यशनष्ठ
799 लतकलावण्यकताथ सब लतगतोंकत सौन्दयथ प्रदान करनेवाले
800 लतकतत्तर-सुखालयः लतकतत्तर सुखके आश्रय
801 चन्द्रसोंजीवनः िास्ता
सतमनार्�पसे चन्द्रमाकत जीवन प्रदान
करनेवाले सवथिासक शिव
802 लतकगूढः समस्त सोंसारमें अव्यक्�पसे व्यापक
803 महाशधपः महेश्वर
804 लतकबन्धुलोकनार्ः सम्पूणथ लतकतोंके बन्धु एवों रक्षक
805 कृ तज्ञः उपकारकत माननेवाले
806 कीशतथभूषणः उत्तम यिसे शवभूशषत
807 अनपायतऽक्षरः शवनािरशहत
808 कान्तः प्रजापशत दक्षका अन्त करनेवाले
809 सवथि�भृताों वरः सम्पूणथ ि�धाररयतोंमें श्रेष्ठ
810 तेजतमयत द्युशतधरः तेजस्वी और काखन्तमान्
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811 लतकानामग्रणीः
सम्पूणथ जगत््के शलये अग्रगण्य देवता अर्वा
जगत््कत आगे बढ़ानेवाले
812 अणुः अत्यन्त सूक्ष्म
813 िुशचखस्मतः पशवत्र मुसकानवाले
814 प्रसन्नात्मा हषथभरे हृदयवाले
815 दुजेयः शजनपर शवजय पाना अत्यन्त कशठन है ऐसे
816 दुरशतक्रमः दुलथङ्य
817 ज्यतशतमथयः तेजतमय
818 जगन्नार्ः शवश्वनार्
819 शनराकारः आकाररशहत परमात्मा
820 जलेश्वरः जलके स्वामी
821 तुम्बवीणः तूँबीकी वीणा बजानेवाले
822 महाकतपः सोंहारके समय महान् क्रतध करनेवाले
823 शवितकः ितकरशहत
824 ितकनािनः ितकका नाि करनेवाले
825 शत्रलतकपः तीनतों लतकतोंका पालन करनेवाले
826 शत्रलतके िः शत्रभुवनके स्वामी
827 सवथिुखिः सबकी िुखि करनेवाले
828 अधतक्षजः इखन्द्रयतों और उनके शवषयतोंसे अतीत
829 अव्यक्लक्षणत देवः अव्यक् लक्षणवाले देवता
830 व्यक्ाव्यक्ः थर्ूलसूक्ष्म�प
831 शविाम्पशतः प्रजाओोंके पालक
832 वरिीलः श्रेष्ठ स्वभाववाले
833 वरगुणः उत्तम गुणतोंवाले
834 सारः सारतत्त्व
835 मानधनः स्वाशभमानके धनी
836 मयः सुखस्व�प
837 ब्रह्मा सृशष्टकताथ ब्रह्मा
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838 शवष्णुः प्रजापालः प्रजापालक शवष्णु
839 होंसः सूयथस्व�प
840 होंसगशतः होंसके समान चालवाले
841 वयः ग�ड पक्षी
842 वेधा शवधाता धाता ब्रह्मा, धाता और शवधाता नामक देवतास्व�प,
843 स्रष्टा सृशष्टकताथ
844 हताथ सोंहारकारी
845 चतुमुथखः चार मुखवाले ब्रह्मा
846 कै लासशिखरावासी कै लासके शिखरपर शनवास करनेवाले
847 सवाथवासी सवथव्यापी
848 सदागशतः शनरन्तर गशतिील वायुदेवता
849 शहरण्यगभथः ब्रह्मा
850 द्रुशहणः ब्रह्मा
851 भूतपालः प्राशणयतोंका पालन करनेवाले
852 भूपशतः पृथ्वीके स्वामी
853 स�तगी श्रेष्ठ यतगी
854 यतगशव�तगी यतगशव�ाके ज्ञाता यतगी
855 वरदः वर देनेवाले
856 ब्राह्मणशप्रयः ब्राह्मणतोंके प्रेमी
857 देवशप्रयत देवनार्ः देवताओोंके शप्रय तर्ा रक्षक
858 देवज्ञः देवतत्त्वके ज्ञाता
859 देवशचन्तकः देवताओोंका शवचार करनेवाले
860 शवषमाक्षः शवषम नेत्रवाले
861 शविालाक्षः बडे-बडे नेत्रवाले
862 वृषदत वृषवधथनः धमथका दान और वृखि करनेवाले
863 शनमथमः ममतारशहत
864 शनरहङ्कारः अहोंकारिू�
865 शनमोहः मतहिू�
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866 शन�पद्रवः उपद्रव या उत्पातसे दूर
867 दपथहा दपथदः दपथका हनन और ख�न करनेवाले
868 दृप्तः स्वाशभमानी
869 सवथतुथपररवतथकः समस्त ऋतुओोंकत बदलते रहनेवाले
870 सहस्रशजत् सहस्रतोंपर शवजय पानेवाले
871 सहस्राशचथः सहस्रतों शकरणतोंसे प्रकािमान सूयथ�प
872 शस्नग्ध-प्रकृ शतदशक्षणः स्नेहयुक् स्वभाववाले तर्ा उदार
873 भूतभव्यभवन्नार्ः भूत, भशवष्य और वतथमानके स्वामी,
874 प्रभवः सबकी उत्पशत्तके कारण
875 भूशतनािनः दुष्टतोंके ऐश्वयथका नाि करनेवाले
876 अर्थः परमपु�षार्थ�प
877 अनर्थः प्रयतजनरशहत
878 महाकतिः अनन्त धनराशिके स्वामी
879 परकायैक-पख�तः
पराये कायथकत शसि करनेकी कलाके
एकमात्र शवद्वान्
880 शनष्क�कः क�करशहत
881 कृ तानन्दः शनत्यशसि आनन्दस्व�प
882 शनव्याथजत व्याजमदथनः
स्वयों कपटरशहत हतकर दूसरेके कपटकत नष्ट
करनेवाले
883 सत्त्ववान् सत्त्वगुणसे युक्
884 साखत्त्वकः सत्त्वशनष्ठ
885 सत्यकीशतथः सत्यकीशतथवाले
886 स्नेहकृ तागमः
जीवतोंके प्रशत स्नेहके कारण शवशभन्न आगमतोंकत
प्रकािमें लानेवाले
887 अकखम्पतः सुखथर्र
888 गुणग्राही गुणतोंका आदर करनेवाले
889 नैकात्मा नैककमथकृ त्
अनेक�प हतकर अनेक प्रकारके कमथ
करनेवाले
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890 सुप्रीतः अत्यन्त प्रसन्न
891 सुमुखः सुन्दर मुखवाले
892 सूक्ष्मः थर्ूलभावसे रशहत
893 सुकरः सुन्दर हार्वाले
894 दशक्षणाशनलः मलयाशनलके समान सुखद
895 नखन्दस्कन्धधरः नन्दीकी पीठपर सवार हतनेवाले
896 धुयथः उत्तरदाशयत्वका भार वहन करनेमें समर्थ
897 प्रकटः
भक्तोंके सामने प्रकट हतनेवाले अर्वा
ज्ञाशनयतोंके सामने शनत्य प्रकट
898 प्रीशतवधथनः प्रेम बढ़ानेवाले
899 अपराशजतः शकसीसे परास्त न हतनेवाले
900 सवथसत्त्वः
सम्पूणथ सत्त्वगुणके आश्रय अर्वा समस्त
प्राशणयतोंकी उत्पशत्तके हेतु
901 गतशवन्दः गतलतककी प्राखप्त करानेवाले
902 सत्त्ववाहनः
सत्त्वस्व�प धमथमय वृषभसे वाहनका काम
लेनेवाले
903 अधृतः आधाररशहत
904 स्वधृतः अपने-आपमें ही खथर्त
905 शसिः शनत्यशसि
906 पूतमूशतथः पशवत्र िरीरवाले
907 यितधनः सुयिके धनी
908 वाराहशृङ्गधृक्छृङ्गी
वाराहकत मारकर उसके दाढ़�पी शृोंगतोंकत
धारण करनेके कारण शृोंगी नामसे प्रशसि
909 बलवान् िखक्िाली
910 एकनायकः अशद्वतीय नेता
911 श्रुशतप्रकािः वेदतोंकत प्रकाशित करनेवाले
912 श्रुशतमान् वेदज्ञानसे सम्पन्न
913 एकबन्धुः सबके एकमात्र सहायक
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914 अनेककृ त् अनेक प्रकारके पदार्ोंकी सृशष्ट करनेवाले
915 श्रीवत्सलशिवारम्ः श्रीवत्सधारी शवष्णुके शलये मोंगलकारी
916 िान्तभद्रः िान्त एवों मोंगल�प
917 समः सवथत्र समभाव रखनेवाले
918 यिः यिस्व�प
919 भूियः पृथ्वीपर ियन करनेवाले
920 भूषणः सबकत शवभूशषत करनेवाले
921 भूशतः क�ाणस्व�प
922 भृतकृ त् प्राशणयतोंकी सृशष्ट करनेवाले
923 भूतभावनः भूततोंके उत्पादक
924 अकम्पः कखम्पत न हतनेवाले
925 भखक्कायः भखक्स्व�प
926 कालहा कालनािक
927 नीललतशहतः नील और लतशहतवणथवाले
928 सत्यव्रत-महात्यागी सत्यव्रतधारी एवों महान् त्यागी
929 शनत्यिाखन्तपरायणः शनरन्तर िान्त
930 परार्थवृशत्तवथरदः परतपकारव्रती एवों अभीष्ट वरदाता
931 शवरक्ः वैराग्यवान्
932 शविारदः शवज्ञानवान्
933 िुभदः िुभकताथ िुभ देने और करनेवाले
934 िुभनामा िुभः स्वयम् स्वयों िुभस्व�प हतनेके कारण िुभ नामधारी
935 अनशर्थतः याचनारशहत
936 अगुणः शनगुथण
937 साक्षी अकताथ द्रष्टा एवों कतृथत्वरशहत
938 कनकप्रभः सुवणथके समान काखन्तमान्
939 स्वभावभद्रः स्वभावतः क�ाणकारी
940 मध्यथर्ः उदासीन
941 ित्रुघ्नः ित्रुनािक
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942 शवघ्ननािनः शवघ्नतोंका शनवारण करनेवाले
943 शिख�ी कवची िूशल मतरपोंख, कवच और शत्रिूल धारण करनेवाले,
944 जटी मु�ी च कु �ली जटा, मु�माला और कवच धारण करनेवाले,
945 अमृत्युः मृत्युरशहत
946 सवथदृक् ्शसोंहः सवथज्ञतोंमें श्रेष्ठ
947 तेजतराशिमथहामशणः तेजःपुोंज महामशण कौस्तुभाशद�प
948 असोंख्येयतऽप्रमेयात्मा
असोंख्य नाम, �प और गुणतोंसे युक् हतनेके
कारण शकसीके द्वारा मापे न जा सकनेवाले,
949 वीयथवान् वीयथकतशवदः पराक्रमी एवों पराक्रमके ज्ञाता
950 वे�ः जाननेयतग्य
951 शवयतगात्मा
दीघथकालतक सतीके शवयतगमें अर्वा शवशिष्ट
यतगकी साधनामें सोंलि �ए मनवाले
952 परावरमुनीश्वरः भूत और भशवष्यके ज्ञाता मुनीश्वर�प
953 अनुत्तमत दुराधषथः सवोत्तम एवों दुजथय
954 मधुरशप्रयदिथनः शजनका दिथन मनतहर एवों शप्रय लगता है ऐसे
955 सुरेिः देवताओोंके ईश्वर
956 िरणम् आश्रयदाता
957 सवथः सवथस्व�प
958 िब्दब्रह्म सताों गशतः प्रणव�प तर्ा सत्पु�षतोंके आश्रय
959 कालपक्षः काल शजनका सहायक है ऐसे
960 कालकालः कालके भी काल
961 कङ्कणीकृ तवासुशकः
वासुशक नागकत अपने हार्में कों गनके समान
धारण करनेवाले
962 महेष्वासः महाधनुधथर
963 महीभताथ पृथ्वीपालक
964 शनष्कलङ्कः कलोंकिू�
965 शवशृङ्खलः बन्धनरशहत
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966 द्युमशणस्तरशणः
आकािमें मशणके समान प्रकािमान तर्ा
भक्तोंकत भवसागरसे तारनेके शलये नौका�प
सूयथ
967 ध�ः कृ तकृ त्य
968 शसखिदः शसखिसाधनः शसखिदाता और शसखिके साधक
969 शवश्वतः सोंवृतः सब ओरसे मायाद्वारा आवृत
970 स्तुत्यः स्तुशतके यतग्य
971 व्यूढतरस्कः चौडी छातीवाले
972 महाभुजः बडी बाँहवाले
973 सवथयतशनः सबकी उत्पशत्तके थर्ान
974 शनरातङ्कः शनभथय
975 नरनारायणशप्रयः नर-नरायणके प्रेमी अर्वा शप्रयतम
976 शनलेपत शनष्प्रपञ्चात्मा
दतषसम्पकथ से रशहत तर्ा जगत्प्रपोंचसे अतीत
स्व�पवाले
977 शनव्यथङ्गः शवशिष्ट अोंगवाले प्राशणयतोंके प्राकट्यमें हेतु
978 व्यङ्गनािनः
यज्ञाशद कमोंमें हतनेवाले अोंग-वैगुण्यका नाि
करनेवाले
979 स्तव्यः स्तुशतके यतग्य
980 स्तवशप्रयः स्तुशतके प्रेमी
981 स्ततता स्तुशत करनेवाले
982 व्यासमूशतथः व्यासस्व�प
983 शनरङ्कु िः अोंकु िरशहत स्वत�
984 शनरव�मयतपायः मतक्ष-प्राखप्तके शनदोष उपाय�प
985 शव�ाराशिः शव�ाओोंके सागर
986 रसशप्रयः ब्रह्मानन्दरसके प्रेमी
987 प्रिान्तबुखिः िान्त बुखिवाले
988 अक्षुण्णः क्षतभ या नािसे रशहत
989 सोंग्रही भक्तोंका सोंग्रह करनेवाले
Slide 41
990 शनत्यसुन्दरः सतत मनतहर
991 वैयाघ्रधुयथः व्याघ्रचमथधारी
992 धात्रीिः ब्रह्माजीके स्वामी
993 िाक�ः िाक� ऋशष�प
994 िवथरीपशतः राशत्रके स्वामी चन्द्रमा�प
995 परमार्थगु�दथत्तः सूररः
परमार्थतत्त्वका उपदेि देनेवाले ज्ञानी गु�
दत्तात्रेय�प
996 आाशश्रतवत्सलः िरणागततोंपर दया करनेवाले
997 सतमः उमासशहत
998 रसज्ञः भखक्रसके ज्ञाता
999 रसदः प्रेमरस प्रदान करनेवाले
1000 सवथसत्त्वावलम्बनः समस्त प्राशणयतोंकत सहारा देनेवाले
1001 अन्तशहथतात्मा अन्तयाथमी आत्मा
1002 दशक्षणाशनल मलयाशनल के सामान सुखद
1003 वाराहश्रृोंगधृक्छूोंगी वाराह के दाढ़�पी श्रृोंगत कत धारण करनेवाले
1004 सवथि�भृताों वर सम्पूणथ ि�धाररयतों में श्रेष्ठ
1005 परावरज्ञ कारण और कायथ के ज्ञाता
1006 नभतगशत आकािचारी
1007 वणी ब्रह्मचारी
1008 आम्नाय वेदरव�प
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1008 names of lord shiv
shiva shahasra naam
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