Shiv Tandav Storm Lyrics - भगवन शिव की विधि पूर्वक ध्यान करो सम्पति , समृद्धि और संतान प्राप्ति .pdf

dhanbadvijaysuman23 305 views 7 slides Dec 20, 2023
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ShivTandavStormLyricsएकबारशिवभक्त रावणनेकैलाशपर्वतहीउठालियाथाऔरजबपूरे
पर्वतकोहीलंकालेजानेकोजिद्द हुआतोउससमयअपनीशक्तिपरपूर्णअहंकारभावमेंथा।
महादेवकोउसकायहअहंकारपसंदनहीआयातोभगवान्शिवनेअपनेपैरकेअंगूठेसेतनिक साजो
दबायातोकैलाशफिरजहांथावहींअवस्थित होगया।शिवकेअनन्य भक्तरावणकाहाथदबगयाऔर
वहकराहउठा-"शंकरशंकर"-अर्थातक्षमाकरिए,क्षमाकरिए,औरस्तुतिकरनेलगगया।व्हीरावण
कीस्तुतिकहलाया।शिवताण्डवस्तोत्रसेशिवइतनाखुशहुएकीआशुतोषभगवानभोलेनाथनेना
केवलरावणकोसकलसमृद्धिऔरसिद्धिसेयुक्तसोनेकीलंकाहीवरदानकेरूपमेंनहींदीअपितु
सम्पूर्णज्ञान,विज्ञानतथाअमरहोनेकावरदानभीदिया।कहाजाताहैकीशिवताण्डवस्तोत्रसुनने
मात्रसेहीव्यक्तिसम्पत्ति,समृद्धिअथवासन्तादिप्राप्तकरताहै।

ShivTandavStormLyrics
शिवतांडवस्तोत्रकापाठअन्यकिसीभीपाठकीतुलनामेंभगवानशिवकोअधिकप्रियहै।इसकापाठ
करनेसेशिवजीबहुतजल्दीप्रसन्न होजातेहैं।ऐसेमेंचलिए जानतेहैंशिवतांडवस्तोत्रकेफायदेऔर
पाठकरनेकीविधियाँ।
शिवतांडवलिरिक्स केफायदे:

●नियमितरूपसेशिवतांडवस्तोत्रकापाठकरनेसेशिवजीप्रसन्न होतेहैं।
●इसकापाठकरनेसेकभीभीधन-सम्पति कीकमीनहींहोतीहै।
●शिवतांडवस्तोत्रकापाठकरनेवालेव्यक्तिकाचेहरातेजमयहोताहैऔरआत्मबल मजबूत
होताहै।
●शिवतांडवस्तोत्रकापाठकरनेसेमनोकामनापूर्णहोजातीहै।
●शिवतांडवस्तोत्रकापाठकरनेसेकुडंलीमेंशनिकाकुप्रभावकमहोताहै।
●जिनलोगोंकीकुण्डलीमेंसर्पयोग,कालसर्पयोगयापितृदोषहोउन्हेंभीशिवतांडवस्तोत्रका
पाठकरनाचाहिए।
●शिवतांडवस्तोत्रकापाठसुबहयाशामकोप्रदोषकालमेंकरनाचाहिए।
●इसकेलिएसबसेपहलेस्नानकरकेस्वच्छवस्त्रधारणकरें,फिरभगवानभोलेनाथकोप्रणामकरेंऔर
धूप,दीपऔरनैवेद्यसेउनकापूजनकरें।
●मान्यताहैकिरावणनेपीड़ाकेकारणइसस्तोत्रकोबहुततेजस्वरमेंगायाथा,इसलिएआपभीगाकर
शिवतांडवस्तोत्रकापाठकरें।
●पाठपूर्णहोजानेकेबादभगवानशिवकाध्यानकरें।

शिवताण्डव
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थल े
गलेऽवलम्ब्य लम्बितांभुजङ्गतुङ्गमालिकाम ्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्व यं
चकारचण्डताण्डवं तनोतुनःशिवःशिवम्॥॥
जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झ री
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानम ूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावक े
किशोरचन्द्रश ेखरेरतिःप्रतिक्षणं मम॥॥
धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्ध ुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानस े।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धद ुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बर े(क्वचिच्चिदम्बर े)मनोविनोदमेतुवस्तुनि॥॥

जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फ ुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बक ुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वध ूमुखे।
मदान्धसिन्ध ुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनोविनोदमद्भ ुतंबिभर्तुभूतभर्तरि॥॥
सहस्रलोचनप्रभ ृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणीविधूसराङ्घ्रिपीठभ ूः।
भुजङ्गराजमालयानिबद्धजाटज ूटक
श्रियैचिरायजायतांचकोरबन्ध ुशेखरः॥॥
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फ ुलिङ्गभा
निपीतपञ्चसायक ंनमन्निलिम्पनायकम ्।
सुधामयूखलेखयाविराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पद ेशिरोजटालमस्त ुनः॥॥
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाह ुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायक े।
धराधरेन्द्रनन्दिनीक ुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पन ैकशिल्पिनित्रिलोचनेरतिर्मम॥॥
नवीनमेघमण्डलीनिरुद्धद ुर्धरस्फुरत्
कुहूनिशीथिनीतमःप्रबन्धबद्धकन्धरः ।
निलिम्पनिर्झ रीधरस्तनोत ुकृत्तिसिन्ध ुरः
कलानिधानबन्ध ुरःश्रियंजगद्ध ुरंधरः॥॥
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम ्।
स्मरच्छिद ंपुरच्छिद ंभवच्छिद ंमखच्छिद ं
गजच्छिदांधकच्छिद ंतमन्तकच्छिद ंभजे॥॥
अगर्वसर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरीविजृम्भणामधुव्रतम्।
स्मरान्तक ंपुरान्तकंभवान्तक ंमखान्तक ं
गजान्तकान्धकान्तक ंतमन्तकान्तक ंभजे॥॥

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भ ुजङ्गमश्वस
द्विनिर्गमत्क्रमस्फ ुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्म ृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्ति तप्रचण्डताण्डवःशिवः॥॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भु जङ्गमौक्तिकस्रजोर ्
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविन्दचक्षुषोःप्रजामहीमह ेन्द्रयोः
समंप्रव्रितिक :कदासदाशिवं भजाम्यहम ॥॥
कदानिलिम्पनिर्झ रीनिकुञ्जकोटरेवसन्
विमुक्तदुर्मतिःसदाशिरःस्थमञ्जलि ंवहन्।
विमुक्तलोललोचनोललामभाललग्नकः
शिवेतिमंत्रमुच्चरन्कदासुखीभवाम्यहम ्॥॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका -
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः।
तनोतुनोमनोमुदंविनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परंपदंतदङ्गजत्विषां चयः॥॥
प्रचण्ड वाडवानलप्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूतजल्पना।
विमुक्तवामलोचनोविवाहकालिकध्वनिः
शिवेतिमन्त्रभ ूषगोजगज्जयाय जायताम्॥॥
इमंहिनित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमंस्तवं
पठन्स्मरन्ब्र ुवन्नरोविशुद्धिमेतिसंततम्।
हरेगुरौसुभक्तिमाश ुयातिनान्यथागतिं
विमोहनंहिदेहिनांसुशङ्करस्यचिंतनम्॥॥
पूजावसानसमयेदशवक्त्रगीतं
यःशम्भुपूजनपरंपठतिप्रदोषे।
तस्यस्थिरांरथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मींसदैवसुमुखिंप्रददाति शम्भुः॥॥
इतिश्रीरावणकृतम्

शिवताण्डवस्तोत्रसंपूर्णम