विविध शोथनाशक संशमन योग चूर्ण-कृष्णादि चूर्ण, त्रिफला चूर्ण, पुर्नवादि चूर्ण, शोथारि चूर्ण आदि । वटी/गुग्गुलु-पुनर्नवादि वटी, क्षारवटी, गोक्षुरादि गुग्गुलु, सप्तविंशति गुग्गुलु, प्रभाकर वटी, तक्रवटी, आरोग्यवर्धनी वटी, फलत्रिकादिघन वटी, शिलाजत्वादि वटी । क्वाथ/आसव/अरिष्ट- फलत्रिकादि क्वाथ, पुनर्नवाष्टक क्वाथ, पटोलमूलादि व दशमूल क्वाथ, अष्टशतारिष्ट, पुनर्नवाद्यारिष्ट, त्रिफलाद्यारिष्ट, गण्डीराद्यारिष्ट आदि | घृत तैल-शुण्ठी घृत, पुनर्नवाद्य घृत, चित्रक घृत, चित्रकादि घृत, चन्दानादि तैल, पंचतिक्त घृत | लेह-कंसहरीतकी, गुड़ाईक, पुनर्नवादि लेह रस/भस्म शोथारि लौहे, (नवायस लाहे, पुनर्नवा मण्डूर , यूषणादि लौह, शोथकालानल रस, हृदयार्णव रस, चन्द्रकला रस, श्रृंगभस्म, श्वेतपर्पटी, अभ्रक भस्म आदि । ) एकल औषध-शिलाजातु, हरीतकी, पुनर्नवा, कुटकी पिप्पली आदि का प्रयोग कल्प के रूप में । 32