Shri Guru Gobind Singh Sahib Ji An Introduction - 100a

flashmanish 324 views 16 slides Aug 30, 2015
Slide 1
Slide 1 of 16
Slide 1
1
Slide 2
2
Slide 3
3
Slide 4
4
Slide 5
5
Slide 6
6
Slide 7
7
Slide 8
8
Slide 9
9
Slide 10
10
Slide 11
11
Slide 12
12
Slide 13
13
Slide 14
14
Slide 15
15
Slide 16
16

About This Presentation

http://spiritualworld.co.in श्री गुरु गोबिंद सिंह जी - जीवन परिचय:
वह प्रगटिओ मरद अगंमड़ा वरियाम अकेला ||
वाहु वाहु गोबिंद सिंह आपे गु�...


Slide Content

वह प्रगटिटिओ मरद अगटंमड़ा विरयाम अकेला ||
वाह वाह गटोबिबिंद िसिंह आपे गटुर चेला || १७ ||
(भाई गटुरदासिं दूजा)
श्री गटुर गटोबिबिंद िसिंह जी का जन्म पोबरव सिंुदी
सिंप्तमी सिंंवत 1723 िवक्रमी कोब श्री गटुर तेगट
बिंहादर जी के घर माता गटुजरी जी की पिवत कोबख
के पटिने शहर मे हआ|
1 of 15 Contd…

मुर िपत पूरबिं कीयिसिं पयाना || भांित भांित के
तीरिथ नाना ||

जबिं ही जात ितबिंेणी भए || पुन दान िनन करत
िबिंतए ||
तही प्रकासिं हमारा भयोब || पटिना सिंहर िवखे भव
लयोब ||
(दशम-ग्रंथ: िबिंिचत नाटिक ७ वां अध्याय)
2 of 15 Contd…

माता नानकी जी ने अपने पौत के जन्म की
खबिंर देने के िलए एक िवशेष आदमी कोब िचट्ठी
देकर अपने सिंुपुत श्री गटुर तेगट बिंहादर जी के
पासिं धुबिंरी शहर भेजा| गटुर जी ने िचट्ठी
पड़कर जबिं राजा राम िसिंह कोब खुशी भरी
खबिंर सिंुनाई तबिं राजा ने अपने फौजी बिंाजे
बिंजवाए| तोबपो की सिंलामी दी तथा गटरीबिंो कोब
दान िदया| िचट्ठी लेकर आने वाले िसिंख कोब
गटुर जी ने बिंहत धन िदया उसिंका लोबक
परलोबक सिंंवार िदया|
3 of 15 Contd…

इसके पश्चात गुर जी ने माता जी को िचिट्ठी
िलिखी िक माता जी! इस समय हम कामरूप
के पास धुबरी शहर ठहरे हुए है| राजा राम
िसह का काम संवार कर जल्दी वापस आप के
पास पटने आ जाएगे| गुर नानक सािहब
आपके अंग-संग है| आपने िचिता नही करनी|
सािहबजादे का नाम "गोिबद राय" रखना|
यह आशीष और धैर्यर पूर्ण र िचिट्ठी पड़कर
माताजी और पिरवार के अन्य सदस्य बहुत
खुश हुए|
4 of 15 Contd…

जो कोई भी िभखारी और प्रेमी माता जी को
बधाई देने घर आता माता जी उसको धन,
वस और िमठाई आिद से प्रसन करके घर से
भेजते| माता जी ने सािहबजादे के सोने व
खेलिने के िलिए एक सुन्दर पंघूर्ड़ा बनवाया
िजसमे सािहबजादे को लिेटाकर माता जी
लिोिरयाँ देती व पंघूर्ड़ा िहलिाकर मन ही मन
खुश होती| आपके हाथो के कड़े, पाँव के कड़े
और कमर की तड़ागी के घुंघरू खनखनाते
रहते| माता नानकी जी बालिक गोिबद राय को
स्नान कराकर सुंदर गहने व कपड़े पहनाते|
5 of 15 Contd…

पटने से आनंदपुर सािहब बुलिाकर श्री गुर तेग
बहादर जी ने अपने सुपुत श्री गोिबद राय जी
को घुड़ सवारी, तीर कमान, बन्दूर्क चिलिानी
आिद कई प्रकार की िशक्षा िसखलिाई का प्रबंध
िकया| बच्चो के साथ बाहर खेलिते समय मामा
कृपालि जी को आपकी िनगरानी के िलिए िनयत
कर िदया| इस प्रकार श्री गुर तेग बहादर जी
के िकए हुए प्रबंध के अनुसार आप िशक्षा लिेते
रहे|
6 of 15 Contd…

दशमेश जी इस प्रथाए अपनी आत्म कथा बिचित
नाटक मे िलिखते है –
मद देस हम को लिे आए || भांित भांित दाईयन
दुलिराऐ ||
कीनी अिनक भांित तन रछा || दीनी भांित भांित
की िसछा ||
(दशम ग्रंथ िबिचित नाटक, ७ वा अध्याय)
7 of 15 Contd…

प्राग राज के िनिवास समय श्री गोबिबिंद राय जी
के जन्म से पहले एक िदनि माता निानिकी जी निे
स्वाभािवक श्री गुर तेग बिंहादर जी कोब कहा
िक बिंेटा! आप जी के िपता निे एक बिंार मुझे
वचनि िदया था िक तेरे घर तलवार का धनिी
बिंड़ा प्रतापी शूरवीर पोबत इश्वर का अवतार
होबगा| मै उनिके वचनिो कोब याद करके प्रतीक्षा
कर रही हूँ िक आपके पुत का मुँह मै कबिं
देखूँगी| बिंेटा जी! मेरी यह मुराद पूरी करोब,
िजससे मुझे सुख िक प्रािप होब|
8 of 15 Contd…

अपनिी माता जी के यह मीठे वचनि सुनिकर गुर जी
निे वचनि िकया िक माता जी! आप जी का मनिोबरथ
पूरा करनिा अकाल पुरख के हाथ मै है| हमे भरोबसा
है िक आप के घर तेज प्रतापी ब्रह्मज्ञानिी पोबत देगे|
गुर जी के ऐसे आशावादी वचनि सुनिकर माता जी
बिंहुत प्रसन हुए| माता जी के मनिोबरथ कोब पूरा
करनिे के िलए गुर जी िनित्य प्रित प्रातकाल ितवेणी
स्नानि करके अंतध्यार्ध्यानि होब कर वृतित जोबड़ कर बिंैठ
जाते व पुत प्रािप के िलए अकाल पुरष िक
आराधनिा करते|
9 of 15 Contd…

गुर जी िक िनित्य आराधनिा और याचनिा अकाल
पुरख के दरबिंार मे स्वीकार होब गई| उसुनिे हेमकुंट
के महा तपस्वी दुष दमनि कोब आप जी के घर माता
गुजरी जी के गभर्ध्या मे जन्म लेनिे िक आज्ञा की| िजसे
स्वीकार करके श्री दमनि (दसमेश) जी निे अपनिी
माता गुजरी जी के गभर्ध्या मे आकर प्रवेश िकया|
श्री दसमेश जी अपनिी जीवनि कथा बिंिचतर निाटक
मे िलखते है -
10 of 15 Contd…

|| चौपई ||
मुर िपत पूरबिं कीयिस पयानिा || भांित भांित के
तीरिथ निानिा ||
जबिं ही जात ितबिंेणी भए || पुन दानि िदनि करत
िबिंतए || १ ||
तही प्रकास हमारा भयोब || पटनिा सहर िबिंखे भव
लयोब || २ ||
(दशम गन्थ: िबिंिचत निाटक, ७वा अध्याय)
11 of 15 Contd…

पहला िववाह
संवत 1734 की वैसाखी के समय जब देश
िवदेश से सतगुर के दशर्शन करने के िलए संगत
आई और लाहौर की संगत मे एक सुभीखी
क्षत्री िजसका नाम हरजस था उन्होंने अपनी
लड़की जीतो का िरश्ता श्री (गुर) गोिबद राय
जी के साथ कर िदया| िववाह की मयार्शदा को
23 आषाढ संवत 1734 को पूर्ण र्श िकया| आज
कल यह स्थान "गुर का लाहौर" नाम से
प्रसिसद है|
12 of 15 Contd…

सािहबजादे
चेत्र सुदी सप्तमी मंगलवार संवत 1747 को
सािहबजादे श्री जुझार िसह जी का जन्म हुआ|
माघ महीने के िपछले पक्ष मे रिववार संवत् 1753
को सािहबजादे श्री जोरावर िसह जी का जन्म
हुआ|
बुधवार फाल्गुन महीने संवत् 1755 को
सािहबजादे श्री फतह िसह जी का जन्म हुआ|
13 of 15 Contd…

दूर्सरा िववाह
संवत 1741 की वैसाखी के समय जब देश
िवदेश से सतगुर के दशर्शन करने के िलए संगत
आई और लाहौर की संगत मे एक कुमरा क्षत्री
िजसका नाम दुनीचंद था उन्होंने अपनी
लड़की सुन्दरी का िववाह सात बैसाख श्री
(गुर) गोिबद राय जी के साथ कर िदया|
14 of 15 Contd…

For more Spiritual Content Kindly visit:
http://spiritualworld.co.in
सािहबजादे
23 माघ संवत 1743 को सािहबजादे श्री
अजीत िसह जी का जन्म पाऊँटा सािहब मे
हुआ|
15 of 15 End