रमज़ान करीम की हार्दिक शुभ कामना पेश करते हैं। हम आप को मुहम्मद शाहनवाज
शव्वाल रजब रबीउल आखिर मुहरर्म ज़ुल्क़ाइदा शअबान जमादुल अव्वल सफर ज़ुल्-हिज्जा रमज़ान जमादुल आखिर रबीउल अव्वल यदि आकाश में बादल हो तो शअबान के पूरे 30 दिन पुरा करेंगे। आशंका के दिन का रोज़ा नहीं रखेंगे।
रोजा (व्रत) की परिभाषाः " रुकना " , अल्लाह का फरमान हैः فَقُولِي إِنِّي نَذَرْتُ لِلرَّحْمَـٰنِ صَوْمًا فَلَنْ أُكَلِّمَ الْيَوْمَ إِنسِيًّا . (سورة مريم: 26) रोजा मैंने तो रहमान के लिए रोज़े की मन्नत मानी है। इसलिए मैं आज किसी मनुष्य से न बोलूँगी ।“ (सूरह मर्यमः 26) रोजा की इस्लामी परिभाषाः सुबह सादिक से ले कर सूर्य के डुबने तक खाने–पीने तथा संभोग से रुके रहना, रोज़ा कहलाता है।
सुन्नत रोज़ें बहुत से हैं। जैसे शव्वाल के 6 रोज़ें, ज़िल्हिज्जा का रोज़ा, दस्वी मुहर्रम, प्रत्येक सोमवार और बृहस्पतिवार का रोजा और प्रत्येक महीने 13,14 और 15 तिथि का रोज़ा इत्यादि
अल्लाह ने रमज़ान के रोज़े की अनिवार्यता का वर्णन कुरआन में किया है। يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا كُتِبَ عَلَيْكُمُ الصِّيَامُ كَمَا كُتِبَ عَلَى الَّذِينَ مِن قَبْلِكُمْ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُونَ ﴿ البقرة: ١٨٣﴾ ईमान लाने वालो! तुम पर रोज़े अनिवार्य किए गए, जिस प्रकार तुम से पहले के लोगों पर अनिवार्य किए गए थे , ताकि तुम डर रखने वाले बन जाओ। (सूरह अलबक़राः 183)
रमज़ान के महीने का रोज़ा हर मुस्लिम, बालिग, बुद्धिमान पुरुष और स्री पर अनिवार्य है। रमज़ान का रोज़ा किन लोगों पर अनिवार्य है ?
रमजान का महत्व
रमज़ान का रोज़ा इस्लाम का चौथा स्तम्भ हैः 1- कलमा शहादात की गवाही देना 2- नमाज कायम करना 3 - शक्ति होने के कारण प्रति वर्ष जकात देना 4 - रमज़ान महीने का रोज़ा रखना 5- शक्ति होने के कारण जीवन में एक बार काबा शरीफ का हज्ज करना
وعن أبى هريرة رضي الله عنه قال :قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: من صام رمضان إيماناً واحتساباً غفر الله له ماتقدم من ذنبه. ( صحيح البخاري وصحيح مسلم) 1- क्षमा का महीनाः रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमायाः" जो व्यक्ति रमज़ान महीने का रोज़ा अल्लाह पर विश्वास तथा पुण्य की आशा करते हुए रखेगा, उसके पिछ्ले सम्पूर्ण पाप क्षमा कर दिये जाएंगे।" (बुखारी तथा मुस्लिम )
كل عملِ ابنِ آدمَ يُضاعفُ الحسنةَ عشرةَ أمثالها إلى سبعمائةِ ضعفٍ. قال اللهُ عزَّ وجلَّ: إلا الصومُ. فإنَّهُ لي وأنا أجزي بهِ . يَدَعُ شهوتَه وطعامَه من أجلي. للصائمِ فرحتانِ: فرحةٌ عند فطرِه، فرحةٌ عند لقاءِ ربِّهِ. ولخُلوفٌ فيهِ أطيبُ عند اللهِ من ريحِ المسكِ . " ( صحيح مسلم: 1151) 2- रोज़ेदार को असीमित पुण्य दिया जाता हैः "मानव के प्रत्येक कर्म का बदला एक से ले कर दस और फिर सात सो से अधिक दुग्ना किया जाता है। अल्लाह अज़्ज़ व जल्ल कहता है सिवाए रोज़ा के, बेशक रोज़ा मेरे लिए है और उसका बदला केवल मैं ही दूँगा। क्योंकि उसने अपना खाना पीना और सहवास मेरे कारण त्याग दिया, और रोज़ेदार को दो खूशी प्राप्त होगी, जब वह रोज़ा खोलता है, तो अपना रोज़ा खोलने से खुश होता है, और जब अपने रब्ब से मुलाक़ात करेगा तो अपने रोज़े के कारण खुश होगा और अल्लाह के पास रोज़ेदार के मुंह से निकलने वाली खुश्बू कस्तूरी से अधिक खुश्बूदार होगी ।" ( सही मुस्लिमः 1151 )
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि रसूल (सल्ल) ने फरमायाः तीन व्यक्तियों की दुआ स्वीकारित हैं। रोज़ेदार की दुआ और पिडित व्यक्ति की दुआ और यात्री की दुआ। (सही अल-जामिअः 3030) 3- रोज़ेदार की दुआ स्वीकारित होती हैः ثلاثُ دَعَواتٍ مُستجاباتٍ: دعوةُ الصائِمِ، ودعوةُ المظلُومِ، ودعوةُ المسافِرِ . (صحيح الجامع: 3030 )
अब्दुल्लाह बिन अम्र (रज़ि) से वर्णन हैकि रसूल (सल्ल) ने फरमायाः रोज़ा और क़ुरआन कियामत के दिन भक्तों के लिए शिफारिस करेंगे। रोजा कहेगाः “हे रब्ब! मैं ने उसे दिन में खाने और पीने से रोके रखा, तो मेरी शिफारिस उसके प्रति स्वीकार कर ले, और क़ुरआन कहेगाः मैं ने उसे रात में निन्द का मज़ा लेने से रोके रखा, तो उस के प्रति मेरी शिफारिस स्वीकार कर, तो उन दोनों की शिफारिस स्वीकारित होगी । (मुस्नद अहमदः 10/118, व सही अल-जामिअः 3882) 4- रोज़ा रोज़ेदार के लिए शिफारिस करेगाः عن عبد الله بن عمرو أن النبي صلى الله عليه وسلم قال : الصيام والقرآن يشفعان للعبد يوم القيامة،يقول الصيام أي رب منعته الطعام والشهوات بالنهار فشفعنى فيه. ويقول القرآن منعته النوم بالليل، فشفعنى فيه فيشفعان. (رواه أحمد: 10/118و صحيح الجامع: 3882 )
أن النبي صلى الله عليه وسلم قال: في الجنة ثمانيةُ أبْوابٍ، فيها بابٌ يُسَمَّى الرَّيَّانَ، لا يدخلُهُ إلا الصَّائِمُونَ . . ( رواه البخاري: 3257) नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ) का कथन हैः" जन्नत (स्वर्ग) के द्वारों की संख्याँ आठ हैं, उन में से एक द्वार का नाम रय्यान है, जिस से केवल रोज़ेदार ही प्रवेश करेंगे।" (सही बुखारीः 3257) 5- जन्नत में रोजेदार के लिए खास दरवाज़ाः
6- रमज़ान में उम्रा करने का पुण्यः उम्मे सुलैम ने रसूल (सल्ल) से गिला किया कि ऐ अल्लाह के रसूल! अबू तल्हा और उनका बेटा मुझे छोड़ कर उम्रा के लिए चले गए। तो आप ( सल्ल) ने फरमायाः ऐ उम्मे सुलैम! रमज़ान में उम्रा करने का पुण्य मेरे साथ हज्ज करने के बराबर सवाब ( पुण्य) मिलता है ।" ( तरगीब व तरहीबः 177/2 )
जब रमज़ान महीने की प्रथम रात होती है तो सर्कश जिन्न और शैतान को जकड़ दिया जाता है और जहन्नम (नरक) के द्वार बन्द कर दिये जाते है , तो उसका कोइ द्वार खुला नहीं होता और जन्नत (स्वर्ग ) के द्वार खोल दिये जाते हैं और उसका कोइ द्वार बन्द नहीं होता और अल्लाह की ओर से प्रत्येक रात पुकारने वाला पुकारता हैः हे! नेकियों के काम करने वालो! पुण्य के कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लो, और हे! पापों के काम करने वालों! अब तो इस पवित्र महीने में पापों से रुक जा, और अल्लाह नेकी करने वालों को प्रति रात जहन्नम (नरक) से मुक्ति देता है। ( सही उल जामिअः अलबानीः759) 7- रमज़ान में स्वर्ग के द्वार खोल दिये जाते हैं : إذا كان أولُ ليلةٍ من شهرِ رمضانَ صُفِّدَتِ الشياطينُ ومَرَدةُ الجنِّ ، وغُلِّقتْ أبوابُ النارِ فلم يُفتحْ منها بابٌ ، وفُتِّحَتْ أبوابُ الجنةِ فلم يُغلقْ منها بابٌ ، ويُنادي منادٍ كلَّ ليلةٍ : يا باغيَ الخيرِ أقبلْ ، ويا باغيَ الشرِّ أقْصرْ ، وللهِ عتقاءُ من النارِ ، وذلك كلَّ ليلةٍ . ( صحيح الجامع : 759)
وعن أبي هريرة :أن النبي صلى الله عليه وسلم قال: الصلوات الخمس والجمعة إلى الجمعة،ورمضان إلى رمضان مكفرات لما بينهن إذا اجتنبت الكبائر. ) رواه مسلم ( 8- रमाज़न से दुसरे रमज़ान तक गुनाहों से क्षमा है : अबू हुरैरा (रज़ि) से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलिह व सल्लम) ने फरमायाः “ पांच समय की फर्ज़ नमाज़ें और जुमा से दुसरे जुमा तक और रमज़ान से दुसरे रमज़ान तक नेक कार्य गुनाहों के लिए प्रायश्चित हैं, जब तक कि महापापों से बचा जाए । ” (सही मुस्लिमः 233)
9- रमज़ान क़ुरआन के अवतरण का महीना : شَهْرُ رَمَضَانَ الَّذِي أُنزِلَ فِيهِ الْقُرْآنُ هُدًى لِّلنَّاسِ وَبَيِّنَاتٍ مِّنَ الْهُدَىٰ وَالْفُرْقَانِ . (سورة البقرة: 185) रमज़ान का महीना वह है, जिस में क़ुरआन उतारा गया, जो सब मानव के मार्गदर्शन है। तथा मार्गदर्शन और सत्य-असत्य के बीच अन्तर करने का खुला प्रमाण रखता है। (अल्-बकराः 185)
10- रमज़ान की एक रात हजार महीनों की रातों से उत्तम हैः हमने इसे क़द्र की रात में अवतरित किया-और तुम्हें क्या मालूम कि क़द्र की रात क्या है?, क़द्र की रात हज़ार महीनों की रातों से उत्तम है। (सूरह अल्क़द्रः 1-3)
रमज़ान महीने का स्वागत कैसे करें ?
1 - सब से पहले अल्लाह का शुक्र और उसकी तारीफ और प्रशंसा के माध्यम से स्वागत करें : अल्लाह ने अपना शुक्र अदा करने का आदेश दिया है । َإِذْ تَأَذَّنَ رَبُّكُمْ لَئِنْ شَكَرْتُمْ لأزِيدَنَّكُمْ وَلَئِنْ كَفَرْتُمْ إِنَّ عَذَابِي لَشَدِيدٌ . [إبراهيم:7 ] जब तुम्हारे रब ने सूचित कर दिया था कि “ यदि तुम कृतज्ञ हुए तो मैं तुम्हें और अधिक दूँगा , परन्तु यदि तुम अकृतज्ञ सिद्ध हुए तो निश्चय ही मेरी यातना भी अत्यन्त कठोर है । " ( सूरह इब्राहीमः 7)
2- एक दुसरों को रमज़ान की मुबारक बाद दें, लोगों को भलाइ के कार्य पर उत्साहित करते हुए, दुआऐं देते हुए स्वागत करें : रसूल (सल्ल) ने अपने साथियों को शुभ खबर देते हुए फरमाया हैः " तुम्हारे पास रमज़ान का महीना आया है , यह बरकत वाला महीना है , अल्लाह तआला की रहमतें तुम्हें इस महीने में ढ़ाप लेंगी , वह रहमतें उतारता है , पापों को मिटाता है और दुआ स्वीकार करता है और इस महीने में तुम लोगों का आपस में इबादतों में बढ़ चढ़ कर भाग लेने को देखता है , तो फरिश्तों के पास तुम्हारी तारीफ और प्रशंसा बयान करता है , तो तुम अल्लाह को अच्छे कार्ये करके दिखाओ , निःसन्देह बदबख्त वह है जो इस महीने की रहमतों से वंचित रहे। ” ( अल – तबरानी )
3- रमज़ान में नेक कर्म करने का दृढ़ संकल्प और पुख्ता इरादा करते हुए स्वागत करें : आप पुख्ता इरादा कर लें कि इस पवित्र महीने में ज़्यादा से ज़्यादा पुण्य का काम करेंगे, इस पूरे महीने का रोज़ा रखेंगे, नमाज़ों और अल्लाह के ज़िक्रो अज़्कार, तिलावते कुरआन में अपना पुरा समय लगाऐंगे, लोगों की भलाई और कल्याण के कार्य मे भाग लेंगे । नबी ( सल्ल) ने फरमायाः"निःसंदेह कर्मों संकल्प (हृदय की ईच्छा) पर आधारित है और प्रति व्यक्ति के संकल्प के आधार पर अच्छे या बुरे कर्मों का बदला मिलेगा ।........" (सही बुखारीः 1)
إنَّ اللهَ كتب الحسناتِ والسَّيِّئاتِ ثمَّ بيَّن ذلك، فمن همَّ بحسنةٍ فلم يعمَلْها كتبها اللهُ له عنده حسنةً كاملةً،فإن هو همَّ بها وعمِلها كتبها اللهُ له عنده عشرَ حسناتٍ إلى سبعِمائةِ ضعفٍ إلى أضعافٍ كثيرةٍ، ومن همَّ بسيِّئةٍ فلم يعمَلْها كتبها اللهُ له عنده حسنةً كاملةً، فإن هو همَّ بها فعمِلها كتبها اللهُ له سيِّئةً واحدةً . ( البخاري : 7691 ومسلم: 131) नेकी करने के संकल्प पर बदला और बुराइ न करने पर भी नेकी अंकित किया जाता हैः बेशक अल्लाह ने नेकियों और पापों को लिख दिया है और उनके प्रति स्पष्ट भी कर दिया है। तो जो व्यक्ति किसी के करने का संकल्प करता है परन्तु किसी उचित कारण के उस नेकी को कर नहीं पाता तो अल्लाह उसके लिए अपने पास नेकी लिख लेता है, और यदि कोइ नेकी करने का इच्छा करता और फिर वह नेकी कर भी लेता है तो अल्लाह उसके लिए अपने पास दस नेकी से बढ़ा कर सात सो से दुग्ना और फिर बहुत ज़्यादा दुगना तीनगुन्ना बढ़ाता है। परन्तु जिस ने किसी पाप के करने का इच्छा किया और वह पाप कर न सका तो अल्लाह उस के लिए अपने पास पूरी नेकी लिख लेता है। और यदि उसने किसी पाप के करने का संकल्प किया और फिर वह पाप कर भी लेता है तो अल्लाह उस के लिए अपने पास एक पाप लिख लेता है। (सही बुखारीः 7691 व सही मुस्लिमः 131)
4- रमज़ान का स्वागत गुनाहों से तौबा और जहन्नम से मुक्ति मांगते हुए करें : अल्लाह तआला ने गुनाहों से तौबा करने का आज्ञा दिया है और बेशक तौबा करने वाले लोग सफलपूर्वक होंगेः " ऐ ईमानवालों , तुम सब मिलकर अल्लाह से तौबा करो , आशा है कि सफलता प्राप्त करोगे। ” ( सूरा अन्नूरः 31 ) ऐ ईमान लानेवाले! अल्लाह के आगे तौबा करो, विशुद्ध तौबा। बहुत सम्भव है कि तुम्हारा रब तुम्हारी बुराइयाँ तुमसे दूर कर दे और तुम्हें ऐसे बाग़ों में दाख़िल करे जिनके नीचे नहरे बह रही होंगी। (66-सूरह अत्तहरीमः 8)
अल्लाह तआला हदीस कुद्सी में फरमाता हैः " ऐ इनसानों! तू जब तक मुझे पुकारता रहेगा और मुझ से उम्मीद रखेगा , मैं तुझे बख्शता रहूंगा , चाहि तू किसी हालत में हो और मुझे कुछ परवाह न होगी , ऐ इनसानों! यदि तेरे गुनाह आसमान की ऊंचाई तक पहुंच जाए और तू मुझ से क्षमा की प्रार्थना करोगे तो मैं तुम्हें क्षमा कर दूंगा , ऐ इनसानों! यदि तुम मेरे पास धरती के बराबर पाप ले कर आए और तुम ने मेरे साथ किसी को शरीक (साझीदार) न किया है , तो धरती के बराबर मैं तुझे माफी दे दुंगा। ” ( सुनन तिर्मिज़ीः सही हदीस)
5- रमज़ान का स्वागत अपने बहुमूल्य समय की सही योजना बना कर करें : रमज़ान के महीने के समय को मुनज़्ज़म करले कि फजर की नमाज़ से पहले उठकर सेहरी खना है फिर नमाज़ पढ़ कर कुरआन की तिलावत करना है। दिन रात के समय को विभिन्न कार्यों , इबादतों और ज़रूरी कामों में बांट दें। ताकि समय नष्ट न हो और पूरे समय का सही उपयोग हो सके। बेकार की गप शप से दूर रहा जाए। ताकि पूरा रमज़ान का महीना इबादतों में बीते ।
6- रमज़ान के महीने का स्वागत रोज़े के अहकाम का सिक्षा ले कर करें : रमज़ान में किन चीज़ो के करने से रोज़ा खराब हो जाता है? किन चीज़ो के करने से कुछ नही होता? कौन सा काम और इबादतें करना चाहिये और कैसे करन चाहिये ?, कौन सा काम रोज़े की स्तिथि में नहीं करना चाहिये ?, रमज़ान में कौन सा कार्य अल्लाह को सब से ज़्यादा प्रिय है?, रसूल ( सल्ल) रमज़ान का महीना कैसे गुज़ारते थे ?, इन सब चीज़ों का ज्ञान लेना ज़रूरी है। ताकि रमज़ान महीने को अच्छे तरीके से गुज़ारा जाए, रमज़ान महीने की बरकतों और रहमतों को प्राप्त किया जा सके।
7- रमज़ान में लोगों के लेन देन और हुकूक और अधिकार को पूरा करके स्वागत करें : एक दिन रसूल (सल्ल) ने अपने साथियों से पूछाःक्या तुम जानते हो मुफ्लिस किसे कहते हैं?, लोगों ने कहा: हमारे बीच मुफ्लिस उसे समझा जाता है, जिसके पास सामान और रुपय न हों। आपने (सल्ल) ने फरमायाः कल क्यामत के दिन मुफ़्लिस वह होगा जो नमाज़, रोज़े, और ज़कात के साथ आएगा, लेकिन किसी को गाली दी होगी, किसी पर (व्यभीचार का) आरोप लगाया होगा, किसी का माल खाया होगा, किसी का खून बहाया होगा, इस प्रकार उसकी नेकियाँ एक एक कर के हक़दारों को दे दी जाएंगी, जब उसकी नेकियां समाप्त हो जाएंगी और अभी हक़दार बाक़ी रह जाएंगे तो हक़दारों के पाप उसके सर थोप दिए जाएंगे। फिर उसे नरक में डाल दिया जाए । (सही मुस्लिमः 2581)
8- हृदय को दुश्मनी, कीना कपट, और हसद-जलन से पवित्र रख कर करें : रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ) ने फरमायाः बन्दों के कर्म सोमवार और शुक्रवार को अल्लाह के पास पेश किये जाते हैं, तो अल्लाह अज़्ज़ व जल्ल हर उस बन्दे को माफ कर देता है, जो अल्लाह के साथ शिर्क न किया हो सिवाए उस मानव को जिस के और उस के भाई के बीच कीना कपट और दुशमनी हो, तो कहा जाता है, इन दोनों को छोड़ दो, यहाँ तक कि दोनों सुलह सफाई करले, इन दोनों को छोड़ दो यहाँ तक कि दोनो सुलह सफाई करले।” ( सही मुस्लिम)
रसूल ( सल्ल) ने फरमायाः"अल्लाह पवित्र है और पवित्र वस्तु को स्वीकार करता है और बेशक अल्लाह मुसलमानों को उन्हीं चीज़ों के करने का आदेश देता है, जिन चीज़ों के करने का रसूलों को आज्ञा देता है, तो अल्लाह ने फरमायाः ऐ रसूलों! पवित्र वस्तुओं को खाओ और अच्छा कर्म करो, और मूमिनों से फरमाया ः ऐ मूमिनों! उन पवित्र चीज़ों को खाओ जो हमने तुमहें रोजी दे रखी है, और रसूल ( सल्ल) ने एक आदमी की उदाहरण देते हुए कहाः एक आदमी लम्बा यात्रा करता है, उस के बिखरे हुए बाल, धूल से अटा हुआ शरीर, और अपने दोनों हाथों को आकाश की ओर उठाते हुए कहता हैः ऐ रब्ब, ऐ रब्ब, हालाँकि उसका खाना हराम की कमाई से होता है, उसका पीना हराम की कमाई से होता है, उसका पोशाक हराम की कमाई का है, और पूरी जीवन हराम खाते हुए गुज़रा तो फिर उस की दुआ क्यों कर स्वीकारित होगी । 9- हलाल कमाइ से जीवन व्यतीत करते हुए रमज़ान का स्वागत करें : (सही मुस्लिमः 1015)
रमज़ान का स्वागत इस्लामी निमन्त्रण के माध्यम से करेः जहन्नम (नरक) से मुक्ति और जन्नत (स्वर्ग) में दाखिल होने का रास्ता केवल इस्लाम ही है। इस लिए जिस प्रकार अल्लाह ने सही रास्ता चयन करने की शक्ति दी और कोइ दुसरा भाई इस माध्यम बना तो आप भी अपने दुसरे गैर मुस्लिमों के इस्लाम स्वीकार करने का माध्यम बने। तो अल्लाह आप को बेहिसाब नेकियाँ देगा। ادعُهم إلى الإسلامِ، وأخبرْهم بما يجبُ عليهم من حقِّ اللهِ فيه، فوالله لأَن يهديَ اللهُ بك رجلاً واحداً، خيرٌ لك من أن يكونَ لك حُمْرُ النَّعَمِ . (صحيح البخاري: 4210 ) नबी (सल्ल) ने अली (रज़ि) से फरमायाः उन्हें इस्लाम की ओर निमन्त्रण करो, अल्लाह ने जो उन पर अनिवार्य किया है,उन से उन्हें सूचित करो,तो अल्लाह की कसमःतुम्हारे माध्यम से अल्लाह एक व्यक्ति को सही मार्गदर्शन कर दे, तो यह तुम्हारे लिए लाल ऊंट से उत्तम है। (सही बुखारीः 4210)
इस पाठ में आप की उपस्थिति पर हम आपका हार्दिक धन्यवाद कहते हैं। अल्लाह आप के जीवन में प्रत्येक प्रकार की खुशी लाए और दुनिया और आखिरत में सफलता दे। आमीन