बाल श्रम

RishabMehra3 12,474 views 17 slides May 12, 2015
Slide 1
Slide 1 of 17
Slide 1
1
Slide 2
2
Slide 3
3
Slide 4
4
Slide 5
5
Slide 6
6
Slide 7
7
Slide 8
8
Slide 9
9
Slide 10
10
Slide 11
11
Slide 12
12
Slide 13
13
Slide 14
14
Slide 15
15
Slide 16
16
Slide 17
17

About This Presentation

ppt on child labour in hindi


Slide Content

बाल श्रम

परिचय बाल-श्रम  का मतलब ऐसे कार्य से है जिसमे की कार्य करने वाला व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित आयु सीमा से छोटा होता है। इस प्रथा को कई देशों और अंतर्राष्ट्रीय संघटनों ने शोषित करने वाली माना है। अतीत में बाल श्रम का कई प्रकार से उपयोग किया जाता था, लेकिन सार्वभौमिक स्कूली शिक्षा के साथ औद्योगीकरण, काम करने की स्थिति में परिवर्तन तथा कामगारों श्रम अधिकार और बच्चों अधिकार की अवधारणाओं के चलते इसमे जनविवाद प्रवेश कर गया। बाल श्रम अभी भी कुछ देशों में आम है उदाहरण , के लिए भारत ।

चावल की फसल की कटाई

बाल श्रम के कारण गरीबी माता पिता का निरक्षरता सामाजिक उदासीनता और बाल श्रम की सहनशीलता बाल श्रम के प्रतिकूल परिणामों के बारे में माता-पिता के बारे में अनभिज्ञता

तंबाकू के पत्तों की तैयारी

बाल श्रम के परिणाम बच्चों के विकास में बाधा पड़ती है वयस्क होने पर एक नागरिक के रूप में सामाजिक विकास में अपना समुचित योगदान नहीं दे पाते हैं यह बच्चों के मानसिक , शारीरिक , आत्मिक , बौद्धिक एवं सामाजिक हितों को प्रभावित करता है ।

धातु कार्यकर्ता

आईए अब बाल श्रम पर कुछ कविताएँ सुनते है

अश्कों में खोता बचपन....   रोती, बिलखती ज़िन्दगी, क्यूँ सड़कों पर खोता बचपन, धुएं और शोर के बीच, अश्कों में खोता बचपन, भूखे पेट, तरसती आँखे, फिर भी मुस्कुराती ज़िन्दगी, चमकती आँखे, कभी किताबों तो कभी फूलों को बेचने की जुगत में खोता बचपन, तो कभी लाचारी और अपंगता में खोता बचपन, क्यूँ रोती, बिलखती ज़िन्दगी, क्यूँ सड़कों पर खोता बचपन, धुएं और शोर के बीच, क्यूँ अश्कों में खोता बचपन... भूखे पेट, तरसती आँखे, दो रुपये, तरसती सांसें, क्यूँ धुओं में खोता बचपन, चोरी, नशा और ज़ुल्म में पड़, सड़कों पर रोता बचपन, ये रोती, बिलखती ज़िन्दगी, ये सड़कों पर खोता बचपन, धुएं और शोर के बीच, अश्कों में खोता बचपन... बाबूजी, एक रूपया दे दो, कहके आया पास मेरे, चेहरे पर मोती, पेट में भूख, ले आया वो पास मेरे, मैंने पुछा, क्या होगा जो एक रूपया मैं दे दूंगा, बोला वो, एक रूपया जोड़, माँ का पेट मैं भर लूँगा, गुज़र गया आँखों के आगे, क्यूँ उसका सारा बचपन, हाँथ जोड़ क्यूँ खड़ा रहा, आँखों के आगे सारा बचपन, ये रोती, बिलखती ज़िन्दगी, ये सड़कों पर खोता बचपन, धुएं और शोर के बीच, अश्कों में खोता बचपन.

फुटबॉल गेंदों की सिलाई

टायर की मरम्मत

आाईए हम सब प्रण ले की हम सब बाल श्रम को समाप्त कर दे गए