प्रयोजनमूलक हिंदी

4,367 views 9 slides Aug 29, 2017
Slide 1
Slide 1 of 9
Slide 1
1
Slide 2
2
Slide 3
3
Slide 4
4
Slide 5
5
Slide 6
6
Slide 7
7
Slide 8
8
Slide 9
9

About This Presentation

Funcional Hindi , Definitions, Scope and objectives


Slide Content

प्रयोजनमूलक हिंदी योगेश निवृत्ति म्हस्के सहायक प्राध्यापक- हिंदी संदीप विश्वविद्यालय , नाशिक संवाद - [email protected]

प्रयोजनमूलक हिंदी की परिभाषाएँ १ डॉ. मोटूरी सत्यनारायण :जीवन की आव्यश्क्ताओं की पूर्ति के लिए उपयोग में लायी जाने वाली हिंदी ही प्रयोजनमूलक हिंदी है | २ डॉ. रघुवीर सहाय: प्रयोजनमूलक हिंदी की परिकल्पना यह मानकर चलती है कि वह एक ऐसी शब्दावली होगी जो ज्ञान के सम्प्रेषण में काम आएगी और इसलिए बाकी शब्दावली से भिन्न होगी या उसपर आश्रित नहीं होगी | ३ प्रोफ. न. वी. राजगोपालन : प्रयोजनमूलक भाषा, भाषा का वह रूप है, जिसका प्रयोग किसी प्रयोग विशेष अथवा कार्य विशेष के संदर्भ में होता है | ४ डॉ. शिवेंद्र वर्मा : प्रयोंमुलक हिंदी से तात्पर्य विषयबद्ध एवं परिस्थितिबद्ध हिंदी  भाषा रूप से है | ५ डॉ. महेंद्रसिंह राणा : प्रयोजनमूलक हिंदी से तात्पर्य है – हिंदी का वह प्र्युक्तिपर्क विशिष्ट रूप जो विषयगत, भूमिकागत, संदर्भगत प्रयोजन के लिए विशिष्ट भाषिक संरचना में प्रयुक्त किया जाता है और जो प्रशासन, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के अनेक विधि क्षेत्रों का कथ्य को अभिव्यंजित करने में सक्षम है | http://rkaribam.blogspot.in/2016/04/blog-post.html

प्र योजनमूलक हिन्दी का स्वरूप हिंदी जैसे बोली जाती है , वैसे ही लिखी जाती है एक शास्त्रीय भाषा का यह महत्वपूर्ण मानक है।  उसी प्रकार भाषा को हर व्यक्ति अपने अनुभव एवम ज्ञान के अनुरूप समझाता है। मनोविज्ञानी होवार्ड गार्डनर जी ने भाषा को विशेष बुद्धि के रूप में माना है।  आधुनिक शिक्षाविद भी भाषा के अब नए सिरे से पढ़ाने की बात मन रहे है। बहुत बार देखा गया है की शब्दोंका स्वतंत्र अस्तित्व होने के बावजूत , वशिष्ट सन्दर्भ में उसके अर्थ बदल जाते है। 

स्वरूप ……….. अंग्रेजी में सेल - बेचना , जेल , कोशिका ,कक्ष,कोठरी, बैटरी, कोष्ठिका, कोशाणु, खाना, खोह, मण्डप, रंध्र, गुट्ट, कोटर, बिल, गोदाम , तहखाना, छोटा कमरा, झोपड़ी, प्रकोष्ठ आदि शब्दोंका अर्थ निकलता है।  कौनसे स्थान पर कौनसा अर्थ चुनना चाहिए इस किये भाषा के प्रयोजन को सीखना आवश्यक है। हम हिंदी का प्रयोग आम तौर पर साहित्य रचने के लिए करते है , लेकिन आज का युग सम्प्रेषण का मन जाता है। जब हम भाषा की बिना अधूरे हो जाते है।  बेटा अपने परिवार के लिए जो भाव है वह शब्दों में व्यक्त करता है ,वैज्ञानिक अपनी अमिट खोज को शब्द बद्ध करता है , कवी साहित्य सागर के मोती अपनी रचना में लाते है। अपितु दफ्तरों , कारखानों , प्रशासन एवम व्यवसाय करते समय केवल साहित्यिक ही नहीं बल्कि तकनिकी भाषा का प्रयोग करना पड़ता है। इसी लिए बहुत से महाविद्यालयों एवम विश्वविद्यालयों में भाषा का कार्यात्मक (फंक्शनल) रूप पढ़ाया जाता है , ताकि पाठक एक और साहित्य से भावनाओंको समझे उसी के साथ व्यवहार में दक्ष बना रहे।  इसी की शरुवात प्रथम अंग्रेजी में हुई और फिर धीरे धीरे वह हिंदी में प्रयोजन मूलक हिंदी के नाम से पढ़ाई जाने लगी।

स्वरूप ……….. प्रयोजन मूलक हिंदी - विशिष्ट हेतु के साथ हिंदी भाषा को पढना - उचित सन्दर्भ के साथ हिंदी पढ़ना- साहित्य के अलावा दूसरे विषय समझने के लिए रोजमर्रा के व्यावसायिक कार्य करने के लिए दफ्तरों के कार्यों को समझने के लिए ब्लॉग लेखक रविन्द्र कुमार खरे अपने लेख में हिंदी को उद्देश्य के अनुसार १. सामान्य बोलचाल और व्यवहार की हिन्दी २. साहित्यिक हिन्दी ३ . प्रयोजनमूलक हिन्दी ऐसा विभाजित करते है। 

स्वरूप ………. शिक्षाविद भी मातृ भाषा में शिक्षा का प्रोत्साहन देते है। विज्ञानं एवम तकनिकी आज हिंदुस्तान के स्वतंत्रता के ७० साल तक भी अंग्रेजी में पढाये जाते है।  आज संगणक क्षेत्र भी हिंदी को अपना चूका है , विश्व हिंदी सीखने के लिए लालायित है , तो फिर हम क्यों न हिंदी में पत्र लिखे , शिक्षा का माध्यम हिंदी चुनकर ज्ञान - विज्ञानं - तकनिकी को अपनी भाषा में पढ़े , समझे । अनुसन्धान की भाषा अगर हिंदी बन जाये तो इस क्षेत्र में प्रगति हो जाएगी। हमारे मोबाइल के व्हाट्स एप की भाषा हिंदी बन जाय।  आज भाषा का जो प्रदूषण हो रहा है , कोई भी अपनी भाषा को शुद्धता से नहीं बोल पा रहा है।  हिंदी अंग्रेजी के साथ या तो प्रदेश विशेष की भाषा के साथ बोली जा रही है। इससे हिंदी के सादगी को खो सकते है। भाषा में समय अनुरूप परिवर्तन आते है लेकिन उसमे निखार आने के लिए प्रयोजन मूलक हिंदी प्रभावी ढंग से व्यावसायिक , वैज्ञानिक , तकनिकी , सांस्कृतिक, दर्शन , खेल , दूरदर्शन , रेडियो प्रसारण में प्रयोग करनी चाहिए।  तभी तो हम अच्छे वैज्ञानिक , अभियंता , वैज्ञानिक , अनुसंधाता , व्यवसायिक , पेशेवर वकील , निवेदक , कलाकार , भाषांतरकार   साहित्यिक, आदि बना पाएंगे। 

प्रयोजनमूलक हिन्दी के उद्देश्य १ . हिंदी भाषा को वर्धिष्णु बनाना २ . हिंदी भाषा की उपयोगिता को बढ़ाना ३ . राष्ट्र भाषा के रूप में हिंदी की स्थापना करना ४ . हिंदी को तकनिकी की भाषा बनाना ५ . हिंदी में ज्ञान - विज्ञान को बढ़ावा देना ६ . हिंदी भाषा में उच्च शिक्षा प्रदान करना ७ . हिंदी भाषा में अनुसन्धान एवं विकास योजनाएँ बनाना ८ . भाषा प्रदुषण कम करना ९ . हिंदी भाषा को व्यवहार में बनाए रखना १० . हिंदी को जनमानस की भाषा बनाना ११ . हिंदी की प्रतिष्ठा बढ़ाना

प्रयोजनमूलक हिन्दी की परिव्याप्ति १. राजभाषा और उससे सबंद्ध क्षेत्र (कामकाजी क्षेत्र ) २. पत्रकारिता ३. श्राव्य माध्यम ४. दूरदर्शन और चलचित्र ५. अनुवाद और उसके माध्यम के विज्ञान, तकनीक और व्यापार । ६. शिक्षा ७ . अनुसन्धान एवं निर्माण कार्य

धन्यवाद