हिन्दी बालकथाओं के सरताज गोविंद शर्मा जी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व
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बाल कहानियों के सिद्धहस्त लेखक, हिन्दी बालकथाओं के सरताज गोविंद शर्मा जी का जीवन और लेखन हिन्दी में। सन् 1971 से निरं�...
बाल कहानियों के सिद्धहस्त लेखक, हिन्दी बालकथाओं के सरताज गोविंद शर्मा जी का जीवन और लेखन हिन्दी में। सन् 1971 से निरंतर बाल साहित्य रच रहे श्री गोविन्द शर्मा जी अब तक दर्जनों पुस्तकें लिख चुके हैं, बालकथा संग्रह 'काचू की टोपी' पर उन्हें केंद्रीय साहित्य अकादमी का वर्ष 2019 का सर्वोच्च बाल साहित्य पुरस्कार मिला था। राजस्थान में हिंदी की किसी पुस्तक पर और राजस्थान के किसी हिंदी बाल साहित्यकार को यह पुरस्कार पहली बार मिला और अब तक वही एकमात्र हिंदी बालकथा लेखक हैं जिन्हें यह पुरस्कार मिला है। गोविंद शर्मा जी का बालकथा संग्रह गलती बँट गई, ऐसे मिली सीख, पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करती बाल कहानियाँ : 'पेड़ और बादल', एक खास मुकाम बनाएगा यह बालकथा संग्रह : गलती बँट गई, बाल उपन्यास नाचू के रंग, सौ लघुकथाओं का संग्रह ठूंठ, गोविंद शर्मा जी का नवीनतम प्रकाशन 'पढ़ोगे तो हंसोगे' की समीक्षा, पढ़ोगे तो हँसोगे (चटपटे चुटकुले), पढ़िए बाल साहित्यकार Govind Sharma Biography and Literary Works in Hindi, Dr. Mulla Adam Ali Hindi Language and Literature Blog and Youtube Channal, हिंदी प्रेमी डॉ. मुल्ला आदम अली हिंदी भाषा और साहित्यिक ब्लॉग और यूट्यूब चैनल, हमारे हिंदी साहित्यिक ब्लॉग पर पढ़े हिंदी की प्रसिद्ध कविताएं, कहानियां, बाल कहानियां, बाल कविताएं, प्रतिनिधि बाल कविताएं, शिक्षाप्रद कहानियां और कविताएं, पुस्तक समीक्षाएं, जीवनी, नाटक, उपन्यास, अनमोल विचार आदि। हिंदी प्रेमियों का लोकप्रिय ब्लॉग।
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Added: Apr 14, 2025
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डॉ. मुल्ला आदम अली
हिंदी भाषा और साहित्यिक ब्लॉग
APRIL 14, 2025 www.drmullaadamali.com
सन् 1971 से निरंतर बाल साहित्य रच रहे श्री गोविन्द शर्मा जी अब
तक दर्जनों पुस्तकें लिख चुके हैं, जिनका विवरण इस पुस्तक में भी
दिया गया है। अभी इनका नया बाल कहानी संग्रह 'हवा का इंतजाम'
आया है। श्री शर्मा की यह विशेषता रही है कि उनके संग्रह के शीर्षक
वाली कहानियाँ सदैव लोकप्रिय और चर्चित रहती हैं। इस संग्रह में भी
पहली कहानी ही पुस्तक शीर्षक वाली है। निश्चित रूप से ये कहानी ही
नहीं बल्कि संग्रह की सभी कहानियाँ इतनी अच्छी हैं कि जो एक बार
पढ़ने के बाद भूली नहीं जा सकतीं। बच्चों की भावनाओं के अनुरूप
कहानी लिखने का गुण यदि किसी में है, तो वे हैं गोविन्द जी शर्मा।
बाल कहानियों में सिद्धहस्त कहे जाने वाले गोविन्द जी ने एक से
बढ़कर एक बाल कहानियाँ लिखीं हैं। इनकी कुछ कहानियाँ विद्यालयी
पाठ्यक्रमों में पढ़ाई जा रही हैं।
व्यक्तित्व एवं कृतित्व
सन् 1971-72 से निरंतर बाल साहित्य, व्यंग्य एवं
लघुकथा लेखन में सक्रिय, अब तक बाल साहित्य की
50 पुस्तकें प्रकाशित। दो व्यंग्य संग्रह, 5 लघुकथा
संग्रह, दो जीवनियाँ एवं अन्य पुस्तकें प्रकाशित। अब
तक 60 पुस्तकें छप चुकी हैं। राजस्थान, दिल्ली,
महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के स्कूली पाठ्यक्रम
में इनके बाल कहानियाँ एवं बाल एकांकी कई वर्षों से
संकलित हैं। कुछ पुस्तकों का हिंदी से अन्य भाषाओं में
भी अनुवाद प्रकाशित। प्रकाशन विभाग, भारत सरकार
के प्रतिष्ठित पुरस्कार भारतेंदु पुरस्कार से 1999 में,
उससे अगले वर्ष राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर
के शंभु दयाल सक्सेना बाल साहित्य पुरस्कार से
सम्मानित किया गया। बालकथा संग्रह 'काचू की टोपी'
को केंद्रीय साहित्य अकादमी ने हिंदी बाल साहित्य
पुरस्कार 2019 से पुरस्कृत किया। केंद्रीय साहित्य
अकादमी का यह पुरस्कार राजस्थान के किसी हिंदी
बाल साहित्यकार को पहली बार मिला है। सन् 2023
में राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर द्वारा विशिष्ट
साहित्यकार सम्मान दिया गया। इसके अलावा
राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड,
मध्य प्रदेश एवं उड़ीसा आदि प्रदेशों की कई प्रतिष्ठित
साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत/सम्मानित किया
गया है।
बाल कहानियों के सिद्धहस्त लेखक
गोविंद शर्मा
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गोविंद शर्मा
Govind Sharma
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गोविंद शर्मा
डॉ. मुल्ला आदम अली
हिंदी भाषा और साहित्यिक ब्लॉग
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बाल साहित्य, व्यंग्य एवं लघुकथा लेखन में सन् 1971-72 से निरंतर
सक्रिय बाल कहानियों के सिद्धहस्त लेखक संगरिया के वरिष्ठ बाल
साहित्यकार गोविंद शर्मा की बाल कथाओं की तीन संग्रह मराठी भाषा
में प्रकाशित हुए हैं इनके अनुवाद सुनीता पाटिल और श्रद्धा पाटिल ने
किया है। प्रकाशन मनोहर पाटिल (कोल्हापुर - महाराष्ट्र) ने किया है।
एक बाल कथा संग्रह ह्यगंगू की गरमी ह्य का ओड़िया भाषा में अनुवाद
तथा प्रकाशन श्री लक्ष्मीकांत खूंटिया (भुवनेश्वर-उड़ीसा) में किया है।
हिन्दी बालकथाओं के सरताज
सुपरिचित बाल साहित्य रचनाकार श्री गोविंद शर्मा गत
पचास वर्ष से बाल साहित्य, लघुकथा और व्यंग्य आदि
विधाओं में निरंतर रचना कर्म कर रहे हैं। अब तक
उनकी पचास पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। मुझे यह
बताते हुए हर्ष हो रहा है कि उनकी अधिकांश पुस्तकें
हमारे संस्थान 'साहित्यागार' से प्रकाशित हुई है। उनकी
बाल साहित्य की 4 पुस्तकें नेशनल बुक ट्रस्ट से भी
प्रकाशित हुई है।
हमारे लिए खुशी और गौरव की बात है कि हमारे
प्रकाशन से प्रकाशित उनके बालकथा संग्रह 'काचू की
टोपी' पर उन्हें केंद्रीय साहित्य अकादमी का वर्ष 2019
का सर्वोच्च बाल साहित्य पुरस्कार मिला था। राजस्थान
में हिंदी की किसी पुस्तक पर और राजस्थान के किसी
हिंदी बाल साहित्यकार को यह पुरस्कार पहली बार
मिला और अब तक वही एकमात्र हिंदी बालकथा
लेखक हैं जिन्हें यह पुरस्कार मिला है।
मोहक इन्द्रधनुषी रंग-बिरंगी छटा
सी मनभावन कहानियां
गोविंद शर्मा
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Govind Sharma
गोविंद शर्मा की बाल कथा संग्रहों का
मराठी भाषा में अनुवाद
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बाल कथा संग्रह अनुवाद
अब तक शर्मा जी की 62 पुस्तकें
साहित्य की अलग -अलग विधाओं में
प्रकाशित हुई है।जिसमें 51 पुस्तकें बाल
साहित्य की ही है। मुझे यह कहते हुए
गर्व है कि मुझे लेखक महोदय की
रचनाएं अपने विद्यालय में बच्चों को
पाठ्यक्रम में पढ़ाने का सौभाग्य मिला।
सद्य प्रकाशित बाल कहानी संग्रह
-सतरंगी बाल कहानियाॅं के लेखक
श्री गोविन्द शर्मा जी लगभग 52
वर्षों से बालसाहित्य की अनेक
विधाओं में सतत बालमन को भाने
वाली रचनाओं का सृजन पूर्ण
रूपेण बाल मनोविज्ञान के अनुरूप
कर रहे हैं।वे आज लेखन के क्षेत्र में
किसी परिचय के मोहताज नहीं है।
लेखक सरल, सादगी युक्त विशिष्ट
व्यक्तित्व व कृतित्व के धनी हैं। अपनी
उत्कृष्ट व प्रखर लेखनी के कारण ही यह
पहले राजस्थान के ऐसे बाल
साहित्यकार हैं जिन्हें केंद्रीय साहित्य
अकादमी ने अपना सर्वोच्च पुरस्कार
प्रदान किया।
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सतरंगी बाल कहानियां
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काचू की टोपी
Written By: Govind Sharma
हिन्दी बाल कहानियों के सिद्धहस्त लेखक श्री गोविन्द शर्मा जी द्वारा
लिखी गई बालकथा संग्रह को 2019 में बाल साहित्य का सर्वोच्च
पुरस्कार साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार से नवाजा गया
है। काचू की टोपी बाल-कहानी संग्रह में कहानियां है दोस्ती का फूल,
काचू की टोपी, ईश्वर, मोबाइल कबूतर, अब नादानी नहीं, तारक की
वफादारी, चूहों की घंटी, नींद की गोली, नाव से आगे, दोस्ती तेजू
और सुस्तू की, सीख सुहानी बचपन से, सुपर साइकिल, किताबों के
पैर, शेर की आजादी, घोड़ी का बच्चा, बेरी का भूत, शेर चिड़िया की
दोस्ती, रस्सी बोली। काचू की टोपी बालकथा संग्रह की बालकथाएं
बच्चों को नई ऊर्जा, नई सोच एवं नई दिशा प्रदान करने वाली है।
काचू की टोपी कहानी संग्रह में हर एक कहानी मानवीय मूल्यों को
बढ़ावा देती है और बालकों के व्यक्तित्व के साथ प्रौढ़ व्यक्तित्व को
भी निखारने में ये कहानियां सहायक सिद्ध होगी। उन्नीस कहानियों
का संकलन काचू की टोपी बालकों के लिए सचित्र वर्णन और
शिक्षाप्रद, मूल्यों पर आधारित है।
काचू की टोपी : हिन्दी बाल कहानी
नाचू। कौन हैं नाचू? वह दस वर्ष का है।
भोला-सा चेहरा। चेहरे पर हर समय एक
मुस्कान। कुछ लोग उसकी मुस्कान से डरते
भी हैं। पता नहीं यह मुस्कान कब गायब हो
जाए। उसकी जगह आ जाए गुस्सा या
गंभीरता? जी नहीं, उसे किसी ने कभी गुस्से
में नहीं देखा। मुँह फुलाकर बैठना तो उसे
आता भी नहीं। हाँ, उसकी मंद-मंद मुस्कान
कभी-कभी कहकहा बन जाती है। वह जोरों
से हँसता है। वह मुस्कुराता है या फिर हँसता
है।
हिन्दी बाल उपन्यास :
नाचू के रंग
Govind Sharma
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हिन्दी बालकथा: पानी में पैसा
Kachi Ki Topi
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हिन्दी बाल कहानी : हमारी रिश्तेदारियाँ
हिंदी बाल कहानी : जादुई कप
हिन्दी बाल कहानी : चूहों की नहर
बाल कहानी : चोरी करना छोड़ दिया
रोचक विज्ञान कहानियाँ : बड़े भाई की देन
बालकथा संग्रह: ऐसे मिली सीख - समीक्षा
50+ लघुकथा संग्रह ठूँठ की लघुकहानियां
'ठूंठ' : 100 Laghu Kathayein
नाचू के रंग : बाल उपन्यास की समीक्षा
एक खास मुकाम बनाएगा यह
बालकथा संग्रह : गलती बँट गई
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Nachu Ke Rang