Stories with Moral in Hindi - बंदर और शंख की कहानी
kahanizoneinfo
38 views
1 slides
Apr 25, 2025
Slide 1 of 1
1
About This Presentation
एक छोटा सा गाँव रामपुर था जहाँ पर सब बहुत खुशी-खुशी जीवन यापन करते थे। उस गाँव के लोग एक दूसरे की मदद के लिए हमेशा तैय...
एक छोटा सा गाँव रामपुर था जहाँ पर सब बहुत खुशी-खुशी जीवन यापन करते थे। उस गाँव के लोग एक दूसरे की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। गाँव से दूर चंपारण नाम का एक वन था जहाँ पर बहुत सारे पशु-पक्षी आपस में मिलकर रहते थे। उसी जंगल में एक चीकू नाम का बंदर रहता था जो अपनी शरारत के लिए जाना जाता था।
एक दिन चीकू बंदर रामपुर गाँव आ गया और चुपके से पंडित जी के घर से उनकी शंख को चुरा ले गया। चीकू को एक रात शरारत सूझी, रात के बारह बजे थे, पीपल के घने पेड़ पर चढ़ कर शंख को तेज-तेज बजाने लगा। रामपुर गाँव के सभी निवासी रात में जाग गये और शंख की आवाज के लिए तरह-तरह की बातें करने लगे। चीकू उस दिन से हमेशा रात को ऐसा करता था। जिसके कारण गाँव वालों की नींद भी खराब होती थी।
पूरे गाँव में डर का माहौल रहने लगा उस गाँव के पंडित जी एक दिन पूजा सुनाने जा रहे थे और उनको उनकी शंख नहीं मिल रही थी। पंडित जी के दिमाग में तुरंत विचार आया कि रात में जो शंख की आवाज आती हैं, कही वह मेरी शंख से तो नहीं होती ही। उसी रात पंडित जी चंपारण वन पीपल के पेड़ के पास गये और देखे की एक बंदर शंख को बाजा रहा हैं।
अगली रात पंडित जी ने अपने साथ केले लेकर गए, पंडित जी ने पीपल के पेड़ के नीचे केले रख दिए, पेड़ के ऊपर से चीकू बंदर केले को देखते ही, शंख को छोड़ कर नीचे भागा। पंडित जी शंख लेकर अपने गाँव चले गए और सभी ग्रामवासियों को चंपारण वन की घटना सुनाई। उस रात से शंख बजने की आवाज बंद हो गई और रामपुर गाँव के लोग चैन की नीद सोने लगे।
नैतिक सीख:
किसी बात की अफवाह पर विश्वास करने से अच्छा हैं उसके पास जाकर सच्चाई को देखना और समझना चाहिए।
Size: 550.78 KB
Language: none
Added: Apr 25, 2025
Slides: 1 pages
Slide Content
बंदर और शंख की कहानी
एक छोटा सा गााँव रामपुर था जहााँ पर सब बहुत खुशी-खुशी जीवन यापन करते थे।
उस गााँव के लोग एक दूसरे की मदद के ललए हमेशा तैयार रहते थे। गााँव से दूर
चंपारण नाम का एक वन था जहााँ पर बहुत सारे पशु-पक्षी आपस में ममलकर रहते
थे। उसी जंगल में एक चीकू नाम का बंदर रहता था जो अपनी शरारत के ललए जाना
जाता था।
एक ददन चीकू बंदर रामपुर गााँव आ गया और चुपके से पंमित जी के घर से उनकी
शंख को चुरा ले गया। चीकू को एक रात शरारत सूझी, रात के बारह बजे थे, पीपल
के घने पेड़ पर चढ़ कर शंख को तेज-तेज बजाने लगा। रामपुर गााँव के सभी ननवासी
रात में जाग गये और शंख की आवाज के ललए तरह-तरह की बातें करने लगे। चीकू
उस ददन से हमेशा रात को ऐसा करता था। जजसके कारण गााँव वालों की नींद भी
खराब होती थी।
पूरे गााँव में िर का माहौल रहने लगा उस गााँव के पंमित जी एक ददन पूजा सुनाने जा
रहे थे और उनको उनकी शंख नहीं ममल रही थी। पंमित जी के ददमाग में तुरंत नवचार
आया नक रात में जो शंख की आवाज आती हैं, कही वह मेरी शंख से तो नहीं होती
ही। उसी रात पंमित जी चंपारण वन पीपल के पेड़ के पास गये और देखे की एक
बंदर शंख को बाजा रहा हैं।
अगली रात पंमित जी ने अपने साथ के ले लेकर गए, पंमित जी ने पीपल के पेड़ के
नीचे के ले रख ददए, पेड़ के ऊपर से चीकू बंदर के ले को देखते ही, शंख को छोड़ कर
नीचे भागा। पंमित जी शंख लेकर अपने गााँव चले गए और सभी ग्रामवालसयों को
चंपारण वन की घटना सुनाई। उस रात से शंख बजने की आवाज बंद हो गई और
रामपुर गााँव के लोग चैन की नीद सोने लगे।
नकसी बात की अफवाह पर नवश्वास करने से अच्छा हैं उसके पास जाकर सच्चाई को
देखना और समझना चानहए।
@kahanizone.com
@kahanizone.com