तबले के घराने | Tabla ke Gharane.pptx

DrAmitKumarVerma 123 views 17 slides Aug 08, 2022
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About This Presentation

This slide presents a brief and appropriate introduction to different Gharana of Tabla.


Slide Content

तबले के घराने डॉ. अमित वर्मा असिस्टेंट प्रोफेसर (तबला) संगीत भवन, विश्व भारती विश्वविद्यालय शान्तिनिकेतन, प. बंगाल Email: [email protected]

तबले के घराने दिल्ली घराना अजराड़ा घराना लखनऊ घराना फ़र्रुखाबाद घराना बनारस घराना पंजाब घराना

दिल्ली घराना संस्थापक - सिद्धार खां डाढ़ी. खुले और जोरदार बोलों को तबले पर बजाए जाने के अनुकूल बनाकर एक नई शैली विकसित की , जो ‘दिल्ली बाज’ के नाम से जानी गई. इसे ‘दो उँगलियों का बाज’ या ‘किनार का बाज’ भी कहते है.

दिल्ली घराना दिल्ली बाज में तिट , धिट , तिरकिट , धाति , धगेनधा , धिन-गिन , तिन-किन आदि बोलों की प्रधानता होती है. इस घराने में नत्थू खां , गामी खां , इनाम अली खां , लतीफ़ अहमद खां , शफात अहमद खां आदि प्रसिद्द तबला वादक कलाकार हुए है.

अजराड़ा घराना संथापक - कल्लू खां और मीरू खां. दिल्ली के उस्ताद सिताब खां से तबला वादन की शिक्षा ग्रहण की. अजराड़ा - पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित गाँव.

अजराड़ा घराना डग्गे के बोलों की प्रधानता , तबले और डग्गे के वर्णों के गुथाव से निर्मित बोल – घेतग , घेनग , घेघेनक , दिंग-दिनागिन , धातग – घेतग आदि की प्रधानता. प्रमुख कलाकार - हबीबुद्दीन खां , सुधीर कुमार सक्सेना , हशमत खां , रमजान खां , अकरम खां आदि.

लखनऊ घराना संस्थापक - मोंदू खां और बख्शू खां. लखनऊ उस समय ‘कथक नृत्य’ और ‘ठुमरी गायन’ शैली का केंद्र था. कथक नृत्य के साथ संगति के कारण इस बाज को ‘नचकरन बाज’ भी कहा जाता है.

लखनऊ घराना लखनऊ बाज में धिरधिर , घड़ा S न , तक-घड़ा S न , क्ड़ा S न , किटतक-दिंगड़ , धिटधिट , गदिगन , धिनगिन , तूना-कत्ता आदि बोल प्रचुरता से बजाए जाते है. प्रमुख कलाकार - आबिद हुसैन , वाजिद हुसैन , अफ़ाक हुसैन , छुट्टन खां , हीरू गांगुली , अनिल भट्टाचार्या , स्वपन चौधरी आदि.

फ़र्रुखाबाद घराना संस्थापक - हाजी विलायत अली खां लखनऊ के उस्ताद बख्शू खां से तालीम प्राप्त की. बख्शू खां ने अपनी पुत्री का विवाह भी विलायत अली साहब से कर दिया था.

फ़र्रुखाबाद घराना इस घराने की वादन शैली में खुले बाज (लखनऊ) और बंद बाज (दिल्ली) का सुन्दर सम्मिश्रण है. पेशकार और कायदों के अतिरिक्त ‘रौ- रेला’ तथा ‘गतों’ का वादन फ़र्रुखाबाद बाज की सबसे बड़ी विशेषता है.

फ़र्रुखाबाद घराना इस बाज में धिरधिरकिटतक , तकिट-धा , दिंगनग , दिंगदीनाघिड़नग , धात्रक-धिकिट , धिनगिन, घड़ाSन , घिड़नग-दिनतग आदि बोलों का प्रमुखता से प्रयोग होता है. प्रमुख कलाकार – मुनीर खां, अमीर हुसैन , अहमदजान थिरकवा , मसीत खां , करामत उल्ला , ज्ञान प्रकाश घोष , साबिर खां, नयन घोष आदि.

बनारस घराना संस्थापक – राम सहाय लखनऊ घराने के उस्ताद मोंदूं खां से तबला वादन की शिक्षा ग्रहण की. बनारस की वादन शैली में पखावज के मुक्त प्रहार वाले बोलों का आधिक्य दिखाई देता है. ‘उठान’ से तबला वादन आरम्भ किया जाता है.

बनारस घराना इस बाज में तबले के बोलों के साथ पखावज, ताशा, नक्कारे के बोलों का भी समावेश किया गया. छंद , परन , गत-परन , फर्द , चक्करदार रचनाओं के साथ साथ देवी- देवताओं की स्तुति परनों का वादन इस घराने की प्रमुख विशेषताएँ है.

बनारस घराना प्रमुख बोल – धेटे-धेटे, गदिगन, धुमकिट, त्रकधेत, तड़न्न, धड़न्न, तकिट-तका, त्रघिन्न आदि. प्रमुख कलाकार - राम शरण मिश्र , प्रताप महाराज , भैरव सहाय , बिक्कू महाराज , कंठे महाराज , अनोखे लाल मिश्र , सामता प्रसाद , किशन महाराज आदि.

पंजाब घराना संस्थापक - लाला भवानी दास/भवानी सिंह. लाला भवानी दास ने ताज खां , हद्दू खां , कादिर बख्श जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों को तैयार किया पखावज से प्रभावित होने के कारण यह बाज जोरदार और खुला है. चारों उँगलियों के साथ तबले पर थाप का प्रहार किया जाता है.

पंजाब घराना बड़ी बड़ी गतें , परनें , चक्करदार गतें , चक्करदार परने तथा लयकारियों से युक्त तिहाइयों का प्रयोग इस घराने की प्रमुख विशेषताएँ है. इस घराने के कुछ प्रसिद्द कलाकारों में हुसैन बख्श , फकीर बख्श , करम इलाही , अल्ला रक्खा , ज़ाकिर हुसैन , योगेश शम्शी आदि.

Thank you Presentation By Dr. Amit Verma Assistant Professor Sangeet Bhawan, Visva Bharati University Shantiniketan , West Bengal Email: [email protected]