अ
नेकता
में एक
ता
ईश्वर ने जब इस सं
सार
की रच
ना
की तो धर
ती
पर वि
भिन्न
प्र
कार
के वृ
क्ष
, फू
ल
,फ
ल
और जी
व
जं
तुओं
को
ब
नाया।
अलग अलग के मौ
सम
ब
नाए
। खू
बसूरत
न
दियां
, झर
ने
और ता
लाब
ब
नाए।
ह
म
ज
हां
भी च
ले
जा
एं
,
वि
विधताओं
के द
र्शन
हो
ते
हैं
।
य
ही
वि
विधता
ह
मारे
श्रृ
ष्टि
को म
नभावन
ब
नाती
है
।
जि
स
प्र
कार
त
रह
त
रह
के
फू
लों
से बा
ग
की शो
भा
हो
ती
है, वि
भिन्न
प्र
कार
के भो
जन
से जि
ह्वा
तृ
प्त
हो
ती
है उ
सी
प्र
कार
से अलग अलग
वि
चारों
वा
ले
और भि
न्न
भि
न्न
सं
स्कृतियों
वा
ले
लो
ग
जब मि
लजुल
कर रह
ते
हैं एक खू
बसूरत
स
माज
का नि
र्माण
हो
ता
है
।
यूं तो दे
खा
जा
ए
तो पू
रा
वि
श्व
ही एक प
रिवार
है और ह
मारा
दे
श
भा
रत
तो स
दियों
से अ
नेकता
में
एक
ता
की मि
साल
ब
ना
हुआ है
।
ह
मारे
दे
श
में अलग अलग जा
ति
ध
र्म
जा
ति
ध
र्म
के लो
ग
भा
ईचारे
के सा
थ
रह
ते
हैं
।
उ
नके
प
रिधान
अलग हैं, भा
षाएं
अलग है, खा
न
पा
न
अलग है और ध
र्म
अलग हैं ले
किन
सब भा
रतीय
एक हैं
और य
ही
अ
नेकता
में एक
ता
की सं
कृति
ने भा
रत
को वि
श्वगुरु
का स्
थान
दि
लाया
है
।