Very short story in hindi with moral - प्यास कौवा 😍
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Apr 19, 2025
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एक बार की बात हैं एक कौवा आसमान में उड़ रहा था, जोकि बहुत प्यासा था। उड़ते-उड़ते उसे एक कुआँ दिखाई दिया। कौए ने सोचा चलो �...
एक बार की बात हैं एक कौवा आसमान में उड़ रहा था, जोकि बहुत प्यासा था। उड़ते-उड़ते उसे एक कुआँ दिखाई दिया। कौए ने सोचा चलो इस कुएं पर अपनी प्यास बुझा लेता हूँ। कौवा कुएं पर आकर देखता हैं कि वह कुंआ तो सूखा होता हैं।
कौवा दुखी हो जाता हैं उसकी प्यास और बढ़ती जाती हैं। कौवा फिर से उड़ान भरता हैं। उड़ते-उड़ते काफी दूर आगे निकल आता हैं नीचे देखता हैं तो नदियाँ तालाब सब सूखे हुए होते हैं।
कौवा सोचता हैं अब तो प्यास के कारण जान निकल जाएगी। कुछ दूर और आगे जाने के बाद उसे एक नीम के पेड़ के नीचे एक घड़ा रखा हुआ दिखाई देता हैं। कौए के मन में एक आस जागी। वह सोचता हैं कि उसे यहाँ पर पीने के लिए पानी जरूर मिल जाएगा।
लेकिन, जब वह घड़े के ऊपर जाकर बैठा तो देखा कि घड़े में पानी तो हैं लेकिन उसकी चोंच वहाँ तक नहीं पहुँच पा रही हैं। कौवा भगवान को कोसने लगता हैं, वह कहता हैं- हे भगवान, अब हमारी परीक्षा मत लो, मुझे पानी पीने का जतन बताओ।
कौवा बहुत मायूस हो जाता हैं, उसकी आँखों में आँसू भर आते हैं। तभी कौवे की नजर घड़े के आसपास पड़े छोटे-बड़े पत्थरों पर पड़ती हैं। कौवा बिना देर किए एक-एक करके पत्थरों को घड़े में डालना शुरू कर देता हैं।
देखते ही देखते घड़े का पानी ऊपर आना शुरू हो जाता हैं। इस तरह से कौवे को पीने के लिए पानी मिल जाता हैं। कौवा भगवान का शुक्रिया अदा करता हैं और वह वहाँ से उड़ जाता हैं।
नैतिक सीख:
बुद्धिमानी के साथ लिया गया फैसला सफलता की ओर ले जाता हैं।
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Added: Apr 19, 2025
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Slide Content
एक बार की बात हैं एक कौवा आसमान में उड़ रहा था, जोकक बहुत प्यासा था।
उड़ते-उड़ते उसे एक कु आँ दिखाई दिया। कौए ने सोचा चलो इस कु एं पर
अपनी प्यास बुझा लेता हँ। कौवा कु एं पर आकर िेखता हैं कक वह कुं आ तो
सूखा होता हैं।
कौवा �खी हो जाता हैं उसकी प्यास और बढ़ती जाती हैं। कौवा किर से उड़ान
भरता हैं। उड़ते-उड़ते कािी �र आगे कनकल आता हैं नीचे िेखता हैं तो नदियाँ
तालाब सब सूखे हुए होते हैं।
कौवा सोचता हैं अब तो प्यास के कारण जान कनकल जाएगी। कु छ �र और
आगे जाने के बाि उसे एक नीम के पेड़ के नीचे एक घड़ा रखा हुआ दिखाई
िेता हैं। कौए के मन में एक आस जागी। वह सोचता हैं कक उसे यहाँ पर पीने के
ललए पानी जरूर ममल जाएगा।
लेककन, जब वह घड़े के ऊपर जाकर बैठा तो िेखा कक घड़े में पानी तो हैं लेककन
उसकी चोंच वहाँ तक नहीं पहुँच पा रही हैं। कौवा भगवान को कोसने लगता हैं,
वह कहता हैं- हे भगवान, अब हमारी परीक्षा मत लो, मुझे पानी पीने का जतन
बताओ।
कौवा बहुत मायूस हो जाता हैं, उसकी आँखों में आँसू भर आते हैं। तभी कौवे
की नजर घड़े के आसपास पड़े छोटे-बड़े पत्थरों पर पड़ती हैं। कौवा कबना िेर
ककए एक-एक करके पत्थरों को घड़े में डालना शुरू कर िेता हैं।
िेखते ही िेखते घड़े का पानी ऊपर आना शुरू हो जाता हैं। इस तरह से कौवे
को पीने के ललए पानी ममल जाता हैं। कौवा भगवान का शुकिया अिा करता हैं
और वह वहाँ से उड़ जाता हैं।
बुद्धिमानी के साथ ललया गया िै सला सिलता की ओर ले जाता हैं।