पेंशन हर सरकारी कर्मचारी के जीवन में बहुत ज़रूरी होती है। यह बुढ़ापे का सहारा होती है, जब शरीर साथ नहीं देता और काम �...
पेंशन हर सरकारी कर्मचारी के जीवन में बहुत ज़रूरी होती है। यह बुढ़ापे का सहारा होती है, जब शरीर साथ नहीं देता और काम करने की ताकत खत्म हो जाती है। पेंशन वह उम्मीद होती है, जिससे रिटायर व्यक्ति सम्मान के साथ अपना जीवन जी सके। लेकिन नई पेंशन योजना आने के बाद, पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया, जिससे कर्मचारियों को अब अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है। नई योजना में पेंशन तय नहीं होती, बाजार पर निर्भर होती है। ऐसे में देशभर के कर्मचारी अब एकजुट होकर पुरानी पेंशन योजना को वापस लाने की मांग कर रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों ने आंदोलन कर सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया और वहां पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी गई। यही उदाहरण अब देश के अन्य राज्यों के कर्मचारियों को प्रेरणा दे रहा है। अब 1 मई 2025 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक बड़ा आंदोलन होने जा रहा है। यह सिर्फ प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक मिशन है – अपने हक और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने का। इस आंदोलन में हर कर्मचारी की भागीदारी ज़रूरी है।
बहुत से लोग सोचते हैं कि उनके न जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन अगर हर कोई यही सोच लेगा तो आंदोलन कमजोर पड़ जाएगा। जब हम चुनाव ड्यूटी कर सकते हैं, ऑफिस जा सकते हैं, तो अपने हक के लिए सड़कों पर क्यों नहीं उतर सकते? अगर दोनों पति-पत्नी को पेंशन चाहिए, तो आंदोलन में भी दोनों को भाग लेना चाहिए। महिलाएं भी ऑफिस, स्कूल और चुनाव ड्यूटी में जाती हैं, तो आंदोलन में भी शामिल हो सकती हैं।
आज बहानों का समय नहीं है। आज की लड़ाई आज ही लड़नी है। अगर आज हम चुप रहेंगे, तो कल कोई हमारी आवाज़ नहीं सुनेगा। हिमाचल की महिलाओं ने बच्चों को गोद में लेकर सड़कों पर संघर्ष किया और जीत हासिल की। हमें भी वैसे ही साहस और एकता दिखानी होगी। यह आंदोलन पैसे के लिए नहीं, बल्कि सम्मान और सुरक्षित भविष्य के लिए है।
1 मई को जंतर-मंतर पर एक ऐसी चिंगारी जलानी है, जो पूरे देश में कर्मचारियों को जागरूक करे। सोशल मीडिया का इस्तेमाल करें, पोस्टर बनाएं, वीडियो शेयर करें, और हर गली-मोहल्ले में इस आंदोलन की बात फैलाएं। एकजुटता ही सबसे बड़ी ताकत है। हमें सरकार को दिखाना है कि अब कर्मचारी चुप बैठने वाले नहीं हैं।
तो आइए, 1 मई को जंतर-मंतर चलें। यह लड़ाई सिर्फ आज की नहीं, बल्कि हमारे बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के सुरक्षित जीवन की है। हमें यह लड़ाई जीतनी ही होगी।
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Added: Apr 23, 2025
Slides: 3 pages
Slide Content
पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन | 1 मई 2025 जंतर-मंतर चलो अभियान
सरकारी कममचाररयों के हक की लडाई! पुरानी पेंशन बहाली के भलए 1 मई 2025 को जंतर-मंतर,
भदल्ली चलें। एकजुटता भदखाएं, िभिष्य सुरभित बनाएं ।
पेंशन एक ऐसी चीज़ है, जो हर सरकारी कर्मचारी के जीवन र्ें बहुत ज़�री होती है। जब कोई इंसान
अपने पूरे जीवन का सबसे अच्छा सर्य नौकरी र्ें लगा देता है, ददन-रात र्ेहनत करता है, अपने
पररवार से दूर रहकर, कई बार खतरों का सार्ना करके देश और सर्ाज के दलए कार् करता है, तो
उसके बुढापे का सहारा वही पेंशन होती है। पेंशन एक ऐसी लाठी है, जो बुढापे र्ें इंसान को सहारा देती
है। जब शरीर जवाब देने लगता है, कार् करने की ताकत नहीं रहती, तब यही पेंशन हर र्हीने एक
उम्मीद लेकर आती है दक अब भी हर्ारा जीवन सम्मान से चल सके गा।
आज देशभर र्ें बहुत से कर्मचारी इस पेंशन के दलए लडाई लड रहे हैं। नई पेंशन योजना के आने के
बाद से पुरानी पेंशन योजना बंद कर दी गई, और कर्मचाररयों को एक ऐसे दसस्टर् र्ें डाल ददया गया,
दजसर्ें बुढापे र्ें उन्हें ये भरोसा नहीं रहता दक उनका जीवन दबना दकसी दचंता के चलेगा। अब
कर्मचाररयों को यह डर सताने लगा है दक जब हर् बूढे हो जाएं गे, तब कौन हर्ारी र्दद करेगा? हर्ारी
पेंशन तो अब तय ही नहीं है, बाजार के उतार-चढाव पर चलने वाली रकर् पर हर् कै से अपना भदवष्य
सुरदित र्ानें? इसी बात ने हजारों कर्मचाररयों को एकजुट दकया है, और वे अब पुरानी पेंशन बहाली के
दलए आंदोलन कर रहे हैं।
कई राज्ों र्ें इस र्ुद्दे पर धरने-प्रदशमन हो चुके हैं। दहर्ाचल प्रदेश ने इस लडाई को बखूबी लडा और
वहां की सरकार को पुरानी पेंशन योजना लागू करनी पडी। यह सब हुआ कर्मचाररयों की एकजुटता
और दहम्मत के कारण। उन्होंने अपने छोटे-छोटे बच्ों को लेकर सडकों पर आंदोलन दकया, अपनी
आवाज़ को बुलंद दकया और आखखरकार अपना हक पाया। अब वही उम्मीद देश के दूसरे राज्ों के
कर्मचाररयों को भी है। सबको यह लगने लगा है दक अगर हर् भी एकजुट होकर अपनी बात कहें, तो
सरकार को हर्ारी बात र्ाननी पडेगी।
इसी दसलदसले र्ें 1 र्ई 2025 को जंतर-र्ंतर, ददल्ली र्ें एक बडा आंदोलन होने जा रहा है। यह के वल
एक प्रदशमन नहीं, बखि एक दर्शन है। इसर्ें भाग लेना हर उस कर्मचारी का फज़म है, जो अपनी और
अपने पररवार की सुरिा चाहता है। यह लडाई के वल आज की नहीं है, बखि आने वाली पीदढयों के
भदवष्य की भी है। अगर आज हर् चुप रहेंगे, तो आने वाले सर्य र्ें हर्ारे बच्े और उनके बाद की
पीढी भी इसी सर्स्या से जूझती रहेगी।
कई लोग सोचते हैं दक र्ैं नहीं जाऊं गा तो क्या फकम पडेगा। पर असली बात यही है दक जब हर कोई
यही सोचेगा, तो कोई भी नहीं जाएगा। अगर आप नहीं जाएं गे, तो दूसरा क्यों जाएगा? जब हर कोई ये
सोचने लगेगा दक र्ेरे पास सर्य नहीं है, र्ुझे कार् है, पत्नी भी नौकरी करती है, बच्ों को देखना है, तो
दफर इस लडाई को कौन लडेगा? ये सोच सही नहीं है। हर् चुनाव ड्यूटी करने जाते हैं, स्कू ल भी जाते
हैं, ऑदफस का सारा कार् भी करते हैं, तो दफर अपने हक के दलए क्यों नहीं? अगर आप दो पेंशन लेना
चाहेंगे, तो आंदोलन र्ें भी दो लोग जाने चादहए, आप और आपकी पत्नी। क्योंदक पेंशन दोनों को चादहए।
बहाने बहुत हो चुके । कोई कहता है दक र्ैं अगली बार जाऊं गा। पर अगली बार कभी नहीं आती। जो
लडाई आज लडनी है, वो आज ही लडनी पडेगी। कोई भी दूसरा आपके दलए लडने नहीं आएगा। जब
तक आप खुद अपने हक के दलए खडे नहीं होंगे, तब तक कु छ भी नहीं बदलेगा। र्दहलाओं का भी ये
सवाल है दक हर् कै से जाएं? लेदकन वही र्दहलाएं स्कू ल भी जाती हैं, ऑदफस भी जाती हैं, चुनाव ड्यूटी
भी करती हैं। तो दफर अपने हक के दलए जाना क्यों र्ुखिल है? पेंशन आपको भी चादहए, तो उसके
दलए लडाई भी आपको ही लडनी होगी। अपने बच्ों के भदवष्य के दलए हर्ें एक बार दफर से दहर्ाचल
की र्ातृशखि की तरह आगे आना होगा।
कई बार लोग कहते हैं दक हर्ारे पास सर्य नहीं है, या हर्ें गैरसैण नहीं जाना, दजला र्ुख्यालय नहीं
जाना, देहरादून नहीं जाना। तो कब जाओगे? ये बहाने कब तक चलते रहेंगे? क्या जब सबकु छ खत्म हो
जाएगा, तब? तब तो कोई फायदा नहीं। पेंशन वो चीज है, जो हर र्हीने दर्लती है। लडाई भी उसी तरह
लगातार लडी जानी चादहए। जब तक पेंशन नहीं दर्लेगी, तब तक धरने भी लगेंगे, प्रदशमन भी होंगे। जब
तक पेंशन बहाल नहीं होगी, हर्ें चैन से बैठना नहीं है।
जो साथी इस आंदोलन को लड रहे हैं, उन्हें भी वही एक पेंशन दर्लेगी। वो भी आपके ही जैसे कर्मचारी
हैं। उन्होंने अपने दवभागीय संगठनों र्ें दजम्मेदारी ली है और अब ये उनका परर् कतमव्य बनता है दक वे
इस दर्शन र्ें बढ-चढकर भाग लें। अगर वे आपके भदवष्य के दलए सडक पर खडे हो सकते हैं, तो क्या
आप उनके साथ नहीं खडे हो सकते? ये के वल उनकी लडाई नहीं है, ये हर् सबकी लडाई है।
इस बार सवाल-जवाब और बहानेबाजी बहुत हो गई। अब एक ही जवाब है — 1 र्ई 2025 को जंतर-
र्ंतर पर चलना है। पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन को र्जबूत करना है। हर्ें अपने हक की इस लडाई
को और तेज़ करना है। अगर दहर्ाचल के सादथयों ने अपने बच्ों को गोद र्ें लेकर आंदोलन दकया और
जीत हादसल की, तो हर् क्यों नहीं कर सकते? हर्ें भी आलस छोडकर, बहानेबाजी छोडकर, दनखियता
और नकारात्मकता से बाहर दनकलकर, अपने भदवष्य के दलए डटकर खडा होना होगा।
यह लडाई दसफम पैसों की नहीं है, यह सम्मान की भी है। जब कोई ररटायर होता है, तो वह चाहता है दक
उसे सम्मान के साथ, दबना दकसी दचंता के जीवन जीने का हक़ दर्ले। अगर आज हर् खार्ोश रहेंगे, तो
कल कोई हर्ारी आवाज़ नहीं सुनेगा। कल कोई हर्ारा हाल भी पूछने नहीं आएगा। इसी दलए आज उठ
खडे होना ज�री है।
दहर्ाचल ने ददखा ददया दक जब कर्मचारी एकजुट हो जाएं, तो कोई भी सरकार उनकी र्ांगें र्ानने को
र्जबूर हो जाती है। हर्ें भी वही करना है। 1 र्ई 2025 को हर्ें ददल्ली के जंतर-र्ंतर पर इकट्ठा होकर
इदतहास रचना है। हर कर्मचारी को वहां पहुंचना है। दसफम सोशल र्ीदडया पर पोस्ट डालने से कु छ नहीं
होगा। हर्ें सडकों पर उतरना होगा। अपने नेताओं को आगे लाना होगा। जनजाग�कता फै लानी होगी।
हर दकसी को बताना होगा दक पेंशन हर्ारा अदधकार है और हर् इसे लेकर रहेंगे।
एकजुटता ही हर्ारी सबसे बडी ताकत है। जब हर् सब एकजुट होंगे, तो हर्ारी आवाज़ दूर तक
जाएगी। सरकार भी तब सुनेगी, जब उसे लगेगा दक अब कर्मचारी शांत बैठने वाले नहीं हैं। इसदलए
सर्य आ गया है, जब हर्ें अपना हक खुद लेना है। 1 र्ई 2025 को ददल्ली चल पडना है।
हर्ारे पास अब ज्ादा सर्य नहीं है। हर्ें अपने पररवार, अपने बच्ों और अपने बुढापे की दचंता खुद
करनी होगी। ये सोदचए दक अगर पुरानी पेंशन नहीं दर्ली, तो बुढापे र्ें जब तनख्वाह नहीं दर्लेगी और
इलाज, घर के खचम, बच्ों की दजम्मेदारी बढ जाएगी, तब क्या होगा? यही सोदचए और इसी सोच के साथ
अपनी पूरी इच्छाशखि जुटाकर इस आंदोलन र्ें भाग लीदजए।
1 र्ई को जंतर-र्ंतर पर एक ऐसी ज्वाला जलानी है, जो हर कर्मचारी के ददल र्ें पेंशन की लडाई की
आग को और तेज़ कर दे। यह लडाई के वल आज के दलए नहीं है, यह आने वाली पीदढयों के दलए भी
है। इस लडाई को जीतना ही होगा।
हर कर्मचारी को अपनी भागीदारी सुदनदित करनी होगी। कोई पीछे नहीं रहे। नेता भी आगे आएं ।
सोशल र्ीदडया का सही तरीके से इस्तेर्ाल करें। वीदडयो बनाएं, र्ैसेज भेजें, पोस्टर बनाएं । हर गली, हर
र्ोहल्ले र्ें इस आंदोलन की बात होनी चादहए। सबको बताइए दक पेंशन हर्ारा हक है और हर् इसे
लेकर रहेंगे।
याद रखखए — एकजुटता ही हर्ारी ताकत है। पेंशन हर्ारा अदधकार है। हर्ें दर्लकर, एकजुट होकर,
दबना डरे, दबना �के, लगातार लडाई लडनी है। जब तक जीत नहीं दर्लती, तब तक लडते रहना है। 1
र्ई 2025 को चलो ददल्ली — जंतर-र्ंतर पर इदतहास रचने।
पेंशन है बुढापे का सहारा,
हर र्हीने दर्लने वाला हर्ारा।
अपने हक के दलए अब लडना है,
जंतर-र्ंतर जाकर कहना है।
सब दर्लकर आवाज़ उठाएँ गे,
अपना अदधकार वापस लाएँ गे।
1 र्ई को सब चल पडेंगे,
पुरानी पेंशन दफर से लेंगे।