'Lev Vygotsky' theory helpfull in ppt and exam
vicky9684947
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Sep 17, 2025
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Theory
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महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा, महाराष्ट्र शिक्षा विभाग विषयः शिक्षार्थी एवं उनका सन्दर्भ उपविषयः वायगात्सकी का सिद्धांत : भाषा, सीखना और विकास मार्गदर्शक डॉ. आर. पुष्पा नामदवे प्रस्तुतकर्ता विक्की मिश्रा B.ED ( प्रथम सेमेस्टर)
लेब सिमकोविच वाइगोत्सकी रूस के एक मनोवैज्ञानिक बालकों में होने वाले सामाजिक विकास से संबंधित एक सिद्धांत लेव वाइगोत्सकी के सिद्धांत को सामाजिक सांस्कतिक सिदधांत लेव वाइगोत्सकी
वाइगोत्सकी का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत वाइगोत्सकी एक रूसी मनो वैज्ञानिक थे इनका जन्म 1896 को हुआ और इनकी मृत्यु 1934 में हुई थी। इनका सिद्धांत Social Cultural development theory भी कहलाता है क्यों कि इन्होंने कहा कि बच्चे समाज और संस्कृति से सीखते हैं। उन्होंने कहा बालक समाज में अन्नोयन क्रिया करके सिखाते हैं।
इन्होंने संज्ञानात्मक विकास में कुछ कारक उत्तरदायी होते हैं जैसे A- समाज ( Society) B- संस्कृति ( Culture) C- भाषा और विचार ( Language and thought) D- अन्तरिकरण ( Interlisetion )
कुछ अन्य कारक जिनका वर्णन वाइगोत्सकी ने किया है- 1-ZPD(Zone proximal development)- समीपस्थ विकास मंडल-संभावित विकास के क्षेत्र की अवधारणा वाइगाट्सकी के सबसे महत्वपूर्ण योगदान में से एक है। संभावित विकास का क्षेत्र उस अंतर को रेखांकित करता है जो एक सीखने वाला खुद से कर सकता है और दूसरे की मदद से कर सकता है।
2-स्काफोल्डिंग ( Scaffolding)- कुछ समय के लिए दी जाने वाली सहायता स्काफोल्डिंग कहलाती है।
वाइगोत्सकी, "हमारे स्वयं का विकास दूसरों के द्वारा होता है।"* सामाजिक कारकों (परिवार, समाज, विद्यालय, मित्र मंडली परिवेश) पियाजे - पियाजे कहते है की बच्चे का विकास उसकी उम्र के अनुसार होता है और वाइगोत्सकी, बच्चे का विकास समाज के द्वारा होता है।
वाइगोत्सकी के अनुसारः- वाइगोत्सकी ने भाषा और सोच के बीच के संबंध का अध्ययन किया। उनके अनुसार, भाषा विचारों और सोच की प्रगति को बढ़ाती है और सोच को व्यक्त करने में मदद करती है। भाषा का विकास एक प्रगतिशील प्रक्रिया है जो विचारों को एक साझा साधन के रूप में उपयोगी बनाती है। वाइगोत्सकी भाषा के सामाजिक अर्थात् सामाजिक अंतः क्रिया स्वरूप पर बल देते हैं।
अंतः क्रियाएँ (अंतःवाक्) भाषा का विकास करती है। भाषा एवं चिन्तन एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से विकसित होते हैं। भाषा शिक्षण एवं शिक्षण विधियां इसके द्वारा बिना मातृभाषा का प्रयोग किए हुए सीधे, एक नई भाषा की शिक्षा दी जाती हैं। इस पद्यति में भाषा की पढायी वार्तालाप द्वारा आरंभ होती है।
अनुवाद व्याकरण (परोक्ष विधि):- विद्यार्थीयों को व्याकरण के नियम पहले ही सिखया जाते हैं। यह मान लिया जाता है कि सीखने वाले को अपनी मातृभाषा पर अधिकार है और वह उसी की सहायतासे दूसरी भाषा सीख सकता है। 2. शब्द परिवर्तन विधि ( आदेश विधि ):- एक वाक्य के एक या अधिक शब्दों का परिवर्तन करके उन सब वाक्यों के अभ्यास द्वारा भाषा की आदतें बनाने के क्रम को शब्द परिवर्तन कहा जाता है।
3. द्विभाषिक विधिः - नई भाषा सीखते समय अध्ययन - अध्यापन पद्यति में दो भाषाओं को उपयोग किया जाता है मातृभाषा और सीखने की दूसरी भाषा। जब बालक अपनी मातृभाषा सीखता है उस वक्त कई प्रसंगों को समझ लेता है और दूसरी भाषा सीखते समय उसी भाषा में उन प्रसंगों का आयोजन करना पड़ता है।