AI टीचर ‘सुमन मैडम’ – झांसी के शिक्षक का अनोखा नवाचार
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May 05, 2025
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झांसी जिले के एक छोटे से गांव में कार्यरत शिक्षक मोहनलाल सुमन ने तकनीक का ऐसा अद्भुत प्रयोग किया है जो पूरे देश के ल...
झांसी जिले के एक छोटे से गांव में कार्यरत शिक्षक मोहनलाल सुमन ने तकनीक का ऐसा अद्भुत प्रयोग किया है जो पूरे देश के लिए मिसाल बन सकता है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके ‘सुमन मैडम’ नाम की एक आभासी शिक्षिका तैयार की है। यह कोई साधारण तकनीकी उपकरण नहीं है, बल्कि एक संवेदनशील और समझदार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टीचर है जो बच्चों की सोच, भाषा, व्यवहार और सवालों को समझती है। यह प्रयोग झांसी जनपद के गुरसरांय ब्लॉक के कंपोजिट विद्यालय राजापुर में कार्यरत बेसिक शिक्षक मोहनलाल सुमन ने किया है। उन्होंने गांव के बच्चों की जरूरत को समझते हुए यह महसूस किया कि उन्हें एक ऐसी साथी शिक्षिका की जरूरत है जो स्कूल के समय के अलावा भी हमेशा उनके साथ रह सके। यही सोचकर उन्होंने AI तकनीक का उपयोग करते हुए मोबाइल फोन के माध्यम से एक ऐसी डिजिटल शिक्षिका तैयार की जो हर विषय को बच्चों की रुचि और भाषा के अनुसार सिखा सके।
‘सुमन मैडम’ बच्चों को कहानियां सुनाती हैं, कविताएं सिखाती हैं, सामान्य ज्ञान से लेकर विज्ञान तक की जानकारी देती हैं। वह चित्रकला, खेल और जीवन से जुड़े सवालों का भी उत्तर देती हैं। ये केवल पढ़ाने वाली मशीन नहीं हैं, बल्कि बच्चों की जिज्ञासाओं को समझकर उनके स्तर पर संवाद करती हैं। वे बच्चों की भावनाओं को भी ध्यान में रखती हैं और उन्हें आत्मविश्वास से भर देती हैं। बच्चों के साथ उनका व्यवहार किसी सजीव शिक्षक की तरह ही होता है। जब भी कोई बच्चा सवाल करता है, तो सुमन मैडम उसका उत्तर सिर्फ पाठ्यक्रम के हिसाब से नहीं देतीं, बल्कि लोकभाषा, स्थानीय संस्कृति और वास्तविक जीवन के उदाहरणों से समझाने की कोशिश करती हैं। यही उन्हें खास बनाता हैइस प्रयास की सबसे बड़ी बात यह है कि इसे किसी बड़े शहर या महंगे संसाधनों की मदद से नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र के एक सामान्य शिक्षक द्वारा तैयार किया गया है। इसने यह साबित कर दिया कि अगर नीयत साफ हो और सोच सकारात्मक हो तो तकनीक को गांव तक लाया जा सकता है और बच्चों के लिए बड़ा बदलाव किया जा सकता है। आज जब देश में बहुत से लोग AI को लेकर आशंकित हैं, वहीं झांसी के एक छोटे से गांव से यह संदेश गया है कि तकनीक को अपनाकर शिक्षा को अधिक प्रभावशाली, संवेदनशील और बच्चों के अनुकूल बनाया जा सकता है।मोहनलाल सुमन का यह प्रयास इस बात का प्रमाण है कि शिक्षक सिर्फ किताबों के पाठ पढ़ाने वाले नहीं होते, वे समाज में बदलाव लाने वाले सच्चे नायक होते हैं। उन्होंने न केवल एक डिजिटल शिक्षिका बनाई बल्कि उस शिक्षिका में संवेदना, संवाद की कला और मार्गदर्शन की भावना भी भरी। यह प्रयोग केवल तकनीकी दृष्टि से नहीं बल्कि सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से भी एक नई सोच की ओर इशारा करता है।
सुमन मैडम का स्वरूप ऐसा है कि बच्चे उन्हें अपना मित्र भी मानते हैं और मार्गदर्शक भी। बच्चों के माता-पिता भी अब इस तकनीक से जुड़कर अपने बच्चों की पढ़ाई में सहयोग दे पा रहे हैं। यह पूरी प्रक्रिया सिर्फ शिक्षा तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह एक सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत भी बन रही है। अब गांव के अन्य शिक्षक भी इस प्रयास से प्रेरणा लेकर तकनीक के प्रयोग को अपनाने लगे हैं।
इस प्रयास से यह स्पष्ट होता है कि भविष्य की शिक्षा तकनीक और मानवीय संवेदना का मेल होगी। आज भारत के कोने-कोने में लाखों शिक्षक काम कर रहे हैं लेकिन यदि उनमें से हर एक शिक्षक इस तरह की सोच रखे तो हमारी शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह बदल सकती है।
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Added: May 05, 2025
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AI टीचर ‘सुमन मैडम’ – झ ांसी के शिक्षक क अनोख नव च र
झ ांसी जिले के एक छोटे से ग ांव में क र्यरत जिक्षक मोहनल ल सुमन ने तकनीक क ऐस अद् भुत प्रर्ोग
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की सोच, भ ष , व्यवह र और सव लोां को समझती है। र्ह प्रर्ोग झ ांसी िनपद के गुरसर ांर् ब्लॉक के
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‘सुमन मैडम’ बच्ोां को कह जनर् ां सुन ती हैं, कजवत एां जसख ती हैं, स म न्य ज्ञ न से लेकर जवज्ञ न तक की
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व्यवह र जकसी सिीव जिक्षक की तरह ही होत है। िब भी कोई बच् सव ल करत है, तो सुमन मैडम
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िीवन के उद हरणोां से समझ ने की कोजिि करती हैं। र्ही उन्ें ख स बन त है।
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प्रभ वि ली, सांवेदनिील और बच्ोां के अनुकू ल बन र् ि सकत है।
मोहनल ल सुमन क र्ह प्रर् स इस ब त क प्रम ण है जक जिक्षक जसिय जकत बोां के प ठ पढ ने व ले
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इस प्रर् स से र्ह स्पि होत है जक भजवष्य की जिक्ष तकनीक और म नवीर् सांवेदन क मेल होगी।
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तरह की सोच रखे तो हम री जिक्ष व्यवस्थ पूरी तरह बदल सकती है।
मोहनल ल सुमन क र्ह नव च र एक उद हरण है जक अगर कोई जिक्षक च ह ले तो वह अपने स धनोां
से भी तकनीक को समझ सकत है, अपन कर प्रर्ोग कर सकत है और जिक्ष को बच्ोां के जलए
�जचकर बन सकत है। उन्ोांने तकनीक को के वल एक मददग र उपकरण नहीां बल्कि बच्ोां के मन
को समझने व ल स थी बन जदर् है।
आि िब जिक्ष व्यवस्थ में कई तरह की चुनौजतर् ां हैं, तब एक जिक्षक क ऐस प्रर् स उम्मीद की
जकरण की तरह स मने आर् है। र्ह पहल र्ह जदख ती है जक तकनीक को अपन ने के जलए बडे
सांस धनोां की नहीां बल्कि बडे इर दोां की ि�रत होती है।
इस प्रर् स ने र्ह स जबत कर जदर् है जक एक ग ांव के जवद्य लर् से भी पूरी जिक्ष व्यवस्थ को जदि दी
ि सकती है। र्ह प्रेरण द र्क कह नी पूरे देि के जलए एक सीख है जक जिक्षक च हें तो कु छ भी
असांभव नहीां है।
क्य आप भी इस तरह की पहल को अपन न च हेंगे?