चिड़िया और कोहरे की कहानी - हिन्दी में by Kahanizone
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Apr 28, 2025
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दूर पहड़ियों के पास एक पेड़ पर चिड़िया और उसके बच्चे घोंसले में रहते थे। ठंड का समय था, बर्फ पड़ रही थी। अधिक धुंध होने के...
दूर पहड़ियों के पास एक पेड़ पर चिड़िया और उसके बच्चे घोंसले में रहते थे। ठंड का समय था, बर्फ पड़ रही थी। अधिक धुंध होने के कारण आसपास कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। जिसके कारण कोई भी पक्षी अपने घोंसले से बाहर नहीं आ रहे थे। धीरे-धीरे इस तरह से एक दो दिन बीत गए। लेकिन, अब चिड़िया सोचने लगी अगर मैं बाहर नहीं गई तो हमारे बच्चे भूखे कब तक रहेंगे। मुझे उड़ना ही होगा, लेकिन उसके बच्चे उसे बाहर जाने से माना कर रहे थे। वह बच्चों को समझा कर उड़ गई।
चिड़िया उड़ते-उड़ते बहुत दूर किसी पहाड़ी पर निकल आई, देखा तो वहाँ पर सूर्य की रोशनी भी पड़ रही थी। ठंड और धुंध भी कम थी। चिड़िया कुछ समय धूप सेकने के बाद खाना एकठ्ठा करके अपने बच्चों के पास उड़ चली। जब वह खाना लेकर वापस लौटी तो दूसरी चिड़िया ने उसे देख पूछा “इतनी ठंड और कोहरे में कहाँ गई थी”? उसने जबाब दिया अपने बच्चे के लिए खाना लाने गई थी।
चिड़िया बहुत ही मीठे स्वर में बोली कोहरा तथा धुंध हमें यही सीखाता हैं कि कुछ दूर चलो आगे का रास्ता अपने आप दिखने लगेगा। ठीक इसी प्रकार आगे चलते-चलते एक समय ऐसा आएगा कि आपको पूरा रास्ता दिखने लगेगा। यह कहते हुए चिड़िया वहाँ से उड़कर अपने घोंसले में बच्चों के पास चली गई।
उसकी बातें सुन आसपास की चिड़िया भी अपने घोंसले से निकलकर खाना लाने के लिए उड़ जाती हैं। इसलिए, कहा जाता हैं लोग उसकी सराहना करते हैं जो किसी भी परिस्थियों में पीछे नहीं हटता, बल्कि उसका डटकर सामना करता हैं।
नैतिक सीख:
थोड़ी दूर चलो आगे का रास्ता अपने आप दिखने लगेगा।
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Added: Apr 28, 2025
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Slide Content
चिचिया और कोहरे की कहानी
दूर पहचियों के पास एक पेि पर चिचिया और उसके बच्िे घोंसले में रहते थे। ठंड
का समय था, बर्फ पि रही थी। अचिक िुंि होने के कारण आसपास कु छ दिखाई
नहीं िे रहा था। जिसके कारण कोई भी पक्षी अपने घोंसले से बाहर नहीं आ रहे थे।
िीरे-िीरे इस तरह से एक िो दिन बीत गए। लेककन, अब चिचिया सोिने लगी अगर
मैं बाहर नहीं गई तो हमारे बच्िे भूखे कब तक रहेंगे। मुझे उिना ही होगा, लेककन
उसके बच्िे उसे बाहर िाने से माना कर रहे थे। वह बच्िों को समझा कर उि गई।
चिचिया उिते-उिते बहुत दूर ककसी पहािी पर कनकल आई, िेखा तो वहााँ पर सूयफ
की रोशनी भी पि रही थी। ठंड और िुंि भी कम थी। चिचिया कु छ समय िूप सेकने
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वापस लौटी तो दूसरी चिचिया ने उसे िेख पूछा “इतनी ठंड और कोहरे में कहााँ गई
थी”? उसने िबाब दिया अपने बच्िे के ललए खाना लाने गई थी।
चिचिया बहुत ही मीठे स्वर में बोली कोहरा तथा िुंि हमें यही सीखाता हैं कक कु छ दूर
िलो आगे का रास्ता अपने आप दिखने लगेगा। ठीक इसी प्रकार आगे िलते-िलते
एक समय ऐसा आएगा कक आपको पूरा रास्ता दिखने लगेगा। यह कहते हुए चिचिया
वहााँ से उिकर अपने घोंसले में बच्िों के पास िली गई।
उसकी बातें सुन आसपास की चिचिया भी अपने घोंसले से कनकलकर खाना लाने के
ललए उि िाती हैं। इसललए, कहा िाता हैं लोग उसकी सराहना करते हैं िो ककसी भी
पररस्स्थयों में पीछे नहीं हटता, बल्कक उसका डटकर सामना करता हैं।
थोिी दूर िलो आगे का रास्ता अपने आप दिखने लगेगा।
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