चिड़िया और कोहरे की कहानी - हिन्दी में by Kahanizone

kahanizoneinfo 97 views 1 slides Apr 28, 2025
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दूर पहड़ियों के पास एक पेड़ पर चिड़िया और उसके बच्चे घोंसले में रहते थे। ठंड का समय था, बर्फ पड़ रही थी। अधिक धुंध होने के...


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चिचिया और कोहरे की कहानी
दूर पहचियों के पास एक पेि पर चिचिया और उसके बच्िे घोंसले में रहते थे। ठंड
का समय था, बर्फ पि रही थी। अचिक िुंि होने के कारण आसपास कु छ दिखाई
नहीं िे रहा था। जिसके कारण कोई भी पक्षी अपने घोंसले से बाहर नहीं आ रहे थे।
िीरे-िीरे इस तरह से एक िो दिन बीत गए। लेककन, अब चिचिया सोिने लगी अगर
मैं बाहर नहीं गई तो हमारे बच्िे भूखे कब तक रहेंगे। मुझे उिना ही होगा, लेककन
उसके बच्िे उसे बाहर िाने से माना कर रहे थे। वह बच्िों को समझा कर उि गई।

चिचिया उिते-उिते बहुत दूर ककसी पहािी पर कनकल आई, िेखा तो वहााँ पर सूयफ
की रोशनी भी पि रही थी। ठंड और िुंि भी कम थी। चिचिया कु छ समय िूप सेकने
के बाि खाना एकठ्ठा करके अपने बच्िों के पास उि िली। िब वह खाना लेकर
वापस लौटी तो दूसरी चिचिया ने उसे िेख पूछा “इतनी ठंड और कोहरे में कहााँ गई
थी”? उसने िबाब दिया अपने बच्िे के ललए खाना लाने गई थी।

चिचिया बहुत ही मीठे स्वर में बोली कोहरा तथा िुंि हमें यही सीखाता हैं कक कु छ दूर
िलो आगे का रास्ता अपने आप दिखने लगेगा। ठीक इसी प्रकार आगे िलते-िलते
एक समय ऐसा आएगा कक आपको पूरा रास्ता दिखने लगेगा। यह कहते हुए चिचिया
वहााँ से उिकर अपने घोंसले में बच्िों के पास िली गई।

उसकी बातें सुन आसपास की चिचिया भी अपने घोंसले से कनकलकर खाना लाने के
ललए उि िाती हैं। इसललए, कहा िाता हैं लोग उसकी सराहना करते हैं िो ककसी भी
पररस्स्थयों में पीछे नहीं हटता, बल्कक उसका डटकर सामना करता हैं।
थोिी दूर िलो आगे का रास्ता अपने आप दिखने लगेगा।
@kahanizone.com
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