Class 9 Hindi - मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय

SabbirUzumaki 1,598 views 13 slides Dec 25, 2022
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About This Presentation

Class 9 Hindi
Chapter name- मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय


Slide Content

मेराछोटा-सानिजी
पुस्तकालय-धममवीरभारती

धर्मवीर
भारती
धर्मवीरभारती(२५दिसंबर,
१९२६-४दसतंबर, १९९७)
आधुदिकदिन्दीसादित्यके
प्रर्ुखलेखक, कदव,
िाटककारऔरसार्ादिक
दवचारकथे।वेएकसर्यकी
प्रख्यातसाप्तादिकपदिका
धर्मयुगकेप्रधािसंपािकभी
थे।डॉधर्मवीरभारतीको
१९७२र्ेंपद्मश्रीसेसम्मादित
दकयागया।उिकाउपन्यास
गुिािोंकािेवतासिाबिार
रचिार्ािीिातीिै।

जुलाई1989 बचिेकीकोईउ�ीदिहीींथी।तीि-तीिज़बरदस्तहाटमअटैक, एक
केबादएक।एकतोऐसानकिब्ज़बींद, सााँसबींद, धड़किबींद।डॉक्टरोींिेघोनित
करनदयानकअबप्राणिहीींरहे।परडॉक्टरबोजेसिेनिरभीनह�तिहीींहारी
थी।उन्ोींिेिौसौवॉल्ट्सकेशॉक्स(Shocks) नदए।भयािकप्रयो।।लेनकिवे
बोलेनकयनदयहमृतशरीरमात्रहैतोददममहसूसहीिहीींहो।ा, परयनदकहीींभी
ज़राभीएककणप्राणशेिहोीं।ेतोहाटमररवाइव(Revive ) करसकताहै।प्राणतो
लौटे, परइसप्रयो।मेंसाठप्रनतशतहाटमसदाकेनलएिष्टहो।या।के वलचालीस
प्रनतशतबचा।उसमेंभीतीिअवरोध' (Blockage) हैं।ओपेिहाटमऑपरेशितो
करिाहीहो।ापरसजमिनहचकरहेहैं।के वलचालीसप्रनतशतहाटमहै।ऑपरेशि
केबादिररवाइवहुआतो? तयहुआनकअ�नवशेिज्ोींकीरायलेलीजाए, तब
कु छनदिबादऑपरेशिकीसोचें।े।तबतकघरजाकरनबिानहले-डुलेनवश्राम
करें।

बहरहाल, ऐसीअर्द्ममृत्युकीहालतमेंवापसघरलायाजाताहाँ।मेरीनज़दहैनक
बेड�ममेंिहीीं, मुझेअपिेनकताबोींवालेकमरेमेंहीरखाजाए।वहीींनलटानदया
।याहैमुझेचलिा, बोलिा, पढ़िामिा।नदि-भरपड़ेपड़ेदोहीचीजेंदेखतारहता
हाँ, बाईींओरकीखखड़कीकेसामिेरह-रहकरहवामेंझूलतेसुपारीकेपेड़के
झालरदारपत्तेऔरअींदरकमरेमेंचारोींओरफ़शमसेलेकरछततकऊाँ ची,
नकताबोींसेठसाठसभरीअलमाररयााँबचपिमेंपरीकथाओीं(Fairy tales) मेंजैसे
पढ़तेथेनकराजाकेप्राणउसकेशरीरमेंिहीींतोतेमेंरहतेहैं, वैसेहील।ताथानक
मेरेप्राणइसशरीरसेतोनिकलचुकेहैं, वेप्राणइिहजारोींनकताबोींमेंबसेहैंजो
नपछलेचालीस-पचासबरसमेंधीरे-धीरेमेरेपासजमाहोती।ईहैं।कै सेजमाहुई,
सींकलिकीशु�आतकै सेहुई, यहकथाबादमेंसुिाऊाँ ।ा।पहलेतोयहबतािा
ज�रीहैनकनकताबेंपढ़िेऔरसहेजिेकाशौककै सेजा।ा।बचपिकीबातहै।
उससमयआयमसमाजकासुधारवादीआींदोलिअपिेपूरेजोरपरथा।मेरेनपता
आयमसमाजरािीमींडीकेप्रधािथेऔरमााँिेस्त्री-नशक्षाकेनलएआदशमक�ा
पाठशालाकीस्थापिाकीथी।

नपताकीअ�ी-खासीसरकारीिौकरीथीवमामरोडजबबिरहीथीतबबहुत
कमायाथाउन्ोींिे।लेनकिमेरेज�केपहलेही।ाींधीजीकेआह्वािपरउन्ोींिे
सरकारीिौकरीछोड़दीथीहमलो।बड़ेआनथमककष्टोींसे।ुजररहेथे, निरभीघर
मेंनियनमतपत्र-पनत्रकाएाँआतीथीीं-'आयमनमत्रसाप्तानहक', 'वेदोदम', 'सरस्वती',
'।ृनहणी' औरदोबालपनत्रकाएाँखासमेरेनलए' बालसखा' और'चमचम'।उिमेंहोती
थीपररयोीं, राजकु मारोीं, दािवोींऔरसुींदरीराजक�ाओींकीकहानियााँऔररेखानचत्र।
मुझेपढ़िेकीचाटल।।ई।हरसमयपढ़तारहता।खािाखातेसमयथालीकेपास
पनत्रकाएाँरखकरपड़ताअपिीदोिोींपनत्रकाओींकेअलावाभी'सरस्वती' और
'आयमनमत्र' पहिेकीकोनशशकरता।घरमेंपुस्तकेंभीथीीं।उपनििदेंऔरउिके
नहींदीअिुवाद, 'सत्याथमप्रकाश' 'सत्याथमप्रकाश' केखींडि-मींडिवालेअध्यायपूरी
तरहसमझतोिहीींपाताथा, परपढ़िेमेंमजाआताथा।मेरीनप्रयपुस्तकभीस्वामी
दयािींदकीएकजीविीरोचकशैलीमेंनलखीहुई, अिेकनचत्रोींसेसुसखितवे
तत्कालीिपाखींडकेनव�र्द्अद�साहस

नदखािेवालेअद्भुतव्यखित्वथेनकतिीहीरोमाींचकघटिाएाँथीींउिकेजीविकी
जोमुझेबहुतप्रभानवतकरतीथीीं।चूहेकोभ।वािकाभो।खातेदेखकरमाि
लेिानकप्रनतमाएाँभ।वाििहीींहोतीीं, घरछोड़करभा।जािा,तमामतीथों, जीं।लोीं,
।ुिाओीं, नहमनशखरोींपरसाधुओींकेबीचघूमिाऔरहरज।हइसकीतलाश
करिानकभ।वािक्याहै? सत्यक्याहै? जोभीसमाजनवरोधी, मिुष्य-नवरोधी
मू�हैं, �नढ़यााँहैं, उिकाखींडिकरिाऔरअींतमेंअपिेसेहारेकोक्षमाकर
उसेसहारादेिा।यहसबमेरेबालमिकोबहुतरोमाींनचतकरता।जबइससबसे
थकजातातबनिर'बालसखा' और'चमचम' कीपहलेपढ़ीहुईकथाएाँदुबारा
पढ़ता।

मााँस्कू लीपढ़ाईपरजोरदेतीींनचींनततरहतीनकलड़काकक्षाकीनकताबेंिहीींपढ़ता।पासकै से
हो।ा! कहीींखुदसाधुबिकरघरसेभा।।यातो? नपताकहते-जीविमेंयहीपढ़ाईकाम
आए।ीपहिेदो।मैंस्कू लिहीींभेजा।याथा. शु�की. पढ़ाईकेनलएघरपरमास्टररखे।ए
थे।नपतािहीींचाहतेथेनकिासमझउम्रमेंमैं।लतसीं।नतमेंपड़कर।ाली-।लौजसीखूीं, बुरे
सींस्कारग्रहणक�ाँअतःमेरािामनलखाया।या, जबमैंकक्षादोतककीपढ़ाईघरपरकर
चुकाथा।तीसरेदजेमेंमैंभरतीहुआ।उसनदिशामकोनपताउाँ।लीपकड़करमुझेघुमािेले
।ए।लोकिाथकीएकदुकािताज़ाअिारकाशरबतनमट्टीकेकु ल्हड़मेंनपलायाऔरनसर
परहाथरखकरबोले-"वायदाकरोनकपाठ्यक्रमकीनकताबेंभीइतिेहीध्यािसेपढ़ो।े, मााँ
कीनचींतानमटाओ।े।" उिकाआशीवामदथायामेराजी-तोड़पररश्रमनकतीसरेचौथेमेंमेरे
अ�ेिींबरआएऔरपााँचवेंमेंतोमैंिस्टमआया।मााँिेआाँसूभरकर।लेल।ानलया, नपता
मुसकु रातेरहे, कु छबोलेिहीीं।चूाँनकअींग्रेज़ीमेंमेरेिींबरसबसेज्यादाथे, अतःस्कू लसेइिाम
मेंदोअींग्रेज़ीनकताबेंनमलीथीीं।एकमेंदोछोटेब�ेघोींसलोींकीखोजमेंबा।ोींऔरकुीं जोींमें
भटकतेहैंऔरइसबहािेपनक्षयोींकीजानतयोीं, उिकीबोनलयोीं, उिकीआदतोींकीजािकारी
उन्ेंनमलतीहै।दूसरीनकताबथी'टरस्टीदर।' नजसमेंपािीकेजहाजोींकीकथाएाँथीीं-नकतिे
प्रकारकेहोतेहैं, कौि-कौि-सामाललादकरलातेहैं, कहााँसेलातेहैं,

कहााँलेजातेहैं, िानवकोींकीनजींद।ीकै सीहोतीहै, कै से-कै सेद्वीप' नमलतेहैं, कहााँह्वेलहोतीहै,
कहााँशाकमहोतीहै।
इिदोनकताबोींिेएकियीदुनियाकाद्वारमेरेनलएखोलनदया।पनक्षयोींसेभराआकाशऔर
रहस्ोींसेभरासमुद्रनपतािेअलमारीकेएकखािेसेअपिीचीजेंहटाकरज।हबिाईऔरमेरी
दोिोींनकताबेंउसखािेमेंरखकरकहा-“आजसेयहखािातुम्हारीअपिीनकताबोींका।यह
तुम्हारीअपिीलाइब्रेरीहै।"
यहााँसेआरींभहुईउसब�ेकीलाइब्रेरीब�ानकशोरहुआ, स्कू लसेकॉलेज, कॉलेजसे
युनिवनसमटी।या, डॉक्टरेटहानसलकी, युनिवनसमटीमेंअध्यापिनकया,अध्यापिछोड़कर
इलाहाबादसेबींबईआयासींपादिनकया।उसीअिुपातमेंअपिीलाइब्रेरीकानवस्तारकरता
।या।परआपपूछसकतेहैंनकनकताबेंपढ़िेकाशौकतोठीक, नकताबेंइकट्ठीकरिेकीसिक
क्योींसवारहुई? उसकाकारणभीबचपिकाएकअिुभवहै।इलाहाबादभारतकेप्रख्यातनशक्षा
कें द्रोींमेंएकरहाहै।ईस्टइींनडयाद्वारास्थानपतपखिकलाइब्रेरीसेलेकरमहामिामदिमोहि
मालवीयद्वारास्थानपतभारतीभवितकनवश्वनवद्यालयकीलाइब्रेरीतथाअिेककॉलेजोींकी
लाइब्रेररयााँतोहैंही, ल।भ।हरमुहल्लेमेंएकअल।लाइब्रेरीयहााँहाईकोटमहै, अतःवकीलोींकी
निजीलाइब्रेररयााँअध्यापकोींकोनिजीलाइब्रेररयााँ|

अपिीलाइब्रेरीवैसीकभीहो।ी, यहतोस्वप्नमेंभीिहीींसोचसकताथा, परअपिे
मुहल्लेमेंएकलाइब्रेरीथी-'हररभवि'।स्कू लसेछुट्टीनमलीनकमैंउसमेंजाकर
जमजाताथा।नपतानदवीं।तहोचुकेथे, लाइब्रेरीकाचींदाचुकािेकापैसािहीींथा
अतःवहीींबैठकरनकताबेंनिकलवाकरपढ़तारहताथा।उिनदिोींनहींदीमेंनवश्व
सानहत्यनवशेिकरउप�ासोींकेखूबअिुवादहोरहेथे।मुझेउिअिूनदत
उप�ासोींकोपढ़करबड़ासुखनमलताथा।अपिेछोटे-से'हररभवि' मेंखूब
उप�ासथे।वहीींपररचयहुआबनकमचींद्रचट्टोपाध्यायकी'दु।ेशिींनदिी', 'कपाल
कु ण्डला' और'आिींदमठ' सेटालस्टायकी

'अन्नाकरेनििा', नवक्टरह्यू।ोका'पेररसकाकु बड़ा' (हींचबैकऑफ़िात्रेदाम). ।ोकीकी
'मदर', अलेक्जेंडरकु नप्रिका'।ाड़ीवालोींकाकटरा' (यामादनपट) औरसबसेमिोरींजक
सवामरीजका'नवनचत्रवीर' (यािीडॉिखिक्चोट) नहींदीकेहीमाध्यमसेसारीदुनियाकेकथा-
पात्रोींसेमुलाकातकरिानकतिाआकिमकथा! लाइब्रेरीखुलतेहीपहुाँचजाताऔरजबशुक्ल
जीलाइब्रेररयिकहतेनकब�ा, अबउठो, पुस्तकालयबींदकरिाहै, तबबड़ीअनि�ासे
उठता।नजसनदिकोईउप�ासअधूराछू टजाताउसनदिमिमेंकसकरहोतीनककाश
इतिेपैसेहोतेनकसदस्बिकरनकताबइश्यूकरालाता, याकाशइसनकताबकोखरीद
पातातोघरमेंरखताएकबारपढ़तादोबारपढ़ता, बार-बारपढ़तापरजािताथानकयह
सपिाहीरहे।ा, भलाकै सेपूराहोपाए।ा!
नपताकेदेहावसािकेबादतोआनथमकसींकटइतिाबढ़।यानकपूनछएमत।िीसजुटािा
तकमुखिलथा।अपिेशौककीनकताबेंखरीदिातोसींभवहीिहीींथा।एकटरस्टसेयोग्य
परअसहायछात्रोींकोपाठ्यपुस्तकेंखरीदिेकेनलएकु छ�पयेसत्रकेआरींभमेंनमलतेथे।
उिसेप्रमुखपाठ्यपुस्तकेंसेकीं डहैंडखरीदता-था, बाकीअपिेसहपानठयोींसेलेकरपड़ता
औरिोट्सबिालेता।उिनदिोींपरीक्षाकेबादछात्रअपिीपुरािीपाठ्यपुस्तकेंआधेदाममें
बेचदेतेऔरउसमेंआिेवालेिएलेनकिउसेनवपन्नछात्रखरीदलेते।इसीतरहकाम
चलता।

लेनकिनिरभीमैंिेजीविकीपहलीसानहखत्यकपुस्तकअपिेपैसोींसेकै सेखरीदी, यहआजतकयाद
है।उससालइींटरमीनडएटपासनकयाथा।पुरािीपाठ्यपुस्तकेंबेचकरबी.ए. कीपाठ्यपुस्तकेंलेिेएक
सेकीं डहैंडबुकशॉपपर।या।उसबारजािेकै सेपाठ्यपुस्तकेंखरीदकरभीदो�पयेबच।एथे।सामिे
केनसिेमाघरमें'देवदास' ल।ाथा।�ूनथएटसमवाला।बहुतचचामथीउसकी।लेनकिमेरीमााँकोनसिेमा
देखिानबलकु लिापसींदथा।उसीसेब�ेनब।ड़तेहैं।लेनकिउसके।ािेनसिेमा।ृहकेबाहरबजतेथे।
उसमेंसह।लकाएक।ािाथा-'दुखकेनदिअबबीततिाहीीं'।उसेअकसर।ुि।ुिातारहताथा।कभी-
कभी।ुि।ुिातेआाँखोींमेंआाँसूआजातेथेजािेक्योींएकनदिमााँिेसुिा।मााँकानदलतोआखखरमााँका
नदल! एकनदिबोली-“दुखकेनदिबीतजाएाँ।ेबेटानदलइतिाछोटाक्योींकरताहै? धीरजसेकामले!"
जबउन्ेंमालूमहुआनकयहतोनि�'देवदास' का।ािाहै, तोनसिेमाकीघोरनवरोधीमााँिेकहा-"
अपिामिक्योींमारताहै, जाकरनपक्चरदेखआपैसेमैंदेदूाँ।ी।" मैंिेमााँकोबतायानक"नकताबेंबेचकर
दो�पयेमेरेपासबचेहैं।" वेदो�पयेलेकरमााँकीसहमनतसेनि�देखिे।या।पहलाशोछू टिेमेंदेर
थी, पासमेंअपिीपररनचतनकताबकीदुकािथी।वहीींचक्करल।ािेल।ा।सहसादेखा, काउींटरपर
एकपुस्तकरखीहै-'देवदास'।लेखकशरत्चींद्रचट्टोपाध्यायदामके वलएक�पयामैंिेपुस्तकउठाकर
उलटी-पलटी।तोपुस्तकनवक्रे ताबोला"तुमनवद्याथीहोवहीींअपिीपुरािीनकताबेंबेचतेहो।हमारेपुरािे
।ाहकहो।तुमसेअपिाकमीशििहीींलूीं।ा।के वलदसआिेमेंयहनकताबदेदूाँ।ा"।मेरामिपलट
।या।कौिदेखेडेढ़�पयेमेंनपक्चर? दसआिेमें'देवदास' खरीदी।जल्दी-जल्दीघरलौटआयाऔरदो
�पयेमेंसेबचेएक�पयाछःआिामााँकेहाथमेंरखनदए

" अरेतूलौटकै सेआया? नपक्चरिहीींदेखी?" मााँिेपूछा।"िहीींमााँनि�िहीींदेखी, यहनकताबलेआया
देखो।"
मााँकीआाँखोींमेंआाँसूआ।ए।खुशीकेथेयादुखके, यहिहीींमालूम।वहमेरेअपिेपैसोींसेखरीदी, मेरी
अपिीनिजीलाइब्रेरीकीपहलीनकताबथी।आजजबअपिेपुस्तकसींकलिपरिज़रडालताहाँनजसमें
नहींदी-अींग्रेज़ीकेउप�ास, िाटक, कथासींकलि, जीवनियााँ, सींस्मरण, इनतहास, कला, पुरातत्व', राजिीनतकी
हजारहापुस्तकेंहैं, तबनकतिीनशद्दतसेयादआतीहैअपिीवहपहलीपुस्तककीखरीदारीरेिरमाररया
ररल्के, स्टीफ़े िज्वी।, मोपासा, चेखब,टालस्टाय, दास्तोवस्की, मायकोवस्की, सोल्जेनिखस्टिस्टीिे िस्पेण्डर,
आडेिएज़रापाउींड, यूजीिओिील, ज्यााँपालसात्र, ऑल्बेयरकामू, आयोिेस्कोकेसाथनपकासो, ब्रू।ेल,
रेम्ब्रॉ, हेब्बरहुसेितथानहींदीमेंकबीर, तुलसी, सूर, रसखाि, जायसी, प्रेमचींद, पींत, निराला, महादेवीऔर
जािेनकतिेलेखकोीं, नचींतकोींकीइिकृ नतयोींकेबीचअपिेकोनकतिाभरा-भरामहसूसकरताहाँ।
मराठीकेवररष्ठ' कनवनवींदाकरींदीकरिेनकतिासचकहाथाउसनदि! मेराऑपरेशिसिलहोिेकेबाद
वेदेखिेआयेथे, बोले-“भारती, येसैकड़ोींमहापु�िजोपुस्तक�पमेंतुम्हारेचारोींओरनवराजमािहैं, इन्ीीं
केआशीवामदसेतुमबचेहो।इन्ोींिेतुम्हेंपुिजीविनदयाहै।" मैंिेमिहीमिप्रणामनकयानवींदाकोभी,इि
महापु�िोींकोभी।

धन्यवाि
Create by -Sabbir Ahmed
JNV RANGA
IX -B
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