" अरेतूलौटकै सेआया? नपक्चरिहीींदेखी?" मााँिेपूछा।"िहीींमााँनि�िहीींदेखी, यहनकताबलेआया
देखो।"
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अपिीनिजीलाइब्रेरीकीपहलीनकताबथी।आजजबअपिेपुस्तकसींकलिपरिज़रडालताहाँनजसमें
नहींदी-अींग्रेज़ीकेउप�ास, िाटक, कथासींकलि, जीवनियााँ, सींस्मरण, इनतहास, कला, पुरातत्व', राजिीनतकी
हजारहापुस्तकेंहैं, तबनकतिीनशद्दतसेयादआतीहैअपिीवहपहलीपुस्तककीखरीदारीरेिरमाररया
ररल्के, स्टीफ़े िज्वी।, मोपासा, चेखब,टालस्टाय, दास्तोवस्की, मायकोवस्की, सोल्जेनिखस्टिस्टीिे िस्पेण्डर,
आडेिएज़रापाउींड, यूजीिओिील, ज्यााँपालसात्र, ऑल्बेयरकामू, आयोिेस्कोकेसाथनपकासो, ब्रू।ेल,
रेम्ब्रॉ, हेब्बरहुसेितथानहींदीमेंकबीर, तुलसी, सूर, रसखाि, जायसी, प्रेमचींद, पींत, निराला, महादेवीऔर
जािेनकतिेलेखकोीं, नचींतकोींकीइिकृ नतयोींकेबीचअपिेकोनकतिाभरा-भरामहसूसकरताहाँ।
मराठीकेवररष्ठ' कनवनवींदाकरींदीकरिेनकतिासचकहाथाउसनदि! मेराऑपरेशिसिलहोिेकेबाद
वेदेखिेआयेथे, बोले-“भारती, येसैकड़ोींमहापु�िजोपुस्तक�पमेंतुम्हारेचारोींओरनवराजमािहैं, इन्ीीं
केआशीवामदसेतुमबचेहो।इन्ोींिेतुम्हेंपुिजीविनदयाहै।" मैंिेमिहीमिप्रणामनकयानवींदाकोभी,इि
महापु�िोींकोभी।