CuriousEd: संत कबीरदास – जीवन, भक्ति विचार और साखियाँ

curioused25 47 views 13 slides Sep 08, 2025
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About This Presentation

यह प्रस्तुति संत कबीरदास के जीवन, उनके भक्ति दर्शन तथा समाज सुधारक विचारों पर केंद्रित है। इसमें भक्तिकाल की सगुण ...


Slide Content

भक्तिधाराऔर
संिकबीरदास
पररचय
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भक्तिकाल
सगुण भक्तिधारा
निगुुण भक्तिधारा
•निगुुण धारा के अिुसार
ईश्वर का कोई रूप और
आकारिह ं होिा।
•निगुुणधाराकेअिुसार
ईश्वर कण-कण में व्याप्ि
हैं।
•सगुण भक्ति धारा को माििे
वाले ईश्वरकेसाकाररूपको
माििेहैं।
•सगुणभक्तिधारामेंईश्वर
मंददरोंमेंपूजेजािेहैं।

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भक्तिकाल
सगुण भक्तिधारा निगुुण भक्तिधारा
•निगुुण भक्तिधारा के कववयों
में कबीरदास मुख्य हैं।
•सगुण भक्तिधाराके मुख्य
कवव िुलसीदास जी हैं।

सगुण भक्तिधारा
भक्तिकाल
निगुुण भक्तिधारा
अन्य कवव सूरदास अन्य कवव िामदेव
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संि कबीरदास
कबीरदास काजन्म1398में
काशी,उत्तरप्रदेशमेंहुआथा।
उिकेमािा-वपिािीरूऔरिीमा
कपड़ाबुििेकाकामकरिेथे।
वेजानिसेिोमुसलमािथेपरंिु
रामिामकाजपककयाकरिेथे।
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संि कबीरदास
•उिकेललएराम,रह मऔरखुदामेंकोई
अंिरिह ंथा।
•कबीरदास कवव और समाज सुधारक थे।
•इन्होंिे ित्काल िसमाज में फैल
बुराइयों, आडंबर,कुर नियों, जािीय
भेदभाव आदद को अपिे ज्ञाि के माध्यम
से समाप्ि करिे की कोलशश की।
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कबीर के दोहों को साखी कहा जािा है|
•साखी का अथु साक्ष्य या गवाह होिा है।
•कबीरदास जी िे अपिे जीवि में जो कुछ
अपिी आँखों से देखा था उसे ईश्वर को
साक्ष्य मािकर अपिे शब्दों में व्यति कर
लोगों को समझाया है।
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कबीर की साखखयाँ
•बड़ाहुआिोतयाहुआ,जैसेपेड़खजूर।
पंथीकोछायािह ं,फललागेअनिदूर।।
•बुराजोदेखिमैंचला,बुरािलमललयाकोय।
जोददलखोजाआपिा,मुझसेबुरािकोय॥
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अमृिवाणी
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पाठ -कबीर की साखखयाँ
•जानििपूछोसाधकी,पूछल क्जएज्ञाि।
मोलकरोिरवारका,पड़ारहिदोम्याि।।
•आविगाररएकहै,उलटिहोईअिेक।
कहकबीरिदहंउलदटए,वह एककीएक।।
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कबीर की साखखयाँ
•माला िो कर में कफरै, जीलभ कफरै मुख माँदह।
मिुवाँ िो दहुँ ददलस कफरै, यह िौ सुलमरि िादहं।।
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कबीर की साखखयाँ
•कबीर घास ि िींददए, जो पाऊँ िलल होइ।
उड़ड़ पड़ै जब आँखख मैं, खर दुहेल होई।।
•जग में बैर कोइ िह ं, जो मि सीिल होय।
या आपा को डारर दे, दया करै सब कोय।।
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धन्यवाद