this is aavyay ya avikari Shabd in ncert Hindi grammar book class 7
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Added: Mar 09, 2022
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अव्यय या अविकारी शब्द हिंदी व्याकरण सातवीं पाठ-14
परिभाषा अव्यय वे शब्द हैं जिनके वाक्य में प्रयोग होने पर लिंग , वचन , पुरुष , काल , वाच्य आदि के कारण इनमें कोई परिवर्तन नहीं होता है। इसी कारण इन शब्दों को ‘ अविकारी ’ भी कहा जाता है। अव्यय के चार भेद होते हैं । क्रियाविशेषण संबंधबोधक समुच्चयबोधक विस्मयादिबोधक
क्रियाविशेषण जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं , वे क्रियाविशेषण कहलाते हैं। नीचे दिए गए वाक्यों में धीरे-धीरे शब्द चलने का ढंग (रीति) बता रहा है, तो कम शब्द कार्य की मात्रा (परिमाण) बता रहा है। ये शब्द क्रिया की विशेषता बता रहे हैं। अतः ये क्रियाविशेषण के उदाहरण हैं। जैसे- अक्षत धीरे-धीरे चल रहा है। उसने कम खाया। क्रियाविशेषण के चार भेद हैं। कालवाचक क्रियाविशेषण स्थानवाचक क्रियाविशेषण रीतिवाचक क्रियाविशेषण परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
कालवाचक क्रियाविशेषण जि न क्रियाविशेषण शब् दों से क्रिया के काल यानी समय का पता चले उसे कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं ; इसका पता लगाने के लिए क्रिया के साथ क ब लगाकर प्रश्न किया जाता है । कल , परसों , आज , सदा , जब तक , हमेशा आदि । जैसे- 1 . वह कल आया था। 2 . तुम अब जा सकते हो। 3 . वह अभी आ रहा है। 4. अंशु हमेशा सोती रहती है।
स्थानवाचक क्रियाविशेषण जिस क्रियाविशेषण से क्रिया के होने के स्थान या दिशा के बारे में पता चले उसे स्थान वाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। इसका पता लगाने के लिए क्रिया के साथ कहाँ लगाकर प्रश्न किया जाता है ; दाएँ , बाएँ , इधर , उधर , नीचे , ऊपर , पास , दूर आदि। जैसे- हरियाली चारों ओर फैली है। हरियाली कहाँ फैली है ? चारों ओर 1. तुम बाहर बैठो। 2 . वह ऊपर बैठा है। 3 . तुम वहाँ फल खा रहे थे।
रीतिवाचक क्रियाविशेषण जो शब्द क्रिया के होने की रीति या ढंग (विधि,तरीका) का बोध कराते हैं , उन्हें रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं । इसका पता लगाने के लिए क्रिया के साथ कैसे, किस तरह या किस प्रकार लगाकर प्रश्न किया जाता है ; जैसे- घोड़ा तेज़ भाग रहा है। कार ते ज़ दौड़ती है। बैलगाड़ी धीरे - धीरे चलती है। रीना जल्दी-जल्दी पढ़ती है। शेर जोर-जोर से दहाड़ रहा था। वह मुझे भली- भाँति जानता है ।
परिमाणवाचक क्रियाविशेषण जि न शब्दों से क्रिया के परिमाण (मात् रा ) का बोध हो , उन्हें परिणामवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। इसका पता लगाने के लिए क्रिया के साथ कितना, कितनी या कितने लगाकर प्रश्न किया जाता है ; जैसे- 1. उतना खाओ जितना पचा सको। 2. आज काफ़ी वर्षा हुई। 3. कम बोलो। 4 . अधिक पीओ।
संबंधबोधक जिन अव्यय शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से जाना जाता है, वे संबंधबोधक कहलाते हैं। जैसे- 1. मेरे घर के सामने एक उद्यान है। 2. घर के बाहर बच्चे खेल रहे हैं। 3. पेड़ के ऊपर चिड़िया का घोंसला है। 4 . धन के बिना कोई नहीं पूछता। 5 . राजा के पीछे चलना चाहिए। 6 . उसने शेर के बच्चे की ओर देखा। कुछ अन्य संबंधबोधक शब्द – के बाहर, के मारे, के भीतर, की ओर, के सामने, के पीछे, की तरह, के आगे, के विपरीत, की तरफ आदि।
समुच्चय बोधक दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ने वाले शब्द समुच्चयबोधक अथवा योजक कहलाते हैं। जैसे- 1. उसने खूब परिश्रम किया इसलिए वह प्रथम आया। 2. रवि और सोहन छठी कक्षा में पढ़ते हैं। 3. गौरव परिश्रमी तो है परंतु वह बुद्धिमान नहीं है। 4. पिता जी और आयुष बातें कर रहे हैं। 5. तुम अखबार पढ़ोगे या पत्रिका? कुछ अन्य समुच्चयबोधक शब्द इसलिए , लेकिन, व, तथा , तथापि, यद्यपि, कि, क्योंकि, ताकि आदि।
विस्मयादि बोधक जो शब्द विस्मय, हर्ष, शोक, प्रशंसा, भय, क्रोध, दुख आदि मन के भावों को प्रकट करते हैं, वे विस्मयादिबोधक कहलाते हैं । जैसे- 1. अरे! तुम भी आ गए। 2. वाह! क्या छक्का मारा है। 3. अहा ! कैसा मधुर संगीत है। 4. ओह! कितना कमजोर है। 5. छिः! कितनी गंदी बात। 6. ठीक है! ठीक है ! मैं कल दिल्ली चला जाऊँगा। 7. बाप रे! कितना भयानक शेर। 8. खबरदार! जो बिजली की तार को हाथ लगाया। कुछ अन्य विस्मयादिबोधक शब्द – बाप रे, हाय, अजी, उफ, हे राम, आह, शाबाश, काश, हे भगवान, सावधान, खबर आदि।